चंद्रा अप्सरा ने खूबसूरत प्रेमिका मुझे दी एक अद्भुत प्रेम कहानी भाग 1
नमस्ते गुरुजी सबसे पहले मैं आपको अपने हृदय से धन्यवाद कहता हूं कि आप जनता के सामने ऐसी दुर्लभ साधनाएं लेकर आ जाते हैं जिनका विवरण आज लगभग समाप्त हो चुका है। आपको इसके लिए भी बहुत ज्यादा धन्यवाद है आप ही की कृपा से आज मैंने जब आपसे गुरुमंत्र लिया। वह मेरे लिए विलक्षण क्षण था। गुरु जी आपकी बातों को परखने के लिए और आप पर संदेह करने के लिए भी क्षमा कीजिएगा क्योंकि आजकल के युग में हर जगह बेवकूफ बनाने वाले मौजूद हैं। गुरु जी आप को परखने के लिए ही मैंने आपकी चंद्रा अप्सरा साधना खरीदी थी और इसे करने के विषय में सोचा क्योंकि आपने बताया था। इसे करने के लिए आपके पास सुनसान जगह, तालाब या झील इत्यादि होनी चाहिए तो मेरे घर के पास में ही एक झील पड़ती है। जहां पर मैं घूमने जाता था और वही!बहुत सारी विचित्र घटनाएं भी घटती रहती हैं। इसलिए मैंने सोचा कि मैं आपको यह अनुभव भेजू जो इस साधना के दौरान मेरे जीवन में घटित हुआ था। गुरुजी! आप मेरा कृपया नाम पता ईमेल आईडी वगैरा! किसी को भी प्रकाशित ना करें, ना ही किसी को बताएं क्योंकि कभी-कभी सिद्धियों के नजदीक पहुंचकर हम उसे भी खो देते हैं। लेकिन अनुभव बताना इसलिए आवश्यक है ताकि आप के माध्यम से लोगों को पता चले कि वास्तव में ऐसी शक्तियां संसार में मौजूद है। गुरुजी!
जिस जगह मैं यह साधना करने के लिए जा रहा था वहां पर जो झील आप उसे झील कहें या फिर एक बड़ा तालाब काफी खूबसूरत है और साथ में लगा हुआ जंगल है। तो मैंने सोचा कि चलो पूर्णमासी की रात में यहां पर पहले घूम कर आया जाए। जब? पूर्णमासी की रात में मैं वहां पहुंचा तो मुझे वहां की सुंदरता बहुत अच्छी लगी। मन में बार-बार एक ही विचार था। क्या यहां पर मुझे स्वर्ग की सबसे सर्वोत्तम पर दिव्य अप्सरा चंद्रा मिल सकती है? मैं यही सोचे जा रहा था। और बार-बार आपकी दी गई साधना पीडीऍफ़ में मंत्र को मन ही मन बुदबुदा रहा था कि अचानक मैंने। तालाब के दूसरे कोने में एक लड़की को निकलते हुए देखा। शबाब और चांदनी से नहाई हुई बहुत ही ज्यादा चमकीली और खूबसूरत! लड़की दिखी थी
कई बार मैं सोचता हूं कि क्या वह मेरी आंखो का भ्रम था? ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। गुरुजी उस लड़की को मैंने सच में निकलते हुए देखा था। अद्भुत बात यह थी कि वह जंगल गई कहीं से भी नहीं लगता कि वह कोई साधारण स्त्री रही होगी। और मेरे सामने ही वह गुम हो गई। जब मैं घर आ गया, मेरे मन में यह विचार आया। कि गुरु जी की बताई कई साधना का सिर्फ स्मरण करने मात्र से यह शक्ति मुझे दिख गई है। अब मुझे यह साधना अवश्य करनी चाहिए। फिर मैंने उसका सारा प्रबंध कर लिया। अगली पूर्णमासी में चुपचाप अपने घर से वहां के लिए निकल गया था। क्योंकि जंगल का माहौल और पता नहीं क्या-क्या समस्याएं मुझे रास्ते में आ सकती थी? और रात में अधिकतर बहुत सारा खतरा मौजूद रहता है। समस्या यह थी कि मैं किसी को यह बात नहीं बता सकता था। क्योंकि ऐसा करने पर साधना के लिए संकट हो सकता था। अब आप ही बताइए गुरुजी! मैंने जो किया वह सही किया। अब मैंने वहां पर जाकर वही विधि विधान किया जो आपने पीडीएफ में लिखा हुआ है।
आपके इंस्टामोजो अकाउंट से खरीदी गई इस साधना पर मुझे!
