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देर रात वो चेन्नई सड़क पर कौन थी

देर रात वो चेन्नई सड़क पर कौन थी

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक अनुभव लेंगे जो की अंधेरी रात में चेन्नई की सड़क पर मौजूद एक विशेष तरह की आत्मा के विषय में दर्शाता है और यह अनुभव एक साधक ने भेजा है तो चलिए पढ़ते हैं। इनके पत्र को और जानते हैं। इस अनुभव के विषय में..
नमस्कार गुरु जी मेरी उम्र 35 साल है और मैं फिलहाल बेंगलुरु में एक आईटी कंपनी में काम करता हूं। कृपया कर मेरा नाम और शहर को गुप्त ही रखे क्योंकि शायद मेरे परिवार के कुछ लोग आपके चैनल को सुनते होंगे। यह 2010 की बात है। जब मैं चेन्नई में काम करता था। कॉलेज से 2009 में ग्रेजुएट होकर परिवार की आर्थिक रूप से मदद करने के लिए मैं जॉब ज्वाइन कर लिया था। यह बात उस समय की है जब मैं पूरा एक नास्तिक था और मेरे दिनचर्या में भी कोई खास सात्विकता नहीं थी। कहने का यह मतलब है कि मैं नॉनवेज दोस्तों के साथ ड्रिंक आदि करता था और मैं अपनी जिंदगी में शारीरिक संबंध भी पहले बना चुका था। बात यह है कि मैं कोई खास लड़का नहीं था। पर मैं हमेशा अपनी सोच को साफ रखने की कोशिश जरूर करता था। हालांकि मैं। पोर्न नहीं कभी देखा था और उन दिनों में पर लड़कियों और औरतों के लिए मेरे अंदर बहुत सम्मान था। कॉलेज और कॉलेज के बाद अपनी गर्लफ्रेंड से भी मैं सारिक संबंध तभी बनाया था था। जब मैं उन्हें जीवन भर साथ रहने का खुद के लिए संकल्प लिया था। पर आज की वास्तविकता यह भी है कि लड़कियां शारीरिक संबंध पर उतना ध्यान नहीं देती। शायद इसलिए आज तक मै बहुत बार किसी ना किसी के साथ प्यार में पड़ा पर सभी ने एक ही समय के बाद मुझे छोड़ दिया।

शायद यह मेरे ही प्रारब्ध है कि लोग जिस की चाहत रखते हैं, वह तो मुझे बहुत लड़कियों से प्राप्त हुआ पर ज्यादा समय तक किसी से प्यार नहीं कर सका। शहर में वापस उस घटना पर आता हूं। मैं एक बड़ी आईटी कंपनी में नए-नए जॉब पकड़ा था और मेरी ट्रेनिंग चल रही थी। ऑफिस के समय ऐसे ही कि मुझे घर आते वक्त रात के 9:00 से 10:00 बजे जाते थे। 2009 का साल था। फ्राइडे की रात और मैं थका हुआ था। बस से घर लौट रहा था। चेन्नई ऐसा शहर है जो आज भी रात 10-11 बजे तक शांत और सो जाता है। उस रात में बहुत थक गया था। थोड़ी नींद भी आ रही थी। पर मन में खुशी भी थी कि अगले दिन छुट्टी है और मैं दोस्तों के साथ पार्टी करूंगा। मन में यही सोच लिया। मैं बस से बस स्टॉप पर उतरा जो मेरे घर से कुछ कदम की दूरी पर होगा। बस स्टॉप के सामने इन चेन्नई की बहुत ही पुरानी शॉपिंग मॉल है। जब मैं बस से उतरा तो देखा कि उस शॉपिंग मॉल की सीढ़ियां से एक 20-22 की साल की लड़की नीचे उतर रही थी। वह दिखने में शामली अच्छी तरह मेंटेन फिगर की और हाथ में दो शॉपिंग बैग ली हुई थी। मैं बस से उतरते ही उसके साथ अपने रास्ते चल दिया। जब उसने मुझे मुझे पीछे से टोका। जब मैं मुड़कर देखा तो उसका चेहरा में थोड़ा डर और कंफ्यूजन मालूम हुआ। उसने बहुत ही अच्छे से मुझसे पूछा कि विजय नगर जाने वाली बस कहां मिलेगी। मैं उसे अपने हाथों से डायरेक्शन देकर बताया और फिर आगे बढ़ने लगा कि उसने मुझे फिर से टोका। वह बोली कि मैं भी उसी डायरेक्शन में जा रहा हूं, जहां उसे जाना है और क्योंकि रात ज्यादा हो गई है और रोड खाली हो गई है।

