गुप्त तारा साधना और जिन से लड़की की रक्षा भाग 3
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। गुप्त तारा साधना और जिन से लड्की की रक्षा मे
एक ऐसा दृष्टिकोण सामने आया जब हम देखते हैं किस साधक के जीवन में बिल्ली और चूहे दोनों की मृत्यु और रक्तपात उसे देखने को मिलता है। आगे जानते हैं क्या हुआ इसके बाद? जब अगले दिन पांचवा दिन था साधना का और क्योंकि मैंने यह साधना गुप्त नवरात्रि में शुरू की थी। इसीलिए नवरात्रि में इस प्रकार से रक्तपात देखना बिल्कुल भी शुभ नहीं होता। ऐसा मैंने समझा मुझे यह भी नहीं समझ में आ रहा था कि कोई बिल्ली को कैसे मार सकता है। मैं उस मरी बिल्ली को लेकर अपने गुरु के पास पहुंचा तो उन्होंने यह देख कर कहा कि यह तो बड़ा ही अपशकुन हो गया है। तुम साधना करते रहोगे या इसे बंद कर दोगे तब मैंने कहा गुरुदेव अगर साधना चल रही है तो मैं इसे बंद कैसे कर सकता हूं। मैंने तो कोई गलती नहीं की। अब यह सब कैसे हुआ मैं नहीं जानता। इसलिए मैं यह साधना करता रहूंगा। आप बस मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करें। इसके बाद मेरे गुरुदेव और मैं खेत में जाकर उस बिल्ली को गाड़ दिये। मैंने उस जगह का पूरी तरह से साफ सुथरा कर पानी छिड़ककर और अच्छी प्रकार पोछा इत्यादि लगाकर मैंने उस जगह को बिल्कुल साफ कर दिया अपनी साधना के लिए। अब मैंने वह साधना इस प्रकार उस रात्रि की कंप्लीट की आश्चर्य की बात यह थी कि इस रात कोई अनुभव नहीं हुआ था। अगले 3 दिन भी इसी प्रकार गुजर गए। कोई अनुभव नहीं हो रहे थे। इसलिए अब मुझे डर लगने लगा था। मेरा डर साधना को लेकर नहीं था बल्कि इस बात को लेकर था कि कहीं बिल्ली की वजह से साधना भंग तो नहीं हो गई। अब मेरे सामने कोई विकल्प नहीं था लेकिन क्योंकि मुझे 11 दिन की साधना संपूर्ण करना आवश्यक था। इसीलिए मैं इस गुप्त नवरात्रि की साधना को भंग नहीं करना चाहता था। मैं बस इसे पूरा करना चाहता था इसीलिए मैंने यह साधना जारी रखी और
9वीं रात जो मेरे साथ घटित हुआ आज भी सोच कर सिहर जाता हूं। मैं अपनी साधना में लीन था। तकरीबन मेरी आधी मालाएं हो चुकी होंगी। तभी अचानक से मुझे उसी मरी बिल्ली की बदबू आने लगी। मैंने!
मरी हुई लाश के जैसी आती बदबू के कारण अपनी आंखें खोल कर देखना चाहा और सामने से एक खून में लथपथ स्त्री मेरी तरफ बढ़ रही थी। वह किसी चुड़ैल से कम नहीं थी। उसे ऐसा एकदम देखकर मेरी आत्मा तक कांप गई। मैं डर के मारे झनझनाने लगा था। मेरा शरीर अंदर से काँप रहा था पर वह मेरी और बढ़ती चली आ रही थी। मुझे बहुत अधिक भय लगने लगा लगा जैसे यह मुझे आकर जान से मार देगी। मैंने तुरंत अपनी आंखें बंद कर मंत्र जाप चालू कर दिया। मेरा मंत्र जाप तो पहले से ही चल रहा था लेकिन अब मैं ना तो कुछ सुनना चाहता था और ना ही देखना चाहता। मेरी स्थिति उस मुर्गे की तरह हो गई जो अपना सिर कहीं छुपा लेता है। जब वह बिल्ली को देखता है लेकिन उसका शरीर तो छुपता नहीं है। पर यह तो साधना थी इसलिए मुझे और कुछ समझ में आया ही नहीं। वह स्त्री मेरे सामने आकर बिल्कुल मेरे चेहरे के नजदीक जोर-जोर से सांसे लेने लगी। उसकी सांसों की गर्मी और नाक से ली जाने वाली सांस के आने और जाने तक की आवाज मुझे सुनाई दे रही थी। मैं बता नहीं सकता। मैं कितना डर रहा था, मुझे लग रहा था। अब न जाने कब मुझे यह जान से मार दे और यह शक्ति कौन है। मैं यह भी नहीं जानता। तभी। इतने भय के बीच में? इतनी मासूम और सुंदर सुरीली आवाज सुनी जैसे लगा कानों में किसी ने मिश्री घोल दी हो। वह कहने लगी। मेरी तरफ देखो। मैंने डरते हुए अपनी आंखें खोली और जो नजारा देखा वह पिछले नजारे से पूरा उलट था। एक बहुत अधिक सुंदर सोलह 17 साल की लड़की मेरे सामने खड़ी थी और उसने कहा, मेरा आलिंगन करो और मुझे मां के रूप में स्वीकार करो। तब मैंने उससे कहा कि ऐसा क्यों तो उसने कहा कि मुझे मां के रूप में स्वीकार करने के अलावा तेरी सामर्थ्य मेरे किसी अन्य रूप को स्वीकार करने की नहीं है, लेकिन मैं तेरी पूर्ण परीक्षा भी लूंगी। और फिर उन्होंने कहा कि मैं तुझसे तभी सिद्ध होंऊगी। जब तू मेरी इस परीक्षा में सफल रहेगा तो क्या तू इस परीक्षा के लिए पूरी तरह तत्पर है। मैंने कहा हां, आप अगर मुझे सिद्धि प्रदान करती हो तो मैं आपकी हर परीक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हूं। मैं यह बात जान गया था कि यह कोई और नहीं देवी तारा है या फिर उनकी कोई शक्ति है क्योंकि सीधी परीक्षा लेने का।
