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जिनसेन का अज्ञात मंदिर और नंदो का खजाना भाग 4

जिनसेन का अज्ञात मंदिर और नंदो का खजाना भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसा कि हमारी कहानी चल ही रही है आपने अभी तक जाना है कि किस प्रकार से भानु देव की परीक्षा तांत्रिक कृतिका लेती है जिसमें वह पूरी तरह से सफल होता है । लेकिन भानु देव काफी ज्यादा सीधा होने के कारण उसकी बातों को ना समझते हुए गांव में इस बात का प्रचार कर देता है हमें खजाना खोदने जाना है । इस वजह से गांव शहर और उस नगर के सारे लोग यहां तक कि उस नगर के राजा भी सारी बातें जान लेता है । क्योंकि लोगों के एक दूसरे के मुंह से होते हुए बातें राजा तक पहुंच जाती है । राजा और पूरा नगर उस जगह इकट्ठा हो जाता है । राजा अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाता है जब उसे सैनिकों से पता चलता है के नीचे एक विशालकाय खजाना सामने दिखाई पड़ रहा है । तुरंत ही अपने सैनिकों को इशारा करता है सैनिक पीछे से कृतिका के सिर पर वार कर देते हैं और कृतिका भी बहोश हो जाती है । साथ ही साथ भानु देव को भी पकड़ लिया जाता है और इनको एक गुप्त स्थान पर ले जाकर कैद कर दिया जाता है । राजा अपने सैनिकों को आदेश देता है कि अंदर वहा जाए और जितना भी धन मिल सके वह उसे उठाकर खींचकर बाहर ले आए । सैनिक और उसका सेनापति तुरंत ही इस कार्य को संपादित करने के लिए अंदर उस ओर से प्रवेश करते हैं । क्योंकि यह स्थान गंगा नदी के बिल्कुल नजदीक था तो वहां पर पानी भी आ सकता था इसलिए बड़ी सावधानी के साथ वहां जाना होता है । सैनिक लोग बड़ी आसानी से और धीरे-धीरे खोदते हुए उस स्थान को बड़ा और चौड़ा कर देते हैं । ताकि वहां से पूरा का पूरा खजाना निकाला जा सके इस हेतु राजा कहता है जितना भी खजाना मिले वह सारा का सारा एक जगह इकट्ठा करके फिर नगर में पहुंचा दिया जाए ।

और यहां उपस्थित सारी जनता को भी भगा दिया गया राजा के आदेश पर । केवल और केवल राजा की विशालकाय सेना थी । सैनिक अंदर प्रवेश करते हैं जैसे ही सैनिक अंदर प्रवेश करते हैं वहां तैनात उन पिशाचिनियो को पता चल जाता है । पिशाचनिया वहां पर बहुत सारे सर्पों को छोड़ देती है सर्पों को देखकर सैनिक घबरा जाते हैं और उनसे डरने लगते हैं । कुछ सैनिक वापस भागते हुए आते हैं और राजा को सारी बात बताते हैं । राजा कहता है मूर्खों इतनी छोटी सी बात से घबरा गए हो तुरंत ही मसालों को जलाओ । हजारों की संख्या में मसाले इकट्ठा की जाती है और उन्हें तेल से पूरी तरह से जलाकर एक साथ उसके अंदर प्रवेश किया जाता है । जमीन पर मसालों को हल्का हल्का सा झगड़ते हुए दिखाते हुए एक साथ चलने को राजा ने कहा ताकि आपका पूरा एक गोला तैयार हो जाए । उस बड़े से आग के गोले के कारण जितने भी सर्प होंगे वह भाग जाएंगे । राजा की बात में दम था सैनिकों ने इस कार्य को संपादित किया और उन्होंने इस चमत्कार को घटित होते हुए देखा । हालांकि पिशाचिनियो होने बहुत सारे सर्पों को छोड़ा था फिर भी सर्प आग के आगे टिकने वाले कहां थे । तो जैसे जैसे सैनिक आगे चलते जा रहे थे और उनके तरफ चारों और उन्होंने अपनी मसाले इस तरह से एक दूसरे के साथ लगा कर के रखी हुई थी जिसकी वजह से वहां पर एक आग का गोला सा बन गया था । लगभग एक दायरा सा बन गया था उस दायरे के आसपास कोई भी जीव नहीं भटक सकता था । सर्प इधर-उधर भागने लगे पहली बार पिशाचिनियो की हार हुई थी ।

