एक दिन की प्रेतनी चुड़ैल साधना का अनुभव
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज का जो हमारा अनुभव है वह एक प्रेतनी साधना यानी कि मूल रूप से समझते हुए यह एक चुड़ैल की साधना का है। जानकारी का एक अनुभव है जो कि साधक ने स्वयं अनुभव किया। यह मात्र 1 दिन की साधना थी। जिस साधना के दौरान उनके जीवन में किस प्रकार का अनुभव हुआ, बाकी लोगों को कैसे अनुभव हुए। यह सब कुछ उन्होंने इस ईमेल पत्र के माध्यम से लिख करके भेजा है। चलिए आइए पढ़ते हैं इनके ईमेल पत्र को और जानते हैं इस अनुभव के विषय में।
गुरु जी को प्रणाम जय माता दी। गुरु जी मैं यूपी का ही रहने वाला हूं। आप मेरा पता जानकारी गुप्त ही रखिएगा। गुरु जी हमारे घर पर शक्ति की पूजा होती रहती है, पर हमारे पापा मां काली के भक्त हैं। यह माता काली हमारी कुलदेवी भी हैं। कई पीढ़ियों से मां की पूजा होती आ रही है और अब भी होती ही रहती है। गुरुजी पिछले साल 2023 में पापा ने से मां की दीक्षा श्मशान में ली थी और तब से उन्होंने माता की अर्थात माता काली की भक्ति चालू कर दी थी। श्मशान भूमि में ली गई थी यह विशेष प्रकार की दीक्षा। और उस दौरान मुझे भी कुछ अच्छे अनुभव हुए थे। इसके बाद फिर कुछ दिन की मैंने रतिप्रिया यक्षिणी की साधना स्वयं शुरू कर दी और 40 दिन तक मुझे बहुत डरावने अनुभव होते रहे थे हाँलाकि कुछ बहुत अच्छे अनुभव भी हुए थे। यक्षिणी साधना के दौरान सपने में कोई भी संकट आता तो माता को याद करता और उनको याद करने से वह संकट तुरंत ही हट जाता था। मैंने लगभग पूरे 40 दिन साधना की थी। 40 दिन हो जाने के बाद भी रतिप्रिया यक्षिणी प्रत्यक्ष नहीं हुई। किसी कारणवश फिर मैंने उसकी साधना ही छोड़ दी। मैं माता काली की भक्ति में उसके बाद फिर से लग गया। 1 दिन मैं और मेरा भाई जो मुझसे बड़े हैं, हम ऐसे ही घर में बैठे-बैठे इस प्रकार की शक्तियों के विषय में वार्तालाप कर रहे थे तो उन्होंने बोला कि ऐसा कुछ भी नहीं होता है। अर्थात उनका इन बातों पर विश्वास नहीं था और ज्यादातर लोगों को ऐसी बातों पर विश्वास होता भी नहीं है। तब उन्होंने कहा, तुम मुझे बताओ जो हम इंसानों की तरह ही आमने सामने बैठ कर के बात हो जाए। अर्थात उनका यह सोचना था कि जो चीज सामने आए और आपसे बात कर ले वही वास्तविक होता है।
इसके अलावा बाकी चीजें मनगढ़ंत है। तब मैंने कहा ठीक है और गुरु जी आपकी ही चैनल पर 1 दिन की प्रेतनी साधना पड़ी हुई थी, जिसमें कपूर के द्वारा जलाकर नाई के यहां से लाए गए बालों को रख कर के जलाया जाता था और इस साधना में मंत्र पढ़ा जाता है। और हां गुरु जी यह अनुभव 2023 में आषाढ़ महीने का ही है। फिर गुरु जी मैंने भैया से ही बालों को मंगवा लिया और कमरे में रात्रि 12:00 बजे से लेकर 2:00 बजे तक मंत्र को जपने के लिए उसमें बताया गया था और उन्होंने उस काम को बिना डर के किया और जिस कमरे में उन्होंने इस साधना को किया था उसके आगे बरामदे में मेरे पापा जी भी उस रात्रि को सो रहे थे। सुबह! भैया ने बताया कि मुझे रात्रि 1:30 बजे ऐसा लगा कि मेरा सिर बहुत ज्यादा भारी सा होने लगा है। उन्होंने बताया कि मुझे अचानक से बहुत ज्यादा डर लगने लगा था और ऐसा लगा जैसे कि कमरे में कोई सनसनी सी होने लगी है। वह डर के मारे मंत्र तो पढ़ना ही भूल गए थे और उनके मन में इतनी ज्यादा घबराहट आई कि वह वहां से उठकर भागे और दूसरे कमरे में जा कर के सो गए। पापा ने भी मुझे सुबह के समय अलग से बताया कि इस कमरे में रात को ऐसा लगा कि बाहर से बहुत तेजी से कोई तेजी से कमरे में घुसा हो। इस साधना के बारे में पापा को और मुझे और मेरे भैया को ही पता था तो यह अनुभव वास्तविक है। गुरुजी अनुभव प्रेतनी का है और सुबह जब यह सब बातें हुई तो उस वक्त पापा जी ने मुझे डांटा भी और कहा, यह काम ऐसे ही किसी को नहीं दिए जाते हैं।