मेरे साथ चलने लगती है। मुझे एहसास हुआ कि इतनी मदद तो मुझे जरूर करनी चाहिए और मैंने उसे अपने साथ लेकर उसे चलने लगा। चलते चलते हम बात कर रहे थे जिसमें वह बताएं कि वह अंडमान से है और यहां कॉलेज की स्टूडेंट है। आज रात को शॉपिंग मॉल में घूमते घूमते समय पर ध्यान ही नहीं रखी और बाहर निकली तो काफी देर हो गई थी। हम दोनों हिंदी में ही बात कर रहे थे क्योंकि वह भी हिंदी बोलने वाली जगह से थी और मैं भी उसकी बातों को सुनकर मुझे थोड़ा आश्चर्य भी हुआ। उसका कारण यह था कि वह जिस शॉपिंग मॉल में गई थी, वह रात 9:00 बजे ही बंद हो जाता है। साथ ही चेन्नई जैसे शहर में हिंदी बोलने वाले कॉलेज स्टूडेंट मोस्टली ग्रुप में ट्रैवल करते हैं क्योंकि वहां आजकल की काफी समस्या होती है। तमिल लोग ना ज्यादा हिंदी समझते हैं और ना ही बोलना पसंद करते हैं। यह सभी बातें हैं को सोच कर के मुझे लगा कि उसके बातें सच नहीं हो सकती। फिर भी हम कुछ और साथ चले और फिर अलविदा का वक्त आ गया था क्योंकि मुझे राइट साइड से अंदर जाने वाली रोड लेनी थी और उसे वह मेन रोड क्रॉस करके अपॉजिट डायरेक्ट। की रोड की बस स्टॉप में बस का वेट करना था। उसकी सुविधा के लिए मैं उसे बस नंबर बताया और अपनी राह चलने लगा कि उसके चेहरे पर फिर हल्का सा डर दिखने लगा। वह बोली कि उसे रोड क्रॉस करने में डर लगता है और मेरे हाथ पकड़ कर बोली कि प्लीज उसे रोड क्रॉस करा दो फिर मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि रोड खाली थी बस कुछ गाड़ियां और बस ही दिखती थी। खैर उसने मेरे हाथ को जोर से पकड़ ही लिया था इसलिए मैं उसके साथ रोड क्रॉस करने लगा। रोड क्रॉस करने के बाद उसके चेहरे में एक हल्का सा मुस्कान आया और वह मुझे बोली कि अब साथ में बस स्टैंड चलो क्योंकि शायद इतनी देर हो गई है कि अब बस भी ना मिले उसकी बात सच है क्योंकि उसे जहां जाना था वहां की बस रात 10:00 बजे के बाद। बहुत ही मुश्किल था।

