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दिल्ली कनॉट प्लेस हनुमान मंदिर मठ अनसुनी कथा भाग 2

दिल्ली कनॉट प्लेस हनुमान मंदिर मठ अनसुनी कथा भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसे कि हमारी कहानी चल ही रही है हम बात करेंगे अब सेवाराम जी ने आगे क्या किया क्या हुआ उनके साथ क्या घटित हुए । जैसे उनके गुरु पंडित ने उन्हें बताया था कि किस प्रकार से आप भगवान हनुमान जी की भक्ति कर सकते हैं । और उनको प्राप्त कर सकते हैं ताकि आपकी जिंदगी के जितने भी समस्याएं उनका हल हो सके । खासतौर से आप की पुत्री का विवाह और धन संबंधी जो भी समस्याएं हैं वह सारी की सारी इसके लिए उन्होंने लड्डू के हनुमानजी को बनाने एक मंतव्य दिया था । उस साधना के लिए लेकिन ऐसा नहीं होता है और वह लड्डू जो है सारे बंदर खा जाते हैं । और जब वह वहां पहुंचते हैं तो देखते हैं कि मंगलवार की सुबह उन्होंने जो बनाया था सब कुछ धीरे-धीरे करके शाम तक खत्म हो गया है । और रात्रि को साधना करनी थी इसलिए परिस्थिति उनके लिए उत्पन्न हो गई । अब ऐसी स्थिति में सेवाराम जी के पास कोई विकल्प नहीं था । उन्होंने अपने गुरु पंडित के पास जाकर कहा कि मैंने जो बनाया था वह तो सब चला गया है । तो उन्होंने कहा आप इस बात के लिए चिंता मत कीजिए । आप ऐसा कीजिए आप पीपल के पेड़ पर सिंदूर पोत दीजिए और वहां पर रामचंद्र जी और माता सीता की मूर्ति रख दीजिए ।

और उस पुते हुए रंग हो या सिंदूर को इस प्रकार से देखिए और इस प्रकार से उसकी रचना कर दीजिए वह हनुमान जी की मूर्ति लगे । वह भी उतना ही फलदाई होगा क्योंकि बंदर आ करके आपके कार्यों का नाश करते रहेंगे कारण क्योंकि कोई भी शक्ति है यह नहीं चाहती है कि वह सिद्ध हो जाए । और सिद्ध हो करके आपके कार्यों को आपकी इच्छा अनुसार करने लगे । इसलिए आपकी सहायता को रोकने के लिए उनकी जो वानर सेना है जो हनुमान जी की है वह यह नहीं चाहेगी कि आप की सिद्धि की वजह से वह सब आपके गुलाम की तरह हो जाए और आपकी आज्ञा पालन करने के लिए मजबूर हो जाए । इस कारण से अब आपको इस संबंध में सोचना होगा । इसलिए मैं जो विधि बता रहा हूं तरीका बता रहा हूं इसको आप अपनाइए । तो उनकी बात को सुनकर उन्हें काफी अच्छा लगा और उन्होंने अपने मन में यह ठान लिया कि किस प्रकार से अब उन्हें आगे बढ़ना है और क्या-क्या करना है । उन्होंने वैसा ही किया और बाजार से जाकर के भारी मात्रा सिंदूर में ले लिया । और बाजार से ही रामचंद्र जी और सीता जी की मूर्तिया ले ली और उनको स्थापित किया ।

