जय मां पराशक्ति चरण स्पर्श गुरुदेव गुरुमाता के भी चरण स्पर्श ।
गुरु जी मैं आपसे एक प्रोब्लम शेयर करना चाहता हूं।
मेरा नाम राहुल कुमार है। मैं झारखंड के चतरा जिला में रहता हूं और इंटर कि पढ़ाई कर रहा हूं। अभी मेरी उम्र 20 वर्ष है। अगर आप विडियो बनाते हैं तो कुछ भी न बताएं गुरु जी। प्लीज़ ।
गुरु जी मैंने आपको बताया था कि मैं इस शक्ति से छुटकारा पाने के लिए दुर्गा कवच और देवी अथर्वशीर्ष साधना कर रहा हूं।108 पाठ 7 दिन में पूरा करने का संकल्प लिया था।
लेकिन जब मैंने पहले दिन पाठ किया तो ऐसा लगा जैसे कि मेरी हड्डियां अकड़ रही है। फिर दूसरे दिन जब मैं आपका ध्यान किया और फिर कुछ देर के लिए आंखें बंद कर आराम करने लगा। क्यूंकि जब मैं आपका ध्यान करता हूं तो तंद्रा अवस्था में चला जाता हूं। जब मैं सिर्फ 20% सोया था तभी वह शक्ति बहन के रूप में 18 से 20 साल कि उम्र में आईं। जबकि मेरी छोटी बहन सिर्फ 17 साल कि है। तभी मैंने देखा कि एक तरफ वह संभोग करने कि कोशिश कर रही थी पर मैंने जब नहीं किया तो वह मेरे घर में बेड पर मम्मी के साथ बैठकर मुझे कामुक करने के लिए अपने स्तन को दिखाईं और फिर स्तन पर ही अपनी योनि दिखाई। मैं डर कर उठ गया। फिर उसी रात जब मैं सोया तो एक व्यक्ति मेरे साथ रहता जो मुझे हर संकट और लोगों बचाता था। फिर मैं अपने घर से दूर जा रहा था तभी एक योगनी जी मुझे दिखाई दीं मुझे उनसे बात भी हुआं और कहीं कि मेरा ये नाम है तभी मैंने सोचा कि ये साधना तो गुरु जी के चैनल पर डाला हुआ है। लेकिन तुरंत ही मैं उस योगिनी का नाम भूल गया। और फिर मैं वहां पर पहुंच गया और उसने कहा कि मुझे नींद आ रहा है तो मैंने कहा कि तुम्हें भुख प्यास और नींद भी आता है। फिर मैंने कहा कि ठीक है अब तुम जाओ। और इसके बाद मेरा निंद टुट गया गुरु जी। तीसरे दिन वह स्वप्न में संभोग क्रिया करने कि कोशिश कि पर नहीं कर पाईं और चली गई।
चौथा दिन मुझे इतना कामुक विचार आने लगे कि अब मैं ब्रम्हचर्य नाश कर दूं। पर मैंने कुछ भी नहीं किया।पर पांचवें दिन मैं लेट से उठा पता नहीं क्यूं। और उस दिन मैं सिर्फ गुरु मंत्र का 5 माला जप किया। और न देवी अथर्वशीर्ष पाठ और न ही कवच पाठ कर पाया। गुरु जी उस दिन जब मैं गुरु मंत्र जाप कर। मानसिक जाप कर रहा था तब ही ऐसा लगा जैसे कि बहन मेरे पास आई है मुझे लगा कि मोबाइल लेने आईं हैं और लेकर चलीं जाएगी।पर मैं आंखें बंद होने के बावजूद भी दाईं तरफ साफ देख पा रहा था कि बहन बहुत गुस्से में और जोर जोर से सांस ले रही हैं और जैसे कह रही हो कि ये साधना बंद करा ही कि न। गुरु जी मैं उसके सांस को साफ साफ सुन पा रहा था। तभी मुझे बहुत गुस्सा आया कि ये साधना से बहन को क्या प्रोब्लम है। तभी मैंने तुरंत आंख खोला तो कोई भी नहीं था वहां पर। मैं बहुत अचरज में पड़ गया और फिर आरती किया और सोचा कि शाम को दोनों पाठ करुंगा। क्योंकि मैं देवी कवच का सुबह में पाठ पुरा नही कर