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माँ कामाख्या शक्ति रजवंती योगिनी कथा और साधना भाग 3

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माँ कामाख्या शक्ति रजवंती योगिनी कथा और साधना भाग 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। मां कामाख्या शक्ति, रजवंती योगिनी कथा और साधना यह तीसरा और अंतिम अभी तक आपने जाना  हैं। जब एक तांत्रिक माता कामाख्या को प्रसन्न कर इसकी विद्या प्राप्त कर लेता है तो जैसे ही उस तांत्रिक ने माता से यह सारी बातें की माता ने उसका दिव्य ज्ञान।

रजवंती योगिनी साधना के लिए उस साधु को दिया था  माता ने कहा कि प्रत्येक शक्ति का अपना अलग ही अस्तित्व होता है। मैं तुम्हारी सहायता नहीं कर सकती। अगर तुम मेरी साधना करते तो यह शक्ति तुम्हारी सहायता करती, लेकिन अब तुम इसे सिद्ध करना चाहते हो। इसीलिए इसमें विधान मैंने तुम्हें बता दिया है। आगे की प्रक्रिया तुम्हें स्वयं करनी। मेरे रजस्वला होते ही तुम्हें इसकी कठिन साधना शुरू कर देनी होगी तो केवल 3 दिनों में ही इस साधना को सिद्ध कर सकते हो क्योंकि यह शक्ति मेरी केवल 3 दिनों के लिए ही जागृत होती है। इस प्रकार! अंबुबाची मेला शुरू होने से पहले ही। जिस प्रकार देवी के रजस्वला स्वरूप के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। साधु भी अपनी साधना को शुरू करता है जिसमें माता कामाख्या की साधना करने के बाद अब वह रजवंती को सिद्ध करने के लिए उसकी माता से प्राप्त करना और उचित साधना करना उसके लिए विशेष रूप से अनिवार्य ही था और वह रात्रि होते ही उस कठिन और

सही से होने वाली उस साधना के लिए तैयार हो गया था। रात्रि का पहला प्रहर शुरू होते ही उसने वो साधना करनी शुरू कर दी और जब काफी देर मंत्र जाप करता रहा तब कुछ देर में।

अचानक से कुछ विशेष प्रकार की ध्वनि सुनाई थी। साधना काल में ऐसी तरंग की स्थिति स्पष्ट रूप से उस साधु तांत्रिक को सुनाई दे रही थी। रात का समय था तीन प्रकार के जानवरों पशु पक्षियों के स्वर भी बंद था सिर्फ झींगुर! और छोटे-मोटे कीड़ों से उत्पन्न होने वाली ध्वनि के अतिरिक्त कोई ध्वनि कहीं तक नहीं आ रही थी कि ऐसे में उसे महसूस होता है कि उसके पीछे पायल पहन कर जो इधर से उधर दौड़ रहा है। उन पायल की ध्वनि में एक अभूतपूर्व आनंद प्राप्त होने जैसा स्वर पैदा हो रहा था। पायल की झंकार इतनी ज्यादा मधुर थी कि वह कभी-कभी तो अपने ध्यान से भटक जाता था किंतु उसने इससे पहले बहुत सारी तांत्रिक साधना की थी। इसीलिए वह यह बात जानता था कि जिस भी साधना में हम पूरी तरह तल्लीन होकर अपने मनन

न करते हुए किसी अन्य विषय पर ध्यान देंगे तो वह साधना भंग हो जाती है और यहां पर तो कम दिनों की साधना होने के कारण कोई गलती नहीं की जा सकती थी। साधु तांत्रिक ने उस पायल की ध्वनि पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया कि तभी उसे देखते हुए फूलों के जैसी तेज हवाएं जैसे उसकी नाक के रास्ते से उसकी मन को आनंदित कर रही थी। खुशबू बहुत ही अधिक। आकर्षण पैदा करके की मन में एक छवि बनने लगी। सुंदर पायल पहने हुए किसी स्त्री और उसके शरीर से आती हुई सुगंध। आकर्षित करने के लिए काफी थी। लेकिन इस बात को जानता था इसीलिए उसने इस पर भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया। यह प्रक्रिया बहुत देर तक चलती रही। जो भी स्त्री थी इधर से उधर, उधर से इधर पायल की झंकार करती। उसके शरीर की सुगंध तेजी से कभी बायीं ओर से कभी दाहिनी ओर से आती। लेकिन फिर भी साधक अपनी तपस्या को करता रहा और इस प्रकार उसने पूरा दिन वह साधना करने के पश्चात। अब वह तैयार था सोने के लिए और फिर वह सोने चला गया तो जैसे ही उठा।

