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चुड़ैल का श्राप भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज जो हम अनुभव लेने वाले हैं, यह एक ऐसा अनुभव है जिसमें पीढ़ी दर पीढ़ी चुड़ैल की समस्या और उसका श्राप बना हुआ है तो चलिए पढ़ते हैं। इनके पत्र को और जानते हैं कि क्या है यह अनुभव?

पत्र- नमस्कार गुरु जी! मैं आपको धन्यवाद कहता हूं कि आपने मेरे इस ईमेल को पढ़ा। और मैं इसके लिए आपका विशेष रूप से शुक्रिया भी अदा करता हूं कि आपने मेरी समस्या को स्वीकार किया है और इस पर वीडियो बनाने के बात भी कही। गुरु जी मैं अब अपना अनुभव आपको बताना चाहता हूं। यह अनुभव वैसे तो मेरा नहीं है लेकिन यह समस्या मेरी जरूर है।

असल में यह हमारी समस्या तीन पीढ़ियों से चली आ रही है।

हमारे यहां! होने वाली पहली संतान बचती ही नहीं है, उसकी मृत्यु हो जाती है। और इसके लिए मैं अपने दादाजी को जिम्मेदार ठहराता हूं।

लेकिन क्योंकि समाज में इन बातों से बदनामी फैल सकती है। इसलिए कृपया मेरी पहचान और ईमेल को किसी को भी ना दिखाएं। इसे सार्वजनिक ना करें। गुरु जी अब मैं आपको अपने अनुभव के विषय में बताना चाहता हूं। साथ ही आपसे मार्गदर्शन भी प्राप्त करना चाहता हूं। असल में गुरु जी यह बात मेरे दादाजी के समय की है।

यह एक बहुत बड़ी परेशानी उस दौर की थी क्योंकि यह वह दौर था जब अंग्रेजों का शासन था और धीरे-धीरे देश आजादी की ओर बढ़ रहा था, लेकिन यह गुलामी का दौर था। तभी मेरे दादाजी उस वक्त के अंग्रेजों को लूटने वाले एक अच्छे लुटेरे हुआ करते थे। उनका एक गिरोह था और वह लूट कर ही धन कमाया करते थे। उन्होंने कभी किसी हिंदुस्तानी को नहीं लूटा था। पर फिर भी यह कोई अच्छा काम नहीं था। और शायद इसी वजह से वह इस बड़ी मुसीबत में फंस गए थे। एक बार यह और इनका गिरोह एक जगह रात में। बैठा हुआ था। तभी इनके लोग अपने-अपने घरों को निकल गए। मेरे दादाजी ने! एक! सड़क पर लगी हुई। सीट पर बैठ कर कुछ देर वहां के मौसम का आनंद लेना चाहते थे। वहां बैठे उस मौसम का आनंद ले रहे थे तभी उन्हें कुछ दूर पर एक बहुत ही खूबसूरत अंग्रेज औरत दिखाई दी।

दूध में नहाई दिखाई पड़ती । कम वस्त्रों में अधिकतर अंग्रेज औरतें शराब पीकर घूमा करती थी। यह वह दौर था जब हिंदुस्तानी तो घर में दुबका करते थे लेकिन अंग्रेज औरतें इधर-उधर ऐसे ही घूमा किया करते थे।

उसकी खूबसूरती को देखकर मेरे दादा उस पर आसक्त होने लगे। उन्होंने तुरंत ही फैसला किया कि वह स्त्री से दोस्ती करेंगे। और वह उठे और उसके पास जाकर। उसे पूछने लगे। अच्छी बात यह थी कि वह औरत भी हिंदी जानती थी। और उस औरत ने? कहा तुम यहां अकेले क्या कर रहे हो? यह इलाका सुरक्षित नहीं है।

तुम एक हिंदुस्तानी हो, गबरु जवान हो।

फिर भी तुम यहां क्या कर रहे हो? अगर किसी अंग्रेज अधिकारी ने देख लिया तो तुम्हें पीट-पीटकर अधमरा कर देगा। मेरे दादा उसकी सुंदरता पर मुग्ध हो गए थे। इसलिए उन्होंने कहा, आपको देखने के लिए अगर कोई मेरी जान भी ले ले तो भी मैं इसके लिए तैयार।