पाता था इसलिए शाम को करता था। लेकिन मुझे क्या पता था कि पांचवें दिन मेरा साधना खंडित हो जाएगा। गुरु जी शाम हुआं तो मेरा मन बिल्कुल भी साधना करने के लिए नहीं कर रहा था। और हुआं भी ठीक ऐसा ही ये पहली बार नहीं था कि मेरा मन साधना करने को नहीं कर रहा हो ये तो दूसरे दिन से ही ऐसा लगने लगा था। गुरु जी मैं अपनी बहन से बहुत प्रेम करता हूं। क्यूंकि मेरी एक ही छोटी बहन है। उससे मैं बहुत ज्यादा मज़ाक़ और हल्का फुल्का मार पीट भी करता हूं।पर उस दिन पता नहीं क्यूं बहन पर बहुत तीव्र कामुकता दौड़ी। और कुछ देर बाद जब मैं मज़ाक़ कर रहा था तो ऐसे ही या जानबूझकर कर कहिए। जब वह शक्ति पहले भी बहन के रूप में शारीरिक शोषण करने आती थी। तो मुझे बहन पर ही शक होने लगा क्यूंकि पहले वो किसी और रूप में आतीं थीं।पर जब से मैं गुरु मंत्र लिया हूं तब से बहन के रूप में ही आतीं हैं और मैं बहुत उदास हो जाता हूं क्योंकि अपने बहन के साथ ऐसा होना बहुत ही कष्ट दायक होता है। इसलिए मैं उस दिन भी बहन से मज़ाक़ और थोड़ा मार पीट कर रहा था पर फिर मैं बहन में शट गया और 10 से 15 सैकेंड में ही ब्रम्हचर्य नाश हो गया।
क्यूंकि मुझे अच्छे पता है कि इतने समय में मेरा ब्रम्हचर्य नाश नहीं हो सकता है फिर ये कैसे हुआ और बहन ने मुझे दूर क्यूं नहीं किया मुझे बहन पर बहुत गुस्सा आ रहा था और शक भी कि यही कोई बुरी शक्ति के रूप में मेरी बहन के रूप में जन्म तो नहीं ली है। और मैं उदास हो कर शाम को ही सो गया। और खुद को बहुत ज्यादा कोशने लगा क्यूंकि मुझे खुद पर बहुत घृणा हो रहा था कि मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं। क्यूंकि मैंने पहले गुरु जी को बोला था कि चाहे कुछ भी हो जाए।मेरी कामुकता का शिकार कभी भी कोइ स्त्री नहीं होगी। और मैंने ये भी कहा था कि अगर ये सब बंद नहीं हुआ तो मैं अपने आंखों को अंधा कर दूंगा।तो मैं तैयार हो गया और फिर नींद आ गया और पता नहीं क्यूं मम्मी पापा दूकान को बंद करके 9 बजे आते थे पर उस दिन 8 बजे थें और पापा को लगा कि 9 बज गया है तो फिर मम्मी पापा आएं और घर मुख्य दरवाजा बंद कर दिए। दुकान गुरु जी अपने ही जमीन में घर के आगे है 10 से 15 कदम। फिर मेरा निंद टुट गया और मैंने सोचा कि आंखों को अंधा करने के लिए अकौन का दूध कैसे लाऊं।अब तो मैं नहीं ला पाऊंगा। क्यूंकि मम्मी पापा देख लेंगे। गुरु जी मैंने मम्मी को कहते सुना है कि अकौन का दूध आंखों में डालने से व्यक्ति अंधा हो जाता है। जो कि मैं उसका आपको फोटो भी भेजा हूं। फिर मैं चुपचाप खाना खाया और अपने पूजा कक्ष में सोने चला गया। और सोचा कि अंधा नहीं हो पाया तो क्या हुआ।अब मैं अपने प्राण ही त्याग देता हूं और मैं ररसी या कोई लंबा कपड़ा खोजने लगा पर वह रुम पुरी तरह ख़ाली था क्योंकि मैं जिस रुम में सोता हूं उसी रुम में पुजा करता हूं। तो वह रुम में नीचे जमीन पर सोता हूं क्योंकि मुझे ऐसों आराम कि जिंदगी अच्छा नहीं लगता है।