कभी भी किसी के गुरु या पंथ का अपमान ना करें सच्चा अनुभव
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज सरस्वती जी ने अपना दूसरा अनुभव भेजा है और अनुभव के माध्यम से वह बताना चाहते हैं। कि संसार में सभी प्रकार की शक्तियां मौजूद हैं तो कोई अगर यह सोचता है दुनिया में कि मेरा प्रभु मेरा ईश्वर या मेरा जो आराध्य देवी उसके अतिरिक्त दूसरे कोई देवी देवता नही होते हैं। तो वह गलत सोचता है ईश्वर ने इतनी बड़ी प्रकृति भिन्न-भिन्न रूपों में इसीलिए बनाई है। विभिन्न देवी-देवताओं का निर्माण किया गया है। कि सबकी धर्म और समाज सब को माने हां यह जरूर है कि अपने को पुजना चाहिए और उनके प्रति समर्पित रहना चाहिए। और उसी के माध्यम से परमात्मा को प्राप्त करना चाहिए। लेकिन किसी अन्य धर्म संप्रदाय के किसी भी देवी देवता का भी अपमान नहीं करना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं। तो आप को दंड देना स्वभाविक हो जाता है। आप को दंड मिलता ही है। चाहे आप कितने भी बड़े भी देवी देवता की उपासना कर रहे हैं। इस कहानी और कथा के माध्यम से सरस्वती जी के खुद के शब्दों में आप इस रहस्य को जानेंगे और आपको पसंद आता है। तो लाइक करें शेयर करें सब्सक्राइब करें उन्होंने कहा है तो चलिए शुरू करतेेे हैं उनके पत्र को प्रणाम मित्रों धर्म रहस्यय चैनल को मेरा बहुत-बहुत प्रणाम। जैसा कि मैं पहले वीडियो रिकॉर्डिंग भेज चुका हूं। था कि रुक रुक कर के मैं अपने अलौकिक घटनाएं अपने जीवन के आपको भेजता रहूंगा। मैं आपको यह बतला देना चाहता हूं जो मेरे साथ में घटना घटी में गायत्री उपासक निराकार परमपिता परमात्मा का उपासक रहा हूं। क्योंकि मेरे गुरु ने जैसा मुझे ज्ञान दिया मैं उसी के आधार पर चलता रहा और मैं कभी मूर्ति पूजा में इतना विश्वास नहीं रखता था।
तो आज से 5 साल पहले की घटना है जिसने मेरे जीवन को ही बदल कर के रख दिया और मेरी सोच ही बदल दी यह आज से 5 साल पुरानी बात है। 2013 20 जुलाई और 18 जुलाई की बात ऐसी हुई कि मैं गायत्री उपासक बहुत पहले से ही अपनी साधना करता रहा हूं। और मेरी वाइफ ने जो है 2013 18 जुलाई से पहले एक हफ्ता पहले उसने गुरु मंत्र बाबा बालक नाथ जी से ले लिया जो हमारे घर के थोड़ी दूर पर लुधियाना में बाबा बालक नाथ का मंदिर है मेरी वाइफ ने उन्हीं का मंत्र प्राप्त किया था और वह गुरु मंत्रर जाप करती थी। तो करके हूं गुरु मंत्र जाप 3:30 बजे उठना 4:00 बजे जाग जाना होता था तो एक दिन मेरे मन के अंदर थोड़ा गलत विचार आ गया मैं उसको गलत ही। कहूंगा क्योंकि गलती अगर होती है तो उसे गलत ही। कहना चाहिए अगर मन में भी कोई विचार आता है तो वह भी गलत है। तो वह भी कर्म हमारा गलत है। तो मैं सभी को बता देना चाहता हूं तो मेरे मन के अंदर एक विचार आया कि जितनी ओरते होती हैं वह लगभग गुरु के पीछे बहुत ज्यादा समर्पित हो जाती हैं और देखो अब सुबह उठ गई है 3:30 बजे उठकर के नहा धोकर पूजा पाठ करने बैठ गई है। अगर मैं चाय के लिए कहता तो हो सकता है चाय के लिए मुझे मना कर देेेती कि आप बना लो या मैं बाद में बना