और पीपल के पेड़ पर पूरी तरह से हनुमान जी की सिंदूर से रचना कर दी । और उसे पूरा गीला कर दिया इस प्रकार से इस स्थिति को सफल बना लिया और साधना करने के लिए उनकी स्थिति बन गई  । और इस प्रकार से वह साधना करने के लिए रात्रि के समय बैठ गए और सहज रूप से हनुमान जी की मंत्रों का जाप करने लगे । हनुमान जी के मंत्रों का वह लगातार जाप करते जाते थे । और तीव्रता उनके अंदर आती जा रही थी हनुमान मंदिर की विशेषता से ऊर्जावान व्यक्ति हो जाता है । और उसमें तीव्रता के साथ में ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है । लेकिन यह बात कभी शुभ होती है तो कभी अशुभ हो जाती है । हनुमान जी की साधना करने की वजह से रात्रि के वक्त उनको अत्यंत ही क्रोध आने लगा और वह अपनी पत्नी से साधना करने के बाद जब पहुंचे तो उन्होंने उनसे कहा मेरे लिए एक गिलास पानी का लेकर आइए । यानी कि पुराने जो जमाने में जो मटके में से जल दिया जाता था और पात्र के द्वारा मटके से जल लाने को अपनी पत्नी से कहा । पत्नी ने उठने में देर कर दी और उन्हें बड़ा क्रोध आया उन्होंने तुरंत ही कई सारे थप्पड़ अपनी पत्नी को जड़ दिए । और यह करने के बाद वो रोती हुई चली गई और दूसरे कमरे में जा करके बैठ गई । थोड़ी देर बाद इनको अपनी इस गलती का बहुत ही बुरा एहसास हुआ और वह सोचने लगे । कि आखिर मैंने कैसे क्यू अपनी पत्नी पर थप्पड़ मारे और केवल पानी के लिए तो मैंने कहा था उससे

। उसे भी सोचना चाहिए वह पानी सहजता से ले आती तो मैं भी इतना परेशान नहीं होता और मैं ऐसा प्रयास नहीं करता । यह बात सुबह जा करके उन्होंने पंडित जी को बताई और पंडित जी से कहा कि हे पंडित जी ऐसा ऐसा रात्रि को हुआ है । और मुझे बड़ा क्रोध आया तो पंडित जी ने कहा हनुमान साधना की विशेषता है इससे साधक को बहुत ज्यादा क्रोध होता है । आप क्रोध से बचने के लिए सदैव रामनाम का जाप भी साथ में करते रहे मन में राम राम राम राम कहा कीजिए । ताकि आप क्रोध से बच सकें और इस प्रकार हनुमान जी के मंत्र का बुरा प्रभाव भी आप पर नहीं होगा । तो उन्होंने कहा कि ठीक है इस प्रकार वह दूसरी रात्रि को साधना करने के लिए बैठे । और देखा कि जब वह साधना कर रहे थे और तब उन्हें

अजीब दृश्य दिखाई दिए । उन दृश्य में उन्होंने सामने बहुत सारे बंदरों को खड़ा हुआ पाया बंदर जो चार पैर के होते हैं अर्थात उनके चार पैर होते हैं । और वह इधर-उधर उछलते रहते हैं सब के साथ खड़े होकर के उन्हे देख रहे थे । यानी दो पैरों पर यह अद्भुत नजारा उन्होंने पहली बार साधना में बैठे हुए देखा । यह अद्भुत तरीके का ऐसा चमत्कार था जिसके बारे में वर्णन करना ही कठिन था । क्योंकि मनुष्यो की तरह बंदरों का स्वभाव नहीं होता है वह सीधा खड़ा होकर के कभी भी अपना स्वभाव नहीं दिखाते हैं । लेकिन वहां पर उन्हें कई सारे बंदर सीधे खड़े हुए दिखाई दिए और उनकी रीढ़ की हड्डी भी मुड़ी हुई नहीं बिल्कुल सीधी थी । जैसे मनुष्यों की होती है तो इस प्रकार के चमत्कारिक उन्होंने दूसरी रात्रि को देखा । लेकिन जैसे ही वह साधना से उठे उनके अंदर भयंकर फिर से क्रोध आ गया और जंगल में जब वह अपने घर की तरफ जा रहे थे । तो सामने से उन्होंने हिरन को देखा वह हिरण इधर उधर खूब ताबड़तोड़ इधर-उधर कूदता उछलता हुआ सा जा रहा था । उसे देखकर उन्हें बड़ा ही क्रोध आया उन्होंने पेड़ से एक लकड़ी तोड़ी और जैसे ही हिरण उनके नजदीक आया उन्होंने इतनी जोर से हिरण पर प्रहार किया कि हिरण दूर जाकर के गिरा और लड़खड़ा हुआ वहां से फिर से दौड़ते हुए जाने लगा ।