तो फिर मैंने सोचा कि क्यूं ना कृत्या मारण मंत्र का प्रयोग खुद पर कर लूं। फिर मैंने मोबाइल में सर्च किया तो सर्च मंत्र का कर रहा हूं और आ दवाई का रहा है। फिर मैंने मारण मंत्र सर्च किया तो गुरु मंत्र आ गया और उसमें लिखा था कि इससे भी मारण प्रयोग किया जाता है तो मैंने सोचा कि ये तो बहुत अच्छा है गुरु मंत्र है इसलिए जल्दी काम करेगा। और मैं तैयार था कल का सुरज न देखने के लिए। फिर मैंने सोचा कि मैं महाकाली मां का आवाहन करता हूं क्योंकि गुरु जी को इनके दर्शन भी प्राप्त हुएं हैं और गुरु जी तो इनके प्रिय पुत्र हैं तो मैं गुरु जी कि कसम दे दूंगा। महाकाली मां को। तों फिर मैं तैयार हो गया और मंत्र जाप करने के लिए सोचा ही था कि एक विचार आया कि।
महाकाली मां तो गुरु जी के पास से हो कर ही आएगी और गुरु जी उनको रोक देंगे। फिर मैंने आपको मां पराशक्ति कि कसम और आपके गुरु जी के कसम दे कर कहा कि आप मां महाकाली को आने से नहीं रोकेंगे। फिर विचार आया कि अब घर के कुलदेवी और पित्र देवता रोक देंगे तो मैंने उनको और सभी इस पास उपस्थित शक्तियों को मां पराशक्ति कि कसम दे दिया कि कोई भी मां महाकाली को नहीं रोकेंगे और न ही मेरी मृत्यु होने से रोकेंगे। और फिर विचार आया कि मां महाकाली आ भी गई तो मेरे पुन्य के कारण मेरा अंत नहीं करेंगी और फिर मैंने मन ही मन संकल्प लिया कि मैं अगर ग़लत हूं तो मेरा अंत हो जाएं और मेरा पुन्य मेरे गुरु जी को प्राप्त हो जाएं। और अगर मैं सही हूं मैंने कोई ग़लती नही किया हूं तो न मेरा अंत हो और न ही मेरा पुन्य गुरु जी को प्राप्त हो। और मैंने अपने पहले गुरु जी को भी मां गायत्री और उनके गुरु जी कि कसम दे दिया था। और मैंने मां महाकाली से कहा कि अगर आप मेरा अंत करने स्वयं नहीं आएगी तो किसी शक्ति को भेज दीजिए। लेकिन मेरा वध कीजिए और मेरा रक्त पान कीजिए अपने असुर पुत्र का। क्यूंकि गुरु जी इस कार्य के बाद मैं स्वयं को एक असुर समझने लगा था। और फिर मैं गुरु मंत्र का जाप करने लगा और एक मंत्र जाप करता और बोलता कि मेरा वध करो माता फिर दूसरा मंत्र जाप करता और बोलता कि मेरा रक्त पान करों माता। इसी के साथ जब मैं 10 से 15 जाप किया लगभग तो मेरे हृदय में बेचैनी उत्पन्न होने लगा और मैं खुश हो गया क्योंकि मुझे लगा कि मेरा पुकार मां ने सुन लिया है और सुनेंगी भी क्यूं न इसी समस्या से परेशान था तो मां पार्वती ने मुझे खुद सपने में आकर पुत्र कहकर मां पराशक्ति के बारे में बताईं थीं जो कि मैंने आपको टेलीग्राम पर बताया था।पर आपने कोई उत्तर नहीं दिए थे। मुझे लगा कि ये मेरा भ्रम होगा। फिर मैं अपनी आखरी रात समझकर खुशी से सो गया। और फिर रात को सपना आया कि मां है बहन है फिर मां अचानक से मुझसे झगड़ा करने लगीं और बोली कि जा मैं तुझे खाना नही दुंगी। कोई काम धाम नहीं करता है और घर में पड़ा रहता है।
