नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक ऐसा अनुभव लेंगे जिसमें पाताल भैरवी साधना, इसके अलावा रतिप्रिया यक्षिणी और गुरु के दर्शन होने से संबंधित अनुभव प्राप्त हुआ है। चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को।
ईमेल पत्र-चरण स्पर्श, गुरुजी और धर्म रहस्य देखने वाले सभी दर्शकों को मेरा प्रणाम आशा करता हूं कि आप स्वस्थ और सकुशल होंगे। गुरु जी आपने मेरा पिछला पत्र महाकाली साधना और हनुमान चालीसा पाठ का अनुभव प्रकाशित किया था। वैसे तो गुरुजी अनुभव बताने के लिए एक नहीं बल्कि कई सारे हैं, लेकिन मेरे पास इतना समय नहीं है कि मैं आपको एक एक करके सभी अनुभव बता पाऊं, क्योंकि अनुभव प्रत्येक दिन होते रहते हैं। इसलिए यह संभव नहीं कि मैं आपको सभी अनुभव बता सकूं। इस अनुभव में माता अष्ट चक्र भैरवी के संबंध में भी वर्णन करूंगा कि किस प्रकार मुझे उनके दर्शन हुए। अब मैं अनुभव पर आता हूं। गुरु जी अनुभव तो मुझे प्रत्येक दिन होते हैं परंतु जब 1 दिन मै भगवान शिव के मंत्र का जाप कर रहा था तो ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई शक्ति मेरे शरीर में प्रवेश कर चुकी है और कोई शक्ति मेरे शरीर के ऊपर आ गई है। अब यह प्रत्येक दिन होने लगा। जब भी मैं मंत्र जाप करता हूं, वह शक्ति मेरे शरीर पर आ जाती और बिना कुछ कहे चली जाती। लेकिन अचानक एक दिन उसने मां काली का निरंतर नाम लेना शुरू कर दिया। इस घटना को भैया और दीदी ने भी देखा। भैया ने कहा, इसके ऊपर कोई शक्ति आ गई है। कहीं कोई भूत प्रेत तो नहीं आ गया। लेकिन दीदी बोली, यह तो भगवान शिव के मंत्र का जाप करता है। भला कोई बुरी शक्ति कैसे प्रवेश कर सकती है, लेकिन अब यह बाद उन्होंने नानी को भी बता दिया कि कोई शक्ति है जो छोटू के शरीर पर आ रही है मुझे बहुत अधिक
क्रोध आ रहा था। एक तो है शक्ति जो अपने बारे में न मुझे कुछ नाम बता रही थी और मेरा शरीर धारण करने को उसे मिला था। अब तो नानी भी पूछने लगी कि बेटा तुम्हारे शरीर पर कौन सी शक्ति आ रही है। सब ने यह बोल कर मुझे परेशान कर दिया कि इसके ऊपर भूत प्रेत आने लगे हैं क्योंकि मेरी आयु ज्यादा नहीं है। मैं केवल 18 साल का हूं। मैंने सोचा कि अब इस शक्ति के बारे में खुद ही पता लगा लूंगा कि यह शक्ति कौन है। इसलिए मैंने माता पाताल भैरवी के मंत्र जाप किया। इस पीडीएफ को मैंने इंस्टामोजो से डाउनलोड करके रखा हुआ था। विधान पढ़ा तो काफी अच्छा लगा आपने इसमें 41 दिन तक अखंड दीपक जलाने का विवरण दिया था। लेकिन मैंने केवल मूल मंत्र का जाप किया और कोई साधना नहीं की। सर्वप्रथम भगवान शिव के मंत्र का 11 बार उच्चारण किया। फिर भगवान गणेश मां काली भगवान भैरव के मंत्र का जाप किया। इसके पश्चात मैंने अपनी कुलदेवी और क्षेत्रपाल देवता से भी इसकी आज्ञा ली और अंत