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शेषा नागिन की प्रेम कहानी भाग 1

शेषा-नागिन-की-प्रेम-कहानी-भाग-1

शेषा नागिन की प्रेम कहानी भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज का यह जो ईमेल पत्र में प्राप्त हुआ है, इसमें एक साधक महोदय ने एक विशेष मंदिरों से जुड़ी हुई प्राचीन कथा को प्रस्तुत किया है तो आइये चले पढते इनके पत्र को और जानते हैं इस दुर्लभ कथा के विषय में।

नमस्कार गुरु जी, सबसे पहले तो आप का विशेष रूप से धन्यवाद कि आप मेरे इस अनुभव को प्रकाशित कर रहे हैं। गुरुजी हालांकि यह मेरा कोई अनुभव नहीं है बल्कि एक हमारे यहां स्थित एक मंदिर का है। उससे जुड़ी हुई एक प्राचीन कथा का है। उसी को मैं आपको सुनाना चाहता हूं जो कि हमारी ही।

प्राचीन पीढ़ी में सुनते हुए आये है हमारे बागपत जिले में नागेश्वर मंदिर है और यह मंदिर अपना एक अलग ही इतिहास रखता है। बागपत के वाजिदपुर में नागेश्वर मंदिर का निर्माण ग्रामीणों ने उस समय। नाग और नागिन के लगातार दर्शनों के बाद करवाया था और इस गांव के एक किसान ने अपनी जमीन दान में दे दी थी। इसी वजह से यहां एक मंदिर बनाया गया है कि यहां पर सब लोग पूजा करने के लिए आते हैं और लगभग सभी की मनोकामना पूरी होती है।

इस की पुरानी कहानी है उसको बताने से पहले मैं यह बताना चाहता हूं कि यह मंदिर!

यहां पर दिल्ली और बहुत दूर दूर से लोग आते जाते रहते हैं। क्यों बनाया गया था यह मंदिर, गुरुजी असल में 40 वर्ष पूर्व एक नाग नागिन का जोड़ा लगातार इसी स्थान पर जोड़ी के रूप में ही दर्शन दे रहा था। इसी कारण से यहां पर मंदिर का निर्माण करा दिया गया था। यह बात पता चली तो मैंने इसके विषय में और जानकारी निकाली और तब! एक पुराने गुरुजी हैं, उनके पास में गया तो उन्होंने जो कथा यहां की बताई वही मैं आपको आज लिखकर भेज रहा हूं। इसे अवश्य प्रकाशित कीजिएगा। अभी तक यह कथा कहीं प्रकाशित नहीं हुई है। इसलिए गुरु जी इसे अवश्य प्रकाशित कीजिए ताकि इस मंदिर के इतिहास के साथ उस गुप्त नाग और नागिन के विषय में भी जानकारी प्राप्त हो सके। गुरु जी आपसे प्रार्थना है क्योंकि मुझे नाग और नागिन का नाम नहीं मालूम है। इसीलिए आप नागिन का नाम शेषा और नाग का नाम अनंत रख दीजिए।

गुरु जी यह कथा ऐसे शुरू होती है कि? एक बार एक नागिन जो भगवान शिव की तपस्या करती थी, यहां पर आकर रोज भगवान शिव को अपना पूजन अर्पित करती थी। क्योंकि उस नागिन को लगभग 100 वर्ष से ज्यादा हो गए थे तपस्या करते हुए। तब उसे अचानक से एक दिन एक हल्की सी सिद्धि प्राप्त हुई। आपको पता ही होगा कि गुरु जी ने मुझे इस बारे में बताया है। आप भी इसके विषय में अवश्य प्रकाश डालिएगा। कि जो भी नागिन 100 वर्ष से ज्यादा की हो जाती है, वह कुछ क्षण के लिए मनुष्य का रूप प्राप्त कर सकती है। यह भगवान शिव की आराधना से होता है इसीलिए समय बीतता गया और वह इसी प्रकार और रोजाना तपस्या करने लगी। उसकी तपस्या से प्रभावित होकर जैसे ही उसके 1000 वर्ष पूरे हो गए। वह चमत्कार घटित हुआ।  भगवान शिव ने उसे साक्षात दर्शन दिए जब भगवान शिव ने उसे पूछा कि तुम्हें क्या चाहिए उसने यही कहा मुझे? नाग लोक में स्थान मिले, मैं सिद्धि, पा लू और सभी प्रकार की सिद्धियां मुझे प्राप्त हो जाए। तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर कहा तुम्हारा 1000 वां वर्ष पूरा होते ही तुम पूर्ण रूप से मानव शरीर धारण करने की शक्ति। प्राप्त कर लोगी तुम्हें विभिन्न प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो जाएंगी। मैं तुम्हारे मस्तिष्क में एक दुर्लभ मणि भी तुम्हें प्रदान करता हूं, जिसे नागमणि के नाम से जाना जाता है। इसकी सिद्धि से तुम सभी प्रकार के सिद्धि वाले कार्य कर पाओगी। लेकिन नाग लोक जाने के लिए तुम्हें नाग की आवश्यकता है क्योंकि बिना जोड़े के तुम! इस गति से नाग लोक प्राप्त नहीं कर पाओगी। इसलिए आवश्यक है कि तुम! इस नाग को प्राप्त करो जो तपस्या करके 1000 वर्ष पूरे कर चुका हो जब तुम दोनों का मिलन होगा। तभी तुम नाग लोग वापस लौट पाओगे और वहां पर देवता के रूप में स्थापित हो जाओगे। तुम्हारा पूजन होगा। तुम्हारी सामर्थ बहुत बढ़ जाएगी। शेषा ने। भगवान शिव से कहा। प्रभु किंतु मेरे योग्य वर मुझे कहां मिलेगा उसका नाम क्या होगा? तब? भगवान् शिव कहते हैं, उसका नाम अनंत होगा और तुम्हें वह अवश्य मिलेगा। तुम इसी स्थान पर रहकर मेरी तपस्या करती रहो और इंतजार करो। एक दिन अवश्य ही उससे तुम्हारी मुलाकात होगी।