लेकिन वह घायल हो चुका था और खून उसके शरीर से बह रहा था । एक बार फिर से सेवाराम जी को बड़ा ही आश्चर्य हुआ उन्होंने सोचा यह क्या हो रहा है । कल भी मैंने अपनी पत्नी को मार दिया था और आज मैंने इस हिरण को भी ताबड़तोड़ उस पर वार करके उसे घायल कर दिया है ।वह बेचारा एक अदना सा जीव जो अपनी स्वाभाविक प्रवृत्ति के हिसाब से जीवन को जी रहा था । मैं उसे देख कर के इतना ज्यादा क्रोधित कैसे हो सकता हूं । कौन है यह बात समझ में नहीं आई । लेकिन उनकी उनकी गुरु की जो कही हुई बातें थी जो परामर्श थी वह वह याद करने लगे ।उन्होंने कहा था कि जब अधिक क्रोध आए राम-राम राम-राम कहना । इस प्रकार से राम राम राम राम कहने लगे और उन्होंने अपने क्रोध को इस प्रकार से शांत किया ।लेकिन इस बात का उन्हें पछतावा था । क्योंकि जब तीव्रता क्रोध आता है तो वह कुछ समझ नहीं पाते हैं हनुमान साधना की यह महान विशेषता है । हनुमान साधक को निश्चित रूप से रोज ही आता है और क्रोध पर विजय प्राप्त कर लेना उसके लिए आवश्यक होता है । हनुमान साधना में यह विचित्र बात अवश्य ही प्रकट होता है । इस बात को हमेशा हर साधक को जान लेना चाहिए और इसके लिए इन्हें उससे जुड़े लोगों के लिए भी विनाशकारी होता है । इस प्रकार से उन्होंने अपनी दूसरी रात की पूजा संपन्न किया । और फिर जाकर घर से लिए चले गए एक बार पत्नी को सोते हुए देखकर । एक बार फिर से उनको क्रोध आया लेकिन उन्हें अपने मन को शांत किया । और राम-राम कह करके एक बार फिर से चुपचाप उन्होंने जल लिया और पी करके सो गए । उन्होंने इस बार बिल्कुल भी उसे परेशान करने की चेष्टा नहीं की ताकि उनकी पत्नी किसी भी प्रकार से उनसे परेशान ना हो ।

अपने राम नाम जाप के द्वारा वह अपने क्रोध को इस प्रकार शांत कर रहे थे । लेकिन कहते ना परिस्थितियां कभी भी बदल सकती हैं और बदल भी जाती है । तो तभी अगले दिन उनकी सास और ससुर और साथ ही साथ उनका साला भी वहां आ गए । और वह लोग घूमने के लिए उस क्षेत्र में आए थे । अपनी बहन को देखने के लिए एक भाई एक पिता और एक माता आए थे । वह लोग सभी उनके घर में ठहरे और आकर के सेवाराम जी से कहने लगे चलो क्यों ना आज कुछ बातें की जाए । लेकिन सेवाराम जी ने कहा मुझे रात्रि के समय में जाना होगा तो परिवार वालों ने कहा ऐसी कौन सा कार्य हैं जिनको करने के लिए आपको घर से बाहर जाना पड़ रहा है । आपको घर से बाहर नहीं हम जाने देंगे । आपको घर में रहना चाहिए आपकी पत्नी यहां अकेली है । और हम भले रिश्तेदार हैं लेकिन आपका कहां तक हम आपका साथ देंगे । तो उनकी बात सुनकर सेवाराम जी को फिर से गुस्सा आने लगा ।सेवाराम जी ने कहा यह आप क्या कह रहे हो मुझे मेरे को जिस कार्य के लिए जाना है मैं वहां जाऊंगा अवश्य ही जाऊंगा । लेकिन कहते हैं ना कि रिश्तेदारों के बराबर चुगल खोर कोई नहीं होता है । इधर-उधर लोग उड़ी उड़ी बातें और घर में लड़ाई लगाने के लिए बहुत से प्रयत्न किया ही करते हैं । उसमें खास तौर से पड़ोसी विशेष रूप से शामिल होते हैं । तो सेवाराम जी किसी की भी बात को अनसुना करके वहां से चलेंगे । कारण था साधना लेकिन उसके बारे में वह किसी को बता नहीं सकते थे । इसलिए उन्होंने सोचा कि अब मेरा बिना बताए ही जाना उपयुक्त होगा । वैसे भी सास-ससुर और साला तो है मेरी पत्नी की देखभाल करने के लिए और भला अपने दमाद को कोई क्यों रोक लेगा ।यह सोचकर उन्होंने किसी को बताया नहीं वहां से चले गए ।