ऐसा प्रयास और कोई शक्ति नहीं कर सकती है। और अब मुझे डर भी नहीं लग रहा था। मन में मैंने सोचा कि अगर यह मुझे डराएंगी तो अब मैं नहीं डरने वाला, मुझे मारेंगी मैं इनके हाथों मार भी खा लूंगा।
मैं अपने आप में इतना अधिक शक्तिशाली महसूस कर रहा था कि अब मेरी साधना भंग भी नहीं होगी और सिद्धि भी अवश्य मिल जाएगी। इनकी कोई भी परीक्षा का उत्तर मै अब दे दूंगा क्योंकि अगर यह मेरे सामने नहीं आती तो शायद में असफल हो जाता। मैं डर जाता लेकिन अब भला मुझे कौन हरा सकता है लेकिन उस देवी ने जो मेरी परीक्षा ली। मुझे पूरी जिंदगी याद रहेगी। उन्होंने अपने आप को सम्पूर्ण निर्वस्त्र कर लिया और मुझसे कहा, आओ मेरे गले लगो बिना गले लगे तुम मुझे प्राप्त नहीं कर पाओगे और पूरी तरह वस्त्र हीन होकर ही तुम्हें मेरे गले लगना है। मैंने उनकी बात को जैसे सुना, मैं अपने आप में अंदर तक कांप गया।
पर मैंने सोचा, अब यह तो करना ही होगा। मैंने अपने सारे वस्त्र उतार दिए और उनकी तरफ डरते घबराते हुए चलने लगा। मैंने उन्हें गले लगा लिया और कांपते हुए उनके शरीर को महसूस कर रहा था। तब उन्होंने इससे भी बड़ी अगली परीक्षा ली। उन्होंने कहा कि तू अब मेरा दूध पिएगा और मेरा दूध तब तक पीता रहेगा। जब तक तेरी पूरी साधना नहीं हो जाती मेरे दोनों स्तनों को तुझे। अपने पेट भर दूध पीना है। मेरे सामने ऐसी शर्त आने पर मैं अंदर तक कांप गया, किंतु मेरे सामने और कोई विकल्प नहीं था। तब मेरे मन में एक बात आई कि अगर मेरी मां कम उम्र की हो जाती तो क्या मैं तब भी ऐसे ही सोचता? इसलिए मैंने अपने आप को पूर्ण नियंत्रित कर उनके स्तनों का दूध पीना शुरू कर दिया। और मैं मन ही मन मंत्र का जाप करता रहा। थोड़ी देर बाद फिर दूसरे स्तन को भी मैंने। पूरी तरह एक छोटे बालक बनकर उनका दूध पिया। और अंतिम घूट के साथ ही मेरी आंखें खुल गई। मैंने देखा कि मैं मंत्र का जाप कर रहा था। यह सारा नजारा ऐसा हुआ था जैसे कि कोई तंद्रा अवस्था हो। मैं यह सब कुछ सोते में किया। यह किस प्रकार मेरी आत्मा ने किया, मैं नहीं जानता लेकिन यह प्रत्यक्ष अनुभव मुझे हुआ था। माता मुझे अपना दूध पिला कर चली गई थी। वह भी केवल 16, 17 वर्ष की कन्या के रूप में मुझे सिद्धि मिलने का पूरा आभास हो चुका था और मुझे यह पता था कि इस सिद्धि का प्रयोग कैसे और किस प्रकार से करना है। मैं यह सब कुछ यहां नहीं बता सकता हूं, किंतु इस प्रकार माता तारा की गुप्त योगिनी सिद्धि मुझे प्राप्त हो गई थी और अब इसके आगे मेरे साथ वह घटना घटित हुई। जिसके विषय में मैं पहले ही इस टाइटल के माध्यम से कह चुका हूं।
मैं अपनी साधना में सफलता प्राप्त कर अपने गुरु के पास पहुंचा तो वह मेरे चेहरे की चमक देख कर मुझे नमस्कार कर कहने लगे। तूने तो सच में चमत्कार कर दिया है। मुझे ऐसा लगता है जैसे तुझे सिद्धि मिल गई है। तब मैंने उन्हें प्रणाम कर उनके पैरों को छूते हुए और फिर उनके पैरों को चूमते हुए कहा। गुरुदेव आप मुझे प्रणाम मत कीजिए। आपकी कृपा से ही आज माता की गुप्त सिद्धि मुझे प्राप्त हुई है। अब मां मुझसे जो करवाएंगी वह मुझे करना होगा। तभी एक गरीब व्यक्ति वहां पर आया और कहने लगा कि उसके एक मालिक हैं जिनके ईट के भट्टे पर वह काम करता है। अगर उनकी लड़की को गुरुदेव आप ठीक कर दें तो?
इस जगह महल बन जाएगा। इतना दान वह देंगे और मुझे भी बड़ा पद मिलेगा। तब मैंने उनसे पूछा कि उनकी लड़की को हुआ क्या है तो इससे पहले कि वह कुछ बोलता मेरे ध्यान करते ही मुझे एक नजारा दिखाई दिया जिसमें एक लड़की के ऊपर खड़ा हुआ विशालकाय जिन मुझे दिखाई दे रहा था। मैं समझ गया कि मेरे लिए कौन सा अवसर आ गया है। इस घटना के बाद आगे क्या हुआ जानेंगे। अगले भाग में तो अगर यह घटना आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।