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तांत्रिक की शमशान भैरवी साधना भाग 1

तांत्रिक की शमशान भैरवी साधना भाग 1

नमस्कार दोस्तों, धर्म रहस्य चैनल पर आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग एक ऐसे अनुभव को लेंगे जो कि एक साधक ने भेजा है और। वहाँ उनके गुरु परंपरा में। यह अनुभव उनको प्राप्त हुआ था। तो चलिए पढ़ते हैं इनके पात्र को और जानते हैं इस अनुभव के विषय में।

नमस्कार गुरूजी। सबसे पहले आप का विशेष रूप से मैं धन्यवाद करता हूँ। की आप प्राचीन तांत्रिक कथाओं और सनातन के रहस्यों को अपने वीडियो के माध्यम से उजागर करते रहते हैं। साथ ही आपने प्राचीन तांत्रिक साधनाओं को भी। जनता के समक्ष लाने का जो बीड़ा उठाया है, मैं उसकी प्रशंसा करता हूँ। गुरूजी वैसे तो मैं एक संप्रदाय में दीक्षित हूँ। किंतु। फिर भी आपका बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ और आपको। मैं गुरु की तरह ही देखता हूँ। गुरूजी? मैं। यह जो आज। कहानी आपको भेज रहा हो। यह एक सत्य घटना है जो हमारी ही। साधना पूजा पद्धति की परंपरा में। मुझे अपने गुरु से और उनको उनके गुरु से प्राप्त हुई थी। आज के। इस संसार में ऐसी बातों पर विश्वास करने वाले लगभग शून्य है। लेकिन इस अनुभव के माध्यम से, मैं देवी। के शमशान भैरवी स्वरूप की साधना और सिद्धि के विषय में आप सभी को बताऊँगा। आशा करता हूँ गुरूजी मेरी पहचान को छिपाते हुए आप मेरे इस लेटर को अवश्य ही प्रकाशित करेंगे। तो गुरूजी, यह बात तब शुरू होती है। जब हमारा देश गुलाम था। गांव में। जो भी बिमारी किसी को हो जाती थी। उस बिमारी का हल उस वक्त करने के लिए वैध हुआ करते थे। और आज कल की तरह। उस समय कोई भी। उपयोगी प्रणाली नहीं थी, जिसकी वजह से अच्छी प्रकार से इलाज किया जा सके। गांव के ही लोग अपनी जड़ी बूटियों के आधार पर। सब कुछ किया करते थे।

तो उसी गांव में हमारी ही पद्धति के हमारे। एक गुरु का निवास स्थान था जो कि लोगों का इलाज भी किया करते थे। गांव के ही। सबसे धनी व्यक्ति? एक बार। अपनी पत्नी के साथ रोते हुए उनके पास आए। और उनसे कहने लगे। कि गुरूजी, हम बहुत परेशान हैं। कई वर्षो से प्रयास कर रहे हैं। पर कोई भी संतान नहीं हो रही है। इसका कोई उपाय आपके पास अगर हो तो बताइए। तो उन्होंने कहा, यह तो कोई कठिन बात नहीं है। मैं आपको कुछ जड़ी बूटियां देता हूँ, इनका इस्तेमाल कीजियेगा। और उन्होंने। वहाँ पर उनके पास रखी हुई कुछ जड़ी बूटियां उन्हें दे दी। और जड़ी बूटियों को लेकर वह अपने घर चले गए। लेकिन जैसे ही उन्होंने जड़ी बूटी खाई उनकी तबियत खराब हो गई। और फिर उन्हें दोबारा से इन्हीं दादा गुरु के पास लाना आवश्यक हो गया था। उन्होंने देखा। और कहा यह तो बड़े अचरज की बात है। सामान्य से चीजें और सामान्य औषधि आपके शरीर में जाकर जहर कैसे बन जा रही है? इसके पीछे क्या राज़ है? तो वह रोते हुए कहने लगे। मुझे एक बहुत बड़ी गलती हो गई थी। उसी बात की वजह से आज सारी समस्या है और मेरी पीढ़ी का भी आगे बढ़ना लगभग ना के बराबर है। तब। हमारे उन गुरु जी ने पूछा। आप बताइए क्या समस्या है और ऐसा आपने क्या कर दिया था? तब उन्होंने बताया कि एक बार वह और उनके कुछ मित्र लोग शिकार खेलने के लिए जंगल की ओर जा रहे थे। वहीं पास में एक श्मशान भूमि पड़ती है। वहाँ पर एक हिरण उन्हें दिखाई दिया। और उस हिरण का रंग बहुत ही ज्यादा सुन्दर था। तो मैंने कहा मैं इस हिरण को मारकर इसकी खाल को अपने घर में सजा कर रखूँगा और यह बड़ी कीमती भी बिक सकती है।

