नमस्कार दोस्तो धर्म रहस्य चैनल पर एक बार फिर से आपका स्वागत है आज बात करेंगे दुर्गा सप्तशती के सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के बारे में जो स्वयं में ही सिद्ध होता है । इसी मंत्र के प्रयोग से मेघनाथ ने भगवान राम और लक्ष्मण जी को नाग पाश में बांधकर मूर्छित कर दिया था । इतना प्रभावशाली और तीव्रता के साथ यह सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कार्य करता है । यह बात बहुत ही कम लोग जानते हैं कि मेघनाथ ने सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की सिद्धि प्राप्त कर रखी थी इसी वजह से वह देवराज इंद्र को भी पराजित कर सकता था और कर भी चुका था ।
चलिए आज हम बात करते हैं कि यह स्त्रोत्र किस प्रकार से हैं और इसकी साधना और सिद्धि का विधान क्या है? यह स्त्रोत्र का मंत्र किस प्रकार है –
मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।’
मेघनाथ ने इसको गुप्त विधि से सिद्ध किया था, माता निकुंभला की कृपा से । माता निकुंभला माता दुर्गा का ही एक स्वरूप मानी जाती हैं इसी शक्ति का प्रयोग करके उसने श्री राम और लक्ष्मण पर नागपाश चलाया और उनको पराजित किया था । जबकि श्री राम स्वयं नारायण का अवतार थे इसी शक्ति का प्रयोग करके मेघनाथ ने वीरघातिनी शक्ति चलाई थी लक्ष्मण पर । जिसकी वजह से वह मूर्छित हो गए थे । तब हनुमान जी को जाकर संजीवनी बूटी लानी पड़ी थी उनके प्राणों की रक्षा करने के लिए । तो आप समझ सकते हैं कि यह कितना शक्तिशाली और प्रचंड मंत्र है जिसके प्रभाव से स्वयं देवी देवता भी नहीं बच पाते ।
इसकी गोपनीय विधि बताई गई है शास्त्रों में कि इसका एक लाख बार जाप हवन करते हुए, हवन कुंड में करें और आपको 7 दिन तक लगातार यह हवन और जाप करते रहना होगा । बिना किसी की सहायता के और किसी ऐसे एकांत स्थान या गुफा में जहां किसी का भी प्रवेश वर्जित हो जहां कोई भी आपको परेशान कर सके । ऐसा करने पर माता प्रसन्न हो जाती हैं और एक दिव्य रथ उत्पन्न करती हैं जिसमें बैठकर आप तीनो लोकों को जीत सकते हैं आपको कोई भी पराजित नहीं कर सकता । जब तक आप उस रथ पर बैठे रहेंगे तब तक अविजित रहेंगे ।
मेघनाथ भी यही करने का प्रयास कर रहा था अंतिम समय में पर विभीषण के बताने पर लक्ष्मण और हनुमान जी द्वारा उसकी साधना उपासना यज्ञ को भंग करवा दिया गया था अन्यथा उसे पराजित करना असंभव हो जाता । आज के समय में कोई सिद्ध बलवान साधक इस साधना को संपूर्ण कर सकता है ।
क्योंकि लोग छोटी छोटी साधना में ही हार जाते हैं और उनकी साधना निश्चफल हो जाती है । मैं आप लोगों के लिए गोपनीय साधना और इसकी विधि लेकर आया हूं अगर आप चाहें तो इसकी साधना करके माता की कृपा भी प्राप्त कर सकते हैं ।आगे भी मैं आप लोगों के लिए ऐसी ही गोपनीय से गोपनीय साधना लाता रहूंगा ।
सारी शक्तियां और सिद्धियां माता आदिशक्ति के अधीन रहती हैं । चाहे वो माता आदिशक्ति जगदंबा का स्वरुप हो काली रूप लक्ष्मी का रूप हो या माता सरस्वती का रूप । यह सब एक ही शक्ति के भिन्न-भिन्न रूप स्वरुप हैं । इसलिए इनकी साधना उपासना हर व्यक्ति को अवश्य करनी चाहिए अपने जीवन काल में । अगर आपको साधना पसंद आई है तो आपका धन्यवाद।।