अनुरागिनी यक्षिणी से विवाह का सच्चा अनुभव भाग 2
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक बार फिर से अनुरागिनी यक्षिणी से दोस्ती के अगले भाग को लेकर उपस्थित हुए हैं और साधक ने आगे की कहानी को लिख करके भेजा है और साथ ही कुछ प्रश्नों के जवाब भी दिए हैं तो चलिए शुरू करते हैं। आज के इस वीडियो को..
प्रणाम गुरुजी हर हर महादेव गुरुजी सबसे पहले आपको संतान प्राप्ति के लिए बहुत बधाई। आपकी दोनों संताने दीर्घायु यशस्वी हो। पहले मेरा अनुभव प्रकाशित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद माता के आशीर्वाद से आपका चैनल और लोगों तक पहुंचे। आशा करता हूं, आप अच्छे होंगे। गुरु जी आपके कहने पर मैंने अनुरागिनी से पूछा कि क्या मैं उस जंगल का पता बताओ तो उन्होंने मना कर दिया। उनका कहना था कि उस जंगल में ऐसे ही उनकी तरह अन्य देवी शक्तियां रहती हैं। इतना ही नहीं उसी जंगल में कई सितारों के बीच एक रहस्यमई दूसरी दुनिया का एक दरवाजा भी है। उसे कोई आम मानव नहीं, तांत्रिक ही देख और खोल सकते हैं। इसलिए माफ करें। उस जंगल के बारे में मैं कोई भी जानकारी नहीं दे सकता हूं। वैसे भी जमाना बहुत खराब हो गया है। वहां जाकर तांत्रिक लोग पता नहीं क्या विनाश कर दे। काफी दर्शक पूछ रहे थे कि यक्षिणी साधना के बिना कैसे दिखती है तो सुनिए मुझे ही नहीं कई लोगों को हिंसक। न्यू को देखने का मौका मिला है जैसे अक्षरा योगिनी यक्षिणी, क्योंकि उनके पूर्व जन्म में कनेक्शन थे। कुछ लोगों ने यह भी इमेल किया कि अगर आपके पास सच में शक्ति है तो उन्हें रूद्र शर्मा का पता बता दूं। पहले प्रतीक त्रिपाठी के पीछे पड़े थे। अब इनके अब क्या ही बताऊं ऐसे लोगों को माता इन्हें सद्बुद्धि दे ।
मेरे कुछ निजी कार्यों के चलते मैं अति व्यस्त था। आज समय मिला है इसलिए आपको ईमेल कर पा रहा हूं। बिजी शेड्यूल होने के कारण मैं बहुत लोगों का रिप्लाई भी नहीं कर पाया। आपकी वैष्णो देवी सीरीज के पांचवें भाग में माता ने कहा कि उस यूनिवर्स से ऋषि मुनि और राक्षस भी आए हैं। किसी को डाउट था कि वह राक्षस है क्योंकि उनका दो बार किसी कारणवश जॉप छूट गया है। देखिए बहन आप फिर से अंतिम बार गुरु दीक्षा ली जी इस बार कोई चूक ना होने पाए। गलती तो सबसे होती है। गुरु जी बहुत अच्छे और दयालु हैं। आप सब बहुत भाग्यशाली हैं जो इन जैसे आपको गुरु मिले हैं, वह आपकी बात को जरूर समझेंगे। जहां तक आपको लगता है कि आप पूर्व जन्म में राक्षस थी। ऐसा कुछ नहीं है मेरे हिसाब से। आप राक्षस नहीं थी क्योंकि आप गुरुजी और गुरु मंत्र के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित है। जब भी आपको मोटिवेशन डाउन हो जाए। आप गुरुजी के वीडियो को देखिए पहले पहले शरीर की बहुत सारी कमियां सामने आती हैं। दर्द होता है मेरे साथ भी होता था, पर इसका मतलब यह नहीं है कि आपकी आत्मा में या पूर्व जन्म में कोई खराब नही थी