फिर मां ने भैया को फ़ोन किया और बोली कि देख आ कर तेरा छोटा भाई कैसी कैसी गलतियां कर रहा है। जबकि मैं जानता था कि मैंने तो कुछ भी नहीं किया था। मैं निर्दोष हूं पर मां मुझ पे इल्ज़ाम क्यूं लगा रहीं हैं फिर भैया बाहर में रहते थे तो आएं और कहा कि ये सब का हो रहा है कौन सी गलती किया तुमने भैया ने गुस्से में पुछा तो मैंने कहा कि मैं तो सिर्फ मम्मी से खाना मांगने के लिए गया और मां बोली कि घर में चावल नहीं है और तुझे खाना दूं जबकि खाना बना हुआ था और चावल भी था। फिर भैया ने कहा कि तेरी कोई ग़लती नही है फिर मैं पापा को खोजने लगा तभी मुझे याद आया कि पापा तो मर चुकें हैं। सिर्फ हमलोग चार ही है पर मुझे याद आया कि भैया मरे हैं पापा नहीं फिर मैं उठ गया और फिर सोचा कि पापा को दो पंडित भी बोले थें कि आप 40 साल से ज्यादा नहीं जिएंगे। और अभी पापा कि उम्र 40 से 45 वर्ष के बीच में है तो कहीं पापा के जगह भैया तो नहीं मर गए क्यूंकि गुरु जी बड़ी चाची ने धन दौलत के चक्कर में ये किया। और मुझ पर भी मारण प्रयोग किया पर मैं छोटा सा एक्सीडेंट हुआ और मैं बच गया। भैया अग्नि बाण के कारण 2020 में ही मर गए थे। फिर मैंने खुद को कोशते हुएं बोला कि मुझे आज जो हुआ वो सब बताना चाहिए था। भैया को। पर अभी तक मैं जिंदा कैसे हूं फिर मैंने सोचा कि अभी तो रात ही है और अपनी मृत्यु कि कामना कर सो गया। और भैया पुरी रात मेरे साथ रहें और तरह तरह के जगह घुमाएं और हंसाना और मजाक करने के लिए सपने में अपने लोग भी मिलते थे। और इसी हंसी खुशी में मैं 6 बज के 50 मिनट में प्रसन्न मन से उठा। लेकिन गुरु जी सपने में एक जगह मैं बहुत डर गया जब मैं वहीं कपड़ा पहने हुए सपने में भैया और पापा ने मेरा वीर्य से भिंगा हुआ जिंस देख लिए और कहें कि ये सब क्या है तभी मैं बहाना बनाते हुए कहा कि कुछ नहीं बस पानी से भिंग गया है फिर पापा और भैया ने कहा कि सब समझा हिया तु आज फिर वीर्य नाश किया हैं न और मैं मुस्कुरा दिया फिर भैया और पापा भी मुस्करा दिए और कुछ नहीं बोले। और ये सपना भी यही तक चला। गुरु जी आज 10 बजे के 10 मिनट से लेकर 10 बजे के 20 मिनट एक बंदर को देखा मैंने।जब मैं ये सब लिख रहा था तभी मुझे अपने घर के आगे एक बंदर आ गया।
जबकि मेरे घर के5 से 10 किलोमीटर क्या बहुत बहुत दूर तक कोई बन्दर नहीं रहता है जो यहां आएं और बहुत ही उछल कूद रहा था।उसे देखकर एक पोजिटिव ऊर्जा का ऐहसास हुआं। और फिर मैंने हनुमान भैया से प्रार्थना किया कि मुझे अपने बन्दर स्वरुप के दर्शन कराइए। और फिर 2 मिनट बाद वह मेरे बगल के घर के छत पर जहां पर पेड़ भी है वही छत पर आएं और मुझे अपना मुख दिखाएं और मुझे भी उन्होंने ने देखा। गुरु जी जब मैं 8 से 10 साल का था तभी एक बड़े बड़े बन्दर को पापा ने दिखाएं थे। पर जो आज का बन्दर था वह बच्चा था और मैं उन्हें देखता और वह कभी पेड़ पर तो कभी घर कि छत पर चढ़ कर मुझे देखने लगा और खेल भी रहा था पर जो गाड़ी से आ जा रहें थे वह नहीं देख पा रहे थे। मुझे लगा कि हनुमान जी तो नहीं है जो सिर्फ मुझे ही दिखाई दे रहे हैं तभी मैं उनकी एक फोटो खींचा ज़ूम करके दुर से।