एक घर में रहने वाली भूतनी सच्ची घटना
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हमको एक और अनुभव प्राप्त हुआ है ।यह अनुभव एक मरी हुई औरत यानी चुड़ैल जो बन जाती है उसका है .इस अनुभव को यहां भेजने वाले हैं प्रवीन चौधरी जी उन्होंने एक पीडीएफ के रूप में इसको लिखकर के ईमेल आईडी के माध्यम से मुझे भेजा है। उनके पत्र को भी मैं दिखाऊंगा साथ ही साथ और उनकी कहानी भी सुनाऊंगा । तो आप लोग ज्यादातर ऐसा करिए कोई वीडियो ज्यादा तर टेक्स्ट लिखते हैं तो उसे टाइप करके भेज दिया करिए ताकि उसको पढ़ने में बिल्कुल भी समस्या ना हो। हालांकि मैं पूरी कोशिश करता हूं कि सही ढंग से पढ़ लु क्योंकि कलेक्शन करते-करते मुझे थोड़ा प्रॉब्लम हो जाती है हालांकि कोई अच्छी तरीके से भेज देते हैं। और कोशिश सभी करते हैं ज्यादातर टेक्स्ट को आप टाइप करके भेजेंगे तो ज्यादा मुझे आसानी होगी तो चलिए इनका प्रवीण चौधरी जी का अनुभव है उसके बारे में बात करता है। काफी छोटा सा अनुभव इन्होंने भेजा है लेकिन इसको बड़े तरीके से बताया हैै। धर्म रहस्य के सभी दर्शकों को मेरा प्रणाम आदरणीय गुरु जी मेरा नाम प्रवीण चौधरी है। मैं एक बैंक में जॉब करता हूं मैं अपने साथ हुए पुराने अनुभव के बारे में आपको बताना चाहता हूंं। गुरु जी यह बात तब की है जब मैं 8 क्लास का बालक था यानी कि आठवीं कक्षा में थे व और मुजफ्फरनगर यूपी में अपने बुआ के साथ रहता था।उनके उस समय कोई संतान नहीं होने की वजह से उन्होंने मुझे अपने पास रखा थाा।
बेटे की तरह ही लाल पालन मेरी करती थी। मेरी बुआ जी स्वास्थ विभाग में काम करती थी। अब यह किराए के मकान पर रहते थे।वह मकान एक चोराहे पर था। और उसमें सालों से कोई नहीं रहता था। परंतु किराया सस्ता होने की वजह स हमने उसे ले लिया मकान के नीचे मकान मालिक जो थी उनकी दूध की दुकान हुआ करती थीं पड़ोस के लोगों ने भी पूछा तुमने यह मकान क्यों ले लिया है परंतु बताएं कुछ भी नहीं किसी ने परंतु किसी भी व्यक्ति ने हमें ऐसा कुछ नहीं बताया मेरी बुआ जी भगवान शिव की उपासक थी। और मैं भी उनकी तरह देखकर पूजा पाठ किया करता था। और मुझे पायलों की आवाज सुनाई देने लगी नोटिस किया तो मैंने पाया कि हर अमावस्या यानी अमावस को जिस दिन चांद पूरी तरह से डूब जाते हैं उसको अमावस्य कहां जाता है तो उस रात में कोई औरत नीचे से जो है छम छम करती आती और आंगन में नाचने लगती। और फिर वह बाद में छत पर चली जाया करती थी। परंतु अंदर कभी नहीं आती थी जहां पर इनका कमरा है मैंने अपनी बुआ से बताया पर वह मेरा वहम समझकर टाल दिया करती थी । धीरे-धीरे कई साल हो गए और मैं डर बढ़ता गया और 1 दिन मैं मेरे पिताजी आए हुए थे। तब मैंने उनको बताया था मेरी बुआ को भी बताई कि यह हर अमावस्या की रात को जो है 12:00 बजे के रात को करीब उठा देता है और आवाजे इसी को आती और मुझे कभी नहीं आती मेरे पिताजी हनुमानजी के भक्त हैं। पूजा पाठ किया करते थे। और उन्हें काफी सिद्धिया भी प्राप्त थी जैसे वीर की सिद्धि और माता काली की भी सिद्धि मुझे उस समय तक यह पता नहीं था। उन्होंने मुझे तक कुछ दिया परंतु स्पष्ट नहीं बता पाए आखिर यह सब क्यों होता है और इसके बाद उनको कहीं जाना भी था।
