कुमुदिनी यक्षिणी को पत्नी बनाया सिद्धि अनुभव
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक ऐसा अनूठा अनुभव हम लोगों को प्राप्त हुआ है जो कि एक यक्षिणी को सिद्ध करके पत्नी स्वरूप में प्राप्त कर चुके हैं और उन्होंने यह अनुभव लिख कर भेजा है और यह अनुभव! कुमुदिनी यक्षिणी का है यह यक्षिणी एक वाटर लिली यानी कि आप यह समझ सकते हैं कि जैसे कमल सूर्य के प्रकाश से शक्तियां प्राप्त करता है वही कुमुदिनी जल में चंद्रमा के प्रकाश से शक्तियां प्राप्त करती है। ऐसे ही यह यक्षिणी भी है तो चलिए पढ़ते हैं। इनके पत्र को और जानते हैं क्या है इनका यह अनुभव?
To सूरज प्रताप जी धर्म रहस्य चैनल दिस इज ओनली फॉर धर्म, रहस्य चैनल, पब्लिकेशन नेवर पब्लिश्ड बिफोर।
मेरा नाम! संत राधे जी! मैंने एक अनूठी साधना की है। एक दिन मैंने देखा कि मेरे शहर के बाहरी इलाके में एक बरगद के पेड़ के नीचे एक बहुत बूढ़ा भिखारी संत की पोशाक में अकेला बैठा हुआ था। उसका पैर फैला हुआ था। मैंने देखा कि कोई भी आगंतुक उसकी ओर ध्यान नहीं दे रहा था। वह एक बरगद के पेड़ के एक कोने में बैठा हुआ था। मैंने देखा कि वह किसी चिकित्सीय समस्या से पीड़ित है। मैंने उनका सम्मान किया और कहा बाबा मैं आपकी कैसे मदद कर सकता हूं? उसने जवाब दिया कि मेरा एक्सीडेंट हो गया है और मेरा पैर फ्रैक्चर है। हे भगवान, मैंने उसे फिर उठा लिया और अपनी कार में बिठाकर अस्पताल ले गया। वहां डॉक्टर ने एक्स-रे किया और कहा कि यह फ्रैक्चर है। 21 दिनों तक प्लास्टर और देखभाल की जरूरत है। मैंने मेडिकल प्रक्रिया पूरी की उनका प्लास्टर किया गया और उन्होंने दवाई ली। मैं अपने घर पर अकेला रह रहा था इसलिए मैं उन्हें अपने घर ले आया। मैंने दिन रात उनकी देखभाल कि मैंने उन्हें नहलाया और अच्छा खाना खिलाया मैं एक।
लोहार हूं और किसी के घर में काम करता हूं। उन्होंने कहा। वह 21 दिन में ठीक हो गए थे। उन्होंने फिर कहा बेटा मैं तांत्रिक हूं। आपने पिता पुत्र की तरह सेवा की है। मैं तुम्हें एक उपहार देना चाहता हूं। इस दुनिया की एक अत्यंत गुप्त साधना है। यह साधना कुमुदिनी यक्षिणी की साधना है। यह एक अत्यंत खूबसूरत यक्षिणी है जो जीवन के अंत तक पत्नी के रूप में रहती है। आप अकेले हैं इसलिए आप मेरे मार्गदर्शन में इस 17 दिवसीय साधना को कीजिए। वह चलने में सक्षम हो गए थे। मेरे पास एक कार थी। पूनम की रात थी जब वह मुझे जंगल में ले गए, जहां पहाड़ से एक चोटी से धारा निकलती थी। उन्होंने मुझे अपने सारे कपड़े उंगली की अंगूठी मेरी कलाई के चारों ओर धागा हटाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि जैसे तुम पैदा हुए थे, बिल्कुल वैसे ही बनो। मैंने उस नाले में नहाया सर्दी की शाम थी। पास ही एक बड़ा बरगद का पेड़ था। उसने एक पेड़ के नीचे खोदा और एक घड़ा बाहर निकाल लिया। घड़े के अंदर एक सिंदूर था। उसने मेरे माथे पर लगाया और मुझे एक गुप्त मंत्र दिया। हर रात हम वहां जा रहे थे और मैं उनके मार्गदर्शन में इस प्रकार साधना कर रहा था। यह साधना अलग तरीके से की जाती है। अपनी चारों तरफ 4 शीशे से लगाकर नग्न बैठा जाता है। माला की आवश्यकता नहीं होती है। केवल 108 लिली के फूलों की यानी कुमुदिनी के फूलों की आवश्यकता होती है। साधना पूरी तरह अलग है। मैं सार्वजनिक रूप से इसे नहीं बता सकता हूं। 