इस प्रकार वह! नागिन भगवान शिव की आराधना उस मंदिर में रहकर करने लगी और समय बीत गया। वह वहां रहकर दुर्लभ रुप से गीत गाने लगती।

इस गीत को दोनों के रूप में मैंने आप लोगों के लिए प्रस्तुत किया है।-

सपनों में बसा मेरा साजन, कब आएगा वो मेरे आँगन, तपस्या की मैंने हज़ारों साल, प्यार की राह देखूं हर पल, आँखों में सपने, दिल में आस, कब होगा मेरा उनसे मिलन खास। प्रेम की तलाश में निकली शेषा, धरती, आसमान सब खोज डाला, अनंत की याद में बहे आंसू, प्यार का सुर मिला कर गाऊं, ओ रे साजन, ओ रे साजन, कब आओगे, कब आओगे। झरने के पानी में देखूं चेहरा, सपनों में आए वो प्यारा चेहरा, जंगल की हरियाली, चांदनी रात, दिल में बसी उनकी प्यारी बात, हर कदम पर है उनकी तलाश, कब आएगा वो दिन खास। प्रेम की तलाश में निकली शेषा, धरती, आसमान सब खोज डाला, अनंत की याद में बहे आंसू, प्यार का सुर मिला कर गाऊं, ओ रे साजन, ओ रे साजन, कब आओगे, कब आओगे। तपस्या का फल कब मिलेगा, प्रेम का दीपक कब जलेगा, दिल की पुकार सुन लो साजन, संग तुम्हारे जीना मरना, प्यार की बंधन में बांध लो मुझे, आओ न मेरे, छू लो मुझे। प्रेम की तलाश में निकली शेषा, धरती, आसमान सब खोज डाला, अनंत की याद में बहे आंसू, प्यार का सुर मिला कर गाऊं, ओ रे साजन, ओ रे साजन, कब आओगे, कब आओगे। फूलों की खुशबू में बसी है तेरी याद, हर सुबह, हर शाम, बस तेरा इंतजार, दिल की गहराई से पुकारूं तुझे, आ मेरी बाहों में, अपना बना लूं तुझे, प्रेम की ये राह लंबी सही, पर तेरे बिना, अब कोई खुशी नहीं। प्रेम की तलाश में निकली शेषा, धरती, आसमान सब खोज डाला, अनंत की याद में बहे आंसू, प्यार का सुर मिला कर गाऊं, ओ रे साजन, ओ रे साजन, कब आओगे, कब आओगे।