पिशाचिनियो को इस बात से बहुत ही ज्यादा क्रोध आ गया उन्होंने तुरंत ही उस जगह एक छोटी सी जगह पर छेद कर दिया । जहां से पानी अंदर आने लगा पानी गंगा नदी का था यह सब देख कर के सैनिक एक बार फिर से घबरा गए । सैनिकों ने एक बार फिर से अपने सेनापति और राजा को खबर दी के अंदर पानी का एक छोटा सा छेद हो गया है जिसकी वजह से पानी अंदर ओर रहा है । राजा ने कहा इतनी छोटी छोटी बातें से तुम लोग घबरा जाते हो उस स्थान को किसी भी प्रकार से भर दो । सैनिक पत्थर और गोपनीय विशेष प्रकार की पदार्थों को इकट्ठा करके उस जगह को भर देते हैं । और इस प्रकार से पिशाचिनियो की दूसरी चाल भी नाकामयाब हो जाती है । बड़ा छेद वह कर नहीं सकती थी उनका उद्देश्य सिर्फ डराना था क्योंकि वहां पर अगर अधिक मात्रा में भर जाता तो सारा सोना भी मिट्टी में हो जाता और पानी से भर जाता । इसलिए वह ऐसा नहीं कर सकती थी पिशाचिनिया एक जगह पर इकट्ठा हुई सभी पिशाचिनियो के साथ में उनकी देवी भी मौजूद थी । अर्थात उनकी नेतृत्वकर्ता उनका नेतृत्व करने वाली महा पिशाचिनी ने कहा इनको अब इनकी ही चालों से मात देनी होगी । उन्होंने पूछा कि ऐसा क्या किया जाए तो उन्होंने कहा कि अब सबसे भयंकर प्रयोग करना होगा । कहते हैं कोई भी पुरुष काम शक्ति से नहीं बच सकता है हमको उसी शक्ति का यहां पर प्रयोग करना होगा । तो उन्होंने कहा ठीक है अब मैं ऐसी माया रचती हूं कि यह स्थान बहुत ही सुंदर हो जाएगा इसका प्रवेश द्वार और खजाने से ठीक पहले यह जगह हम लोग अपनी माया से ऐसा बना लेंगे । और इन सैनिकों को यहीं पर भ्रमित कर देंगे । सब के सब वहां पर एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगती है वहां पर चमत्कारिक रूप से एक छोटा सा एकाद फुट का गहरा तालाब बन जाता है ।

उस तालाब में हजारों की संख्या में कमल निकल जाते हैं कमल भी वहां पर विशालकाय थे । अर्थात बीस बीस पंद्रह पंद्रह फुट के वह जगह बहुत ही विशालकाय हो गई । हालांकि यह सब एक माया थी । उस पर सभी पिशाचिनीया बैठ जाती है और ऐसा रूप धारण कर लेती है जैसे कि कोई देवियां हो शरीर पर पूरे वस्त्र नहीं होते हैं । पूरी तरह से नग्न होती है केवल और केवल सोने के आभूषण शरीर पर लदे होते हैं । और उन्हीं से ही पूरा वस्त्र उनके निर्मित ऐसे दिखाई पढ़ते हैं अर्थात कमर पर कमरबंद वक्ष स्थल पर बहुत ही अधिक मात्रा में सोना और उसके बने हुए हार तो इस प्रकार से वह पूरी तरह वस्त्र ऐसे जैसे कि पूरा सोना उनके शरीर पर लदा हो । ऐसे रूप और सुंदर स्वरूप को अत्यंत ही धारण वह कर लेती है और सब के सब कमल पर विराजमान हो जाती है । अपने स्वरूप को अत्यंत ही चमकीला और प्रकाशवान साथ ही साथ वह बना लेती है । ऐसा अद्भुत नजारा जब पहली बार सैनिक देखते हैं तो उनको अपनी आंखों पर विश्वास नहीं होता उनके सामने कई सौ देवकन्या दिखाई पड़ती है । जो पूरी तरह से नग्न है और उनके शरीर के ऊपर इतना अधिक सोना लटका हुआ है जिसको देख कर के कोई भी व्यक्ति उस स्त्री को पाना चाहेगा और उसके सोने को भी । जैसे ही सैनिक आगे बढ़ते हैं अपनी-अपनी मसाले वह फेंक देते हैं तभी पीछे से जो टुकड़ी होती है वह टुकड़ी भी अपनी मसाले नीचे रख देती है । पिशाचिनीया अपने कृत्यम इशारे करती है और जो सर्प इधर उधर भाग गए थे पीछे पीछे जो मुख्य द्वार था उस गुफा का उसके अंदर से सबसे पहला कदम जो पड़ता है उस स्थान पर पहुंचने लगते हैं । यानी की पीछे की जितनी टुकड़िया है उनके ऊपर सर्प चुपचाप हमला करने के लिए आगे बढ़ते चले जाते हैं ।