पर फोटो साफ नहीं आया वह फोटो भी मैं आपको भेज रहा हूं। गुरु जी मैं उनको 10 मिनट तक देखता रहा मुझे अच्छा लग रहा था उनको देखकर। तभी घर से दूर एक स्त्री जो कि 20 से 22 साल कि थी वह नहाने के लिए अपनी साड़ी उतार रहीं थी पर मैं उनको न देखकर बंदर को देख रहा था।पर जब उन्होंने ने अपना बिलोज बिना किसी कपड़े को झांके उतार रही थी तो मुझे बहुत गुस्सा आया कि रोड़ में आदमी आ जा रहें हैं और बोंडरी है तो बैठकर उतारतीं फिर मैंने उनको छोड़ा और बन्दर के तरफ देखा तो वह पेड़ पर नहीं था। मैंने खुद से कहा कि 4 से 5 सेकेंड में कहा ग़ायब हो गया। फिर मैं वहां से साइड हो कर अपनी दुकान कि तरफ आने लगा तो थोड़ा पीछे मुड़कर देखा तो वह इधर ही देख रही थी। मैं नहीं रुका और अपने दूकान में झट से आकर बैठ गया और तभी जिसके घर पर बंदर था सिर्फ उनकी ही आवाज आया कि पेड़ पर एक बंदर था। तब मुझे लगा कि उन्हें कैसे दिखाई दिये। गुरु जी इसके बारे में और उपर जो मेरे से सबसे बड़ी ग़लती हुआ है उसके बारे में मेरा मार्गदर्शन करें । मैं एक बात बता दूं कि गुरु जी जब ये शक्ति का प्रभाव नहीं होता है तो सारी स्त्रियां मुझे माता और बहन नज़र आती है चाहे इस शक्ति ने मेरे साथ बचपन से ग़लत करतीं आईं हो पर मां और गुरु जी का आपका आशीर्वाद मेरे सर पर तो बचपन से ही है।
गुरु जी एक बात और जब मैंने आपको बताया था कि मैं पिशाच और प्रेतनी का मंत्र जाप कर रहा था तभी मुझे लगा कि पूर्व जन्म में भी यही गुरु मंत्र का जाप करता था तो इतनी छोटी शक्ति को सिद्ध क्यूं किया मैंने।उस वक्त मैंने इसे अपना बहम समझकर आपको नहीं बताया।उसी वक्त मैंने दोनों का आवाहन किया और उनसे पुछा कि ये बताओं मेरे साथ ऐसा क्यूं हो रहा है तभी पिशाच ने कहा कि पूर्व जन्म में जब तुमने हम दोनों को सिद्ध किये थे तो हम कोई छोटी शक्ति नहीं थें। और तुम पैसे के लालच और नाम कमाने के चक्कर में इतने अंधे हुए की अगर कोई ग़लत कार्य करवाने आता तो तुम पैसे के लालच में बिना देखे कौन दोषी है उसका काम कर देते थे।इसी प्रकार एक दिन तुमने खुद को बड़ा रखने के लिए एक सीधे साधे भक्त पर जो श्री हरि विष्णु और राम जी परम भक्त था उन पर तुमने मारण प्रयोग किया।
और तुमने उन्हें मारने के लिए हम दोनों को भेज दिए। और जब हमने उनके प्राण लेने लगें तो उन्होंने सब कुछ जान लिया और कहा कि इतनी बड़ी शक्ति होकर काम पिशाच और प्रेतनी कि तरह करते हो। और वह अपनी शक्तियों कि घमंड इतना अंधा हो गया है कि खुद को सर्वश्रेष्ठ बनाएं रखने के लिए मेरी हत्या कर रहा है जा मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम दोनों पिशाच और प्रेतनी बन जाओ और वह जिस तरह से उसने इस जन्म में लोगों को कष्ट दिया है अगले जन्म में तिल तिल मरेगा वो और उनका तुमलोग ही करोगे। फिर मैंने