दूंगी नींद आ रही हैै। मैं यह सुबह 4:30 4:45 बजे मैंने भी अपनी क्लास में जाना था योगा सिखाने के लिए तो मैं भी उठ करके सुबह उठ करके मैं भी अपना थोड़ा बहुत गायत्री जाप करता था। तो जब मैंने देखा विचार मेरे चल ही रहे थे तो कि मुझे मेरे साथ में जो घटना घटी तो मेरे साास आना मेरा बंद हो गया 2013 18 जुलाई की बातें तो मेरा साथ आना बंद हो गया तो मैं घबरा गया। और अंदर से मेरी आवाज आ रही थी जैसे कोई बोल रहा था कि बोल जय बाबा बालक नाथ की बोल जय बाबा अंदर से मेरी आत्मा ऐसे बोल रही थी। बोल जय बाबा बालक नाथ की तो मेरा अंदर से ही मैं अपने आप अपने आप ही सवाल कर रहा था।
कि मैं क्यों बोलूं जय बाबा बालक नाथ की मैं तो गायत्री उपासक हु और यह इतना ज्यादा ऐसा हुआ कि मेरा सास ना बाहर आ रहा था ना अंदर आ रहा था तो मैं जब देखा कि मैं अब गिरने वाला हूं और मुझे साक्षात मौत नजर आ रही थी। मेरा सास बिल्कुल बंद हो गया था हो सकता है कि 1:30 मिनट हो गया है यह 2 मिनट हो गया है जब मैं गिरने लगा बिल्कुल तो साथ में ही मेरा बेटा और मेरा छोटा भाई भी सोया हुआ था तो उस उनको भी कुछ यह नहीं हुआ कि चलो उठकर देखते हैं कि क्यों ऐसा बोल रहे हैं। मैं अपने मुंह से आवाज निकाल रहा था कि किसी तरह मेरा सांस बाहर आए या अंदर आए तो कुछ नहीं हुआ तो जब मेरी आवाज सुन कर के मेरी वाइफ नीचे कमरे में बैठ कर के जो मंत्र जप कर रही थी। तो उसने चिलाई और कहा बेटा तेरे पापा को क्या हो गया जल्दी से उठ जाओ 5:00 का टाइम था तो उस समय बेटे ने लाइट जलाई और मेरी वाइफ भाग करके आई और उसने जैसे ही मेरे जो है कमर पर हाथ रखा और पुछी क्या हो गया आपको क्या हो गया तो जब उसने ऐसे कमर पर मेरे हाथ मारा कहा तो मुझे मुंह से मेरे पानी झाग और मेरा मुंह से निकला तो मैंने सोचा मैं पानी पी रहा था हो सकता है इसलिए यह सब निकल रहा है मेरे मुंह के अंदर से सास आना बंद हो गया तो मैं आयुर्वेद का भी ज्ञान रखता हूंं। तो मैं यह सोचता रहा ही कोई बीमारी तो है नहीं फिर मैंने अपने बेटे से कहा बेटा देखो मुझे कभी भी मौत आ सकती है। आज मेरे साथ में जो घटना घटी है तो मुझे बड़ा महसूस हुआ और फिर मैंने यह बात किसी को नहीं बतााई मेरे मन के अंदर ऐसा चल रहा था वह मुझे घटना तब क्लियर हुई उसके 2 दिन बाद मैं बैठा हुआ थाा। और बैठने के बाद में मेरे बेटे ने कहा कि पापा जी हमने चिकन बनाना है मैं बोला हमारे घर में तो चिकन क्या अंडा भी नहीं बनता और हम लोग तेरी दादी तो प्याज भी नहीं खाती। तो उसने कहा कि हम छत पर बना लेंगे तो मैंने कहा ठीक है।
देख लो जैसा तुम लोगों को ठीक लगे पर गंदा मत करना कहीं भी और बर्तन भी अलग रखना तब मेरी वाइफ ने मुझे बुलाकर कहा कि देखो यह जो तुम कर रहे हो वह ठीक नहीं है। और बच्चों को मना करो कि चिकन मत बनाए छत पर भी क्योंकि बाबा बालक नाथ जी की ज्योत जलती है। तुम भी पूजा पाठ करते हो और इन सब बातों को नहीं मानते मैंने कहा चलो ठीक है कोई बात नहीं अगर बच्चे यहां नहीं खाएंगे कहीं और खाएंगे तो वहां पर दारू भी पिएंगे सिगरेट भी पिएंगे इससे अच्छा