एक अच्छा इंसान होने की सोच से मैं बोला कि अब मैं उसे बस में बिठाकर बाद ही घर जाऊंगा। वह भी खुश होकर हाथों ही हाथों में हाथ डाल पड़ी और बस स्टैंड में बस एक दो ही लोग और हम करीब 5 मिनट ही वहां वेट किए थे कि वह फिर बोली उसने कहा उसे जोर की भूख लगी है। यह सुनते ही मैं तुरंत बोला कि अगर तुम अभी होटल में खाना खाओगी तो पक्का बस छूट जाएगी, पर वह जिद करने लगे। फिर मैं उसे पास के ही एक मूवी हॉल के सामने देर रात तक खुली रहने वाली होटल में ले गया। जहां हम पांच से 10 मिनट में खाना खाकर मीनू देखते रहे और फिर वह बोली कि उसे इसमें से कोई भी खाना पसंद नहीं है। फिर मैं बोला कि अब यही खाना हो तो खा लो। फिर वापस बस स्टैंड जाना होगा। अब तक रात के 10:30 बज चुके थे और जब हम वापस बस स्टैंड पहुंचे तो वहां कोई भी नहीं था। मुझे आज भी याद है कि वह रात बहुत काली सी थी। पता नहीं अमावस तिथि या नहीं, पर बहुत ही काली-काली रात थी। अब हम दोनों बस स्टैंड में वेट करते रहते। 10 से 15 मिनट बीत गया और कोई भी बस नहीं आ रही थी कि इसी बीच उसके मुझसे कहा कि अगर मुझसे कोई दिक्कत ना हो तो वह आज की रात मेरे साथ मेरे घर में ही बिता कर कल सुबह निकल जाएगी। जब उसने यह कहा तो मेरे मन में बहुत सारे विचार दौड़ने लगे। शायद कोई और होता तो खुशी खुशी उसे घर ले जाता। पर मुझे यह ठीक नहीं लग रहा था। उस समय मुझे दो बातों का एहसास। पहला यह कि? लड़की कोई ढंग की नही है और शायद घर में एंट्री लेकर रात में अपने दोस्तों को बुला कर चोरी वगैरा करवा दें या फिर यह जरूर कोई बहुत पिशाच है या मुझे बेकार कर मेरे साथ कुछ गलत करना चाहती हैं। आप ही सोचे कि एक अनजान अच्छी दिखने वाली 22 साल की लड़की ऐसा क्यों बोलेगी। मैंने उसे बताया कि मेरे रूम में मेरे साथ 2 दोस्त रहते हैं और अगर घर में लड़की लाया तो उनकी नियत भी बिगड़ सकती हैं। यह बात सच भी थी क्योंकि मेरे साथ मेरे दो दोस्त रहते थे और वह शायद अभी तक ड्रिंक करके काफी नशे में भी होंगे। वह बोली कि ऐसा नहीं होगा और वह किचन या बाथरूम में रात बिता लेगी और उसे मुझ पर पूरा विश्वास है। मैं फिर भी नहीं माना और उसे बोला कि ऐसा? संभव ही नहीं है तभी एक बस आई जो उसके घर की तरफ नहीं जाती थी पर एक मेन बस स्टैंड जाती थी जहां से उसके घर की तरफ की नाइट बस में सकती थी। मैं उसे तुरंत लेकर बस में चढ़ गया।
मैं उसे बस में अकेला नहीं छोड़ना चाहता था क्योंकि बस में अंधेरा था और बहुत कम लोग थे और उससे शायद आगे कहां और कैसे अगली बस लेनी है। वह भी नहीं पता था। उस लड़की की तरफ से मुझे किसी भी तरह की नेगेटिव एनर्जी या खतरे का अहसास नहीं हो रहा था और मैं नहीं चाहता था कि किसी लड़की का रात में कुछ बुरा हो जाए। बस में टिकट लेने के बाद मैं उसे 1 सीट में बिठाया और उसके आगे वाली सीट में बैठ गया। वह तुरंत बोली कि तुम इतना शर्माते क्यों हो। मेरे साथ साथ मेरे बगल में बैठो। मैं ना बोला तो वह मेरे हाथों को कुछ करके मुझे अपने पास बैठा लिया और अपना सर मेरे कंधे पर रखकर मुझसे बातें करने लगी। वह बोली कि उसे मेरे साथ समय बिताना अच्छा लग रहा है। पर उसे यह भी बुरा लग रहा था कि उसकी वजह से मुझे यह सारी मुसीबत झेलनी पड़ रही है। मैं बोला कि ऐसी कोई बात नहीं है और उसे मैं बस स्टॉप में अगली गाड़ी में बिठाकर वापस घर लौट जाऊं। पर सच यह था कि रात इतनी हो गई थी क्यों उसके लोंग रूट की बस तो नाइट बस सेवा में मिल जानी थी पर मुझे वापस घर जाने की भी कोई बस नहीं मिलने वाली थी। किसी की मदद करने के चक्कर में मैं खुद ही हंसने वाला था। हां, मैं बस स्टैंड कुछ 15 मिनट में पहुंच गया। वह बड़ा सा बस स्टॉप था। जहां कुछ तीन चार लोग थे और वो। कंडक्टर ड्राइवर लोग थे। वहां पहुंचते ही मुझे उस के रूप में जाने वाली बस अंधेरे में लगी हुई दिखाई दी। कुछ ड्राइवर से पूछा तो वह बताया कि वह बस अगले 15 मिनट में स्टार्ट होगी। हम बस के पास पहुंचे जो बिल्कुल एक अंधेरे कोने में लगी थी और उसमें कोई भी नहीं था। मैंने उस लड़की से कहा कि तुम बस में बैठ जाओ। मैं बस के बाहर खड़ा रहूंगा और जब तक पता ना चले वही से उसकी देखभाल करूंगा। पर जैसा मुझे पता था, वह नहीं मानी और मुझे भी अपने साथ उस अंधेरी बस के अंदर ले गई और हम एक सीट में बैठ कर बातें करने लगे।
उसी दौरान वह मेरे शर्ट की कॉलर पकड़कर मुझे किस करने की कोशिश की जो मैं तुरंत ही उसे रोक दिया। मुझे किस करने से कोई प्रॉब्लम नहीं था। पर अगर चेन्नई जैसे शहर। कोई ऐसा करता देख लेता है तो मुझे तो मार मिलती ही साथ में लड़की के साथ भी बुरा हो सकता था। खैर वह जबरदस्ती नहीं की। बस मुस्कुराई और हल्के से गले लग कर बोली थैंक्यू कुछ देर में बस ड्राइवर आ गया और 12 पैसेंजर चढ गये और मैं बस से नीचे उतरने ही वाला था कि उसने बोला कि मैं इतना मदद किया हूं। इसलिए फिर कभी मिलकर वह मुझे। थैंक्यू कहना चाहती है? और ऐसा कह कर उसने मुझसे मेरे फोन नंबर को मांगा। अब बस स्टार्ट हो गई थी। इसलिए मैं उसे जल्दी से नंबर दिया। बस से निकला खिड़की से उसे बाय किया और बस चल पड़ी। वैसे मैं उससे अपना फोन नंबर तो दिया था पर लास्ट का नंबर गलत दिया था क्योंकि यह क्या हो रहा था। मेरी समझ से बाहर की बात थी और यह कोई नार्मल घटना बिल्कुल नहीं कि मुझे उस लड़की से कोई भय नहीं हुआ और उसके साथ समय बिताने पर एक हल्का सा प्यार भी एहसास हुआ। पर मैंने उसे फिर कभी नहीं देखा। गुरु जी मेरा आपसे यह क्वेश्चन है कि आपको क्या लगता है कि वह कौन थी। वह जो भी थी। इंसान तो नहीं कि कोई नेगेटिव शक्ति भी नहीं मालूम होती। पर कोई अप्सरा पर या यक्षिणी होती तो शायद मुझसे कुछ अच्छा। परिणाम देखने को मिलता पर ऐसा भी कुछ नहीं हुआ। यह बात का मुझे विश्वास है कि यह जो भी शक्ति थी, वह मेरे चरित्र की परीक्षा ले रही थी। पता नहीं। अगर मैं फेल हो जाता तो मेरे साथ क्या होता, आप बताएं। गुरु जी की यह कौन थी और इस घटना के पीछे क्या प्रयोजन था। यह बस एक अनसुलझा रहस्य बन कर रह गया। आपको बहुत आदर पूर्वक प्रणाम।गुरु जी, अगर आपको यह अनुभव अच्छा लगा हो तो मेरा नाम बताए बिना इसे प्रकाशित जरूर करें ]