इस प्रकार उस दिन के वार्तालाप ने उन दोनों लोगों के बीच की नज़दीकियां बढ़ा दी।

अक्सर उस इलाके में मेरे दादा शाम होते ही पहुंच जाते थे और उस अंग्रेज औरत से मिला करते थे। ओ अंग्रेज औरत अधिकतर उनके साथ उस स्ट्रीट पर घूमा करती थी। धीरे-धीरे दोनों लोग बहुत ही अच्छे दोस्त हो गए।

उस अंग्रेज औरत ने कहा। कि क्या तुम मेरे लिए एक काम करोगे? मेरे दादाजी ने कहा, कौन सा काम? तो उसने कहा, मुझे एक जमीदार को जान से मारना है।

वह अंग्रेजों को रसद और पैसा नहीं पहुंचा पा रहा। और अंग्रेजों ने मुझसे इस काम को करवाने के लिए। आग्रह किया है।

मेरे दादाजी को यह बात समझ में नहीं आई। उन्होंने उस औरत से पूछा, आप किसी जमीदार को मारना क्यों चाहती हैं? और उससे भी बड़ी बात यह है कि आखिर। आप वास्तव में कौन सा काम करती हैं?

उस औरत ने कहा कि क्या तुम मुझसे दोस्ती तोड़ दोगे, अगर मैं तुम्हें सच बताऊं?

इस पर मेरे दादाजी ने कहा नहीं चाहे तुम्हारा कोई भी सच हो, मैं तुमसे दोस्ती नहीं तोडूंगा।

और मैं शायद तुम्हारा काम भी कर दूं?

तभी उस औरत ने मेरे दादाजी की आंखों में देखा। और उनका चुंबन लेते हुए कहा, सच में अगर तुमने मेरा यह काम कर दिया। तो तुम जो मांगोगे वह मैं तुम्हें दे दूंगी। मेरे दादाजी ने हंसते हुए कहा। क्या तुम मुझसे शादी भी कर लोगी? इस पर उसने कहा हां, मैं तुमसे शादी कर लूंगी। मैं भी एक अच्छा जीवनसाथी चाहती हूं। इस पर मेरे दादा को बड़ा ही आश्चर्य हुआ। उन्होंने कहा, मैडम आप रहती कहां है? उसने इशारा करके एक गेस्ट हाउस की ओर हाथ किया।

और उसके बाद वह औरत मेरे दादाजी के साथ उसी गेस्ट हाउस के अंदर चली गई। उन लोगों ने साथ में रात बिताई। क्योंकि?

अंग्रेजों का माहौल बहुत ही अधिक खुला हुआ था।

हालांकि भारतीय समाज में इस तरह से अनैतिक संबंध नहीं बनाए जाते लेकिन अंग्रेजों के लिए यह सब बहुत ही छोटी बातें थी।

दादा जी उसकी बातों में पूरी तरह से आ चुके थे। एक तो वह इतनी अधिक सुंदर थी कि दूध जैसी गौरी और कम कपड़े पहन कर वह इधर-उधर घुमा करती थी। उसकी बात को सुनकर दादाजी ने कहा, ठीक है। मैं तुम्हारा काम करूंगा। बताओ मुझे करना क्या होगा? उस स्त्री ने कहा। मैं तुम्हें कल जमीदार की पार्टी में लेकर चलूंगी। और वही मैं तुम्हें बताऊंगी कि तुम्हें क्या करना है?

तुम्हें उसकी हत्या करके? उसका सारा रुपया पैसा लाकर के अंग्रेजों को दे देना है।

यह बात सुनकर मेरे दादाजी ने कहा, ठीक है तुम्हारे लिए तो मैं कुछ भी करूंगा।

और इस प्रकार से मेरे दादाजी और! अंग्रेज औरत के बीच में। एक प्यार का रिश्ता कायम हो गया जो कि अब। बिजनेस की तरह से आगे बढ़ रहा था।

आखिर अगले दिन वह लोग उस पार्टी में पहुंचे। पार्टी में। जमीदार और बहुत सारे अंग्रेज अधिकारी मौजूद थे। तभी उस अंग्रेज औरत को देखकर सारे अधिकारी मुस्कुराने लगे।

