आंनद भैरव और शक्ति शाली केसी पिशाचिनी भाग 1
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । एक बार फिर से मैं आप लोगों के लिए मंदिरों और मठों की गोपनीय कहानियां लेकर उपस्थित हुआ हूं । आज की जो हमारी कथा है वह भगवान आनंद भैरव जो कि भगवान शिव का ही आनंद भैरव स्वरूप है । उनकी और एक शक्तिशाली केसी पिशाचिनी की कथा है । चलिए शुरू करते हैं । हरिद्वार में भगवान आनंद भैरव का एक प्रसिद्ध मंदिर है । जब यहां मंदिर नहीं बना था इससे भी कई हजार साल पहले की यह कथा है । क्योंकि जिस भी स्थान पर मंदिर बनते हैं वह स्थान पूर्व काल में अवश्य ही प्रसिद्ध मठ का इलाका होता था । इसी कारण से उस क्षेत्र में बाद में मंदिर का निर्माण हुआ है । ऐसा माना जाता है कि आनंद भैरव हरिद्वार के कोतवाल कहलाते हैं । क्योंकि जो हरिद्वार की अनुष्ठात्रि देवी है यह माया देवी कहलाती है । वर्तमान समय में इसी माया देवी मंदिर में स्थित आनंद भैरव मंदिर आजकल सन्यासियों द्वारा प्रसिद्ध जूना अखाड़ा द्वारा चलाया जाता है । इसी स्थान पर जब एक घनघोर वन था यहां पर एक ऋषि थे जिनका नाम गुरुनाथ था । गुरुनाथ अपने समय के भगवान भैरव को सिद्ध करने वाले प्रसिद्ध ऋषि माने जाते थे । उनकी प्रसिद्धि सुनकर दूर से एक व्यक्ति जिनका नाम मलय था उनसे मिलने के लिए आया । क्योंकि मलय ने गुरु के बारे में बहुत कुछ जाना और सुना था । गुरु नाथ की महिमा चारों ओर फैली हुई थी । सभी कहते थे कि उन्हें आनंद भैरव की सिद्धि है । जो कि इस नगर के कोतवाल भी है आनंद भैरव बहुत ही विशिष्ट स्वरूप है भगवान भैरव का । मलय गुरु नाथ के पास पहुंचते हैं और उन्हें प्रणाम करके उनसे अपने हृदय की बात बताने के लिए निवेदन करते हैं । गुरुनाथ कहते हैं अवश्य ही पुत्र मलय किस उद्देश्य से तुम मुझसे मिलने आए हो । इस पर मलय कहता है प्रभु अगर आप मेरे गुरु बने और मुझे आनंद भैरव जी की सिद्धि करवा दें तो मैं यह अपना सौभाग्य समझूंगा । गुरुनाथ ने कहा अवश्य अगर तुम मेरे शिष्य बनने आए हो । तो मैं तुम्हें इससे पहले यह बता दूं की दुषो से तुमको कैसे तुम्हें बचना है । विभिन्न प्रकार के दोष साधनाओ में उत्पन्न हो जाते हैं अगर उन दुषो से नहीं बचा जाता है तो फिर दोष तुम्हें समाप्त कर देते हैं । यह दोष बहुत ही दुर्लभ होते हैं मस्तिष्क और शरीर पर हावी होकर व्यक्ति का अस्तित्व ही नष्ट कर देते हैं । इससे पहले कि तुम भगवान आनंद भैरव की सिद्धि करो और उनके गोपनीय विधान को प्राप्त करो । मैं तुम्हें एक कथा सुना कर सावधान करना चाहता हूं । इस पर मलय ने कहा अवश्य ही गुरुदेव मैं वह कथा सुनना चाहूंगा जिसके माध्यम से आप मुझे सावधान करना चाहते हैं ।
गुरु नाथ जी ने कहा मेरे एक मित्र थे जो कि उत्तम कोटि के एक साधक थे । उनका नाम सुलभ नाथ था । सुलभ नाथ अपने आप में एक विशिष्ट सिद्धि रखने वाले बड़ी-बड़ी सफेद दाढ़ी और सिर पर सफेद बाल वाले और हाथ में बंड लिए घूमा करते थे । उनको भगवान आनंद भैरव की प्रत्यक्ष सिद्धि प्राप्त थी । ऐसा देखने में कम ही आता है जब किसी देवता की किसी व्यक्ति को प्रत्यक्ष सिद्धि हो । इसी कारण से जब भी किसी को कोई समस्या आती वह लोग सुलभ नाथ के पास अवश्य ही पहुंच जाता था । एक दिन सुलभ नाथ ऐसे ही घूम रहे थे तभी नगर का एक व्यक्ति उनके पास दौड़ता हुआ आता है । और कहता है गुरुवर एक समस्या आन पड़ी है कृपया हमें उस समस्या से मुक्त करवाइए । जिस पर सुलभ नाथ कहते हैं अवश्य ही क्या समस्या है उन्होंने कहा । मैं अपनी पुत्री का विवाह करके वापस आ रहा था तभी मुझे रास्ते में मेरी ही पुत्री खड़ी हुई दिखाई दी । मैंने उससे पूछा मैंने तो तुम्हारा विवाह कर दिया था फिर तुम यहां पर वापस कैसे खड़ी हुई दिख रही हो । इस पर वह हंसने लगी उसने आकाश में एक नीले रंग का बवंडर बना लिया उसे देखकर बरात में गए बहुत सारे लोग घबरा गए । सब लोग यह सोचने लगे कि यह क्या कर रही है यह किस तरह की माया रच रही है और इसका तो विवाह हो गया था फिर यह इस निर्जन स्थान पर क्या कर रही है । आप तुरंत ही वहां चलिए और देखिए वह अभी भी उसी स्थान पर है । इस पर सन्यासी सुलभ नाथ ने कहा मैं अवश्य ही उस स्थान की ओर चलूंगा । सन्यासी सुलभ नाथ उस व्यक्ति के साथ उस स्थान की ओर गमन कर जाते हैं ।
