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जाह्नवी अप्सरा की कहानी भाग 2

अप्सरा जाह्नवी की रहस्यमयी कहानी – भाग 2: प्रेम, तंत्र और मृत्यु का खेल

भूमिका:
नमस्कार दोस्तों, ‘धर्म रहस्य’ चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज हम आपको ले चलते हैं एक रहस्यमयी और दिव्य कथा की ओर – अप्सरा जाह्नवी की कहानी के दूसरे भाग में। यह कथा केवल एक साधारण प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि तंत्र, तपस्या और शापित इच्छाओं का ऐसा संगम है, जो आपकी आत्मा को झकझोर देगा। आइए जानते हैं इस कहानी को विस्तार से।


1. एक दिव्य चेतावनी

जब साधु युवक जाह्नवी अप्सरा के सम्मुख आया, तब जाह्नवी ने उससे कहा: ‘इससे पहले कि तुम मुझ तक पहुंचने का प्रयास करो, तुम्हें अग्निदेव नामक तांत्रिक की कहानी जाननी होगी। वह मुझ तक पहुंचने की कोशिश में स्वयं को खो बैठा।’
जाह्नवी ने आगे कहा: ‘तुम्हारे पास भगवान शिव का वरदान है, इसी कारण मैंने अब तक तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं किया। लेकिन याद रखना, मेरा क्रोध विनाशकारी है।’


2. निशाचरी रात का रहस्य

उस रात गंगा नदी के जल पर चंद्रमा अपनी रोशनी बिखेर रहा था। जंगल में सन्नाटा पसरा हुआ था और हल्की-हल्की नदी की लहरें गूंज रही थीं। तभी एक तांत्रिक, अग्निदेव, काले वस्त्रों में लिपटा, रुद्राक्ष माला के साथ नदी के किनारे आया और ध्यानमग्न होकर मंत्र जाप करने लगा।
उसके मंत्रों की ध्वनि से जल में हलचल हुई और जाह्नवी अप्सरा जल से प्रकट हुई।


3. अग्निदेव का प्रेम और लालसा

अग्निदेव ने जाह्नवी को देखते ही कहा: ‘तुम्हारी सुंदरता दिव्य है। तुम्हारे गीले केश बादलों के समान हैं, तुम्हारी आँखें सम्मोहित करने वाली हैं। तुम्हारी मधुर आवाज मेरे हृदय को स्पर्श कर रही है। मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ।’
लेकिन जाह्नवी ने कठोर स्वर में कहा: ‘मैं कोई साधारण स्त्री नहीं, बल्कि एक दिव्य अप्सरा हूँ। मुझे प्राप्त करना इतना आसान नहीं है।’


4. तंत्र का प्रयोग

अग्निदेव ने अपनी तांत्रिक शक्तियों का प्रयोग किया। उसने गोपनीय मंत्रों का जाप किया और जाह्नवी को सत्य बोलने के लिए विवश कर दिया।
जाह्नवी ने कहा: ‘तुम मुझे अपनी सच्ची आत्मा से ही प्राप्त कर सकते हो। अन्यथा, मृत्यु की परछाइयाँ तुम्हारा इंतजार कर रही हैं।’
यह कहकर जाह्नवी जल में विलीन हो गई।


5. तांत्रिक की कठिन साधना

अग्निदेव ने तीन दिनों तक कठिन तपस्या की। तीसरे दिन जाह्नवी प्रकट हुईं और कहा: ‘तुमने साधना पूर्ण कर ली है, लेकिन परीक्षा अभी बाकी है।’
जाह्नवी ने अग्निदेव को नदी में छलांग लगाने को कहा।


6. जल की गहराई में मृत्यु का आलिंगन

अग्निदेव ने नदी में छलांग लगा दी। पानी की गहराई में उसने अजीब आकृतियाँ और भयानक चेहरे देखे। फिर एक चमकीला प्रकाश दिखाई दिया, जहाँ जाह्नवी सर्पिणी के रूप में खड़ी थीं।
जाह्नवी ने कहा: ‘तुमने प्रेम के नाम पर लालच को चुना। अब तुम्हारा अंत निश्चित है।’
जाह्नवी ने सर्पिणी के रूप में अग्निदेव के शरीर को भीतर से काटना शुरू कर दिया।


7. तांत्रिक का अंत और चेतावनी

अग्निदेव ने अपनी तांत्रिक विद्या से खुद को बचा लिया, लेकिन उसका शरीर रक्तरंजित हो गया। जाह्नवी ने कहा: ‘तुमने लालच के कारण यह किया। तुम्हारे पास केवल तीन दिन हैं, खुद को साबित करो या मृत्यु को प्राप्त हो जाओ।’
तांत्रिक भागते हुए गाँव की ओर चला गया।


8. गाँव में तांत्रिक की परीक्षा

गाँव में तांत्रिक ने एक भूखी कन्या को देखा, जो भोजन के लिए रो रही थी। लेकिन तांत्रिक ने स्वार्थ में उसे धोखा दिया।
लोगों ने उस कन्या को ढूँढ लिया,

जाह्नवी अप्सरा की कहानी भाग 3

इस कथा को विस्तार से जानने के लिए नीचे का यूट्यूब वीडियो भी अवश्य देखें

 

 

 

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