सन्देश- देखिए यहां पर उन्होंने एक अनुभव को बताया है। ज्यादातर जो भी आत्माएं होती हैं और उनकी कोई इच्छा अधूरी रह जाती है जैसे कि कोई लड़की अगर सड़क दुर्घटना में मर गई हो। रोड क्रॉस करते हुए तो इस तरह की स्थिति में भूतनी बनकर रह सकती हैं या जिस लड़की के साथ उसके प्रेमी ने गलत किया हो और ऐसी जगह पर उसे अकेला छोड़ दिया हो तो भी ऐसा अधिकतर घटित होता है और वह लड़की के रूप में आत्मा भटकती रहती है। उसकी पूर्ण इच्छा तभी पूरी हो सकती है कि जब उसे कोई रोड पार कराकर उसके गंतव्य तक पहुंचाये जहां उसे जाना है, पर यहां पर आपने बिल्कुल वही किया बिना कोई गलती किये उसकी मदद की। इसी वजह से अंतिम इच्छा जो थी। वह पूर्ण हो गई और वह आत्मा हमेशा के लिए मुक्त हो गई।

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कोई भी साधारण स्त्री इस तरह का व्यवहार नहीं करेगी। आपका यह सोचना बिल्कुल सही है। लेकिन जो भी आत्माएं अपनी आखिरी इच्छा जब तक उनकी पूरी नहीं होती है तब तक भटकती हैं या तो मंत्र के माध्यम से अथवा उनकी जो अंतिम इच्छा जिसकी वजह से उन्हें आत्मा रूप में भटकना पड़ रहा है, वह अगर पूरी हो जाती है। चाहे उसे कोई दूसरा पूरा कर दें तो निश्चित रूप से उसकी मुक्ति हो जाती है। ऐसा देखने में भी आया है कि जो लोग इसी वजह से भूखे रहकर मर जाते हैं, अगर उन्हें भोजन दिया जाता है तो वह आत्मा मुक्त हो जाती है। कोई आत्मा अगर तालाब में डूब कर मर गई हो और अगर किसी ने तालाब से किसी को बचा लिया तो  भी आत्मा मुक्त हो जाती है। इसी तरह के हजारों उदाहरण पड़े हैं जिससे कोई आत्मा भटक रही है। अगर वही कार्य कोई व्यक्ति कर देता है तो निश्चित रूप से उस आत्मा की मुक्ति हो जाती है और वह बंधन से मुक्त होकर के इस प्रेत लोक को छोड़ सकती है और अपने जीवन की ओर गमन कर सकती है। यहां पर ऐसा ही कुछ घटित हुआ था तो यह आज का अनुभव आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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