आप स्वयं साधना करें और जान जाइए। गुरु जी और मां पर पूरा विश्वास रखिए। आप को गुरु मंत्र ऐसे ही नहीं मिला। इसके पीछे रहस्य और उद्देश्य है। आप आने वाली इस महीने की गुप्त नवरात्रि को 22 जनवरी को लीजिए आशा करता हूं। आप समझ गई होंगी और एक भाई ने पूछा, देखिए भाई मैं गुरु बनने के काबिल नहीं हूं। आप धर्म रहस्य के गुरु जी से दीक्षा ले वही सर्वोच्च गुरु है और एक आप जो कोई भी है आपको मैं आखिरी बार चेतावनी देता हूं कि इसके बाद मुझे ईमेल आईडी से पॉर्नोग्राफिक कंटेंट उनकी साइट ना भेजें। आपकी हालत के लिए आप खुद ही जिम्मेदार होंगे और एक किसी ने पूछा, आप एक काम करें। पहले उच्च साधक बनिए बाद में पूर्व जन्म देखने का प्रयास करे। क्योंकि इसके लिए लगातार लंबी साधना करनी होगी। आप गुरुजी के वीडियो भक्त साधक और प्रेम और विवाह कथा देखिए। आपको पता चल जाएगा।
गुरुजी उस जंगल का और एक रहस्य यक्षिणी द्वारा मेरे समकक्ष आया है। गुरु जी स्वर्ग के देवराज इंद्र के स्थान पर कोई ना कोई आता और जाता रहता है। वैसे भी नाग लोग भी है 500 साल पहले एक महान भक्त था मां मनसा देवी का मृत्यु के पश्चात वह जन्म नाग लोक में नागराज नागार्जुन के रूप में हुआ। उसकी प्रेमिका का नाम नाम विनीता आज नागमणि उसी वन में है। इसका कारण में आगे बताऊंगा। गुरुजी नागलोक का नियम है। जो भी नागराज होता है उसे महाशिवरात्रि पर इस वन में तिलिस्मी मायावी शिवलिंग प्रकट होता है। यह शिवलिंग सिर्फ शिवरात्रि के महापर्व पर ही प्रकट होता है। तब नाग लोक के नागराज को यहां मणि को लाकर शिवलिंग पर चढ़ाना होता है। शिवजी की पूजा बंदना से शिवजी को प्रसन्न करना होता है। ऐसा करने से नागराज को अतुलनीय रहस्यमई शक्तियां प्राप्त होती हैं। उस रात नागमणि से बात करके वह निकल गया। आधी रात को वहां पहुंचकर चढ़ाने ही वाला था, किंतु वहां से एक कामाख्या क्षेत्र की जादूगरनी जा रही थी। नागमणि को देखकर उसके मन में नागमणि के प्रति लालच आया। वहां उसने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर माया। जाल से उसे धोखे से मार डाला और नागमणि को हासिल कर लिया।
जब वहां गई और पहुंची तो उस प्रेमिका ने अपने नृत्य प्रेमी को मरा पाया। उसे बहुत क्रोध आया। उसने उस जादूगरनी के बारे में मायावी आईने से पता कर लिया, लेकिन उसे पता ही नहीं था कि आखिर वह नागमणि कहां से ले कर चली गई है और अपने प्रेमी के वियोग में वह बहुत दुखी थी। उसने ठान लिया था। कुछ भी हो, कैसे भी हो वह अपने नाग और नागलोक की नाग मणि को प्राप्त कर ही लेगी। गुरुजी नाग लोक का नियम है। अगर 200 वर्षों तक नागमणि किसी के पास हो तो साधक के लिए उसे प्राप्त कर लेती है। नागमणि ही नहीं अपितु उसकी सारी शक्तियां भी इस प्रकार लगभग डेढ़ सौ साल बीत गए हैं। नागमणि को नाग शक्ति के द्वारा पता चल गया था कि उसके प्रेमी तथा नाग लोक के नागराज का जन्म फिर से यही हुआ है और वह कभी ना कभी किसी वजह से इस वन में लौट आएगा। इसलिए वह कई सालों से उसी वन में निवास कर रही है। अब पता नहीं वह औरत अभी तक जिंदा भी होगी या नहीं हो सकती है क्योंकि ऐसी जादूगरनियां खुद की जवानी बरकरार रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं।