लेकिन आसपास के लोग जिनकी आदत होती है कुछ ना कुछ चुगल खोरी करने की । तो उन्होंने ऐसे ही बात उड़ाने के लिए कि चलो इस घर में लड़ाई लगाई जाए और आनंद प्राप्त किया जाए । उन्होंने कहा कि सेवाराम जी अब तो स्त्रियों के पीछे भागते हैं और पता नहीं किस स्त्री से वह रात्रि को मिलने के लिए चले जाते हैं । ऐसा कह कर के उन्होंने आपस में बात करना शुरू कर दी और जोर-जोर से वह बात करने लगे । ताकि उनके जो रिश्तेदार उनके पास आए हुए हैं उन तक यह बात पहुंच जाए । बड़ी ही अजीब दृष्टि होती है लोगों की और हुआ भी वैसे ही कहते हैं उड़ी उड़ी बातें काफी दूर तक जाती है । और इस प्रकार से उनके साले ने अपने जीजा की इस करतूत को सुना जो कि सत्य नहीं थी । लेकिन जो कि दूसरों के मुंह से सुनी गई बातें जल्दी लोगों के द्वारा फैलाई जाती है और फैलती भी । उसने जाकर अपनी मां को और उनकी मां ने उनके पिता को बता दिया इस प्रकार से अब पिता माता ने अपनी पुत्री थी उसको समझाना शुरू कर दिया । किस प्रकार अपने पति को वश में रखना चाहिए । पति किसी और स्त्री के पास ना जाए । इसका ध्यान रखना चाहिए । पति किसी और स्त्री के पास ना जाए इसका ध्यान रखना चाहिए । हमेशा रात्रि के समय पति का पत्नी के पास होना आवश्यक होता है । वगैरह वगैरह इस तरह से एक नई परिस्थिति जन्म ले रही थी । जो कि एक बड़े विध्वंस की ओर संकेत कर रही थी । बड़ी स्थिति खराब होने वाली थी । और इसकी आवाज अब नजर भी आने लगी पत्नी ने रोना शुरू कर दिया ।

उसने भी हाय तौबा मचा दी । इधर पड़ोसियों के लिए आनंद के लिए विषय बन गया । पड़ोसियों के उस कुचक्र में एक बार फिर से सेवाराम जी फस चुके थे । इधर सेवाराम जी अपनी साधना पूरी करके रात्रि के समय जब वहां आए तो जल्दबाजी में अपने शरीर पर पानी गिरा लिया । क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि कोई उठे और पानी पीने के चक्कर में उन्हें काफी कुछ पानी अपने ऊपर गिरा लिया । उनको ऐसी हालत में देखकर के अब उनके रिश्तेदार और भी शक करने लगे । इस प्रकार से रात को कौन आता है यह तो कुछ अलग ही दृष्टि है कुछ ऐसा है जो समझ से परे  है । इस पर कन्या के पिता यानी कि सेवाराम जी के ससुर ने अपने पुत्र से कहा जाओ और सेवाराम के पास जाकर सूंघो कहीं कोई शराब की गंध तो नहीं आ रही है । उनका पुत्र भी उनसे अधिक चतुर चालाक और तीव्र बुद्धि का होने का भ्रम पाले बैठा था । वह थोड़ी दूर गया और वहीं से कहने लगा मुझे भी ऐसा लग रहा है जैसे कोई गंध सी है । ऐसा लगता है जैसे की शराबी पी गई  हो । जबकि वह उसके पास भी नहीं गया था । अब ऐसी स्थिति में बड़ी ही विक्रटम स्थिति पैदा होने वाली थी । दोनों परिवार के सभी सदस्य मिलकर आपस में कुछ बातचीत की और सब के सब सेवाराम के पास पहुंच गए । और उनसे कहने लगे आपको रात को अब हम जाने नहीं देंगे चाहे आप बुरा माने चाहे कुछ भी करें ।