में माता पाताल भैरवी का आवाहन किया। उनसे कहा कि हे मां पाताल भैरवी मैं आपको माता रूप में आवाहन करता हूं। मेरा उद्देश्य आप की सिद्धि प्राप्त करना नहीं है। बस मेरे कुछ प्रश्न है जिनके उत्तर मैं आपसे जानना चाहता हूं। तत्पश्चात माता पाताल भैरवी के मूल मंत्र का उच्चारण करने लगा। यह सब कार्य मैंने उसी कक्ष में पूर्ण किया जिस कक्ष में मैं हनुमान! चालीसा का पाठ पूर्ण किया था। कुछ ही समय पश्चात मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कि पूरा कक्ष ही अंधकार में हो गया है। जबकि उस कमरे में तो सूर्य का प्रकाश आ रहा था।
लेकिन तभी मेरे कानों में एक ध्वनि सुनाई दी कि जल्दी से मंत्र जाप करना बंद करो। तुम्हारे पिताजी कुछ ही समय में घर आ जाएंगे और देखना वह सर्वप्रथम तुम्हें ही बुलाएंगे। यह कथन सत्य भी हुआ। मैं मुश्किल से 20 मिनट ही मंत्र जाप कर पाया क्योंकि वास्तव में पिताजी आ चुके थे। उन्होंने सबसे पहले मुझे ही बुलाया, इसलिए मैंने मंत्र जाप करना बंद कर दिया, किंतु मेरी माता पाताल भैरवी के दर्शन नहीं हुए। मुझे लगा माता नहीं आएंगी। लेकिन जब मैं रात्रि में सोने के लिए गया तो हर बार की तरह इस बार भी भगवान शिव के मंत्र का जाप करता हुआ कब सो गया। मुझे ज्ञात ही नहीं। गुरु जी इसके बाद में स्वप्न में देखता हूं कि एक व्यक्ति गुफा में से दौड़ता हुआ भाग रहा है। चारों तरफ अंधेरा ही था। तभी हाथों में तलवार ली हुई एक स्त्री उस गुफा से बाहर निकली। एक व्यक्ति घोड़े पर सवार हुआ। उस व्यक्ति के पास गया और कहा, तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है। मेरे पास योगिनी देवी की सिद्धि है। लेकिन तभी वह स्त्री बोली, अगर प्राणों की रक्षा चाहते हो तो इसी समय यहां से चले जाओ। अन्यथा तुम्हारी योगिनी शक्ति भी मुझसे रक्षा नहीं कर पाएगी। तुम्हें यह ज्ञात नहीं कि मैं कौन हूं, इसलिए यहां से चले जाओ। अगर कोई पुनः इस स्थान पर आया तो मैं उसका प्राण ले लूंगी। उसके पश्चात मैं देखता हूं कि भैया और दीदी मुझसे कुछ बोल रहे थे। वही बोल रहे थे कि छोटू हमारे आस पास जो एक गुफा है, हम वहां पर जा रहे हैं। मैंने सुना है कि वहां पर एक खतरनाक स्त्री रहती है। हम भी तो देखे वह कौन है जिससे लोग इतना डर रहे हैं। मैंने उनसे कहा, अगर आपको यह ज्ञात है कि वहां जाने पर प्राणों का खतरा है तो क्यों जा रहे हैं। भैया और दीदी बोले, हमारे पास गुरु जी द्वारा दिया गुरु मंत्र है। कोई भी शक्ति हमें क्षति नहीं पहुंचा सकती।