थोड़ी ही देर बाद वह उस स्थान पर पहुंच जाते हैं जहां पर उस व्यक्ति की पुत्री आकाश में एक बवंडर सा बना रही है जिसे देखकर सभी लोग भयभीत थे ।आसपास के लोग उस स्थान पर आकर खड़े हो गए थे । यह देखकर वह और भी ज्यादा हंस रही थी । उसको देखकर सभी घबरा जाते हैं कि आखिर इस पर क्या किसी प्रेत या पिशाच का साया तो नहीं है । अब सन्यासी सुलभ नाथ उस स्थान पर पहुंच जाते हैं और अपने मंत्रों से अभिमंत्रित करके जल उस पर फेंकते हैं । जल फेंके जाने पर वह स्त्री हंसने लगती है और कहती है तेरे इन मंत्रों का मुझ पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ने वाला है ऐसे छोटे-मोटे तंत्र तो मैं यूं ही तोड़ देती हूं । यह देख कर सन्यासी सुलभ नाथ सोच में पड़ जाते है सन्यासी सुलभ नाथ अपने अन्य मंत्रों का प्रयोग उस पर विभिन्न प्रकार की शक्तियों का प्रयोग करते हैं । पर सारी की सारी बेअसर हो जाती है ऐसा सुलभ नाथ के साथ पहली बार हो रहा था कि कोई उनकी टक्कर का उन्हें मिला था । यह देख कर अंततोगत्वा जब कोई मार्ग नहीं रहता तब सुलभ नाथ आनंद भैरव का मंत्र प्रयोग कर अपने दंड को उस कन्या के ऊपर चला देते हैं । दंड उस कन्या के शरीर पर जाकर लगता है और जोर से चिल्लाती ही वह कन्या बेहोश हो जाती है । तभी आकाश में उन्हें एक दृश्य दिखाई देता है वहां पर एक शक्तिशाली पिशाचिनी खड़ी होती है । वह कहती है मैं इसे नहीं छोड़ने वाली मैं इसकी मृत्यु अवश्य ही करूंगी मेरा यही बदला है । तो तू यहां से चला जा अन्यथा मैं तुझे भी समाप्त कर दूंगी । याद रख आनंद भैरव भी तुझे नहीं बचा पाएंगे ।
यद्यपि तूने अपनी शक्ति का प्रयोग कर मुझे कुछ देर के लिए इसके शरीर से अलग कर दिया है । लेकिन फिर भी मैं यह दावा करती हूं कि तू मुझे नहीं रोक सकेगा । सन्यासी सुलभ नाथ किसी पिशाचीनी के मुंह से ऐसे शब्द सुनकर आश्चर्य में पड़ गए थे । उन्होंने तो सोचा भी नहीं था कि कोई पिशाचिनी इतनी अधिक शक्तिशाली हो सकती है आखिर उसमें इतनी अधिक शक्ति आई कहां से है । क्योंकि कोई भी नकारात्मक शक्ति इतनी अधिक शक्तिशाली नहीं हो सकती जो स्वयं भैरव का सामना कर सके । इस पर सन्यासी सुलभ नाथ उससे कहते हैं अवश्य ही तुम इस कन्या का वध करने में समर्थ हो । लेकिन मुझे यह बात तो पता चले कि आखिर तुम इसे क्यों मार डालना चाहती हो । मैं यह जानना चाहता हूं कि आखिर तुम्हारी इस स्त्री से दुश्मनी क्या है । इस पर हंसते हुए वह पिशाचिनी कहती है अगर तू मेरी कथा जानना ही चाहता है तो ठीक है मैं तुझे अपनी कथा सुनाती हूं । किंतु तुझे मुझसे यह वादा करना होगा कि तू मेरे मार्ग में नहीं आएगा । इस पर सन्यासी सुलभ नाथ कहता है अगर तुम्हारी यह कथा मुझे सत्य प्रतीत हुई तो अवश्य ही मैं तुम्हारे मार्ग में नहीं आऊंगा । लेकिन मुझे अगर ऐसा लगता है कि तुम किसी निर्दोष को दंड दे रही हो तो फिर मैं तुम्हारे ही सामने खड़ा रहूंगा । इस पर पिशाचिनी कहती हैं कोई बात नहीं मैं समझ गई तू नहीं हटेगा । पर तेरी अगर यह इच्छा है कि मैं तुझे अपनी कथा सुनाऊ तो चल सुन ले । मेरा नाम केसी है मैं बहुत ही शक्तिशाली पिशाचिनी हूं । इस पृथ्वी पर मुझ से अधिक शक्तिशाली दूसरी कोई पिशाचिनी नहीं है । किंतु मैं पिशाचिनी कैसे बनी यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है । मैं इसी के बारे में तुम्हें बताती हूं । आगे पिशाचिनी ने क्या कहा यह हम जानेंगे भाग 2 में तो अगर आपको यह कहानी पसंद आ रही है तो लाइक करें शेयर करें सब्सक्राइब करें चैनल को । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।