नवरात्रि माता पार्वती साधना रहस्य
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग नवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव और माता पार्वती के गोपनीय रहस्य उनके वार्तालाप और मां पार्वती के साधना के विषय में ज्ञान प्राप्त करेंगे। आखिर नवरात्रि में हम किस प्रकार से माता के विषय में जानकर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं? तो असल में माता का जो स्वरूप है, इस दौरान नव रूपों में प्रकट होता है। लेकिन अगर हम मूल तत्वों की बात करें तो माता पार्वती से ही 10 स्वरूप और नवदुर्गा स्वरूप निकले हैं। यानी दसमहाविद्या और नवदुर्गा, इसीलिए इनकी साधना सर्वोपरि हो जाती है और इनकी साधना करने वाला साधक नवदुर्गा और 10 महाविद्या साधना का पूरा प्रभाव प्राप्त कर लेता है।
लेकिन तांत्रिक वर्ग में माता पार्वती क्योंकि सौम्य भी है। इसी कारण से उनका विवरण बहुत ही कम देखने को मिलता है तो 9 दिनों में कैसे साधना करें। इन्हें कैसे प्रसन्न करें। किस प्रकार इनकी संपूर्ण सिद्धियां प्राप्त की जा सके। इसके विषय में ज्ञान प्राप्त करेंगे। हम सभी जानते हैं कि ब्रह्मा विष्णु और भगवान शिव सृष्टि के रचयिता, पालनहार और संघार का कार्य करते हैं। लेकिन यह सभी लोग अपना कार्य भगवती की शक्ति और प्रेरणा से ही संपन्न करते हैं। बिना शक्ति की सहायता के यह तीनों महत्वपूर्ण देव भी कुछ नहीं कर सकते हैं। जब भी ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होती है जब देव कार्य संभव नहीं हो पाता है। तब शक्ति के माध्यम से ही कार्य संपादित किया जाता है। ब्रह्मा जी ने कहा था कि स्त्री वामांगी है यानि इस प्रकृति में पुरुष और प्रकृति यानी नर और मादा दोनों को सम्मिलित बनाया गया है। इसी कारण से आधा हिस्सा इस प्रकृति का स्त्री कहलाती है। दोनों के अंगों को जोड़ने पर ही एक संपूर्ण अस्तित्व बनता है। मिलन के द्वारा भी हम जानते हैं कि एक शरीर की रचना होती है जिसमें स्त्री और पुरुष बराबर का सहयोग होता है। ऐसा नहीं कि सिर्फ पुरुष ही पुरुष को उत्पन्न कर सकता है या स्त्री ही स्त्री को इसीलिए पुरुष और स्त्री दोनों एक दूसरे के पूरक कहलाते हैं। इतना ही नहीं ब्रह्मा जी कहते हैं कि किसी भी देवता से पहले उसकी देवी का नाम लेना चाहिए। क्योंकि देवी ही उसकी शक्ति होती है। इसके बिना देवता कुछ भी नहीं है। जैसे सीताराम राधा, कृष्ण लक्ष्मी नारायण। इसी तरह हम विभिन्न प्रकार के रूपों में उनकी पूजा करते हैं। माता पार्वती ने कठोर तप करके एक साधारण मानवीय स्वरूप में जन्म लिया था, लेकिन भगवान शिव को प्राप्त कर लिया। भगवान शिव को प्राप्त करना असंभव कार्य किया किसी भी स्त्री के लिए शिव को पति बनाना असंभव कार्य है क्योंकि जो जगत का स्वामी है, उसे अपना स्वामी बना लेना आसान कार्य नहीं था, लेकिन अपनी भयंकर तपस्या के द्वारा अपर्णा बनकर उन्होने इस कार्य को संभव किया था स्वयं त्रिदेव ने इस? तपस्या की तारीफ करते हुए कहा था कि जगत में आपके समान ना कोई तपस्या कर सकता है और ना ही किसी की क्षमता है।
लेकिन माता की ऐसी स्थिति रही कि उनके शरीर में कुछ स्त्रीजन्य और स्त्री गुणों के कारण उनके मन में पिता के प्रति अधिक समर्पण और पति की बात ना मानना भी शामिल था। इसी कारण से भगवान शिव जान गए थे कि अब मानवीय शरीर के साथ उनकी संगिनी रूप में रहना संभव नहीं हो सकेगा। इसीलिए लीला हुई और उस लीला के माध्यम से सती को अपनी शरीर देह नष्ट करनी पड़ी और नया जन्म उन्होंने माता पार्वती के रूप में लिया था जहां उन्होंने अपनी तपस्या से भगवान शिव को दोबारा प्राप्त किया और उनके साथ उनकी देवी बन कर आज भी विराजमान हैं। इन्हीं माता पार्वती की कृपा से 10 महाविद्या स्वरूपों का जन्म होता है। नवदुर्गा का जन्म होता है इसलिए माता के स्वरूप मूल स्वरूप है जिसे मां पार्वती स्वरूप कहते हैं। इनकी आराधना करने वाला साधक सभी शक्तियां प्राप्त कर सकता है और समस्त सिद्धियां प्राप्त करते हुए मोक्ष प्राप्त कर लेता है। एकमात्र इनके पार्वती स्वरूप से ही संपूर्णता प्राप्त हो जाती है। इसीलिए इन्हें पार्वती पूर्णा कहा जाता है जो संपूर्ण है, कंप्लीट है। देवी मां की