पिशाच से पूछा कि इस जन्म में मैं तो गरीबों कि सहायता और अच्छे विचार वाला हूं और इतने अच्छे गुरु कैसे मिले मुझे। तभी उसने फिर बताया जब तुम्हें इस श्राप के बारे में पता चला तो तुम ने माता से क्षमा मांगी और अच्छे कर्म करने लगे जिसका कारण इस जन्म में ये सब हुआ है। फिर मैंने पुछा कि अगर पूर्व जन्म में इतना बुरा था तो डंड क्यूं नहीं मिल रहा था मुझे। फिर उसने कहा कि तुम दूसरे पूर्व जन्म में इतने पुन्य कीए थे कि तुम्हारे पूर्व जन्म में पापों का कोई असर नहीं हो रहा था। तो मैंने कहा कि तो फिर बताओं कि तुम लोग कौन हैं तो पिशाच और प्रेतनी ने कहा कि पहले हमें सिद्ध और प्रत्यक्ष करों। फिर हम वहीं मंत्र देंगे जो पूर्व जन्म में जपते थें और अपने बारे में भी बताएंगे। इसके पहले हमलोग कुछ नहीं बता सकते हैं। गुरु जी इसके बारे में भी मार्गदर्शन करें ।
गुरु जी मैं आपकी भैरवी साधना करना चाहता हूं जिससे इनकी सिद्धि नष्ट हो क्योंकि मैं एक दो ही सिद्धि करना चाहता हूं ज्यादा नहीं। एक बार आपके भैरवी ने भी मुझे दंडित किए हैं जो कि मैंने स्वयं देखा हूं। और जब मैं ये दोनों साधना कर रहा था तो बार बार ऐसा लग रहा था कि इससे कुछ नहीं होगा भैरवी साधना करों। और मैं तैयार भी हो गया पर मां इस शक्ति का ऐसा हाल देखकर मुझे विश्वास था कि माता इसकी सिद्धि नष्ट कर देंगी। और मुझे फिर कोई साधना नहीं करना पड़ेगा और मैं मां का ही भक्त बन कर विवाह भी नहीं करुंगा और मां कि ही सिर्फ उपासना करुंगा। क्यूंकि मुझे अपने पुजा का फल दूसरे शक्ति को देने का मन नहीं करता है। इसके बारे में भी मेरा मार्गदर्शन करें । धन्यवाद गुरु जी
सन्देश- यहां पर आपने अपने अनुभव को लिख करके भेजा है। इसमें पहले बात की शरीर के अंदर जब कामवासना आती है तो ज्यादातर शक्तियां होती हैं। वह आपके रिश्तेदारों का ही रूप लेकर आती हैं ताकि मन से पूरी तरह पापी हो जाए। उनके जैसे लेवल पर पहुंचे उनके लिए ना तो रिश्ते कोई मायने रखते हैं। ऐसी चीजें तो काम पिशाच और ऐसी प्रेतनी। जो आपको कामुकता में फंसा कर आप का नाश करना चाहती थी और गलती से आप अपनी ही बहन के प्रति आकर्षित हुए और गलती से ऐसा आपके साथ हुआ है लेकिन आपने जानबूझकर कुछ नहीं किया है, प्रभावित होकर किया है इसलिए इससे दंड से मुक्ति के लिए आप देवी अथर्व शीर्ष 108 बार पाठ करें। निश्चित रूप से आपको मुक्ति मिल जाएगी दूसरी बात। आपने सही सोचा है अगर की सिद्धि आप करते हैं तो भैरवी इतनी शक्तिशाली होती है कि इस प्रकार के सारे भूत प्रेत पिशाच विभिन्न प्रकार की शक्तियां हैं। यह सब अधीन रहते हैं और इन को नियंत्रण में रखने की भी शक्ति आती है तो भैरवी कि अगर सिद्धि हो जाती हैं आपसे तो यह सारे आपके अधिक अपने आप अधीन हो जाएंगे और आपको खुद ही अपना मंत्र वगैरह बता देंगे और अगर आप इनकी साधना करते हैं तो फिर आप को अपने आप पर स्वयं पूर्ण नियंत्रण होना आवश्यक है।
