Table of Contents

जूही वाली अप्सरा का अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज बात करेंगे। एक विशेष तरह के अनुभव के बारे में और भेजने वाले साधक ने कहा है पिताजी के जीवन में घटित घटना है, उसको वह बताना चाहते हैं तो चलिए पढ़ते हैं। इनके पत्र को आखिर एक विशेष तरह के पौधे से कैसे उनके जीवन में एक विशेष तरह की बात घटित हुई थी?

नमस्कार गुरु जी! मैं अपना नाम और पता नहीं बताना चाहता। कृपया मेरी ईमेल आईडी को भी उल्लेखित ना करें। मैं अपने पिता के जीवन में घटित हुई घटना को बताना चाहता हूं जो कि उन्होंने मुझे और बाकी सभी सदस्यों को बताई थी। आज से लगभग 40 साल पहले की बात है। उस वक्त मेरे पिताजी पूरी तरह से जवान थे। हमारा घर एक विशेष प्रकार के अच्छे से गांव में था। वह गांव काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। गांव की जनसंख्या भी बहुत ही अधिक रही थी।

लेकिन हमारी पुश्तैनी जगह जो थी वहां पर। थोड़ा सा माहौल अलग तरह का था क्योंकि हमारा घर गांव से थोड़ी दूरी पर ही बना हुआ था। हम लोग काफी खुश रहते थे और संयुक्त परिवार में विशेष तरह का जैसा माहौल होता है। वैसा ही हमारे यहां पाया जाता था। इस बात से हम लोग काफी खुश थे कि पूरा परिवार समृद्ध था और हर प्रकार की वहां पर खुशहाली मौजूद थी। 1 दिन की बात है मेरे पिताजी गांव से ही बाहर एक पास के जंगल में गए हुए थे।

वहां पर एक साधु आया हुआ था। वह साधु सब के भाग्य को बताता था। भाग्य बताते बताते मेरे पिताजी के पास भी वह आया और उनसे कहने लगा कि- इस विशेष बात का यह अर्थ है। उस वक्त मेरे पिताजी को उसने जो जो बातें बताई वह सभी सच निकली। मेरे पिताजी ने उसको अपने घर बुलाकर उसकी काफी आवाभगत की। उसे भोजन सामग्री और बहुत सारी ऐसी चीज है जो उस वक्त साधु-संतों को दी जाती थी। उन्होंने दे दी। साधु उनकी इस प्रकार की सेवा सत्कार से काफी खुश हो गया था। उसने कहा मुझे? एक विशेष तरह का पौधा चाहिए।

जाओ इस पौधे को लेकर आ जाओ। और उसने मेरे पिताजी को एक लगभग! ढाई मीटर ऊंचे चांदनी के पौधे। जिसको हम जूही का पौधा, रात की रानी के नाम से भी जानते हैं। उसके फूलों को लाने को कहा। उन्होंने कहा कि मेरे पैरों को। जूही के फूलों से भरे हुए पानी वाले बर्तन में धोना है। और उसके बाद फिर तुम इस पानी को अपने घर के किसी भी जगह पर गिरा देना। मेरे पिताजी को जब उसने इस प्रकार की आज्ञा दी तो बड़ी ही अचरज भरी बात थी। उन्होंने सोचा कि चलो ठीक है जब यह कह रहा है तो मुझे यही कर लेना चाहिए।

उन्होंने उसकी बात को मानकर गांव से बाहर जंगल में उस पौधे को ढूंढना शुरू कर दिया। चांदनी, जूही का पौधा उन्हें मिल गया। उन्होंने उस जूही के पौधे को लाकर के उससे काफी सारे फूलों को इकट्ठा कर लिया। और उनको एक पानी भरे बर्तन में डाल दिया। उस बर्तन में डालने के बाद में फिर मेरे पिताजी ने उस साधु के पैरों को उस पानी में डाल दिया और उसे रगड़ कर धोया । साधु प्रसन्न हो गया और कहने लगा। मैं हिमालय पर वापस जा रहा हूं तपस्या करने। शायद कभी नहीं लौटूंगा, मेरा एक प्रसाद है। इस पानी को अपने घर के बाहर किसी भी जगह पर डाल दो। वहां पर कालांतर में इसी का एक पौधा पैदा हो जाएगा।