इस प्रकार आप लोगों ने यह धुन और उसका! गाना सुना। इसी प्रकार शेषा कठिनाइयों का सामना करते हुए चाहे ठंड हो, चाहे भूख हो। हर एक चीज को सहते हुए वह तपस्या करती रही। इस प्रकार 1000 वर्ष समाप्ति के बाद भी वह तपस्या करती रही। एक दिन इसी स्थान पर एक तांत्रिक गुजर रहा था। रात के समय। अपनी मणि को अपने सर से निकाल कर। श्री भगवान शिव के छोटे से खुद के द्वारा बनाए गये। शिवलिंग के सामने रख दिया जिससे उस स्थान पर प्रकाश डालने लगा कि ऐसा प्रकाश ज्यादातर मनुष्यों को नहीं दिखाई देता है किंतु वहां से गुजरने वाले साधू तांत्रिक को उस रूप से नजर आ गया। उसकी नजर जब इस चमकती हुई दुर्लभ मणि पर पड़ी तो उसने कहा कि यह तो नाग मणि है। मुझे इसे अवश्य ही प्राप्त करना चाहिए। पर यही सोचते हुए वह उसकी ओर बढ़ने लगा कि तभी उसने स्पष्ट रूप से नजर आ गई। शेषा जोकि वहीं पर चुपचाप बैठी हुई जैसे किसी की याद में खोई थी। तब साधु ने सोचा कि अगर मैंने इसकी मणि उठाई तो हो सकता है कि यह मुझे ढूंढ कर मार दे। इसलिए मुझे कोई ना कोई प्रपंच रखना होगा। ऐसे में मुझे इससे जाकर बात करनी चाहिए। और इसे अपनी बातों में फंसाना चाहिए क्योंकि सीधी तरह से तो यह मुझे अपनी मणि कभी नहीं देगी। और साधु तुरंत ही एक लोटे में जल लेकर उसी शिवलिंग के पास आकर खड़ा हो गया और उसने शिवलिंग के ऊपर जल चढ़ाना शुरू कर दिया। शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। उस पानी की कुछ बूंदे। मणि पर भी गिरने लगी। और जैसे ही मणि से उस जल का स्पर्श हुआ, तुरंत ही शेषा चौकन्नी हो गई क्योंकि!

उसकी मणि को कोई भी छुए या किसी भी अन्य चीज का स्पर्श हो तो उसे तुरंत ही पता चल जाता था।

एकदम से क्रोध में भर जाती है। शेषा तुरंत देखती है कि वहां पर एक साधू भगवान शिव की आराधना कर रहा है। साधु को भी डर लग रहा था। इसीलिए वह भी महामृत्युंजय मंत्र का जोर जोर से जा कर रहा था और भगवान शिव पर जल अर्पित कर रहा था। इसके कारण अब शेषा थोड़ा शांत हुई।

तुरंत ही वह साधु को मृत्युदंड दे देती।किन्तु  चुपचाप। एक सुंदर स्त्री का वेश बनाकर वहां पर जल लेकर पहुंच गई। और साधु से कहने लगी। महाराज आप कितनी रात्रि में भगवान शिव पर जल क्यों चढ़ा रहे हैं। सुबह के वक्त ही यह सब पूजा आपको करनी चाहिए।

साधु ने कहा, आप भी तो हाथ में जल लेकर आई है।

पता नहीं भगवान शिव की आराधना में कुल समय। किसी भी चीज का कम पड़ सकता है क्योंकि यह जीवन तो बहुत छोटा है। इसीलिए मैं कभी भी भगवान शिव के शिवलिंग को देखकर वहां पूजन करने लगता हूं।

और देखो यह किसी नागिन की मणि यहां पर रखी है। कितनी मुर्ख है वह नागिन ऐसे मणि रख कर चली जाती है। मेरी जगह अगर कोई दूसरा होता तो उसकी मणि के साथ कुछ भी कर सकता था। यह चुरा कर ले जा सकता था।

तब? शेषा ने कहा, ओह तो आपने इसे देख लिया, फिर भी लिया नहीं, आप तो महान साधु है। मैं भी न जाने कब से। अपने प्रेमी की तलाश में हूं।

तब साधु तुरंत ही समझ कर कहने लगा। लगता है यह मणि जिस।

सर्प कन्या की है। उसे अपने प्रेमी की तलाश है बिना उसके वह नाग लोक में प्रवेश नहीं कर पाएगी और मुझे उसका पता मालूम है जो इसी जगह है। कहीं और भगवान शिव की आराधना कर रहा है और पूर्ण सिद्धि को प्राप्त करना चाहता है। तब जल्दबाजी में।

शेषा ने कहा, क्या उसका नाम अनंत है? तब साधु ने एक क्षण समझकर कहा, अरे हां उसका तो नाम अनंत ही है। सुनकर यह यह बहुत प्रसन्न हो गई और कहने लगी क्या आप मुझे उस व्यक्ति से मिलवायेंगे तब साधु कहने लगा। अरे! तुम क्या करोगी मिलकर वह तो? किसी नागिन के योग्य है। तब? शेषा यूं मुस्कुरा कर कहने लगी, आपको क्या लगता है? क्या मैं एक स्त्री हूं अथवा एक नागिन हूं? तब साधु ने कहा, अरे क्या तुम नागिन हो? तब वह कहने लगा, अच्छा ठीक है। मैं तुम्हारा उससे मिलन करवा दूगा। लेकिन अभी नहीं मैं दोबारा यहां आता हूं। इस प्रकार वह साधु वहां से चला गया। कोई नई योजना लेकर आने के लिए पर इधर प्रेम में पड़ी हुई शेषा। चाह रही थी कि वह अपने उस अनंत से मिले जो कहीं तपस्या कर रहा है। आगे क्या हुआ जानेंगे। हम लोग अगली पत्र के माध्यम से अगर जानकारी और कहानी आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां शक्ति।

शेषा नागिन की प्रेम कहानी भाग 2

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