अगर आप अपने पर नियंत्रण नहीं रख सकते हैं तो फिर इनकी साधना के बाद आपके अंदर ही जो भावनाएं यह भी हजार गुना और ज्यादा बढ़ जाएंगे। कामुकता इतनी ज्यादा भी दिखाई पड़ेंगी। इन सब बातों की गंभीरता को समझते हुए अपने सबसे पहले तो गुरु मंत्र का अनुष्ठान अच्छी प्रकार पूरा करें। हवन इत्यादि करें ताकि पॉजिटिव अंदर ज्यादा मात्रा में आती है। इसके बाद के भैरवी साधना कीजिए और अगर आप अपने आप को नियंत्रित करना सीख गए। तब इनकी साधना भी करके आप अपने लिए सिद्ध करके रख सकते हैं। और इनके प्रभावों से अपने आप को मुक्त भी कर सकते हैं और अपने नियंत्रण में भी रख सकते हैं क्योंकि शक्तियां। अपने गुणों को अपने साधक के ऊपर पूरी तरह डाल देती है। जैसे काम पिशाच है तो वह कामवासना डाल देगा। प्रेतनी है तो वशीकरण और गलत गतिविधियों में ,स्त्री का जो नहा रही थी उसे आकर्षित होना और आप स्वयं को बचाने के लिए कोशिश कर रहे थे। ब्रह्मचारी हनुमान जी के दूत बंदर का दिखना। इसी चीज को दर्शाता है तो शक्तियां जैसी आप सहायता मांगते हैं। उसी के अनुसार आपको सहायता देती हैं। तो आपको मैंने बता दिया, क्या हल है और इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण वही है कि सबसे पहले गुरु मंत्र का अनुष्ठान अच्छी प्रकार पूरा कीजिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा आपके अंदर? और दूसरी शक्तियों को आपके शरीर से बाहर होना पड़े। अगर उनका प्रभाव है तो और अगर इन्हीं शक्तियों को आप वश में करना चाहते हैं तो पहले भैरवी साधना करे और अगर इनको प्रत्यक्ष भी करना चाहते हैं। पूर्ण सिद्धि इनकी चाहते, क्योंकि पूर्व जन्म में आपने की थी तो अपने मन वासनाओं की तैयारी पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करें तो इनकी सिद्धि आपको हो जाएगी और आपके सभी प्रकार के कार्य करेंगे। लेकिन आपके ऊपर इनका प्रभाव ना पड़े। यही सबसे महत्वपूर्ण है आपके लिए।
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MPDRST( मां पराशक्ति धर्म रहस्य सेवा ट्रस्ट) -छुपे रहस्यों को उजागर करता है लेकिन इन्हें विज्ञान की कसौटी पर कसना भी जरूरी है हमारा देश विविध धर्मो की जन्म और कर्म स्थली है वैबसाइट का प्रयास होगा रहस्यों का उद्घाटन करना और उसमे सत्य के अंश को प्रगट करना l इसमें हम तंत्र ,विज्ञान, खोजें,मानव की क्षमता,गोपनीय शक्तियों इत्यादि का पता लगायेंगे l मै स्वयं भी प्राचीन इतिहास विषय में PH.D (J.R.F रिसर्च स्कॉलर) हूँ इसलिए प्राचीन रहस्यों का उद्घाटन करना मेरी हॉबी भी है l आप लोग भी अपने अनुभव जो दूसरी दुनिया से सम्बन्ध दिखाते हो भेजें और यहाँ पर साझा करें अपने अनुभवों को प्रकाशित करवाने के लिए धर्म रहस्य को संबोधित और कहीं भी अन्य इसे प्रकाशित नही करवाया गया है date के साथ अवश्य लिखकर ईमेल - [email protected] पर भेजे आशा है ये पोस्ट आपको पसंद आयेंगे l पसंद आने पर ,शेयर और सब्सक्राइब जरूर करें l धन्यवाद