पापा ने कहा, वह तो मां भगवती काली की पूजा इस घर में होती रहती है। इसीलिए किसी को कुछ नहीं हुआ। गुरुजी मेरा एक प्रश्न भी है। अगर किसी शक्ति को पत्नी रूप में उसकी साधना की जाए और वह सिद्ध नहीं हो तो क्या उसे छोड़कर या त्याग कर दूसरी शक्ति को संकल्प लेकर पत्नी रूप में उसकी साधना कर सकते हैं। इस अनुभव को जरूर प्रकाशित कीजिएगा। गुरु जी आपकी अति महान कृपा होगी। जय मां मरघट वाली गुरु को नमस्ते।
सन्देश- देखिए यहां पर इन्होंने यह जो प्रेतनी साधना के विषय में बताया है। असल में यह एक चुड़ैल साधना है। इसमें बालों को जला कर के उस का आवाहन किया जाता है। पहली बात तो यह साधना घर में बिल्कुल भी नहीं की जाती है। यह साधना किसी सुनसान या वीराने में करनी चाहिए अन्यथा इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं और आपके पिता का यह सोचना सही है। क्योंकि अगर माता काली की पूजा आपके घर में ना हो रही होती तो बड़ी परेशानी आ सकती थी। रही बात आपके प्रश्न की की किसी शक्ति को पत्नी रूप में साधना करें और बस इतना हो तो सबसे पहले तो मैं यह बता दूं कि सबसे पहले जब हम किसी भी शक्ति को पत्नी के रूप में सिद्ध करने जाते हैं तो अखंडित रूप से उसकी साधना करते रहना चाहिए क्योंकि पत्नी के रूप में ही वह शक्ति सबसे ज्यादा सिद्धि प्रदान करती है। आपकी अर्धांगिनी बनती है। इसलिए जब भी आपके मन में यह विचार आया कि मैं पत्नी रूप में इसे सिद्ध कर लूंगा तो चाहे आपको 1 वर्ष लगे 2 वर्ष लगे 10 वर्ष लगे। आप उसकी साधना को ना छोड़े क्योंकि पत्नी बनने के लिए बहुत बड़ा। संकल्प लेना पड़ता है और वह शक्ति भी अपनी सारी दुनिया छोड़कर आपके पास आती है। इसलिए आपको उसकी साधना को अनवरत रूप से जारी रखना चाहिए।
क्योंकि अगर आप किसी को अपने जीवन में अपनी पत्नी बनाने जा रहे हैं तो उसे छोड़कर दूसरी पत्नी बनाने की बात शक्तियों के द्वारा। अगर आप उनके सामने रखेंगे तो आप वह शक्ति स्वयं जानेगी और समझेगी कि यह व्यक्ति कितना स्वार्थी है। ठीक वैसे ही जैसे आपने किसी लड़की से शादी की कुछ दिनों बाद आपका उसका मतभेद हुआ। आपने उसे घर से भगा दिया या त्याग दिया और दूसरी पत्नी कर लिया है। दूसरी पत्नी के साथ भी यही किया तो क्या आपको सच्चे रिश्ते की प्राप्ति कभी हो पाएगी। बिल्कुल नहीं।
पत्नी रूप में जब भी किसी की साधना के लिए व्यक्ति सोचता है तो वह शक्ति उसे इतनी पसंद होती है कि वह हमेशा के लिए उसे अपने जीवन में शामिल करना चाहता है।
रही बात कुछ विशेष तरह की स्थितियों की। आपका उद्देश्य केवल मोक्ष की प्राप्ति हो जाता है और ऐसी कोई शक्ति को अपने पत्नी रूप में सिद्ध करने की कोशिश की। फिर आप माया से विमुख होकर मुक्त की ओर जाना चाहते हैं तब उसका त्याग कर सकते हैं। क्या आप की विधि या विसर्जन की विधि भी वैसी ही होती है जैसे कि सिद्ध करने की विधि होती है तो उसे छोड़ सकते हैं। लेकिन पत्नी रूप में किसी को सिद्ध कभी भी नहीं करना चाहिए। मेरे हिसाब से कारण कि इसके अलावा दूसरी किसी शक्ति के बारे में आपको आज नहीं सोचना चाहिए। तभी आपको वह सिद्धि मिलेगी। अगर आपके मन में दूसरी स्त्रियों शक्तियों के बारे में ऐसा ही विचार आता है तो फिर वह आपसे कभी सिद्ध नहीं होगी। कोई कैसे अपनी सोच को स्वीकार कर सकता है? इसीलिए मैंने यह बात आपको कहीं विशेष