आगे की टुकड़िया जो बिल्कुल सामने यह सब दृश्य देख रही थी वह देखकर कुछ ठीठक सी जाती है । सब के सब सैनिक आपस में बात करने लगते हैं अब वह करें तो क्या करें । सामने इतना सुंदर नजारा है जिसको देख कर के प्रत्येक के मन में कामुकता के साथ-साथ धन लोलूपक्ता पूरी तरह से हावी हो रही थी । तभी उनमें से प्रमुख पिशाचिनी ने अपनी आंखें खोली और सामने सैनिकों को कहा आप लोग कौन हैं । तब सारे के सारे सैनिक अपने में से मुख्य सैनिक जो उनका प्रधान था उसको आगे भेजते हैं और कहते हैं तुम जाकर बात करो । हम पीछे से तुम्हारे हामी में हामी भरते रहेंगे उसे कुछ समझा करके वह सैनिक उसे आगे कर देते है । पिशाचिनी सारी बातों को समझ रही थी पिशाचिनी ने तुरंत ही कहां की आप कौन हैं मुझे बताइए आपका यहां आगमन क्यों हुआ है । हजारों साल बाद हम लोगों की तपस्या के कारण शायद आप लोग यहां पर आए हैं यह सुनकर सैनिक प्रमुख एक बार फिर से आश्चर्यचकित हो जाता है और कहता है । हे देवी आप कौन हैं और यहां इस तरह की बात का क्या अर्थ है । पिशाचिनी मन ही मन मुस्कुराते हुए कहती है आप ही तो मेरे स्वामी है हम लोगों को यहां पर कई सौ साल पहले बिठाया गया और कहा गया था कि जो भी सबसे पहले खजाना प्राप्त करने के लिए यहां पर आएगा वही सब आप लोगों के स्वामी होंगे । लेकिन उनकी शर्तों को पूरा बावजूद ही आप अंदर का खजाना ले पाएंगे इसको इस तरह से हमसे कहां गया था । तो सैनिक कहता है कि आप लोग किस बंधन से बंधे हैं मुझे बताइए मैं अवश्य ही अगर मेरी सामर्थ होगी तो उस बंधन को मैं काट दूंगा । पिशाचिनी कहती है कि आप मेरे शरीर पर इन गहनों को देख रहे हैं आपको यह गहने उतारकर जमीन पर रखने होंगे उसके बाद इस कमल पर बैठकर मेरे साथ संभोग करना होगा । और जितने भी मेरी यहां पर सखिया और सहेलियां है प्रत्येक के साथ प्रत्येक सैनिक इसी प्रकार करना होगा तभी आप अंदर का खजाना ले जा सकते हैं ।

ऐसा सुनकर मन ही मन सैनिक और भी ज्यादा उल्लास में आ गए क्योंकि उसकी मन इच्छा और धन दोनों ही एक साथ पूरे हो रहे थे । उसने कहा इस तरह की विशेष शर्त क्यों है । तो कहती है कि यह स्थान मलिन हो चुका है यह स्थान स्वर्ग जैसा था स्वर्ग में कामसुख सबसे बड़ी चीज होती है इसीलिए आप अगर हमें काम संतुष्ट कराएंगे तो अवश्य ही हमारे शरीर का सारा सोना और उसके साथ-साथ पीछे पडा हजारों टन सोना प्राप्त कर सकते हैं । पिशाचीनियों की इस बात को देख कर के बड़ा ही अचरज होता है । सैनिक पीछे मुड़ता है और सबको बताता है सारे सैनिक खुश हो जाते हैं वह जल्दी-जल्दी अपने सारे वस्त्र उतारते हैं और एक एक कमल पर एक एक पिशाचिनी के पास जा कर के उसके गहने शरीर से उतारने लगते हैं । क्योंकि पहले ही वह पूरी तरह से नग्न थी अब गहनों के बिना अब वह पूरी तरह से पूरी नग्न होने वाली थी । जैसे ही वहां पर पिशाचनिया और वह सैनिक आपस में काम क्रिया शुरू करते हैं अद्भुत रूप से वहां का मायाजाल टूटने लगता है । वहां पर जब वह देखते हैं तो अत्यंत ही भयानक स्त्रियों को जिनके शरीर का हड्डी मास भी सूख चुका था पूरे शरीर से गंध आ रही थी और भयंकर बदबू चारों तरफ फैली हुई थी और उसे वह अपने गले लगाए हुए चुंबन कर रहे थे । लेकिन अब देर हो चुकी थी पिशाचनियो ने उन्हें अपने बाहों में जकड़ लिया और गर्दन के एक विशेष जगह पर अपने दांत गड़ा कर उनके खून को पीने लगी । बाकी पीछे खड़ी हुई सैनिक की टुकड़ी यह सब दिख रहा था वह सब काम क्रीया कर रहे वह भी काम में उतावले हुए जा रहे थे । इस पिशाचनियो ने अपना काम कर दिया था उनके शवों को पीछे की ओर फेंक दिया और वह सड़ गल गए । अगले टुकड़ी भी इसी कार्य के लिए तैयार हो गई ।

