एक रात चुड़ैल के साथ
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे एक चुड़ैल से संबंधित अनुभव को और पढ़ते हैं। इनके पत्र को और जानते हैं कि कौन सा यह अनुभव है।
ईमेल पत्र-प्रणाम गुरु जी, मैं अपना नाम और पता नहीं बताना चाहता क्योंकि इससे मेरे परिवार के विषय में लोगों को पता चलेगा जो कि मैं नहीं चाहता। गुरु जी अब मैं अपनी इस कहानी को आपको बताता हूं। यह कहानी मेरे जीवन में आज से 16 वर्ष पूर्व घटित हुई थी। इस घटना के विषय में आज भी कोई यकीन नहीं करता है। उस वक्त मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और मैं गांव-गांव चूड़ी बेचने जाता था। इसी प्रकार मैं 1 दिन चूड़ी बेचते बेचते काफी दूर निकल गया। बगल में ही एक गांव था क्योंकि उस दिन चूड़ियां बिक रही थी। इसलिए मैंने सोचा चलो अगले वाले गांव से होते हुए अपने गांव वापस चला जाऊंगा। इसीलिए रात होने लगी थी फिर भी मैंने उस गांव में जाना चाहा। लेकिन? वहां पर कई सारे कुत्ते थे और सभी लोग यह जानते हैं कि रात के समय में किसी भी गांव में घुसना कितना कठिन काम होता है? गांव के कुत्ते मुझे देखकर भोंकने लगे। मुझे उनसे डर लगा तो मैंने सोचा सीधे इस रास्ते ना जा कर दूसरे रास्ते से गांव में घुसता हूं और मैंने एक दूसरा रास्ता यानी पगडंडी पकड़नी चाही मैं उस रास्ते पर चलने लगा और काफी चलने के बाद भी गांव में घुसने का रास्ता दिखाई नहीं दिया। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। लगता था जैसे मैंने कोई गलत रास्ता चुन लिया है और मैं आगे बढ़ता ही चला गया। मैंने सोचा इससे गांव की परिक्रमा तो हो ही जाएगी, लेकिन कम से कम कुत्तों से तो पीछा छूटेगा और कहीं ना कहीं कोई रास्ता तो अवश्य ही गांव के अंदर जाने का होगा। वहीं से अंदर जाकर कुछ लोगों को चूड़ियां दिखाता हुआ मैं वापस अपने गांव की तरफ मुड़ जाऊंगा।
लेकिन अचरज की बात है। मुझे कहीं पर भी कोई रास्ता गांव के अंदर घुसने का नहीं मिला। तभी थोड़ी दूर एक झोपड़ी दिखाई पड़ी। मैंने सोचा चलो आखरी बार इस झोपड़ी में ही अपनी चूड़ियां बेच दूं। मैं उस झोपड़ी के पास जाकर चिल्लाने लगा और वहां के लोगों को बाहर लाने का प्रयास करने लगा कि यदि कोई इस झोपड़ी के अंदर होगा तो अवश्य ही बाहर निकलेगा। क्योंकि? मैंने बाहर कुछ कंडे सुलगते हुए देखे थे। इसलिए मेरा अनुमान था कि रात का भोजन बनाने की तैयारी अंदर कोई ना कोई स्त्री कर रही होगी और अगर स्त्रियों को चूड़ी दिखाई जाए तो सभी बहुत अधिक पसंद करती हैं और अवश्य ही ले लेती हैं। इसलिए मैंने भी वह प्रयास जारी रखा तभी अचानक से। मेरे पीछे से किसी के चलने की आवाज आई।
तभी मैंने पलट कर देखा तो सामने एक अति सुंदर स्त्री मेरी तरफ चलती हुई आ रही थी।
और तब मैंने उससे कहा, सुनिए चूड़ी ले लीजिए। और देखना चाहे तो देख सकती हैं, वह नहीं रुकी। फिर मैंने दोबारा उन्हें आवाज दी। तब भी उन्होंने अनसुना किया और फिर तीसरी बार जब मैंने आवाज दी तो वह पलटी और मुस्कुराने लगी। उसने कहा कि आखिर तुमने तीन बार मुझे पुकार ही लिया। अब जब तुम इतना ही कह रहे हो तो चलो मुझे चूड़ी दिखाओ। मैंने उसे कई सारे रंग की चूड़ी दिखाई। तब उसने कहा, मुझे तो सिर्फ लाल रंग की चूड़ी पसंद है। वही दिखाओ। मैं उसे चूड़ी दिखाने लगा। तब उसने कहा, मुझे सारी लाल रंग की चूड़ियां दे दो। मैंने कहा ठीक है। मैंने कहा, इसके ₹500 हो गए हैं। क्योंकि तुमने तो मेरी सारी चूड़ियां ले ली है तब उसने कहा, कोई बात नहीं। मैं तुम्हें ₹500 दे दूंगी और तब उसने कहा मेरा घर यही पास में है। मैं तो अपनी सहेली से मिलने के लिए आई थी जो शायद अंदर होगी, कुछ काम कर रही होगी। अब तुम्हें अगर पैसा देना है तो मेरे घर तक तो चलना पड़ेगा। मैंने कहा, इसमें कोई समस्या नहीं है। मैं तो इस गांव के अंदर घुसने का प्रयास कर रहा था, पर मैं घुस नहीं पाया। कुत्तों ने मुझे दौड़ा दिया था। अब आपके साथ मेरी बोनी हो गई है इसलिए मैं खुश हूं। चलिए बताइए, आपका घर कहां पर है? और मैं उसके पीछे पीछे चलने लगा।