इधर मेरे दादाजी को भी अंग्रेजों जैसे कपड़े उस स्त्री ने पहना दिए थे। उसने कहा चलो मैं तुम्हें उस जमीदार से मिलवाती हूँ जिसका काम तुम्हें तमाम करना है। इस पर मेरे दादाजी ने कहा, ठीक है चलो मुझे उसके पास ले करके चलो। और फिर मेरे दादाजी और वह औरत उस जमीदार के पास पहुंचे। औरत बड़ी शायराना अंदाज से उस जमीदार का गाल चूमते हुए कहती है। आज आप बहुत ही अधिक सुंदर लग रहे हैं। यह मेरा दोस्त है। यह आपसे कुछ विशेष तरह के बिजनेस के बारे में बात करना चाहता है। कई अंग्रेज अधिकारी इससे बड़े-बड़े काम करवाते हैं? लेकिन शर्त यह है कि आपकी और उसकी मुलाकात में तीसरा कोई ना हो। जमीदार ने कहा, मैडम सभी लोग आपकी सेवाओं से बहुत ही अधिक खुश हैं। इसलिए मैं आपकी बात को मानता हूं, चलिए हम तीनो लोग। वहां चलते हैं जहां गार्डन में कोई ना मिले।

इस प्रकार से वह औरत जमीदार और मेरे दादाजी! एक स्थान पर चले गए।

तभी उस औरत ने उस जमीदार से कहा, आखिर आपका सारा!

कलेक्शन कहां पर है?

जमीदार ने इशारा करते हुए एक कमरे को कहा कि मैं सारा कलेक्शन वही रखता हूं।

तभी उस स्थान पर।

कोई नहीं दिखने की वजह से उस स्त्री ने मेरे दादाजी की ओर इशारा करते हुए कहा, आप तुरंत ही इसकी हत्या कर दीजिए। मेरे दादाजी ने तुरंत ही उसका सिर पकड़ कर गर्दन काट दी। और इस प्रकार से उस जमीदार की हत्या हो गई। अब मेरे दादाजी ने उस कमरे को खोलकर देखा तो वहां बहुत ही अधिक मात्रा में सोने, चांदी और हीरे जवाहरात मौजूद थे। मेरे दादाजी ने कहा, चलो हम दोनों इसे लेकर भाग चलते हैं। अंग्रेजों को देने से कोई फायदा नहीं है। इस पर उस औरत ने कहा। ठीक है। वैसे भी इतना अधिक सोना चांदी मैं अंग्रेज अधिकारियों को क्यों दूं?

उस औरत ने? इशारे से बाहर बग्गी को बुलाया

उस बग्गी में उन्होंने लूट का सारा धन इकट्ठा किया और उसे लेकर के जंगल के रास्ते से निकलने लगे। इधर पता नहीं कैसे अंग्रेजों को इस बात की खबर लग गई थी अंग्रेज भी! अब जंगल में उनकी खोज में निकलने लगे। मेरे दादाजी ने कहा, चलो मेरे घर चलो और वहीं पर यह चीजें सुरक्षित रखी जा सकती हैं।

मेरे दादाजी और वह औरत! दादा जी के घर पर आ गए।

वहां पर बहुत सारे परिवार के लोग मौजूद थे। सभी ने बड़े ही अचरज से मेरे दादाजी को देखा। मेरे दादाजी ने!

होठों पर उंगली रखकर साफ इशारा लोगों को कर दिया कि आप लोग कुछ भी इसे नहीं कहेंगे।

थोड़ी ही देर में वहां पर मेरी दादी भी आ गई जिनके साथ मेरे दादा जी का विवाह हुआ था। लेकिन इस अंग्रेज औरत को कुछ भी नहीं पता था। मेरे दादाजी ने चुपके से दादी जी से कहा, इसके सामने हमारी शादी का जिक्र मत करना।

इसके बाद गुरुजी वह बुरी घटना घटी जिसका विवरण मैं आपको इसी कहानी के अगले भाग में दूंगा। क्योंकि यह लंबी कहानी है इसलिए! आप इसे अच्छी तरह सुन कर के हमें इस परेशानी का हल बताइएगा। धन्यवाद गुरु जी!

चुड़ैल का श्राप भाग 2

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