परिस्थितियों में कि आपने कभी कुछ गलत निर्णय ले लिया। और आपको लगा कि नहीं यह शक्ति मेरे योग्य नहीं थी। किसी वजह से तब आप उसका विसर्जन कर सकते हैं और उससे बड़ी शक्ति ही सिद्धि करे। सदैव उससे कई गुना बड़ी शक्ति को ही पत्नी रूप में साधने की कोशिश करें। तब जो दूसरी शक्ति आप संकल्प लेकर उसकी साधना करेंगे तो वह आपकी रक्षा करेगी। उस पुरानी शक्ति से क्योंकि किसी भी व्यक्ति को जब हम पत्नी स्वरूप में प्राप्त करने की इच्छा करते हैं तो वह आपसे। आंशिक रूप से तो हमेशा ही जुड़ी रहती है। भले ही वास्तविक स्वरूप में ना आ पाए क्योंकि आप में इतनी तपस्या या ऊर्जा इखट्टी नहीं कर पाए जिसकी वजह से वह प्रत्यक्ष रूप धारण कर पाए। तो भी वह आपके साथ आंशिक रूप में हमेशा विद्यमान रहती है और इसका अनुभव आपको हमेशा होता भी रहेगा।
तू इस बात को हमेशा गंभीरतापूर्वक लीजिए जैसे कि मैंने बताया है कि किसी भी शक्ति को पहले मित्र के रुप में ही सिद्ध करें। कुछ विशेष परिस्थितियों में किसी के पास मां नहीं होती है तो मां के रूप में ,किसी के पास बहन नहीं होती है तो वह बहन के रूप में सिद्ध कर सकता है और अगर आपको उससे केवल प्रेम संबंध ही चाहिए तो प्रेमिका रूप में भी सिद्ध कर सकते हैं। लेकिन पत्नी रूप में स्पष्ट रूप से सोच कर कभी ना करें क्योंकि मित्र मां भी हो सकती है। बहन भी हो सकती है, प्रेमिका भी हो सकती है और पत्नी भी बन सकती है। जैसा आपका अनुभव आगे बढ़े उसी हिसाब से बाद में उससे रिश्ता बदल सकते हैं। इसीलिए सर्वोत्तम जो रिश्ता होता है। यही होता है कि आप जिसकी भी साधना करने जाएं तो उसकी साधना मित्र रूप में करें। खासतौर से स्त्री शक्ति की।
वह अपने स्वभाव से आपको दर्शा देगी की? आप उस के योग्य बन पाए हैं या नहीं। अगर आप उसके लिए योग्य नहीं है तो आप उसे बहन के रूप में स्वीकार कर सकते हैं। मां के रूप में स्वीकार कर सकते हैं और शक्ति अगर स्वयं चाहने लगे। आप तो उसके स्वामी बन सकते हैं तो फिर वह पति के रूप में आप को स्वीकार कर लेगी।
पति को स्वामी कहा जाता है। इसका मतलब यह होता है कि वह शक्ति हमेशा के लिए आपकी सेवा में आपको अपना मालिक स्वामी पति और संसार का सब कुछ मानने लगेगी। इसीलिए आप उसकी हर शक्ति का उपयोग हरसिद्धि का उपयोग कर सकते हैं। इसीलिए भगिनी का पद प्राप्त हो जाता है।
यह वास्तविक सत्य है इसीलिए। जब तक आपके मन में 100% ना हो तब तक किसी व्यक्ति को पत्नी रूप में साधना नहीं करनी चाहिए आप सदैव!
रतिप्रिया या अनुरागिनी है तो नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि इन्हें क्या चाहिए। जैसी शक्ति होती है। उसी के अनुसार साधना करनी चाहिए तो आप इनकी साधना प्रेमिका के या मित्र के रुप में बहुत अच्छी तरह से कर सकते हैं। लेकिन पत्नी रूप में भी वही बात आती है कि अगर पत्नी रूप में करेंगे तो उसका जो लेवल होगा, वह बहुत ऊंचा हो जाता है। उसकी सामर्थ्य भी कई गुना बढ़ जाती है और वह दूसरी दुनिया को छोड़ कर आप की दुनिया में हमेशा के लिए आपके भरोसे आ जाती है। इसीलिए यह कहा जाता है कि शक्ति को सीधे पत्नी रूप में नहीं स्वीकार करना चाहिए। उसे मित्र के रूप में जीवन में आने देना चाहिए और उसके बाद परिस्थितियों के हिसाब से ऐसा आपके साथ जो है, उसी हिसाब से उससे रिश्ता कायम करना चाहिए। यह थी जानकारी और साथ ही साथ एक प्रेतनी यानी चुड़ैल का अनुभव। अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आए तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।
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