उसके बाद! तुम्हें कुछ अजीब से चमत्कार देखने को मिलेंगे। मेरे पिताजी क्योंकि उसकी बातों से पहले से ही प्रभावित थे। इसी कारण से उन्होंने उनकी बातें मान ली। साधु को सभी प्रकार से उचित। सामग्री दे कर के विदा कर दिया गया। साधु चला गया। अब मेरे पिताजी ने वह पानी लेकर हमारे ही घर के पीछे की तरफ पानी को गिरा दिया। क्योंकि वहाँ स्थान खाली पड़ा था और उस स्थान में आराम से। अगर कल को कोई पौधा बड़ा हो जाए तो उसकी देखभाल होने के साथ-साथ उसे किसी प्रकार से खतरा नहीं था। क्योंकि अधिकतर जानवर जो है, पौधों को तोड़ लेते हैं। खा जाते हैं या उनके ऊपर अपने पैर रखकर निकल जाते हैं जिसके कारण से पौधे बर्बाद हो जाते हैं।

यही कारण था जिसके कारण से वह बहुत ही अधिक परेशान थे कि शायद ऐसा कुछ ना हो जाए क्योंकि यह मेरे गुरु का ही एक विशेष तरह का प्रसाद था। मेरी गुरु को। अर्थात वह गुरु जो मेरे पिता के गुरु थे, उस साधु के रूप में प्राप्त कर लिया था और उनका आशीर्वाद क्योंकि उन्हें मिल गया था इसलिए उनके लिए यह बहुत ही आवश्यक हो गया था कि उनकी कही हुई बात को अक्षर साहब पालन किया जाए। इसी कारण से उन्होंने पूरी कोशिश की, उस पौधे के लिए सही और उपयुक्त जगह का चुनाव हो सके। इसके बाद कहते हैं करीब 6 महीने बाद उस जगह छोटा सा। सफेद पांच पंखुड़ियों से युक्त जूही का पौधा निकल आया।

धीरे-धीरे करके वह लगभग ढाई मीटर के बराबर ऊंचा हो गया। एक बार दीवाली की रात्रि में अचानक से उसमें बहुत ही तेज खुशबू आ रही थी। चारों तरफ महक रहा था। तभी मेरे पिताजी को ऐसा लगा जैसे कि कोई उस पौधे से निकल के उनके घर की तरफ आ रहा है। उनको यह अनुभव स्वप्न के दौरान हुआ था। अगले दिन वह उठे और उन्होंने उस पेड़ को जाकर के देखा। ढाई मीटर ऊंचे उस पौधे को देख कर के वह आश्चर्य में पड़ गए। उससे बहुत ही तेज खुशबू आ रही थी। उन्हें कुछ समझ में नहीं आया।

लेकिन वे कोशिश करते रहे और उस रहस्य को जानने के लिए उन्होंने आसपास के साधनों की मदद ली। क्योंकि कहते हैं वह पौधा इतना अधिक खुशबू देने लगा था जिसके कारण से अब चमत्कारिक रूप से उसकी खुशबू पूरे क्षेत्र में फैल गई थी। पूरा का पूरा एक गांव । जिस पूरे के पूरे गांव में एक ही पौधे ने खुशबू फैला दी हो। फैलती खुशबू एक जूही के पेड़ की थी। जूही का पौधा इतना अधिक खुशबू दे सकता है। किसी ने सोचा भी नहीं था। लोग दूर-दूर से आकर के उस पौधे को देखा करते थे।

यह आश्चर्य भरी बात थी। कि उसकी खुशबू पूरे गांव में फैलती थी। और मेरे पिता को बार-बार रात्रि को सोते समय यह सपना आते थे। कि जूही से कोई। पायलों की छन कार करते हुए लड़की उनके घर की ओर दौड़ती है। और आकर मेरे पिता के सिर को सहला जाती है। जैसे ही वह अपनी आंखें खोलकर देखते वहां पर कोई नहीं होता था। ऐसा बार-बार होता रहा। एक दिन अचानक से वहां पर एक व्यक्ति आया। और उस पेड़ को देखने लगा। मेरे पिता ने कहा, तुम इस पेड़ को क्यों देख रहे हो? इस पर उसने कहा कि मुझे लगता है आपका यह पौधा चमत्कारी है। ऐसा कीजिए आप इसकी पूजा कीजिए। उसने जो विधियां बताई मेरे पिताजी ने फिर उस पेड़ की पूजा करनी शुरू कर दी।