कि हमारे सामने ही। चिकन खा ले इसमें क्या बुराई है। बाद में धीरे-धीरे हम समझा देंगे कि बेटा यह सब चीजें अच्छी नहीं हैै। वाइफ ने कहा जैसी आपकी मर्जी जैसे बाबा की मर्जी तो मुझे एकदम बहुत महसूस हुआ कि उसने कहा है वो नर्वस हो करके की जैसी आपकी मर्जी जैसे बाबा जी की मर्जी तो मैं ऊपर छत के ऊपर फर्श पर बैठ गया गैलरी में तो मेरा ब्रदर आया हुआ था तो चिकन वगैरह बनाना आता है। मैं भी कहने लगा कि चिकन बनाना मुझे भी सिखा करके जाना कभी लाइफ में बनाना ही पड़ जाए तो चिकन बनाना सीख ही रहा था तो उसी समय अचानक ही जो हुआ मेरे साथ में तो मुझे नहीं पता लगाा क्या हुआ एकदम अचानक से मेरे दोनों हाथ बहुत तेजी से घूमने लगे। और मेरी गर्दन इतनी तेजी से घूमने लगी तो मेरा चश्मा जो था वह काफी दूर गिर गई और मैं मेरा बेटा मुझे देखने के लिए आया पापा देखो चाचा जी देखो पापा जी को क्या हो गया। शायद कोई दौरा पड़ गया है कैसे बहुत जोरों से सिर हिला रहे हैं। हाथ हिला रहे हैं ।अभी 2 दिन पहले तो इनक ऐसा हुआ थाा। आप पता नहीं क्या हो गया है। तो बेटा मुझे रोकने के लिए आया तो उसको मैंने पता नहीं हाथ मारा और वो मेरे से अलग हटकर के खड़ा हो गया फिर मेरे भाई ने मेरे से पूछा कि कैलाश भाई आपको क्या हो गया क्या हो गया तो उसी समय मेरे मुंह से आवाज बड़ी जोर से इतनी कड़क आवाज निकली बंद करो यह सब मेरा भाई हाथ जोड़ने लगा और कहने लगा कि अच्छा जी अच्छा जी बंद करते हैं। तो उस समय जो है वह चिकन बाहर निकाला भी नहीं था। खाली प्याजी तला ही था और शिमला मिर्ची तली थी तो बंद कर दिया गया बंद करने के बाद मेंरी पत्नी जो है
वह अपना पूजा पाठ कर रही थी तो वह दौड़ कर के ऊपर आई कि शायद भाई भाई आपस में लड़ पड़े हैं । जोर से तो कभी बोलते नहीं इतनी जोर से बोल रहे हैं। क्या हो गया तो जब उन्होंने आकर मेरे सर पर हाथ रख कर के पूछा क्या हो गया आपको तो आप मैं तो होश में नहीं था मैं अपने हाथ घुमाए जा रहा था तो मेरे मुंह से निकला कि अगर बत्ती जलाओ इस घर में यहां पर तो उसने फिर मेरे आगे अगरबत्ती धूप बत्ती जला कर के रखी उसका धुआं जब कि मुझे पसंद नहीं आता है।पर वह अगरबत्ती का वह धुआ मुझे ऐसे लगा जैसे मैं बहुत अच्छी चीज खा रहा हूंं। मै सेंस में मैं जरूर था पर मैं अपने आप को काबू नहीं कर पा रहा था। जैसे कोई नशे में बहुत ज्यादा हो जाता है आज बुध रहती है वह अपने सुध बुध में नहीं रहता तो मेरे साथ में जब यह घटना घटी तो उसके बाद में मैं ठीक हो गया ठीक होने के बाद में वाइफ ने मेरे से पूछा कि क्या हो गया था। आपको तो मैंने कहा मुझे तो खुद नहीं पता क्या हो गया मैं तो चिकन बनाना सीख रहा था। तो वाइफ को एकदम समझ आ गई क्या आप आप समझ आया आपको क्या हुआ क्या लगा कि आपके ऊपर जो है वह बाबा बालक नाथ जी की या कोई भी शक्ति आपको आ करके मना कर गई हैै। कि ऐसे नहीं करना तो मैं भी हैरान हो गया कि इन चीजों को मैं मानता ही नहीं हूं भूत प्रेतों को मैं नहीं मानता मैं जो सिर हिलाते हैं मैं उनका भी नही मानता हूं मना करता हूंं। कि यह गलत है यह सब पाखंड है तो जब मेरे साथ में यह हुआ तो मुझे कहानी सब समझ में आ गई कि जो 2 दिन पहले हुआ मेरा सांस रुका था। तो मेरी विचारधारा गलत होने के कारण रुका था। और यह कोई दैविक शक्ति थी। जिसने मेरे ऊपर प्रहार किया तो आज उस दिन जो आत्मा हैै।
