नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक ऐसा अनुभव लेंगे जो कि एक सर्प के वशीकरण से संबंधित है। चलिए जानते हैं कि कैसा है यह अनुभव! और पढ़ते हैं इनके पत्र को।
पत्र – नमस्कार गुरु जी! मेरा नाम! संजय है। मैं बंजारा जाति से आता हूं। मैं आपको? यह बताना चाहता हूं कि मेरे दादाजी जो कि एक।
बड़े बंजारे थे। उन्होंने अपने ही गांव में एक बार एक नाग की सिद्धि कर ली थी। उस नाग को उन्होंने अपने वश में कर लिया था।
मैं उनकी कहानी ही आज आपको बताने जा रहा हूं।
गुरु जी यह बात आज से 60 साल पहले की है।
60 वर्ष पूर्व।
जब? गांव क्षेत्र बहुत ही अधिक विकसित नहीं हुआ करते थे। और वहां पर सभी कार्य लोगों को मिलजुल कर करने पड़ते थे और शहरों से संपर्क ना के बराबर हुआ करता था।
गांव अपने आप में पूर्ण होते थे और उन्हें जो कुछ करना होता था। वह स्वयं ही गांव के लोग आपस में अपनी समझ से कर लिया करते थे।
यह वह दौर था जब व्यक्ति गांव से बाहर केवल रिश्तेदारी के लिए या कोई सामान बेचने के लिए ही निकला करता था वरना उसका गांव ही उसकी अपनी दुनिया हुआ करती थी।
हमारा भी गांव! ऐसा ही था। बंजारा होने के कारण इधर-उधर जरूर हम लोग जाते थे लेकिन वापस कुछ समय बाद अपने गांव आ जाया करते थे।
एक बार मेरे दादाजी! अपनी गाय को गांव के बाहर बांधकर! कुछ विशेष कार्य कर रहे थे तभी उन्होंने एक नाग को आते हुए देखा।
वह एक कुएं से निकलकर तेजी से दौड़ता हुआ गाय की तरफ आया और उसने उस गाय को डस लिया जिसकी वजह से गाय तड़पने लगी। वह नाग भाग कर फिर से कुएं के अंदर चला गया। मेरे दादा जी ने यह सब कुछ देखा था। उन्होंने गाय को बचाने की भरसक कोशिश की, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाए, आखिरकार गाय मारी गई।
सब लोगों ने इस बात का इल्जाम मेरे दादाजी पर देना शुरू कर दिया कि तूम अपनी गाय को नहीं बचा पाए हो।
गाय को बचाना कोई साधारण बात नहीं थी। उस जमाने में जानवरों के डॉक्टर मिलना ना की बात थी।
ऐसे में वह करते भी तो क्या? कुछ दिनों बाद उन्होंने एक नई गाय फिर से खरीदी, वह भोजन पानी देने लगे।
और एक बार फिर से जो उनके साथ घटित हुआ।
उन्होंने इस बात की कल्पना भी नहीं की थी।
एक बार जब वह उसी गाय के समीप टहल रहे थे तो उन्होंने एक बार फिर से उसी कुएं के अंदर से एक नाग को दोबारा से निकलते हुए देखा। यह देखकर वह आश्चर्य में पड़ गए। वह नाग बहुत तेजी के साथ उस गाय की ओर दौड़ा और उसने गाय को डस लिया।
यह घटना दूसरी बार घटित हुई थी। यह एक खतरनाक बात!थी, यह कोई साधारण बात नहीं नजर आ रही थी। कोई नाग भला ऐसा क्यों करेगा कि वह? गाय को बार-बार डसे।
दादा जी जब तक मेरी गाय को बचाने की कोशिश करते उस गाय की भी मौत हो गई।
अब इस बात से मेरे दादा बहुत ज्यादा परेशान हो गए। बिना गाय के कैसे जीवन कटेगा? दूध, घी मक्खन, दही, छाछ ये सारी चीजें, गाय के माध्यम से ही प्राप्त होती हैं। अगर गाय ही नहीं पाल पाएंगे तो जीवन चलेगा कैसे? इस बात से बहुत अधिक परेशान हो गए थे। उन्होंने गांव के कई लोगों से इस बारे में बात की। गांव वालों ने कहा कि जरूर वह सर्प तुम्हारा पिछले जन्म का दुश्मन है। उसे रोकने के लिए किसी तांत्रिक को बुलाओ। पर तांत्रिकों वाले सारे प्रयोग असफल ही रहे। क्योंकि किसी भी तांत्रिक में इतनी क्षमता नहीं थी कि वह कुएं से उस नाग को निकाल पाए।
कुएं में अंदर झांकने पर कुछ भी पता नहीं चलता था क्योंकि वह काफी ज्यादा गहरा था। वह!