17 वे दिन एक सुंदर पोशाक में एक खूबसूरत लड़की आईने में दिखाई दे रही थी। मेरे गुरु पूरे 17 दिन मेरे साथ रहे थे लेकिन वह मुझसे काफी दूर बैठते थे। मेरे गुरु ने मुझे पहले ही कह दिया था कि वचन उसके आने पर ही मांगना है तुम्हें मै अपनी स्वार्थी क्षणों के लिए नहीं चाहता हूं। मेरा इरादा लोगों का भला करना है। क्या आप लोगों की सेवा के लिए मेरी पत्नी रूप में मेरे साथ सिद्ध हो सकती हैं। जब उसने यह सुना तो वह बहुत खुश हो गई और कहने लगी कि तुम एक धर्म परायण व्यक्ति हो। जिसने लोगों के लिए कल्याण हेतु यह साधना कारवाई वह तुम्हारे गुरु, मेरे पिता है। उन्होंने मेरी मां से 50 वर्ष पहले शादी की थी। वह अब अगले जन्म तक मेरी मां के साथ ही रहने के लिए मेरे लोक में चले गए हैं। मुझे समझ में नहीं आया। उसने क्या कहा जब मैंने दूसरी तरफ देखा तो मैंने पाया कि मेरे गुरु मृत पड़े थे। यानी उनकी मृत्यु हो चुकी थी। यक्षिणी ने कहा, क्योंकि वह और तुम इंसान हो। आप उनका अंतिम संस्कार मानव पुत्र की तरह से करो। मैं उसके शरीर को अपने घर ले गया और वहां मैंने पिता के पुत्र स्वरूप में उनसे संबंधित सारे संस्कार किए। फिर 13 दिन मैंने गरीबों को भी दावत भी दी और भिखारियों में कपड़े भी बांटे। यक्षिणी मेरे साथ मेरी पत्नी के रूप में रह रही है। केवल मैं उसे देख सकता हूं उसने मुझे। इस चैनल में। अपनी इस बात को प्रकाशित करने की अनुमति दी है। यदि कोई कि किसी को परेशानी हो तो वह मुझसे संपर्क कर सकता है। मैं यक्षिणी के साथ सहयोग करने की कोशिश करूंगा। मैं गलत लोगों का समर्थन नहीं कर सकता। अगर आप का उद्देश्य गलत है और तब आप मुझसे संपर्क करना चाहते हैं तो मैं आपका समर्थन नहीं कर सकता हूं। मैं अपना संपर्क नंबर 94118 84789
दे रहा हूं।
नाम संत राधे जी, उत्तर प्रदेश।
संदेश -तो देखिए यहां पर इन्होंने यक्षिणी की सिद्धि की वह भी पत्नी स्वरूप में पुराने समय में जब कोई साधक सिद्धि को प्राप्त करता था तो वह! उस शक्ति को प्राप्त करने के बाद। अपनी संतानों के रूप में मानव अथवा यक्ष स्वरूप में संताने उत्पन्न कर सकता था। इनके गुरु के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। उन्होंने जिस यक्षिणी से शादी की होगी? वह जब तक उनके साथ रही, उसके बाद उसने जिस संतान को जन्म दिया, वह भी यक्षिणी ही हुई।
अगर यह मानव रूप में उससे प्राप्त करते तो भी प्राप्त कर सकते थे, किंतु यह उनकी और यक्षिणी के बीच की बात रही होगी। जिसकी वजह से इन्हें यक्षिणी। कन्या की प्राप्ति हुई थी अब जैसे ही।
उनकी पत्नी ने उन्हें त्यागा होगा। या किसी कारण से उन्हें इस लोक से छोड़ कर चली गई होंगी। तब उन्होंने एक शर्त रखी होगी कि तुम्हारा मेरा मिलन तब होगा जब मेरी पीढ़ी की इस कन्या का विवाह तुम किसी और से करवा सको। तब उन्होंने यह कार्य किया और इन्हें अपनी कन्या प्रदान की। सिद्धि के द्वारा आज वह यक्षिणी इनकी पत्नी है। अब यह क्या करते हैं भविष्य में? यह इन पर निर्भर करता है। लेकिन? अगर यह यक्षिणी के माध्यम से अभी लोगों की मदद करना चाहते हैं तो यह एक उत्तम कार्य है। तो यह था एक अनुभव जिसमें हम देखते हैं कि कुमुदिनी यक्षिणी। सिद्ध हुई है पत्नी स्वरूप में एक साधक को और इससे आप यह भी समझ सकते हैं कि किस प्रकार यक्षिणी सिद्ध हो जाती हैं और आपके साथ। वैसा ही संबंध बनाती है जैसा एक सांसारिक स्त्री बनाती है। तो यह था आज का अनुभव अगर आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद