अनुरागिनी यक्षिणी सिद्धि का चमत्कारिक अनुभव भाग 2
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। अनुरागिनी यक्षिणी सिद्धि का चमत्कारिक अनुभव यह अगला भाग है। पिछले भाग में हमने जाना था कि इन्होंने अनुरागिनी यक्षिणी की सिद्धि का प्रयास किया था। अब आगे के अनुभव को जानते हैं
नमस्कार गुरु जी! पत्र देर से भेजने के लिए क्षमा करें। गुरु जी अब मैं आपको आगे की घटना के विषय में बताता हूं ऊट पर बैठी हुई। वह महा सुंदरी जब मेरे पास आ गई तो उसने कहा कि मेरे बाएं हाथ में कुछ है और दाहिने हाथ में कुछ है। इन दोनों में से एक हाथ चुनो! तो मैंने उसका बाया हाथ चुन लिया। तब उसने मुझसे पूछा कि अब बताओ तुम्हारी क्या इच्छा है तो मैंने उससे कहा, आप मुझसे सिद्ध हो जाइए। तो वह कहने लगी ठीक है। और फिर उसने मेरे बाएं शरीर पर अपना हाथ रखा। और उसके बाद उसकी कुछ शक्तियां जैसे मेरे शरीर के अंदर चली गई। मुझे कुछ समझ में नहीं आया और एक जोरदार! झटका सा लगा। शायद उसकी सिद्धि मुझे प्राप्त हो चुकी थी। इसके बाद वह गायब हो गई। मुझे कुछ समझ में नहीं आया। साधना मेरी पूरी हो चुकी थी। अब मुझे लगा कि शायद इसकी सिद्धि मेरे पास है। या फिर मेरे मन का कोई भ्रम है? जिसकी वजह से मैं यह समझ रहा हूं कि मुझे इस की सिद्धि मिल चुकी है। तो मैंने तुरंत जाकर अपनी पत्नी को बताया। और वह पता नहीं मुझसे क्यों गुस्सा हो गई और उसने कहा जब इतने दिन अकेले ही खाना बनाया है? तो अब मुझसे किसी खाने की उम्मीद मत रखना। और उस दिन हम दोनों में बहस हो गई। और वह इसी कारण से गुस्सा होकर अपने मायके चली गई। मुझे समझ में नहीं आ रहा था। उसका यह बदला हुआ व्यवहार क्या था? इसके बाद फिर मैं अपने एक मित्र से मिलने चला गया। उसके घर में कुछ समस्या थी तंत्र से संबंधित। तो उसने कहा, मेरे ऊपर कुछ किया कराया गया है। मेरा कोई काम नहीं बनता है। सभी प्रकार से समस्याएं चल रही हैं। तुम तो साधना करते हो? कुछ मेरी मदद करो! पता नहीं मेरे अंदर से ऐसे शब्द आए कि मैंने कहा, एक नारियल लेकर आओ। और वह नारियल जब 1 लेकर आया तो मैं उसके घर के बीच में पहुंचा। मैंने पर कुल्हाड़ी मंगाई और उस नारियल के ऊपर जोर से वार किया। और उसके तुरंत बाद मुझे ऐसा लगा जैसे इसके घर के ऊपर जो बुरी शक्ति थी, वह चली गई है। मैंने उससे कहा, आज के बाद तुम्हारे ऊपर कोई समस्या नहीं रहेगी। ना ही तुम्हारे घर में अब कोई तंत्र प्रयोग कार्य करेगा। मैंने उसे हटा दिया है। मैं खुद नहीं जानता कि मेरे मन में अंदर से यह भावनाये कहां से आई? और जिसके कारण मैंने ऐसा किया था। लेकिन उसका प्रभाव कुछ दिनों में देखने को मिल गया। मेरा वह मित्र आकर कहने लगा। मेरे घर में जो भी सारी समस्याएं थी, ऐसा लगा जैसे सब चली गई है। सारा परिवार खुश है और किसी को कोई समस्या नहीं है। इधर मैंने अपनी पत्नी को मायके फोन किया कि तुम वापस आ जाओ तो वह पता नहीं क्यों नाराज कुछ ज्यादा ही थी और वापस नहीं आना चाहती थी? इसी कारण से मैंने उसे बार-बार फोन करना जारी रखा लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा था। इधर तभी एक व्यक्ति मुझे मिला जिसके पास विशेष तरह की सिद्धियां होने के बात लोग कहा करते थे? इसीलिए मैं उस व्यक्ति से मिलने के लिए गया। वह भैरव जी का उपासक था और उनके जैसा ही चोला पहनता था। रात भर शराब में डूबा रहता, लेकिन इसके बावजूद एक अच्छा और उच्च कोटि का साधक उसे लोग कहते थे। तो मै उसके पास गया क्योंकि मेरे मन में यह विचार आ रहा था कि मुझे लगता है। सिद्धि तो मिली है लेकिन इसका प्रभाव कैसा है और यह कैसी है। यह मैं नहीं जानता। शायद यह शक्तिशाली तांत्रिक मुझे कुछ बता सके।तो मै उसके घर उससे मिलने पहुंचा। मैंने दरवाजा खटखटाया उसने। थोड़ी देर बाद दरवाजा खोला! पूरी तरह उसके मुंह से शराब की बदबू आ रही थी। एक क्षण के लिए तो मैंने सोचा, मैं इस से मिलने आखिर क्यों आया? लेकिन फिर मन हुआ क्या अगर यह कोई बड़ा साधक है तो अवश्य ही मुझे मार्गदर्शन देगा। तो मै अंदर उसके पास पहुंच गया। उसने कहा, क्या खाएगा? मैंने कहा, मैं आपकी सेवा लेने यहां पर नहीं आया हूं। मैंने एक साधना की थी क्या मैं उसमें सफल हुआ हूं मुझे बताइए? उसने मुझे गहरी नजरों से देखा। उसकी आंखें लाल सी थी लगता था जैसे उसने बहुत ज्यादा शराब पी थी। अब उसने मुझे देख कर कहां तेरे पास तो मुझे एक शक्ति स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। यह तो कोई शक्तिशाली स्त्री शक्ति लग रही है। और फिर उसने मेरे शरीर यानी छाती पर हाथ रखा और इसके बाद जो हुआ मुझे इसकी कोई उम्मीद नहीं थी। उसे जैसे करंट लगा और उसकी सारी शराब उतर गई। वह झटके से पीछे दो कदम बढ़ा और कहने लगा। तेरे अंदर तो किसी शक्ति का वास हो गया है। और वह तो मुझे छूने तक नहीं दे रही। इसका मतलब यह तो तेरी खुद की साधना की कोई शक्तिशाली शक्ति है। बता तूने कौन सी साधना की है? तो मैंने उससे कहा कि मैं यह तो नहीं बता सकता। बस लेकिन यह बता सकता हूं कि यह एक यक्षिणी की साधना का प्रभाव हो सकता है। तब उसने मुझसे एक बात पूछी? उसने कहा, क्या तेरी शादी हो चुकी है? तो मैंने कहा हां! तो उसने पूछा तेरी पत्नी अभी कहां पर है तो मैंने उसे बताया कि आज कल मेरी उससे कुछ लड़ाई हो गई है और वह मायके जाकर बैठ गई है। तब वह पास में रखी गई शराब की बोतल मुंह में डालकर हंसने लगा और कहने लगा। यह तो होना ही था तूने साधना कर ली और वह भी गृहस्थ जीवन जीते हुए इसीलिए तेरी पत्नी तुझे छोड़कर जा चुकी है। तुझे सोचना चाहिए था साधना के नियम क्या तू नहीं जानता कि कोई भी शक्ति को जब बुलाया जाता है तो उसके साथ अपना कोई संबंध बनाया जाता है। मां, बहन, पत्नी, प्रेमिका, मित्र इत्यादि कई संबंधों में हम उस शक्ति को बांध सकते हैं। पर तूने तो कोई संबंध ही नहीं बनाया। अब मुझे पूरी बात बता! तो मुझसे फिर रहा नहीं गया और मैंने उसके सामने अपना राज खोल दिया और कहा कि मैंने अनुरागिनी यक्षिणी की साधना की थी और जब वह प्रकट हुई थी तो उसने मेरे आगे अपने दोनों हाथ कर दिए थे और पूछा था। इनमें से कौन सा हाथ तो मैंने उसका बायां हाथ पकड़ा था। तब वह यह सुनकर जोर-जोर से हंसने लगा और कहने लगा। अरे तूने तो उसे अपनी वामांगी बना लिया। यानी पत्नी! क्योंकि पुरुष का बायां हिस्सा। पत्नी को माना जाता है। इसीलिए उसे अर्धांगिनी कहा जाता है। अब क्योंकि तूने उसका बायां हाथ चुना इसीलिए वह तेरी पत्नी बन चुकी है। और इसी कारण से तेरी स्त्री अब तेरे साथ नहीं रह रही। अब क्या करेगा तू बता क्योंकि तूने तो अपना पारिवारिक जीवन खुद ही नष्ट कर लिया है। अब ऐसे में जब? एक आदमी की दो पत्नियां हो तो एक साथ कैसे रह सकती हैं? उसकी बातें सुनकर मेरा तो सर ही चकरा गया। और मैं यह सोच रहा था, यह क्या हो गया मैंने? आप से भी इस बारे में कोई वार्तालाप नहीं किया था। मैंने सोचा था जब बातचीत होगी तो पूछ लूंगा कि किसी शक्ति को किस प्रकार से उससे संबंध बनाया जाता है, लेकिन सारा कार्य तो हो चुका था। अब अगर अनुरागिनी मुझसे सिद्ध हो गई है तो मुझे दिखाई क्यों नहीं देती? यह प्रश्न भी मेरे मन में अब तेजी से आ गया था। तो मैंने उससे पूछा। तो उसने कहा कि इसके लिए तुझे उसका प्रत्यक्षीकरण करना पड़ेगा और इसमें तुझे काफी समय लग सकता है। शक्तियां ऊर्जा रूप में आ तो जाती हैं लेकिन उनकी सिद्धि। करने वाला पुरुष कि उन्हें सिर्फ देख और महसूस कर सकता है, लेकिन उनको साक्षात स्वरूप प्रदान करने के लिए बहुत ऊर्जा खर्च होती है। और यह सारी उनकी साधना करने से ही आती है अन्यथा उन्हें प्रत्यक्ष नहीं किया जा सकता। अब अगर तू लगातार इस शक्ति की आराधना उसी प्रकार करता रहे तो अवश्य ही तेरे जीवन में चमत्कारिक बदलाव होंगे। मैंने उससे इतनी बातें करी और फिर मैं वहां से अपने घर वापस आ गया। अब मुझे यह समझ में नहीं आ रहा था कि अगर मेरी दो पत्नियां हैं तो दोनों के साथ जीवन कैसे बिता पाऊंगा। यह तो बड़ी समस्या हो गई। इसके आगे क्या घटित हुआ गुरुजी अगले पत्र में आपको अवगत कराऊगा? नमस्कार गुरु जी! तथा इनका यक्षिणी साधना का अनुभव। अगर आपको आज का वीडियो पसंद आया है तो लाइक करें। सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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