पूजा अगर आप करते हैं। नवरात्रि के समय में 9 दिन तो आपको धर्म, अर्थ, संपत्ति, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आध्यात्मिक उन्नति होती है। आत्म साक्षात्कार होता है। जीवन में संपूर्ण उन्नति होती है। कुंडली जागरण और शटचक्र भेदन की सिद्धि प्राप्त होती है। पशु भाव से वीर भाव, वीर भाव से दिव्य भाव की प्राप्ति होती है, मन प्रसन्न होता है, शरीर स्वस्थ होता है। जीवन में सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। वशीकरण शक्ति जागरण होता है। जादू टोना सभी षटकर्मो से मुक्ति मिलती है। संपूर्ण वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है शरीर के अंदर काम तत्व का विकास होता है। कलात्मक विकास होता है और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है। ज्ञान तत्व बढ़ता है और ऊर्जा के लिए सफलता अंदर से पैदा होती है। संपूर्ण चेतना शक्ति प्राप्त होती है। शिवत्व की प्राप्ति होती है। जीवन में ऋण मुक्ति यानी कर्जा बीमारी मुकदमे इन सब में आपको विजय प्राप्त होती है। इसीलिए माता की आराधना इस दौरान अवश्य ही करनी चाहिए। माता की ऐसी दुर्लभतम और दुर्लभ साधना आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगी। मैं आप लोगों के लिए विशेष रूप से इसमे केवल मंत्र के माध्यम से इस साधना को लेकर के आपके सामने उपस्थित हुआ हूं।
भगवान शिव ने स्वयं का वर्णन करते हुए कहा था कि शिव ना प्रकाश न अंधकार वह शून्य भी है और पदार्थ भी वह समस्त ब्रह्मांड है। वह शक्ति का स्रोत व शक्ति का ही हिस्सा है और खुद ही शक्ति भी हैं। इसीलिए शिव पुराण में कहा गया कि शक्ति का सहयोग ही परमात्मा कहलाता है। इसके अलावा माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछती है कि सबसे बड़ा मानव का गुण क्या है? तो कहते हैं मानव सबसे बड़ा पाप कौन सा है ? तो भगवान शिव ने इसका उत्तर एक संस्कृत श्लोक में दिया था। यानी दुनिया में मान-सम्मान कमाना और हमेशा सत्य बोलना सबसे बड़ा गुण है और इस दुनिया में सबसे बड़ा पाप बेईमानी और धोखा करना है। इसलिए धोखा इस दुनिया में सबसे बड़ा पाप है जो मानव करता है इसलिए मनुष्य को अपनी जिंदगी में हमेशा ईमानदार बन करके ही रहना चाहिए और अपने खुद के किए कार्यों का मूल्यांकन करते रहना चाहिए। जैसे परमात्मा करता है। भगवान शिव ने माता पार्वती को यह भी बताया था कि 1 कर्मों से विचार के माध्यम से पाप नहीं करना चाहिए। इसी को हम मानसिक कायिक और वाचिक ब्रह्मचर्य भी कहते हैं। साधना के समय ब्रम्हचर्य अनिवार्य आवश्यकता होती है।
वह जो है वह समस्याओं की जड़ होता है और मोह माया में सफलता के लिए सदैव बैरागी बनकर रहना चाहिए। तभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है तो इस दौरान आप माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए जिस मंत्र और बहुत सरल विधि का जो प्रयोग करेंगे जिससे आपकी मनोवांछित कामनाएं पूर्ण हो और माता पार्वती की अनिवार्य कृपा प्राप्त हो जाए। इसी का विधान मैंने अपने इंस्टामोजो में डाल दिया है। वहां पर जाकर आप नीचे यानी कि यूट्यूब के इस वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में लिंक है। माता पार्वती साधना का उस पर क्लिक करके आप इंस्टामोजो पर जाकर के। इस साधना को खरीद सकते हैं और माता! पार्वती की कृपा नवरात्रि में प्राप्त कर सकते हैं। सभी प्रकार की मनोकामना ओं की पूर्ति के लिए सिद्धि की प्राप्ति के लिए और सात्विक साधना का सबसे बड़ा स्वरूप मां पार्वती की आराधना के लिए इस साधना को साधक को अवश्य करना चाहिए। किसी भी नवरात्रि के अवसर में पड़ने वाली चार नवरात्रि में की जा सकती है तो यह नवरात्रि है। इसकी नवरात्रि में आप इस साधना को करेंगे तो निश्चित लाभ प्राप्त करेंगे और माता की ओर अपना दैवीय कदम अवश्य बढ़ाएंगे इसलिए माता की आराधना इस नवरात्रि पर मां पार्वती के मंत्रों से अवश्य करें, ताकि मां पार्वती आपके घर में सदैव विराजमान रहे। नकारात्मकता शरीर की और परिवार की घर की दूर करें और माता की ऊर्जा से आपके भाग्य का निर्माण करें।
आप सभी का दिन मंगलमय हो धन्यवाद!
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