अगर कोई इसे खरीदेगा तो। बस इसलिए हिरन को मारने के लिए सभी ने वहाँ पर एकत्रित होकर एक प्लान बनाया था। और फिर उन्होंने चारों तरफ से घीरे धीरे जाकर उस हिरण को घेर लिया। हिरन को इस बात का कुछ भी पता नहीं था। और फिर उन्होंने बड़ी ही तीव्रता के साथ अपने साथियों के हम सबने मिलकर के बाणों को छोड़ दिया। उस हिरण को बहुत सारे बाड़ लगे। और इसके साथ ही। जो दृश्य हमने देखा, हम सब के तो होश ही उड़ गए। वह कोई तांत्रिक था जो मायावी विद्या से वहाँ पर हिरण बना हुआ बैठा था। कि तभी हमने। वहाँ पर देखा एक। लड़का आया। जो कि लगभग 12 या 11 वर्ष का रहा होगा। वहाँ कर गुस्से से देखने लगा। और उसने कहा। की किस ने बाढ़ चलाया? तब मैंने ही कहा मैंने गलती से उनके ऊपर बाढ़ चला दिया है। तब वह गुस्से से कहने लगा। तुमने एक पिता और पुत्र को अलग किया है। इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूँ तुम्हारा वंश। कभी नहीं बढ़ेगा। और यह कहकर वह। अचानक से अपने पिता की लाश को लेकर गायब हो गया। यह बात भी हमारी समझ में नहीं आयी। कि वहाँ अगर इंसान होता। तो? अपने पिता को उठाना उसके बस की बात नहीं थी।

और अगर वह कोई आत्मा थी। तो वह जीवित इंसान की। संतान कैसे हो सकता है? यह बातें हमारे तो समझ से पूरी तरह पर्यत थी। और उसके बाद मैं घर वापस आ गया। उसी रात अचानक से मेरे पिता की हृदयगति रुकने से मृत्यु हो गई। तब मुझे लगा शायद उसका श्राप काम कर गया है। इसीलिए मैं और भी ज्यादा डरने लगा। मैंने। न चाहते हुए भी अपने परिवार वालों से कहा मैं शादी करना चाहता हूँ। और मैंने बहुत जल्दी ही शादी भी कर ली। और तब से लेकर आज तक। हमने बहुत प्रयास किया है। हम दोनों में सच्चा प्रेम भी है। लेकिन फिर भी कोई संतान पैदा नहीं हो रही है। इस सब का क्या राज़ है, मैं नहीं समझ पा रहा हूँ। आप ही बताइए कि अब मुझे क्या करना चाहिए? यह सारी बातें सुन कर। दादा ने कहा। मुझे लगता है तुम शराब की वजह से इस प्रकार फंस गए हो। अब। तुम्हें इस श्राप से मुक्त होने के लिए। कुछ विशेष ही करना होगा। मैं अपनी तांत्रिक साधना से यह जानने का प्रयास करता हूँ कि आखिर इसमें क्या हो सकता है? और फिर वह बैठ गए। अपनी तांत्रिक साधना में। लगभग तीसरे दिन उन्होंने। उस व्यक्ति को बुलाया। और उससे कहा। तुमने भारी गलती की है। जो व्यक्ति तांत्रिक था। वह एक भैरवी उपासक था।

उसने श्मशान भैरवी को सिद्ध किया था। ओर इसके बाद। उसने न सिर्फ उसे पत्नी रूप में सिद्ध किया बल्कि। एक बालक भैरव का भी जन्म। उसी। भैरवी के शरीर से हुआ था। यह श्मशान भैरवी। उसी शमशान में वास करती थी। और उसे सिद्ध करने के बाद। इंसानी रूप धारण करने और फिर उस से पुत्र प्राप्त की इच्छा उसने रखी। वह पुत्र। आधा इंसान। और आधा। भैरव शक्ति से संपन्न था। यह तांत्रिक अपनी माया में धीरे धीरे इतना सिद्ध हो गया। की भैरवी की शक्ति के कारण यहाँ कोई भी रूप ले सकता था। लेकिन यही एक बड़ी गलती हो गयी। यह हिरण के रूप में। वहाँ पर उस वक्त। मौजूद था। जिसे तुम लोगो ने। नहीं पहचाना? ओर उसे। मार डाला। और वह लड़का? जो भैरव ही था। अपने पिता की मृत्यु को देखकर बहुत क्रोधित हो गया। और उसने श्राप दे दिया। अब न तो तुम। और ना ही वह सारे लोग। कभी पिता बन पाएंगे? यह सुनकर वह व्यक्ति। ज़ोर ज़ोर से रोने लगा। उसने कहा इस प्रकार तो मेरा वंश समाप्त हो जाएगा। गुरूजी, कोई मार्ग तो होगा। ऐसा कोई मार्ग? जो चाहे कितना भी कठिन क्यों न हो। मैं। उसे पार करूँगा। आप मेरी मदद कीजिए। तब उन्होंने कहा। रुको, मुझे फिर से साधना पर बैठना पड़ेगा। तभी मैं कुछ बता पाऊंगा। क्योंकि यह कोई साधारण समस्या बिल्कुल भी नहीं है। एक बड़ी शक्ति के द्वारा तुम्हे श्राप दिया गया है।

