केसर
(Saffron)
विविध नाम :
केशर, अग्नि, अग्निशिखा, कश्मीरी काश्मीरज, कान्त, कुंकुम ,
देववल्लभा, पिशुन, पीतन, पीतक, रक्तचन्दन, लोहित, शोणित, सौरभ,
हरिचन्दन ।
विविध भाषाओं में नाम :
फारसी- जाफरान ।
सामान्य परिचय :
केसर एक अत्यन्त उपयोगी वस्तु है । केसर का प्रयोग अनेक
रोगों के उपचार में किया जाता है । इसके अतिरिक्त, तंत्र-शास्त्र में भी
केसर बहुत उपयोगी रहती है ।
उत्पत्ति एवं प्राप्ति-स्थान :
केसर की उत्पत्ति सदैव ठण्डे प्रदेशों में होती है । हमारे देशभारत के- कश्मीर प्रदेश में उत्पन्न होती है । लेकिन प्रयोग करने के
लिये ‘सूखी हुई केसर’ पूरे देश में आसानी से- पंसारी, परचून आदि
की दुकान पर मिल जाती है।
ज्योतिष शास्त्र में भी केसर को बहुत ही चमत्कारी माना जाता है। केसर के फूल में चमकता हुआ कलंक पाया जाता है। यह तब प्राप्त होता है जब चिन्ह पूरी तरह से सूख जाता है। ये फूल सर्दियों में हाथ से टूट जाते हैं। सुगंध पाने के लिए केसर को पानी में भिगोना पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार, केसर का प्रतिनिधि ग्रह बृहस्पति है, जो सभी ग्रहों में से सबसे ऊंचा माना जाता है। ऐसे में अगर केसर का सही इस्तेमाल किया जाए तो यह बृहस्पति को मजबूत बनाता है और इसके परिणामस्वरूप दुनिया में विवाहित जीवन की लोकप्रियता, सम्मान और खुशी मिलती है।
स्वरूप :
इसके पौधे लगभग डेढ-दो फुट तक ऊँचे होते हैं । बाजार में जो
‘केसर’ मिलती है, वह लाल-केसरिया रंग के छोटे और लम्बे-पतले
टुकड़ों के रूप में मिलती है।
गुण-धर्म :
यह शरीर की पुष्टि करती है और बल में वृद्धि भी करती है।
लेकिन यह बहुत गर्म होती है इसलिये केवल ठण्ड के दिनों में ही
इसका सेवन करना चाहिये, लेकिन किसी पकवान या मिठाई में
थोड़ी-सी केसर मिलाने की आवश्यकता पड़े तो मिला सकते हैं।
(चाहे कोई भी मौसम हो)।
गुरुवार को तिलक केसर। केसर के साथ खिरनी, गुरुवार को ही खाएं और गुरु को खिलाएं, बृहस्पति सकारात्मक परिणाम देता है।यदि महालक्ष्मी का ध्यान करने के बाद माथे पर शुद्ध केसर का तिलक लगाया जाए तो यह शुभ समाचार देता है।
घर के मुख्य द्वार पर शुद्ध केसर से स्वस्तिक बनाना नकारात्मक ऊर्जा को घर में आने से रोकता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।यदि आपके पास धन की कमी है, तो इसे रोकने के लिए, शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार को अपने माथे पर शुद्ध केसर का तिलक लगाएं, इससे धन के मार्ग में आने वाली सभी बाधाएं समाप्त हो जाएंगी। इस उपाय को नियमित रूप से करने से आपके लिए आय के नए स्रोत खुलेंगे और धीरे-धीरे आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
अगर पिता अपनी बेटी की शादी के बाद केसर, हल्दी और कुछ सोने से दो पुड़िया बनाकर अपनी बेटी को दे दे। इनमें से एक गुड़िया अपने पास पैसे रखने की जगह पर रखें और दूसरी पीपल के पेड़ के नीचे अर्पित करें। ऐसा करने से लड़की का दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है।
दिवाली की रात को किताबों की पूजा, तिजोरी, कलम दवात से पहले शुद्ध केसर मिश्रित मीठा दही खाएं। इसके बाद देवी लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें, ऐसा करने से आपको व्यापार में आश्चर्यजनक प्रगति मिलेगी।यदि कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर है या आपको अशुभ फल दे रहा है, तो इसके लिए थोड़ा केसर लें और इसे सिर के बीच में, साथ ही दिल और नाभि के बीच में लगाएं। इस उपाय को आपको कम से कम 1 साल तक लगातार करना है, जिसके कारण आपका बृहस्पति ग्रह शुभ फल देने लगता है।
अगर किसी की नींद हराम है, तो उसके लिए रामबाण इलाज है। अनिद्रा की शिकायत को ठीक करने में भी केसर बहुत उपयोगी है। इसके साथ ही यह अवसाद को दूर करने में भी मदद करता है। रात को सोने से पहले दूध में केसर मिलाकर पीने से अनिद्रा ठीक हो जाती है।गुरुवार के दिन सुबह स्नान की बाल्टी में थोड़ी सी हल्दी डालकर स्नान करें, ललाट पर केसर का तिलक लगाना शुभता का प्रतीक है। इससे आर्थिक पक्ष भी मजबूत होता है। इसके बाद घर के मंदिर में या केले के पेड़ के पास धूप-दीप से पूजा करें और “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। भगवान विष्णु के सामने शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं।इससे कार्य सिद्ध होते हैं ।
तान्त्रिक प्रयोग :
यदि किसी व्यक्ति या किसी अन्य व्यक्ति (अज्ञात व्यक्ति) ने घर पर एक तांत्रिक क्रिया की है, तो उसे समाप्त करने के लिए केसर का यह उपाय करें। इसके लिए जावित्री, गायत्री और केसर को मिलाकर धूप बना लें और 21 दिनों तक घर में धूप जलाएं। इससे आपके घर से टोना-टोटका का असर खत्म हो जाएगा और घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
शत्रु की गति अवरुद्ध करने के लिये- सबसे पहले इस मंत्र
को सिद्ध कर लें- ॐ सह बलेशाय स्वाहा ।
फिर केसर की स्याही बना लें और एक भोजपत्र पर अनार की
लकड़ी की कलम से एक रास्ता बनायें और उस पर शत्रु का नाम
लिखकर नीले रंग का धागा फैला पढकर उस भोजपत्र को शत्रु के मकान-दुकान के आस-पास भूमि मेंदबा दें । इससे शत्रु की गति अवरुद्ध हो जाती है।
। उपरोक्त मंत्र को 101 बार करे ।