काला कलुवा सिद्धि अनुभव
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे एक ऐसे अनुभव को जिसमें साधक ने काला कलवा सिद्धि के अनुभव को पत्र के माध्यम से लिख कर भेजा है। इसलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं काला कलवा सिद्धि अनुभव के विषय में।
नमस्कार गुरु जी, मेरा नाम आकाश है। मैं आपका शिष्य हूं। मैं रोहतक हरियाणा का रहने वाला हूं। गुरु जी आज मैं एक अनुभव को लेकर आया हूं। यह बात सन 2015 की है। मैंने आपको बताया था। पहले पत्र में मेरे ऊपर तंत्र किया गया था और कहीं पर कोई इलाज नहीं कर पाया। मैं काफी परेशान था। गुरु जी एक दिन विचार आया कि क्यों ना मैं कोई सिद्धि करूं। जब वह सिद्ध हो जाएगी तो मेरी रक्षा करें और बुरी चीजों को भगा देगी। वह कहते हैं कि जिसकी लाठी उसकी भैंस जो ज्यादा ताकतवर उसका ही सिक्का चलता है। मैं अपने दोस्त! सत्यम से मिला।
उसको मैंने बताया, मैं कोई सिद्धि करना चाहता हूं।
गुरु जी मैं आपको बता दूं मेरा यह दोस्त माता, काली और सबल सिंह बावरी का भक्त है। यह भूत-प्रेतों वाले काम करता है। इसने मेरे भी काम करना चाहा। पर गुरु जी कई बार इसको चेतावनी मिली माता काली की। माता बोली आकाश का काम करना मतलब आग में हाथ देना है। अगर देगा तो जल जाएगा। गुरु जी फिर वही प्रश्न जो आप से करता हूं, ऐसी क्या चीज है जो काली भी नहीं हटा सकती। अभी कुछ दिन पहले आपसे दीक्षा लेने से पहले मेरे दोस्त ने कहा, मैं तेरा तंत्र काट दूंगा। अब की बार उसने चौगान माता से इजाजत ली थी। गुरुजी और माता ने भी कहा मैं कर दूंगी। मुझे थोड़ा समय चाहिए। दोस्त ने माता के नाम से चवन्नी मेरे गले में पहना दी। गुरु जी यह आया। मैंने पूछा, मुझे कोई आराम नहीं है। उसने माता से पूछा तो बोली मेरा कोई चारा नहीं चल रहा। मेरी आंखों में आंसू आ गए। मैं कभी ठीक नहीं होवूंगा जो जायज भी था। गुरुजी जब माता मदानन चौगानन वाली भी का नहीं चल पा रहा तो इंसान मजबूर हो जाता है। ऐसी कौन सी कोटि की चीज है जिससे यह सब डर रहे हैं। अब ज्यादा देर ना कर के असली बात पर आता हूं। मेरा दोस्त मुझे किसी के पास ले गया। उसको सब बताया। मैंने अपना प्लान इस चीज से छूटने का लगाया। मैंने बात सुनते ही उसने मुझे महाकाली के काले कलवे की विधि बताई। साथ ही उसका स्वरूप भी बताया कि काला रंग सारे शरीर पर बाल बड़े। बड़े नाखून, कहा कि भाई डरना मत मैंने कहा, अब कौन सा मैं जिंदा हूं। गुरु जी आज तक मैं जिंदा सिर्फ महाकाल गोरखनाथ की वजह से जिंदा पहले मैं एक साधु द्वारा दिया गया नाम जपता था ओम शिव गोरक्ष। मुझे सपना आते साधु दिखते बोलते तेरे ऊपर जो तंत्र क्रिया है, तुझे मारने के लिए आई है। तेरे अंदर डबल हाल है जिसको हम हड़ीया बोलते हैं। उसके बाद उसने बताया जिसके पास में गया था इसका।
बतासे का भोग लगेगा। गूगल और लोबान भी 108 मंत्र जाप करना है। 41 दिन तक मैंने कहा ठीक है गुरुजी मन में उमंग लिए। पूरे जोश के साथ में शनिवार से जाप शुरू किया। कड़ाके की ठंड थी। बिस्तर धरती पर लगाया। एक बात और गुरु जी मैंने उसको कहा कि मैं कोई बलि नहीं दूंगा क्योंकि मैं बेजुबान से बहुत प्यार करता हूं तो उसने कहा था जब भी इस से काम लेना तेरा काम हो जाए तो एक शराब की बोतल एक काला मुर्गा जिंदा श्मशान में रात को छोड़ना शराब धरती में डाल देना। अब अनुभव पर आते हैं। बिस्तर धरती पर लगाकर 9:00 बजे रात से जाग शुरू करता और सो जाता। 