नहा धो कर अपने आप को पवित्र किया। पिछले दिन की यादों में उसे किसी सुंदर कन्या का आभास हो रहा था। उसे ऐसा लगता था कि कोई महा सुंदरी उसके चारों तरफ घूम रही थी। उसकी यादों में खोया होने के कारण भी उसका ध्यान साधना की और अब तीव्रता से। मन में कामनाएं जाग रही थी। लेकिन आज का दिन कुछ विशेष होने वाला था। कारण कि यह दूसरा दिन था और इस साधना में अब उसके साथ कुछ विशेष घटित होने वाला था।

रात्रि होते ही सारी तैयारी करके। साधक साधना करने बैठ गया। आज का माहौल? कुछ अलग होने वाला था। अभी कुछ देर ही उसे साधना करते हुआ था कि फिर से पायल की आवाज और सुगंध आना शुरू हुआ। बहुत ही आनंद में साधना करने लगा क्योंकि उसे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था।

कि तभी उसे महसूस हुआ जैसे कि उसके शरीर को कोई छू रहा है। उसके शरीर को कोई छू रहा है। यह एक अलग ही उत्तेजना देने वाला माहौल था। कोई अपनी उंगलियां उसके शरीर पर उसके शरीर पर बहते हुए पसीने पर जैसे हल्का-हल्का रगड़ रहा हो क्योंकि साथ में थे।

के कारण शरीर से उसके पसीना तेजी से निकल रहा था लेकिन फिर भी वह तैयार था इस। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कि उसे ध्यान में सामने से एक भयानक चुड़ैल आती हुई नजर आई।

लेकिन वह अपना ध्यान उस चुड़ैल से हटा नहीं पा रहा था। वह चुड़ैल बहुत भयानक थी और वह पास आकर अपनी पायल बजाने लगती और अपने शरीर से सुगंध छोड़ दी। लेकिन फिर भी साधक अपनी साधना करता रहा। अब उससे आगे बढ़ने का प्रयास कर रही थी। उसने साधक के शरीर से आ रहे पसीने को चाटना शुरू कर दिया। वह अपनी जीभ से प्रत्येक अंग को चाटने लगी और यह उस साधक के लिए सबसे बड़ी परीक्षा की। अत्यधिक उत्तेजना प्राप्त कर रहा था क्योंकि अभी तक साधारण बात थी लेकिन किसी के शरीर को चाट कर उसे उत्तेजित करना उसके पसीने को भी पी जाना। ऐसा अनुभव अभी तक इस साधु को कभी भी नहीं हुआ था। उसका शरीर कांपने लगा शरीर के कंपन की वजह से और भी ज्यादा पसीना आने लगा और उसके पसीने का आनंद वह चुड़ैल पूरे शरीर को चाट चाट कर लेने लगी। शरीर के हर अंग को चाटने लगी।

शरीर के गुप्त अंगो को भी जब उसने चाटना शुरू किया तो घबराकर साधु! बहुत तीव्रता से जोर-जोर से मंत्रों का उच्चारण करने लगा।

इस प्रकार!

आकर उसकी गोद में बैठना शुरु कर दिया। साधु को यह लगने लगा था कि यह मेरे शरीर को तो एक तरफ से चाट रही है दूसरी तरफ मेरे। वीर्य को शरीर से बाहर निकालने के सारे जतन कर रही है। और उसके साथ शारीरिक रूप से अपना संबंध भी बनाने लगी। साधु के लिए मंत्र जाप भी करना अनिवार्य था और अपने शरीर में वीर्य की रक्षा करना भी बहुत जरूरी था। साधु पूरी शक्ति लगाकर आंखों को बंद कर। ध्यान में और गंभीरता लाकर।

बहुत जोर जोर से उच्चारण करते हुए साधना करने लगा इस प्रकार! किसी तरह उसने बहुत समय निकाला और इसी प्रकार। उसकी उस दिन की साधना भी संपूर्ण हो गई। आखरी दिन वह तैयार था, लेकिन बहुत ही ज्यादा घबराया हुआ था क्योंकि अगर जैसा पिछली बार उस शक्ति ने किया। अगर आज भी हुआ तो वह अपनी रक्षा नहीं कर पाएगा और अगर उसका ब्रह्मचर्य नष्ट होता है तो साधना! लेकिन जैसा सोचा वैसा कहां होता है। अब वह आखिरी दिन जब साधना करने बैठा तो कोई अनुभव ही नहीं हो रहा था पर वह साधना करता रहा। एक बार तो उसका मन किया कि कहीं बहुत कुछ गलत तो नहीं कर रहा है । इसकी वजह से उसका ध्यान भटक रहा था, लेकिन कोई अनुभव ना होने से चिंतित भी हो रहा था। कि जैसे ही उसकी उस दिन की साधना संपूर्ण हुई सामने लाल रंग की साड़ी में। सिर पर मुकुट पहने हाथ में त्रिशूल धारण किए हुए एक बहुत ही सुंदर स्त्री उसे दिखाई दे जो कि तेज से भरी हुई थी। उसका चेहरा बहुत ही सुंदर वस्त्र और आभूषण बहुत सुंदर लाल रंग की रेशमी साड़ी में वह।