इसके बाद वह व्यक्ति अपने घर चला गया। यह सोचकर कि गुरु जी कुछ न कुछ तो आवश्यक ही हल निकालेंगे। और इस प्रकार। गुरु ने। तांत्रिक साधना में बैठकर। उस रहस्य का पता लगाया। तो पता चला कि उन्हें भी कुछ ना कुछ वैसा ही करना होगा। उसी स्तर पर पहुंचना होगा। तभी कुछ हो सकता है। तो फिर? उन्होंने उस व्यक्ति को अपनी। उसी कुटिया में दोबारा बुलाया। और बड़े बड़े ध्यानपूर्वक। वार्तालाप करते हुए उससे कहा। सुनो। तुम्हें एक साधना करनी पड़ेगी। और याद रखो कि यह साधना तुम्हें सिद्ध भी करनी होगी। चाहे कुछ भी हो जाए। अगर तुम इस साधना को सिद्ध कर पाए। तभी तुम्हें सफलता मिले गी। और तभी तुम्हारे परिवार में। वंश परंपरा आगे बढ़ पाएगी? अन्यथा भूल जाओ। तब उस व्यक्ति ने कहा। गुरु जी इसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े। मैं करने के लिए तैयार हूँ। आप बस मुझे मार्ग बताइए। तब। इन गुरूजी ने कहा। यह सिर्फ आपके ही नहीं बल्कि आपकी पत्नी को भी इसमें आपका सहयोगी बनना होगा। क्योंकि वही। आपकी इसी प्रक्रिया को पूर्ण कर सकती है। क्या वह भयंकर श्मशान तांत्रिक साधना कर पाएगी? जाये उससे पूछिए अगर वह तैयार है तो फिर मैं आगे की प्रक्रिया आम लोगों को बताऊँगा। वह व्यक्ति तुरंत अपनी पत्नी के पास चला गया। किसी प्रकार से उसने अपनी पत्नी को तैयार किया। हालांकि वह इस बात से बहुत ज्यादा भयभीत थी कि शमशान में बैठकर वह कैसे पति के सहयोग के लिए साधना कर पाएगी।

लेकिन उसके पास दूसरा कोई विकल्प भी तो नहीं था। तब गुरु जी ने कहा। तुम दोनों अब। श्मशान भैरवी साधना करोगे। क्योंकि तुम्हारे पास स्वयं तुम्हारी पत्नी भैरवी के रूप में मौजूद है और अब तुम्हें भैरव बनके अपनी पत्नी के साथ। यह साधना उसी शमशान भूमि में करनी पड़ेगी जहा पर तुम्हें वह हिरण दिखाई दिया था। और इतना ही नहीं। तुम्हारी परीक्षा। तुम्हारे जीवन पर संकट। यह सारी चीजें वहाँ होगी। क्योंकि। वह बालक बिल्कुल भी नहीं चाहेगा कि कोई? उसके श्राप को नष्ट कर सके। इसीलिए। तुम्हारी मुश्किल दोगुनी होने वाली है। तब। दोनों ने कहा। वैसे भी हमें एक ना 1 दिन तो मृत्यु आएंगी ही। लेकिन निसंतान होकर मरने से अच्छा है कि हम प्रयास करें। और हम? इसमें सफल भी होंगे। अगर आप हमारे साथ है तो। तब। मेरे उन शायद। गुरु जी ने उनसे कहा होगा। कि आप लोग तैयार हो जाइए। यह साधना कैसे करनी है इसे समझे? आपको शम शान भूमि में सूर्यास्त के बाद जाकर। पूर्णतः निर्वस्त्र होकर यह साधना करनी पड़ेगी। और इस साधना में आप अगर गलती करते हैं तो। आप लोगों की मृत्यु भी हो सकती है। यह सुनकर दोनों। घबरा जाते हैं। क्योंकि एक तरफ तो लोक लज्जा की बात थी। और वहीं दूसरी तरफ मृत्यु कब है? इसके बाद की घटना मैं आपको अगले पत्र के माध्यम से भेज दूंगा। गुरु जी, आपका और सभी दर्शकों का धन्यवाद। अगर आप मेरे पत्र को प्रकाशित करते हैं तो। तो देखिये यहाँ पर इन्होंने। श्मशान भैरवी की एक प्राचीन। घटना को यहाँ पर प्रकाशित किया है अगले। पत्र के माध्यम से इसके आगे की घटना के विषय में हम लोग जानकारी प्राप्त करेंगे। तो अगर आज की जानकारी और कहानी आपको पसंद आई है तो लाइक करे, शेयर करें, सब्सक्राइब करे आपका दिन मंगलमय हो। जय माँ, पराशक्ति।

तांत्रिक की शमशान भैरवी साधना भाग 2

 

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