नागमणि की शक्ति के बिना नाग लोक कुछ नहीं था। अभी 50 साल पूरे होने से पहले नागमणि वापस नाग लोक पहुंचाना बहुत जरूरी है। अन्यथा नाग लोक में कुछ शेष नहीं रहेगा और यह नागराज जब 25 साल का होगा तब स्वयं यह प्रकृति उसे उसकी नाग शक्तियां देने का प्रयास करेगी। देवी नागरानी ने मुझे भी कुछ नाग नागिन की साधना सिखाई है। उन साधनों के प्रभाव से वह नाग लोक के रहस्य उजागर ही नहीं। उसके प्रभाव से मैं नाग लोक भी जा पाया। गुरुजी नाग लोक को बचाने के लिए उसकी समस्त नाग शक्ति पर्याप्त नहीं है। इसलिए अब वह सोच रही है कि वह योगिनी या भैरवी शक्तियों से मदद लें। इसलिए उन्होंने उसी वन में 1 योगिनी साधना की और उन्हें बहुत जल्द सफलता भी प्राप्त हो गई क्योंकि योगिनी शक्ति उसी वन में विराजित होती रही थी। गुरुजी पिछले साल में अपनी पत्नी के साथ वैष्णो देवी के दर्शन करने गया था। तब माता के दर्शनों के लिए सभी लोग जा ही रहे थे कि तभी अनुरागिनी मुझे बताई कि थोड़ी ही देर में धर्म रहस्य के गुरु जी अपने परिवार के साथ यहां से जाएंगे। मैंने पूछा कि क्या वह भी आए हैं तो उन्होंने कहा हां, लेकिन किसी वजह से। मैं नहीं देख पाया। फिर थोड़ी देर बाद कहा कि यहां भैरवी शक्ति जागृत हो गई है। मुझे लगा कि वह मजाक कर रही है इसलिए उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। फिर थोड़ी देर बाद एक पहाड़ी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, तुम को मजाक लग रहा था ना वह देखो उस पहाड़ी पर मैंने देखते हुए कहा, मुझे कुछ नहीं दिख रहा है। आखिर तुम्हें वहां क्या दिख रहा है तो उन्होंने कहा ठीक है। मैं ही दिखाती हूं। बोल कर के सिर पर हाथ रख दिया।
तब मैंने वहां पर उस पहाड़ पर अत्यंत ही अत्यधिक दिव्य शीतल मुख मंडल देवी को देखा। मैंने उन्हें पूछा कि वह देवी कौन है तब उन्होंने कहा, वह माता की सेविका शक्ति भैरवी है। इसका विवरण अगले साल गुरु जी अपने चैनल पर खुद ही देंगे उनके लिए यह जागृत रूप में आई है तब तो समझ में नहीं आया। आने पर तुम्हें भी पता चलेगा। अभी बताया तो प्रकृति और मां की इच्छा के विरुद्ध होगा। समय से पहले कुछ नहीं होता। माता की इच्छा यह सब बाद में ही समझ आएगा। अनुरागिनी ने मुझे उस भैरवी के विषय में क्यों नहीं बताया। यही माता की इच्छा थी। बाद में अगर वह नहीं होती तो मैं भी शायद उस भीड़ में मारा गया होता गुरु जी मैं और पत्नी भी उस भीड़ में थे तभी उन्होंने कहा, आपको जल्दी से इस भीड़ से निकल जाना चाहिए। वरना तुम भी मारे जाओगे इसलिए बिना विलंब किए निकल कर थोड़ी ही देर बाद पता नहीं भीड़ को क्या हुआ? पागलों की तरह यहां वहां इधर-उधर भागने लगी। दूसरे दिन पता चला कि कितने लोग मारे गए हैं तब पता चला कि मुझे अनुरागिनी ने तो पहले ही सावधान किया था कि माता के दरबार में भोग विलास इन लोगों को सूझता है। पता नहीं यह लोग कब सुधरेंगे खैर मैं आज ईमेल को यहीं समाप्त करता हूं। धन्यवाद हर-हर महादेव
सन्देश- तो देखिए यहां पर इन्होंने अनुरागिनी की सहायता से अपने जीवन की रक्षा भी की है और उस जंगल के बीच की एक कहानी भी बताई है आज का अनुरागिनी यक्षिणी संबंधित अनुभव अगर आपको आज का वीडियो पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
अनुरागिनी यक्षिणी से विवाह का सच्चा अनुभव भाग 3