अब थोड़ा थोड़ा विश्वास था क्योंकि पिछली बार के अनुभव ने मुझे इस बात के लिए तैयार कर दिया था कि यह बात झूठ तो नहीं है? तब मैं साधना करने लगा। इस प्रकार मेरी साधना चलती रही। उस दिन के बाद लगभग मुझे काफी दिन वहां रोजाना जाना और मंत्र का जाप करना लगा रहा। पर अब मुझे कोई अनुभव नहीं हो रहा था। मुझे लग रहा था। यह क्या है? उस दिन पहली बार तो सब कुछ दिखा।
केवल मन में मंत्र जाप करने मात्र से कोई लड़की देखी थी पर आज! तो यहां पर कोई दिख ही नहीं रहा। इतने दिन हो चुके हैं मन हताश था। मैंने सोचा सिर्फ आज रात और पूजा करूंगा। कल से बंद कर दूंगा। वैसे भी इतनी रात में यहां आना खतरे से खाली नहीं है। कि तभी मैं जब साधना मैंने पूरी कर ली, वहां पर तभी अचानक से किसी के चलने की आहट आयी। मैं डर के मारे पीछे पलटा। वहां पर कोई नहीं था। पर झाडियों के पास फिर से कुछ आवाज आई।
अबकी बार तो और भी ज्यादा डर लगने लगा। मैंने सोचा कोई जंगली जानवर तो नहीं है? और इससे मैं बचा लूंगा कैसे कोई खतरनाक जानवर हुआ तो? तब मैं क्या करूंगा कहां फंस गया? किस चक्कर में पड़ गया हूं? अरे मुझे यह करना ही नहीं चाहिए था। कि तभी मेरे सामने थोड़ी दूर पर पेड़ बहुत जोर से हिला। अब तो जैसे मेरी सांस ही अटक गई हो।
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था तो मैंने सोचा ऐसा करता हूं। फटाफट यहां से निकल कर भाग जाता हूं और मैं चुपचाप चलने लगा। कि अचानक से मुझे लगा जैसे मेरे पैर में कुछ फंसा।
अपने आपको मैं संभाल नहीं पाया, वहीं पर गिर गया।
और उसके बाद जो हुआ वह आश्चर्य से कम नहीं था। गुरु जी मैंने! एक! लड़की की। वहां पर परछाई देखी जो मेरे सिर पर कुछ लगा रही थी। शायद चोट लगने की वजह से कुछ देर के लिए मैं सब कुछ भूल गया था। लड़की ने
जब मेरी मरहम पट्टी की। तब मैंने उसे पहली बार देखा। एक बहुत ज्यादा खूबसूरत लड़की। चेहरे पर बहुत ज्यादा तेज और चमक!
और उसके मस्तक पर एक विशेष तरह का टीका भी लगा हुआ था।
सच बताऊ तो मुझे तो वह अप्सरा ही लगी। मैंने उससे पूछा आप कौन? तो उसने पूछा तुम कौन? वहां पर क्या कर रहे हो यह तालाब के किनारे तुम इतनी रात में क्या कर रहे थे जो गिर गए? तब मैंने उससे कहा।
आप यहां क्या कर रही हैं, मैं तो फिर भी लड़का हूं। मैं तो कहीं भी आ जा सकता हूं। पर तुम तो लड़की हो क्या तुम्हें डर नहीं लगता यहां अकेले सुनसान में। तो कहने लगी। अरे मैं खुद एक साधिका हूं।
मैंने बहुत सारी पूजा-पाठ और साधनाएं की है। भला मैं क्यों डरने वाली हमारे गुरु जी ने हमें तंत्र विद्या में निपुण बनाया है? इसलिए हमें कहां डर लगता है? डरते तो साधारण लोग हैं।
मैंने उसकी ओर देखा। सच में वह कोई साध्वी ही लग रही थी। तब मैंने उससे पूछा, क्या आपकी शादी हो चुकी है? तब वह हंसने लगी और मुस्कुराते हुए उसने कहा।
तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो? क्या मुझसे तुम्हें कोई आकर्षण हो रहा है और यह कह कर एक बार फिर वह मुस्कुराने लगी?
मैंने उससे कहा नहीं नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं इसलिए पूछ रहा हूं कि अगर तुम शादीशुदा होगी तो पति भी तुम्हारा आसपास ही होगा।
तब उसने कहा। दुर्भाग्य से मेरी शादी नहीं हुई है। मैं खुद एक अच्छे पति की तलाश में हूं। कोई पति मुझे मिले यह कहकर फिर वह हल्का-हल्का हंसने लगी। मैं भी इसकी बात सुनकर हंसने लगा और कहा। मेरी भी अवस्था ऐसी ही है। मैं यहां पर साधना करने के लिए ही आया था और एक सुंदर प्रेमिका और पत्नी चाहता हूं।
लेकिन पता नहीं साधना मैं जो कर रहा हूं, वह सत्य है भी या नहीं?