उसकी पूजा से चमत्कारिक रूप से फायदा हुआ। मेरे पिताजी के पास धीरे-धीरे करके धनसंपदा बहुत ही तीव्रता से आने लगी। और बहुत ही अधिक धन वैभव संपन्नता आ गई जिसके कारण से। पूरे गांव में सबसे अधिक जमीन ट्रैक्टर वगैरह सब हमारे पास हो गए। पूरे गांव में सबसे अधिक धनी हमारा ही परिवार हो गया था। पर केवल 1 माह की पूजा में इस चमत्कार के घटित होने के बाद में अचानक से वह व्यक्ति एक दिन गायब हो गया। वह व्यक्ति उसी गांव में रहा करता था। जब लोगों ने सुना कि वह व्यक्ति गायब है और साथ ही साथ पूरे गांव में खुशबू भी नहीं आ रही तो सभी मेरे पिताजी के घर पर आए।

मेरे पिताजी ने कहा, कुछ ना कुछ तो गड़बड़ हुआ है और वह भी उस पेड़ को देखने के लिए हमारे घर के पीछे जब आए तो वहां पर वहां वृक्ष नहीं था। पूरा वृक्ष कट गया था। ऐसा लगता था कोई उसे काट करके ले गया है। पता नहीं वह क्या था? रात्रि के समय मेरे पिता जब एक बार फिर से सो रहे थे तो वहां पर एक बहुत ही सुंदर सफेद वस्त्रों में एक कन्या दिखाई दी। जो 16 या 17 साल की रही होगी। चांदनी की तरह चमकते हुए उसके कपड़े और वह बहुत ही अधिक सुंदर थी। उसके आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। उसने मेरे पिता से कहा, तुमने मेरी रक्षा नहीं की। मैं तुम्हें सब कुछ देने वाली थी।

दुनिया में सारी सुख देने के लिए ही मैं यहां पर थी। अब मुझे यहां से जाना होगा क्योंकि जिस पेड़ की रक्षा का दायित्व तुम्हारे ऊपर था, वह कट चुका है। और इस प्रकार से गुरुजी! फिर वह कन्या दोबारा कभी दिखाई नहीं दी। क्या वह कोई अप्सरा थी या परी थी, मैं नहीं जानता लेकिन जब तक वह पेड़ लगा रहा। मेरे पिता बहुत ही अधिक धनवान हो गए थे। आज भी वह! गांव के बाहर जाकर के जंगल से जूही के पौधों को लाकर अपने घर में लगाया करते हैं। लेकिन कोई भी पौधा हमारे घर में नहीं टिकता । एक भी पेड़ हमारे यहां सुरक्षित नहीं रहता है। किसी ना किसी कारण से वह नष्ट ही हो जाता है। आपके इसके बारे में क्या विचार हैं, अवश्य बताइएगा? धन्यवाद!

उत्तर – यहां पर देखिए इन्होंने एक जूही! नाम! जो एक अप्सरा होती है, जिसे चांदनी अप्सरा कहते हैं। रात की रानी के नाम जैसे पौधे को जाना जाता है। उसी तरह यह एक परी आप इसे समझ लीजिए। इसमें एक शक्ति का वास भी होता है। इस को सिद्ध किया जाता है और पुराने समय में बहुत ही दुर्लभ तंत्र के रूप में ऋषि मुनि इसे सिद्ध कर लेते थे। वह अप्सरा या फिर कहिए परी सिद्ध हो जाती थी और सदैव उस वृक्ष में निवास करती थी।

जब तक उसे पूजा मिलती रहती थी, वह धन संपदा वैभव सब कुछ देती थी। इनके परिवार के साथ में ऐसा ही हुआ। अंततोगत्वा वह तांत्रिक जब यह बातें जान गया तो वह उस पेड़ को काट कर ले गया। इसी कारण से वह समृद्धि भी वहां से चली गई और साथ ही साथ वह अप्सरा भी चली गई। यह एक दुर्लभ तंत्र है जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को ज्ञान है आजकल यह लुप्त प्राय सा है । अगर आज का पोस्ट आपको पसंद आया है तो उसको लाइक कीजिए,शेयर कीजिए आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

error: Content is protected !!
Scroll to Top