परंतु उन्होंने यह बात जरूर कहीं की या मकान बदल दो या क्योंकि यह मकान नाग के फन की तरह है जैसे कि नाग होता है। उस तरह से दिखने में इसका वास्तु ठीक नहीं है परंतु मेरी बुआ जी जो हैं। इस बात को नहीं सुनी और उन्होंने वह मकान नहीं खाली किया परंतु पापा ने मुझे एक ताबीज बनाकर दे दिया और कहा अब तुझे कुछ भी नहीं होगा तू डरना मत अबले इसको पहन ले। और 1 दिन अगर ऐसा हुआ कि मुझे यकीन ही नहीं हो रहा थाा। कि यह सच है या फिर सपना वह दोस्तों यह कि उस दिन भी वह भी अमावस्या की हि रात थी परंतु जो पहले आवाज उनको आती थी उनके साथ साथ दिखाई भी देने लगा जो मैं सुनता था छम छम की आवाजें मुझे सुनाई देती थी अब मुझे दिखने भी लगा मैं सोया हुआ था तभी यह एक औरत मैली सी साड़ी पहने हुए जो काफी गंदी थी। पहने हुए नीचे से जीने के रास्ते आते हुए पायल की आवाज छम छम करते हुए आंगन तक आई और नाचने लग गई और नाचने के बाद वह अंदर कमरे में गई और छत पर लगे हुए एक लंबा सा हुक था उसमें जाकर के फांसी लगा ली और कहने लगी कि तू भी मेरे साथ चल और मैं नहीं बोला कुछ उससे और बिल्कुल चुप रहा जब से वह आई थी। तब से मैं बताऊं बहुत ज्यादा बदबू आ रही थी। और वह सब मुझे सपना में दिख रहा था लेकिन ऐसा हो रहा था। कि जैसे हकीकत में हो रहा हो मैंने सब को यह बात अगले दिन बताइए फूफा जी को भी बुआ जी को भी उन्होंने आसपास के लोगों से पूछा था वह नहीं पता चला कि कोई यहां पहले किराए पर रहते थे। और एक औरत ने यहां पर फांसी लगा ली थी।
बहुत दिनों तक यह मकान खाली पड़ा हुआ था। और मकान मालिक के परिवार में भी कई मौतें भी हुई लेकिन जब से हमने मकान ले लिया है तब से सब ठीक चल रहा था बस हमें लोग परेशान थे। तब हमने भी वह मकान छोड़ दियाा मकान छोड़ने के 6 महीने बाद मकान मालिक फिर से हम लोगों के पास आया और बोला आपके आने के बाद से मैं काफी परेशान हूं। और आप फिर से चलिए और किराया आधा ही दे दीजिए परंतु उसको हम लोगों ने मना कर दिया और कहा तू अपना मकान बेच दे वरना तू भी परेशान रहेगा गुरु जी प्रणाम यह मेरा छोटा सा अनुभव थाा। मेरी उम्र अब 36 की है और मैं आगे भी ऐसा अनुभव भेजता रहूंगा जो मेरी जिंदगी में घटित हुआ हैै।
तो यह था अनुभव प्रवीण चौधरी जी का उनका ईमेल आईडी वगैरह सब दे दिया और वहां का फोटो वगैरह आपन देख ही चुके हैं तो किस प्रकार से इस प्रकार जान लीजिए कि लोगों की जिंदगी में कुछ इस प्रकार से अनुभव घटित होते हैं। और यह सब सच है और इसमें कोई झूठ नहीं हैै। लेकिन लोगों को इस पर विश्वास नहीं करते हैंं। क्योंकि जनता आधुनिक इतने हो गए हैं की ऐसी बातों पर विश्वास करना तो दुर सोचना भी नहीं चाहते खैर जो भी हो लेकिन आपके साथ भी ऐसी घटना घटित हुई है तो आपनी निश्चित रूप से हमारे जो dharamrahasya@gmail.com मेरा ईमेल एड्रेस है उस पर आप भेज सकते हैं। ताकि उसको आप अच्छे से और साफ-साफ लिख करके आप मुझे भेजिए और स्पेलिंग मिस्टेक्स मत कीजिए और अच्छे ढंग से लिखिए ताकि मैं उसको प्रकाशित कर सकूं और आप अपना नाम फोटो वगैरा भी भेज सकते हैं। अपने नाम से प्रकाशित करा सकते हैं। वीडियो को ताकि आप इस वीडियो के माध्यम से अमर हो जाए और कालो तक आपको जाना जा सके कि आपके जीवन में घटना घटित हुई मेरा उद्देश्य यहां पर डराना नहीं है। बल्कि बताना है की ऐसी चीजें होती हैं। अगर आपको यह जानकारी और इनके जीवन में यह कहानी घटित हुई अगर आपको पसंद आई हो तो इसे लाइक करें शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद।।