उसने पूछा तुम कौन सी साधना कर रहे हो?
तब मैंने कहा, मैं तुम्हें यह नहीं बता सकता, क्योंकि कहते हैं साधना के दौरान किसी को भी इस बात का पता नहीं चलना चाहिए।
तो उसने कहा। अरे ठीक है कोई बात नहीं, तुम जिसकी भी साधना कर रहे हो, वह देवी अवश्य प्रसन्न हो। मेरी तो बस इतनी ही इच्छा है। तब मैंने उससे कहा, तुम्हें कैसे पता कि मैं किसी देवी की साधना कर रहा हूं? तब उसने हंसते हुए कहा। अरे इतना तो तुम मुझे अपने इशारों में ही बता दिए हो कि तुम्हें प्रेमिका या पत्नी चाहिए। अब किसी देवता की साधना तो तुम करोगे नहीं। कि तुम्हें पत्नी या प्रेमिका चाहिए। तुम साधना करोगे तो किसी देवी की ही करोगे ना?
उसकी बात में दम था। क्योंकि मैंने सोचा था, यह कोई बुद्धू है। जो इतनी रात को घूम रही है, पर इसकी बुद्धि तो बहुत ही तीव्र है। मैं समझ चुका था। तो मैंने उससे कहा, चलिए देवी आप अपने घर जाइए। आपने मेरी मदद की। इसके लिए मैं आपका धन्यवाद कहता हूं तो फिर हँसते हुए कहने लगी। रास्ता तो नहीं भटकोगे।
मैंने कहा, मैं तो रोजाना यहां से आता हूं।
मैं कहां भटकूंगा हां, अगर आपको कोई समस्या है तो आप मेरी घर चल सकती है।
इसमें आपको कोई परेशानी अगर ना हो तो? तब वह कहने लगी मेरा तो घर ही कुटी और जंगल है। इसलिए हमें कहा फर्क पड़ने वाला गुरुदेव की आज्ञा वही हमें आगे का मार्गदर्शन ते रहते हैं। अच्छा तो कल जब फिर से आओगे तो क्या मुझसे मिलोगे?
मैंने!
यह शब्द जब सुना तो अपने आप में ही खुश हो गया क्योंकि मुझे लगा यह तो खुद से आगे बढ़कर दोस्ती करना चाहती है। और सच बताउ गुरुजी इतनी ज्यादा खूबसूरत और शांत स्वभाव की लड़की लग रही थी कि ऐसी लड़की को भला अपना कौन नहीं बनाना चाहेगा? और उसी वक्त मेरे मन में तो यहां तक ख्याल था कि अगर ऐसी प्रेमिका या पत्नी मिले तो मेरा जीवन धन्य हो जाए।
लेकिन यह कोई आसान बात नहीं थी। मैंने उससे कहा, अवश्य अगर कल मैं साधना करने आऊंगा तो आप मुझे जरूर मिलिए।
तो उसने कहा ठीक है, मैं भी वादा करती हूं। इसी समय इसी स्थान पर मैं तुमसे कल फिर मिलने आऊंगी।
इस प्रकार मैं वहां से उठकर अपने घर की ओर जल्दी-जल्दी जाने लगा क्योंकि डर तो अभी भी मेरे मन में था।यही कोई जंगली जानवर आ गया तो मेरा क्या होगा?
मैंने अगले दिन रात की बहुत जल्दी! तैयारी कर ली।
ताकि मैं साधना कर सकूं। अब साधना तो मेरे लिए एक बहाना मात्र था।
मूल उद्देश्य तो उस लड़की से मिलना था। आगे क्या हुआ गुरुजी अगली पत्र के माध्यम से बताऊंगा। आपका विशेष रूप से धन्यवाद कृपया इस सच्ची घटना को अवश्य प्रकाशित कीजिएगा।
सन्देश- तो देखिए यहां पर इन्होंने इनके जीवन में चंद्रा अप्सरा साधना के विषय में
बताया है इस साधना को मैंने इंस्टामोजो पर पहले से ही डाल रखा है। अगर कोई है साधना खरीदना चाहता है और इस साधना को करना चाहता है तो डिस्क्रिप्शन में इसका लिंक भी दे रखा है।
तो अगर यह कहानी और इनका अनुभव पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।