इस प्रकार का था कि उसे? हटाया भी नहीं जा सकता था और उपयोग में भी नहीं लिया जाता था।
वे किसी का घर उजाड़ना नहीं चाहते थे क्योंकि वह जानते थे कि यह नाग
साधारण नाग नहीं है। क्योंकि अगर ऐसा होता तो वह दोबारा गाय को आकर नहीं काटता। इसके पीछे कोई बड़ा रहस्य है ।
इसी प्रकार उन्होंने तब तक गाय नहीं पाली।
जब तक उन्हें इस बात का हल नहीं मिल गया। एक बार वह किसी दूर के गांव में गए हुए थे। वहां पर एक साधु से उनकी मुलाकात हुई। साधु ने उनसे बातों ही बातों में पूछ लिया। क्या तुम दूध बगैरह नहीं पीते हो? तब मेरे दादाजी ने उनके साथ घटित हुई। सारी घटना के विषय में बता दिया कि किस प्रकार से उनके जीवन में यह समस्या आ गई है। यह सुन कर के उस साधु ने कहा कि जरूर वह नाग तुम्हारे पूर्व जन्म का शत्रु है? या फिर जिस स्थान पर आप गाय को बांधते हैं वह कोई पवित्र स्थान है। जहां पर आप को गाय नहीं बांधनी चाहिए।
पर मेरे दादाजी ने कहा, इन सब बातों का कोई फायदा नहीं। मुझे उस नाग को वश में करना होगा तभी मैं गाय पाल सकता हूं।
साधु ने हंसते हुए कहा, मैं तुम्हें नाग वशीकरण मंत्र दे सकता हूं। इसकी सिद्धि करके तुम निश्चित ही सफल हो जाओगे, लेकिन इस साधना में आपको डरना नहीं है। इस पर मेरे दादा ने कहा, ठीक है। मैं आपके कहे अनुसार यह साधना करूंगा और निश्चित रूप से सफलता भी प्राप्त कर लूंगा। इसकी विधि आप मुझे बता दीजिए। इसके बाद! गुरुजी उन्होंने उन्हें वह मंत्र दिया जिस मंत्र को मैंने उनकी डायरी में लिखा हुआ पाया था। वह मंत्र भी मैं आपको बता देता हूं। यह मंत्र था
ओम ल ल ल ल ला ला कुरु स्वाहा।
इस प्रकार से इस मंत्र की उन्होंने सिद्धि की थी।
उन्होंने उस स्थान पर जहां पर कुंवा था बैठकर साधना करनी शुरू कर दी। साधना करते करते 21 दिन जब उन्हें हो गए तो वह नाग सामने आ गया। तब मेरे दादाजी ने घड़े की ओर इशारा करके उसको उसमें जाने को कहा। वह नाग घड़े के अंदर चला गया। उन्होंने घड़े को ऊपर से ढक्कन लगाकर बंद कर दिया। इसके बाद उन्होंने उस मटके को कान में लगाकर उससे बातचीत की। यह एक विशेष प्रकार की सिद्धि थी । वह नाग उन्हें बहुत ही गोपनीय बातें बताता रहा।
आखिरकार उन्होंने उस बात को जाना की गड़बड़ी कहां थी? जिस स्थान पर वह गाय को बांधते थे ठीक उसी के नीचे प्राचीन नागराज का मंदिर था। गाय वहीं पर गोबर और मूत्र कर देती थी। जिसकी वजह से नागराज को बड़ा ही क्रोध आता था। क्योंकि उनके स्थान पर कोई और! नहीं रह सकता।
इसी वजह से वह गाय से बहुत ही अधिक रुष्ट हो गए थे। उन्होंने इसीलिए गाय को जाकर डस लिया था।
अपने स्थान पर किसी और की उपस्थित उन्हें वैसे भी पसंद नहीं होती है ऊपर से गाय के मूत्र के कारण जमीन के अंदर सांपों के बच्चे। किसी वजह से फंस कर मर जाते थे। इसी के कारण से नाग में अत्यधिक क्रोध आ गया था और उसने बदला लेने की सोची जमीन के अंदर से ही कुएं के रास्ते से निकल कर उसने इसी कारण से गाय को डस लिया था। इसी के कारण गाय की मृत्यु हो जाती थी।
जिसके कारण मेरे दादाजी बहुत अधिक परेशान थे। बाद में इनकी सिद्धि की वजह से उन्होंने उस नाग के कारण एक जमीन में गड़े हुए चांदी के गड़े को भी प्राप्त किया था। चांदी से भरा हुआ वह गगरा यानी की घड़ा उन्हें प्राप्त हुआ। उन्होंने उस नाग को आजाद कर उसे आदेश देते हुए कहा था कि जहां पर भी धन गड़ा हो उसी स्थान पर तुम प्रवेश कर जाना।
और इस प्रकार से उस नाग ने उन्हें उस छुपे खजाने का रहस्य बता दिया था।
उस दौरान लगभग 5 किलो चांदी उन्हें प्राप्त हुई थी। इस से वह धनवान हो गए थे। गुरु जी मैंने आपको मेरे दादा के जीवन में घटित हुई सत्य घटना के विषय में बताया है। आप इसे अवश्य ही प्रकाशित करें और सभी लोगों को नाग को वश में करने का मंत्र भी बता दें।
नमस्कार गुरु जी!
संदेश – देखिए यहां पर इन्होंने इनके दादा के जीवन में घटित हुए। नाग वशीकरण मंत्र साधना विधि के बारे में बताया है। इस मंत्र के माध्यम से आप नाग को अपने वश में कर सकते हैं। लेकिन इस का विधान! आज उपलब्ध नहीं है, सिर्फ मंत्र है। इस मंत्र को पढ़ने से भी सर्प वशीकरण हो जाता हैं और बाकी नियमावली सर्प साधना या नाग साधना जैसी ही करनी चाहिए। यह एक सिद्ध मंत्र है और इसको पढ़ने से सर्प घड़े में प्रविष्ट हो जाते हैं। बाद में उनको वशीकरण करके आप उनसे मनचाहा कार्य भी करवा सकते हैं। नाग वशीकरण सिद्धि अनुभव अगर आपको यह पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।