15 दिन इसी तरह निकल गए। कुछ भी नहीं हुआ लेकिन दो दिन बाद मैं जॉप खत्म करने की सोच रहा था। तभी लंबा काला आदमी मेरे ऊपर आकर गिर गया। मेरा शरीर कांप रहा था। मेरी आंखे खुल गई, पर मैं अपने शरीर को हिला भी नहीं पा रहा था। लेकिन तभी अचानक ऐसा लगा जैसे उसको किसी ने पीछे खींच लिया एकदम गुरुजी फिर अचानक वही हुआ दोबारा वह चीज मेरे ऊपर आ गई। लेकिन अब की बार मेरे पैर तक ही कंपन थी। कभी दोबारा लगा किसी ने पीछे से खींच लिया उसे। गुरु जी मुझे समझ नहीं आ रहा है। यह कलवा मेरे ऊपर इस तरह गिरकर कौन सी परीक्षा ले रहा था या फिर मेरे शरीर में घुस रहा था, लेकिन मुझे उससे कंपन में डर ना लग रहा कर मजा आ रहा था क्योंकि खुशी इस बात की थी कि मैं ठीक हो जाऊंगा और तंत्र कट जाएगा। जब इसे पीछे नीचे जा रहा था तो मेरा मन टूट गया। भले ही मैं आंखों से देख नहीं पा रहा था। गुरुजी पर मन साफ-साफ जवाब दे रहा था। महसूस कर रहा था कि कोई इसे मुझ तक आने नहीं दे रहा।
गुरुजी मई फिर भी लगा रहा 5 दिन बाद फिर से यही हुआ उसी तरह फिर पीछे खींच लिया। अब जब लास्ट का दिन आया तो मेरे माथे पर जहां तिलक लगाते हैं, वहां से ऐसा लगा कि कुछ बाहर आने वाला है और शरीर को भी यही फील हुआ। फिर मैं सो गया। गुरुजी सुबह उठा तो मन उदास था जो सोचा वह नहीं हुआ। आप समझ सकते हैं कि 41 दिन की मेहनत कम नहीं होती जिसके शरीर में पहले से कष्ट हो क्योंकि यदि जो मेरे ऊपर है, मुझे साधना करने नहीं दे रही थी। मैं पहली बार रोया गुरुजी दिन बीते मैं भूल गया। ठीक 3 साल बाद की बात है। दोपहर का समय था। मैं सो रहा था। गुरुजी तभी मैं अपने छत पर बने कमरे में बैठा दिखा जॉप कर रहा था। जहां मैंने काले कलवे को सिद्ध किया था। तभी मुझे कमरे के बाहर छोटे चौखट के पास से अंदर झांकता हुआ मेरा दोस्त सतवान दिखा। गुरु जी मैंने दोस्त सत्यवान का रंग काला है तभी मैं उससे बोला, बोल सत्यवान क्या काम है, गुरु जी बहुत डर डर कर झांक कर देख रहा था। जैसे मेरे साथ कमरे में कोई और है जिससे सत्यवान डर रहा। मेरे नाम लेते ही वह बोला, मैं सत्यवान नहीं। मैं बोला, कौन है फिर वह बोला, मैं काला कलवा हूं। मैं तुम्हें यह बताने आया हूं कि तुमने मुझे सिद्ध किया था लेकिन मैं आ नहीं पाया क्योंकि तेरे यहां पहरेदार खड़े हैं। कड़ा पहरा है। मैंने पूछा कैसे आया। बोला पहरेदार आज इधर-उधर गया है। आज मौका! लगा। इतने दिनों में मैं तो बताने आया हूं तभी मेरी आंखें खुल गई। मुझे सुकून मिला कि मेरी मेहनत खराब नहीं गई थी। गुरुजी मेरी कुछ प्रश्न है गुरु जी कृपया उनका जवाब दो मेरे ऊपर कौन सी चीज है जिससे मां काली और चौगान माता भी नहीं हटा पाए। काले कलवे की सिद्धि क्यों नहीं मिली। ऐसा कौन है जिसने उनको आने से रोका है? सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न गुरु जी मेरे साथ तीन बार हुआ है। मैं रात को सो रहा था। घर पर अकेला था। अच्छी तरह से याद है। कुंडी लगाकर सुबह उठा तो कुंडी खुली थी। पैर राख़ में सने हुए थे। गुरु जी जब सोया क्या हुआ मेरे साथ कभी मुझे इन बातों का नहीं पता। गुरु जी मैं गुरु मंत्र का हवन करना चाहता हूं। 1000 मंत्र का मेरे बहुत मन है तो क्या मैं हवन कर सकता हूं? प्लीज आप बताएं हवन कैसे करना है। क्या क्या सामग्री चाहिए। नार्मल तो मुझे पता है पर आप गुरु मंत्र के हिसाब से बताएं और यह भी बताएं कि गुरु की मंत्र के लास्ट में स्वाहा भी लगाना है क्या?