अब हम आपको कहीं नहीं जाने देंगे और अगर आपने इसी प्रकार रखा तो हम और भी लोगों को और रिश्तेदारों को बुलाना पड़ेगा ।सेवाराम जी चकित हो गए यह कैसी स्थिति है । तब तक सेवाराम जी का एक बार फिर से को क्रोध जागृत हो गया और उन्होंने भला बुरा अपने रिश्तेदारों को सुना दिया ।इसकी वजह से अब दोनों ही तरफ स्थितियों में आग लग गई । क्योंकि बुरा भला सुनना भला किसे पसंद है उनकी पत्नी रोने लगी । सास भी उनका साथ देने लगी ससुर कहने लगा मेरा दमाद तो अब गया रास्ते से । इसी प्रकार साले ने भी अपने पिता का सहयोग किया । अब सेवाराम जी फस चुके थे । कहां वे साधना कर रहे थे और कहां उन पर बड़े-बड़े इल्जाम लगते चले जा रहे थे । इधर छोटे बच्चे और लड़कियां जो अब विवाह योग्य होने वाली थी । और क्योंकि उस जमाने में 14 वर्ष में ही विवाह हो जाता था । तो 12-13 वर्ष की कन्या है जल्दी ही शादी के लिए उनकी तैयारी कर दी जाती थी । तो ऐसी परिस्थिति में उनको देखकर के भी सेवाराम और बाकी लोग भी आश्चर्यचकित थे । कि इनका क्या होगा इधर बच्चियां भी अपने परिवार में हो रहे इस वातावरण से बहुत ही दुखी हो गई । उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था । सेवाराम को रात्रि को एक बार फिर से रोकने की कोशिश की जाने लगी ।

सेवाराम जी एक बार फिर से क्रोध आया और उन्होंने सबको बड़ा बुरा कहना शुरू कर दिया । कि क्यों वह अपनी पुत्री घर में इतने दिन रुके हुए हैं उन्हें यहां से चले जाना चाहिए इस पर बड़ी ही बेज्जती की बात महसूस करके सास-ससुर और साले ने कुछ आपस में विचार किया और बड़ी ही नई कुटिल योजना का जन्म दिया । साथ में उनकी स्वयं की पुत्री भी सहयोग कर रही थी । बच्चे भी सहयोग कर रहे थे । सब लोग सेवा राम पर शक था । और सेवाराम बेचारे एक साधारण सी साधना करने के लिए गए थे । जिसको करने के लिए भी कोई तैयार नहीं था और होने देने के लिए भी कोई तैयार नहीं था । अब कैसे इस बड़ी विडंबना से सेवाराम जी बाहर निकले । आगे उनके साथ क्या हुआ और यह क्योंकि घर घर की कहानी है । ऐसा जब भी कोई साधना करने जाता है या निकलता है तो उसके घर परिवार वाले रोक लेते हैं । और किस दिशा में उसकी साधना और भक्ति को ले जाते हैं और क्या क्या उसे नहीं कहते हैं यह भी बिल्कुल वैसा ही है जैसे सेवाराम जी की कहानी । तो हम भाग 3 में जानेंगे आगे सेवा राम जी की साधना में क्या हुआ उनके साथ कैसे परिस्थितियां बदली । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

भाग 3 का लिंक यहाँ क्लिक करे 

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