थोड़ी दूर जाने के बाद वह एक सुनसान रास्ते और खेतों की ओर चलने लगी। तब उसने कहा मेरा घर थोड़ा दूर है इसलिए आप अपना यह सारा सामान! यही छोड़ दीजिए और मेरे साथ आगे चलिए। मैंने कहा, क्या मेरा सामान कोई चुरा तो नहीं लेगा? तो उसने कहा, मैं वादा करती हूं। तुम्हारा सामान कोई छुएगा तक नहीं। मैंने उसकी बात पर विश्वास कर लिया और अपना सारा सामान छोड़कर उसके पीछे-पीछे चलने लगा। थोड़ी देर बाद दूर जलती हुई एक चिता दिखाई दी और उस तरफ वह जाने लगी तो मैंने पूछा कि क्या यह शमशान घाट है क्योंकि मुझे लकड़ियां बड़ी मात्रा में जलती हुई दिखाई दे रही हैं तो वह कहने लगी। हां, मेरे घर का रास्ता इधर से होकर ही जाता है। क्या तुम डर रहे हो, मैंने कहा जब एक औरत होकर आपको डर नहीं लगता तो मुझे क्यों लगेगा मैं? पीछे पीछे चलता जा रहा था पर सच बताऊं तो मुझे अब डर लगने लगा था क्योंकि मैं चिता के बगल से होकर गुजरने नहीं चाहता था किंतु मेरे पास और कोई विकल्प मौजूद नहीं था क्योंकि अब मुझे अपने पैसे तो लेने ही थे और ₹500 उस समय बहुत बड़ी धनराशि होती थी। हालांकि वह माल मात्र ₹100 का ही था, किंतु हमें तो अपना फायदा देखना होता है। 5 गुना अधिक कीमत मिल रही थी और उसने कोई मोल भाव भी नहीं किया था। इसीलिए मैं बहुत खुश था। अब एक स्थान पर पहुंच कर वह कहने लगी। मुझे अंदर जाने दो मैं अंदर से होकर आती हूं। वहां पर एक बड़ा सा पेड़ था। उसने जब यह कहा तो मैं हंसने लगा। मैंने कहा, यहां कहीं घर तो दिखाई भी नहीं रहा और आप कह रही हो कि मुझे अंदर जाने दो फिर वापस मैं।आती हूं तो वह कहने लगी। अरे तुम यहीं रुको ना मैं बस अभी तुम्हारे लिए पैसे लेकर आती हूं।
और गुरु जी उसके बाद का नजारा जो मैंने अपनी आंखों से देखा था और आज भी उसके बारे में सोचता रहता हूं। कुछ लोग कहते हैं। मैं दारू पीकर ऐसी बातें करता हूं। पर यह बात पूरी झूठी है। मैंने दारु नहीं पी थी। गुरुजी सच बताऊं वह स्त्री उस पेड़ के अंदर चली गई। मैंने जब यह देखा तो मेरे होश उड़ गए। मैं समझ गया। यह कोई चुड़ैल है। वह मेरी चूड़ियों के साथ ही उसके अंदर चली गई थी। गुरु जी मैंने अब वहां रुकना बिल्कुल ठीक नहीं समझा। मैं उल्टे पैर बहुत तेजी से पलट कर भागा और भागता ही रहा। मुझे यह भी याद नहीं कि मैंने अपना सारा सामान कहां छोड़ा था और मैं सीधे अपने घर पहुंचा। अपनी पत्नी को यह सारी बात बताई। तब वह कहने लगी कि मुझे आज बेवकूफ बनाने के लिए यह सारी बातें कह रहे हो। मैंने यह बात बहुत लोगों को बताई पर आज तक कोई इस पर विश्वास नहीं करता है। लेकिन अचरज भरी बात उसके ठीक सातवें दिन घटित हुई। गुरु जी एक बार फिर से मैं अपना सामान ढूंढने के लिए हिम्मत करके उस गांव की ओर बढ़ा और उस जगह पहुंचा जहां पर वह कुटी मौजूद थी। वहां से फिर आगे बढ़ कर उस स्थान की ओर गया जहां पर वह मैंने अपना सारा सामान छोड़ा था। अचरज भरी बात तो तब थी गुरुजी की वहाँ सामान अब भी सुरक्षित पड़ा हुआ था । उस चूड़ी के सारे समान के साथ उसके ऊपर 500 का नोट रखा हुआ था । क्या कोई इस बात को समझा सकता है ? तो गुरुजी क्या था इसका सत्य मुझे समझाइए क्या सच मे वह कोई चुड़ैल थी ?
संदेश-तो इस प्रकार से इन्होने यहाँ पर अपना अनुभव भेजा है निश्चित रूप से वह कोई चुड़ैल ही थी और आपके क्या विचार हैं नीचे कमेंट बॉक्स मे बता सकते हैं तो यह था आज का अनुभव अगर आज का विडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करे शेयर करे subscribe करे आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ॥