संदेश-तो देखें इन्होंने यहां पर अपने अनुभव के विषय में बताया है। सबसे पहली बात इनके पूर्व जन्म की कोई साधना बिगड़ गई थी, जिसकी वजह से ऐसा है जब कोई साधना बिगड़ जाती है तो उस साधना का प्रभाव जब तक शरीर पर रहेगा तब तक ना तो सिद्धि प्राप्त होती है और ना ही परेशानियां हटती है। यह पूर्व जन्म की कोई तांत्रिक साधना है जो बिगड़ गई थी। क्योंकि व्यक्ति ने साधना की होती है। वचन उस शक्ति से ले रखा होता है। इसीलिए वचन के कारण ही कोई भी दूसरी शक्ति जीवन में आ नहीं पाती है। जैसे कि मैंने वचन लिया किसी से कि आप मेरी जिंदगी में रहोगे। आप के अलावा दूसरी कोई शक्ति नहीं आएगी। अब चाहे मेरे सामने माता भी खड़े हो जाए तो भी वह नहीं आएंगी क्योंकि मैं पहले ही वचन उसे दे चुका हूँ ऐसा ही कुछ आपके साथ पूर्व जन्म में घटित हो चुका है। इसीलिए वह चीज नहीं हट पा रही। केवल समय के साथ और उस मंत्र या साधना का उर्जा काल समाप्त होते ही हैं। सब चीजें हट जाएंगे। क्योंकि अगर शक्तियों को पूरा करना होता तो वह मृत्यु दे देती। उसे कोई रोक नहीं पाता, लेकिन मृत्यु नहीं हो रही है। पहरेदारी हो रही है। इसका मतलब है साधना तो की गई, लेकिन किसी कारण वह बिगड़ गई और उसके वचन के कारण ही आपके ऊपर ऐसी समस्याएं बनी हुई है।
आपने बताया कि जवाब रात को सो रहे थे। अकेले थे तब कुंडी खोलकर कोई जाता है और आपके पैर रात में सने हुए आपको दिखाई देते हैं। इसका मतलब यही है कि आपने कोई शमसानी साधना ही की थी क्योंकि राख शमशान से संबंधित वस्तु है। और उस शक्ति से जो आपने वचन लिया है वह वचन जब तक पूरा नहीं होगा तब तक इस प्रकार चलता रहेगा लेकिन क्योंकि आपने गुरु मंत्र धारण कर लिया है। इसमें आपके जीवन में कोई शक्ति अब बुरा नहीं कर पाएगी। सिर्फ आपको मानसिक रूप से परेशान रख सकती है। वह भी समय के साथ और धीरे-धीरे हवन इत्यादि करने की वजह से उसका असर भी कम होता जाएगा। जहां तक रही हवन की बात तो मंत्र के आगे स्वाहा अवश्य लगाकर ही हवन किया जाता है और आप गुरु मंत्र का हवन शुद्ध घी से कर सकते हैं अथवा फिर खीर से कर सकते हैं।
आप चाहे तो छोटा हवन कर सकते हैं या फिर बड़ा? और हवन के संबंध में मैं पहले ही बता चुका हूं कि दशांश हवन करना है। इसमें कोई विशेष नियमावली नहीं है कि आपको रोज करना है या कितने दिनों बाद करना है? मूल मंत्रों का दशांश हवन करना अनिवार्य होता है। जो कि आप सहजता से कर सकते हैं। परेशान ना हो समय के साथ सब ठीक होगा। माता पराशक्ति अवश्य ही आपका कल्याण करेंगी।
यह था इनका काला कलवा साधना का अनुभव अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
https://youtu.be/t8Cpq3f0qvU