वन देवी यानी माता का वह स्वरूप है जो ऋग्वेद में वर्णित है और यह अत्यंत ही गोपनीय देवी कहलाती है इनकी प्रशंसा के संदर्भ में ऋग्वेद में पूरा एक सूत्र आया है और वहां पर इन्हें स्वता ही औषधियों की और वनस्पतियों की उत्पादन करता कहा गया है। यह बहुत ही अधिक शक्तिशाली देवी है।
इनकी सिद्धि के लिए घनघोर वन में 41 दिन तक साधना करनी चाहिए इस दौरान आपको संपूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए जनसंपर्क से पूरी तरह कट जाना होता है। तभी इनकी सिद्धि आपको हस्तगत हो सकती है इनकी सिद्धि प्राप्त व्यक्ति के अंदर दुर्लभ और गोपनीय सिद्धि आ जाती है वन में बिछड़ने वाले विभिन्न प्रकार की जोगनिया स्वता ही सिद्ध हो जाती है। वनदेवी अरण्यानी देवता के लिये भी उतनी ही सुन्दर ऋचायें गायी गयी हैं। ऋग्वेद दसवें मंडल के 146 वें सूक्त की 6 ऋचाओं की कविता ऋतुवर्णनों सा सरल सौन्दर्य लिये हुये है।
अर॑ण्या॒न्यर॑ण्यान्य॒सौ या प्रेव॒ नश्य॑सि। क॒था ग्रामं॒ न पृ॑च्छसि॒ न त्वा॒ भीरि॑व विन्दती३ँ॥
वृ॒षा॒र॒वाय॒ वद॑ते॒ यदु॒पाव॑ति चिच्चि॒कः । आ॒घा॒टिभि॑रिव धा॒वय॑न्नरण्या॒निर्म॑हीयते ॥
उ॒त गाव॑ इवादन्त्यु॒त वेश्मे॑व दृश्यते । उ॒तो अ॑रण्या॒निः सा॒यं श॑क॒टीरि॑व सर्जति ॥
गाम॒ङ्गैष आ ह्व॑यति॒ दार्व॒ङ्गैषो अपा॑वधीत् । वस॑न्नरण्या॒न्यां सा॒यमक्रु॑क्ष॒दिति॑ मन्यते ॥
न वा अ॑रण्या॒निर्ह॑न्त्य॒न्यश्चेन्नाभि॒गच्छ॑ति । स्वा॒दोः फल॑स्य ज॒ग्ध्वाय॑ यथा॒कामं॒ नि प॑द्यते ॥
आञ्ज॑नगन्धिं सुर॒भिं ब॑ह्व॒न्नामकृ॑षीवलाम् । प्राहं मृ॒गाणां॑ मा॒तर॑मरण्या॒निम॑शंसिषम् ॥
इन के संबंध में अन्य जानकारी के लिए कृपया नीचे का वीडियो देखें-
ॐ अस्य ऐरमंदह देव मुनि ऋषि अनुष्टुप छंद अरण्यानी वनदेवी देवता सिद्ध्यर्थे मंत्र जपे विनियोग
मंत्र- ओम ह्री अरण्यानी वनदेवी नमः