क्योंकि उसे यह सब दिखाई दे रहा था इस पिशाचनियो के रूप में जो देवी मौजूद है उनके साथ संभोग करना है सोना उठाना है और बाकी सोना प्राप्त करना है । और पिछली टुकड़ी जो उनसे आगे गई हुई है वह जो पीछे की टुकड़ी है वह सब भी इसी कार्य के लिए तैयार है आगे की टुकड़ी आगे निकल जाएगी और उसके बाद अगली टुकड़ी का नंबर आया । पर वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ वास्तव में जैसे ही वह उनके नग्न शरीर अपने शरीर से पूरी तरह से पकड़ते थे उनके बाद उनकी वास्तविकता उन्हें नजर आ जाती थी । उनका शरीर आधा सड़ा हुआ होता था जगह जगह पर गंदगी और भद्दापन दिखाई पढ़ रहा था मुंह में बड़े-बड़े दांत थे जिनकी सहायता से वह सैनिक का रक्त पीती थी । और उसके बाद सैनिकों को एक और फेंक देती थी । सैनिक भी वहीं पर सड़ गल जाते थे क्योंकि उनके पास शक्तियां बहुत ज्यादा थी । ऐसे करते-करते आधी सेना खत्म हो गई मुख्य द्वार पर सर्पों ने हमला कर दिया और वहां के सैनिकों को मार डाला । देखते ही देखते एक हज़ार से भी ज्यादा सैनिक मारे गए । तभी एक सैनिक सर्प के हमले से अपने आप को बचाते हुए दौड़ता हुआ राजा के पास गया और कहा कि महाराज आपकी एक चौथाई सेना समाप्त हो चुकी है । ऐसा क्यों राजा ने प्रश्न किया उस सैनिक ने कहा यह पूरा तंत्र से भरा हुआ खजाना लग रहा है मुझे । जिन सर्पों को भगा दिया गया था वह सर्प मुख्य द्वार पर आकर हम सबको काट रहे हैं आगे की टुकड़िया ऐसे निशब्द हो करके चलती चली जा रही है जैसे कि उनको पीछे वाली टुकड़ियों से कोई मतलब ही नहीं है ।

सब के सब आश्चर्यचकित है और फिर उधर से कोई आवाज नहीं आती वह सब ऐसे आगे बढ़ते जा रहे हैं  जैसे उन्हें वशीकृत किया गया हो । पूरी तरह से वशीकृत होने के लक्षण उनके नजर आते हैं यह सब अंदर क्या हो रहा है । हमारी समझ से पूरी तरह से परे है आप मुझे लगता है किसी तांत्रिक को इस कार्य के लिए नियुक्त कीजिए अन्यथा आपकी सारी सेना अंदर जा करके मारी जाती रहेगी । राजा सोच में पड़ गया वास्तव में अभी तक एक भी सैनिक वापस नहीं आया था । केवल एक आया वह भी मुख्य द्वार से भागकर वापस आ गया था और वही यह सारी कहानी बता रहा है । राजा ने कहा तुरंत ही बड़े से बड़े तांत्रिक को बुलाया जाए राजा की आज्ञा पर उस शाम को वहां पर कई सारे बड़े-बड़े तांत्रिकों को बुला लिया गया । एक से बढ़कर एक और सब के सब तैयार थे ।   इधर जिस जगह पर कृतिका को कैद किया गया था उसे होश आ गया । उसे सारी बात समझते देर ना लगी उसने तुरंत ही अपने मुख से उस पिशाच का उच्चारण किया पिशाच तुरंत ही प्रकट हो गया । और कहने लगा देवी आपकी यह हालत कैसे हुई कृतिका ने उसे कहा मुझे लगता है किसी प्रकार से बंधन किया गया है क्योंकि मैं अपनी योग्नियों शक्तियों का प्रयोग नहीं कर पा रही हूं । क्योंकि तुम मेरे बंधन में नहीं थे सिर्फ और सिर्फ मेरी आज्ञा पालक है इसलिए केवल तुम बंधन से मुक्त हो मेरी सहायता करो । पिशाच कहता है अवश्य देवी मेरी जो भी सहायता बनेगी मैं आपकी सहायता करूंगा । बताइए मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं । कृतिका ने उसे मूल रूप से कुछ समझाया । उसे देख कर के वह पिशाच हंसने लगा और कहने लगा अवश्य ही मैं आपके कार्य को संपादित करूंगा । आखिर वह कौन सा कार्य था जो कृतिका ने उसे सौंपा था यह हम जानेंगे अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

जिनसेन का अज्ञात मंदिर और नंदो का खजाना भाग 5

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