और सुंदर दिखाई पड़ रही थी। सामने आकर उसने साधु से कहा, मैंने तुम्हारी पूर्ण परीक्षा ली है। आज तुम पराजित होने वाले थे। तुमने बहुत अच्छे से अपनी रक्षा की मेरी शक्तियां जिसमें मेरी दो शक्तियां तुम्हारी परीक्षा लेने के लिए आई दोनों को तुमने नियंत्रित कर लिया, लेकिन आज तुम गलती कर रहे थे। कभी भी अगर साधना में अनुभव ना हो तो भी अपना ध्यान मत हटने दो।

माता की विशेष आज्ञा थी इसीलिए तुम्हारी इस गलती को मैंने क्षमा कर दिया अन्यथा तुम मुझे सिद्ध नहीं कर पाते। क्योंकि माता कामाख्या ने कहा था परीक्षा लेना, लेकिन उसे अवश्य ही उसकी मेहनत का फल देना। इसीलिए मैं तुमसे प्रसन्न होती हूं और जीवन भर का तुम्हारा साथ देने का वादा करती हूं। मैं तुम्हारे साथ रहूंगी और तुम्हारी मित्र बनकर तुम्हारी सहायता करती रहूंगी। तब वह साधु बहुत प्रसन्न हुआ। उसने देवी से विभिन्न प्रकार के तंत्रों के विषय में जानकारी प्राप्त की और बहुत सारे प्रयोग जीवन भर वह करता रहा। इस प्रकार से बहुत सारे दिन बीत गए। समय होता गया आखिरकार उसकी आयु।

पूरी तरह बदल गई थी।

एक दिन वह बहुत बीमार था तब उसने देवी से पूछा, क्या मेरा अंतिम समय आ चुका है? रजवंती योगिनी ने कहा, हां, आपका आखरी समय आ चुका है किंतु आप परेशान मत होइए। यह अनिवार्य होता है। अब आपका यहां से जाने का समय हो चुका है। आपको आपके गंतव्य तक ले कर जाऊंगी।

अपनी आंखें बंद कर लीजिए। और मैं जो कहूं वह कीजिए। उसके बाद उस बूढ़े तांत्रिक की मृत्यु हो जाती है। शरीर से बाहर आकर अपनी सूक्ष्म शरीर में वह देवी रजवंती योगिनी के साथ अंतरिक्ष में गमन करने लगता। फिर का दिव्य कैलाश पर पहुंच जाता है। जहां सामने भगवान शिव और माता पार्वती विराजमान थे। तो उसे पता चलता है कि उसे शिवलोक की प्राप्ति हो चुकी है तब देवी उस साधु को नमस्कार करके कहती हैं। मैंने अपना कार्य कर दिया है। अब मैं वापस माता की सेवा में जा रही हूं। तुम यहां भगवान शिव लोक में निवास करो।

रजवंती योगिनी तब से देवी मां कामाख्या की?

सहायिका अंश शक्ति के रूप में उनके रजस्वला स्वरूप धारण करते ही। जागृत हो जाती हैं और यह समय अंबुबाची पर्व के रूप में कामाख्या मंदिर पर मनाया जाता है उस वक्त देवी जागृत रहती हैं। इसी साधना का भी ज्ञान मैंने आप लोगों के लिए इंस्टामोजो स्टोर पर उपलब्ध करा रखा है। उसका लिंक इस वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में आपको मिल जाएगा। वहां से क्लिक करके आप इस साधना को खरीद सकते हैं और जब तक कि कपाट बंद रहते हैं, मां कामाख्या मंदिर के इनकी साधना कर सकते हैं और इन को सिद्ध करने का प्रयास कर सकते हैं यह थी गोपनीय जानकारी गुप्त रजवंती योगिनी की। साथ ही सुनिए इस माँ कामाख्या और रजवंती योगिनी के इस भजन को

आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।

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