मैंने उनसे कहा कि ठीक है तब तक मैं आप दोनों की रक्षा के लिए भगवान शिव के मंत्र का जाप करूंगा। उसके उपरांत भैया और दीदी चले गए। लेकिन कुछ ही समय बाद भैया और दीदी दौड़ते हुए आए और बोलने लगे कि छोटू जल्दी यहां से भागो वह यहीं पर आ रही है। तभी मैंने देखा हाथों में तलवार ली हुई जिसके केश पूरी तरह खुले हुए थे। गले में नर मुंड की माला पूरा शरीर और वस्त्र काले थे। उनका यह स्वरूप माता काली के समान प्रतीत हो रहा था। उन्होंने तीव्र आवाज में कहा, बंद करो यह मंत्र जाप। और उन्होंने तलवार से मुझ पर वार कर दिया, लेकिन तभी मेरे मुख से स्वता ही मां शब्द का उच्चारण हो गया। वह कहने लगी तूने मुझे मां क्यों कहा, मैंने उनसे कहा, आप मेरे लिए माता के समान है तब उन्होंने कहा, तब तो इसका अर्थ यह है कि मैं तुझसे जो कहूंगी तू वह करेगा क्योंकि एक पुत्र का कर्तव्य है कि वह अपने माता-पिता की हर आज्ञा का निसंदेह पालन करें। मैंने उनसे कहा, मां आप मुझे जो आज्ञा देंगी, मैं वह करूंगा। उन्होंने कहा, मुझे रक्त पीना है। क्या तुम मुझे अपने शरीर का रक्त पान करा सकते हो। मैंने कहा माता अगर आपको ऐसा प्रतीत होता है कि आप मेरे रक्त का पान करके तृप्त हो जाएंगी तो निसंदेह आप मेरे शरीर के किस अंग से भी रक्तपान करना चाहती हैं। आप उस स्थान से रक्तपान कर सकती हैं। फिर उन्होंने मेरे मुख पर प्रहार कर दिया लेकिन।
मेरे मुख से काली मां शब्द का उच्चारण हो गया। वह मुस्कुराने लगी और कहने लगी। पुत्र अति उत्तम तुम मेरी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। मैं पाताल भैरवी हूं। मैं तुम्हारी मातृशक्ति की परीक्षा ले रही थी। पूछो जो प्रश्न पूछना है किंतु तुम यह स्मरण रखना कि मैं केवल तुम्हारे एक ही प्रश्न का उत्तर और एक ही इच्छा की पूर्ति करूंगी। मैंने उनसे पूछा, माता यह शक्ति कौन है जो मेरे शरीर पर आ रही है। उन्होंने कहा, यह शक्ति माता काली की सहायिका शक्ति है। अब तुम बताओ कि तुम्हारी इच्छा क्या है। इस शक्ति को अपने पास रखना चाहते हो या नहीं। मैंने उनसे कहा, माता इस शक्ति को आप अपने पास रख लीजिए। फिर उन्होंने एक पात्र में मुझे कुछ पीने के लिए दिया। उन्होंने कहा, इसे पी लो और मैंने उसे पी लिया और मेरा स्वप्न टूट गया। भैया मुझे आश्चर्य पूर्वक देख रहे थे। भैया बोले क्या हुआ छोटे तुम कोई भयानक स्वप्न देख रहे थे क्या ? मैंने उनसे कहा, क्यों क्या हो गया, भैया बोले, तुम काली मां काली मां शब्द का उच्चारण कर रहे थे। ऐसा लग रहा था कि तुम मां काली को अपनी सहायता के लिए पुकार रहे हो, लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा। इसके कुछ माह पूर्व भैया ने मुझे कहा था छोटे इस मंत्र का जाप करो और क्या अनुभव होता है, यह भी बताओ। वह मंत्र रतिप्रिया यक्षिणी का था। मंत्र कुछ इस प्रकार से था ओम ह्री रतिप्रिया स्वाहा यह वही है जो कि एक साधक ने बताया था जिसका शीर्षक था- रतिप्रिया यक्षिणी मंत्र जप तीन रात का विचित्र अनुभव मंत्र जाप करने से पूर्व भगवान शिव के मंत्र जाप और रतिप्रिया यक्षिणी से निवेदन किया।