या कोई भी व्यक्ति मेरे ऊपर आई तो न जाने कौन सी शक्ति मेरे ऊपर आई क्योंकि मैं गायत्री उपासक हूं। क्योंकि मैं तो मंदिर गया और मंदिर जाकर के मैंने बाबा बालक नाथ जी के मैंने मत्था टेका और क्षमा मांगी कि मैं कभी ऐसी गलती नहीं करूंगा और यह सोच कर कि कि फिर भी मुझे संतुष्टि नहीं हुई। यह जानने के लिए कि मैं मन के अंदर यही रहा कि कौन सी ऐसी दिव्य शक्ति आई थी तो यह जानने के लिए मैंने बहुत से जो सर हिलाते कोई बतला देते थे या कोई सिर हिलाकर कहते हैं देवी आती है बहुत से मैंने पूछा मुझे कभी संतुष्टि नही हुई कोई कुछ बोलता था । 4 साल बाद ही मुझे किसी एक लेडी थी मैं उसके पास में गया तो मैं पुछा मेरे दो ही सवाल है क्या आप मुझे बता सकते हैं कि साल 2013 20 जुलाई को मेरे ऊपर कौन सी दिव्य शक्ति आई थी। तो उसने फटाक से बोल दिया आपके ऊपर बाबा बालक नाथ जी आए थे। तो मैंने कहा आप किस दावे से कह सकते हो कि बाबा बालक नाथ जी हैंं। तो वह गुस्से में कहने लगी तो क्या मैं झूठ बोल रही हूं तो मैंने कहा ठीक है वाइफ ने मेरे इशारा करके कहा कि अब आप समझ गए चुप हो जाओ।
और इनसे बहस मत करो फिर मैंने दूसरा सवाल उनसे रखा कि क्या मुझे आप बता सकते हैं जो मैं साधना कर रहा हूं मां काली की और भैरव की क्या मुझे उनमें कृपा मिलेगी उन्होंने फिर यही कहा कि इसमें तो हम आपको कुछ नहीं बता सकते यह उन पर डिपेंड करता है कि आपको कृपा मिलेगी या नहीं तो यह मेरा जो है जीवन का रहस्य था जो मेरे साथ में यह घटना घटी और इसी से जुड़ी घटना में आपको फिर आगे चलकर के बदतला लूंगा कि क्या मेरे साथ में हुआ फिर उसके पाच साल बाद में जो मेरे साथ में हुआ तो वह भी एक अनोखी घटना मेरे साथ में घटी क्योंकि जो वहां पर बाबा बालक नाथ जी के जो शिष्य हैं वह संत तुलसीदास जी हैं संत तुलसीदास जी के जो शिष्य तरसेम लाल जी हैं और संत रसीला राम जी के लड़के जो है वह संजीव कुमार लुधियाना में सिद्ध बाबा बालक नाथ जी की गद्दी पर अभी भी विराजमान हैं। और वहां पर बहुत मान्यता है तो ही मेरे जीवन की घटना है इसलिए इस घटना ने मुझे मजबूर कर दिया कि यह दिव्य शक्तियां होती हैं ।और भूत प्रेत भी होते हैं। और आप यह मत समझो कि आप गायत्री उपासक हैं तो आपके ऊपर कोई दिव्य शक्ति नहीं आ सकती जबकि मैं सोचता था कि मेरे ऊपर कोई भी छोटी मोटी बला नहीं आ सकती और यह बात सच है कि कोई भी जो शक्ति आती थी तो वह बहुत ही बड़ी आत्मा या दिव्य शक्ति ही मेरे ऊपर आई थी तो जो मुझे बाद में पता लगा कि बाबा बालक नाथ जी ही। यह मैं दूसरी घटना भेज रहा हूं यह इसमें बिल्कुल सत्य है और मेरी तरफ से सभी को नमस्कार अगर आपको यह अनुभव अच्छा लगा हो। तो लाइक करें शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद।।
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