की है यदि अगर यह मंत्र पूर्ण सही है तो कृपया आप मुझे ध्यान अवस्था में दर्शन दे। फिर मैंने मंत्र जाप शुरू कर दिया। कुछ ही समय बाद मुझे भगवान शिव के दर्शन हुए। इसके पश्चात मैंने देखा। एक सुंदर युवती जिसकी आयु 18 से 19 वर्ष होगी। उसने सफेद रंग के कपड़े पहने थे। उसके शरीर में केवल स्वर्ण के आभूषण थे। उसका रंग दूधिया था। उसका चेहरा पूरी तरह से चमक रहा था। वह मुझे एकटक देख कर मुस्कुरा रही थी। तभी पापा की धुन सुनाई दी। वह मुझे बुला रहे थे। फिर मेरा ध्यान टूट गया। मैंने यह सब बात भैया को बताइ गुरुजी दूसरा अनुभव रतिप्रिया यक्षिणी का कुछ इस प्रकार से है। जब एक रात मैं आपके रतिप्रिया यक्षिणी और बगलामुखी मठ की कथा सुन रहा था तो मैं कब निद्रावस्था में चला गया, यह पता ही नहीं चला। स्वप्न में मैं आपको देखता हूं। आप ने सफेद रंग के वस्त्र पहने हुए थे। आपके मस्तक पर चंदन का तिलक आपने लगाया हुआ था। आपने मुझसे कहा, आपको तो रतिप्रिया यक्षिणी की साधना करनी चाहिए। फिर मैंने स्वयं को साधना करते हुए देखा। तभी मैंने यह देखा कि मेरी तरफ भगवान शिव बैठे हुए हैं। लेकिन कुछ समय बाद मैंने उस स्थान पर आपको बैठा हुआ देखा। आपने मुझसे कहा कि आपका सारा ध्यान रतिप्रिया के ऊपर केंद्रित होना चाहिए। गुरु जी फिर मैं देखता हूं कि वैसे ही स्वरुप में जैसे कि मुझे ध्यान में हुआ था ठीक उसी प्रकार की एक सुंदर युवती मेरे सामने थी। वह कहने लगी कि तुम्हारी क्या इच्छा है। आपने कहा, इससे तीन वचन ले लो और फिर मेरा स्वप्न टूट गया।
गुरु जी यह अनुभव तब की है जब मेरे ऊपर एक बार तंत्र प्रयोग हुआ था। मुझे अपने गुप्त शत्रु के बारे में और उस स्त्री के संबंध में संपूर्ण रहस्य से अवगत हो चुका था। जब मैं बेड पर सो रहा था लेकिन गुरुजी में पूर्ण रुप से निद्रा अवस्था में नहीं था। गुरु जी एक बार पुनः मैंने आपको देखा आपने कहा कि आप गुरु मंत्र की दीक्षा ली लीजिए। मैंने आपसे कहा, गुरु जी समस्या समाधान नहीं हो रहा है। अब आप मेरे घर चलिए और अब आप ही सब कुछ ठीक कीजिए। आपने कहा नहीं, मैं आपके घर नहीं जा सकता। आपको खुद ही इस समस्या का समाधान करना होगा। आपकी समस्या बहुत जटिल है जो तांत्रिक है उसे मां तारा की संपूर्ण सिद्धि प्राप्त है। उसने आप की कुलदेवी को बंधन में ले रखा है जिससे आप की कुलदेवी आपकी रक्षा ना कर पाए। इसलिए अब आपको भैरवी साधना करनी होगी। जब तक आप शक्ति को पूर्ण रूप से अपनी सहायता के लिए नहीं पुकारेंगे। तब तक वह शक्ति भी आपकी पूर्ण रूप से सहायता नहीं करेगी। गुरुजी, फिर मैंने आपसे कहा कि भैया ने प्रचंड तंत्र नाशक प्रयोग भी किया जो आपने इंस्टामोजो पर डाला था लेकिन इसका पूरा प्रभाव नहीं पड़ा। आपने कहा, मैंने कहा था ना भैरवी साधना कीजिए। अब वही इस समस्या का पूर्ण समाधान करेगी और तभी आप उस तांत्रिक को पराजित कर पाएंगे। गुरु जी इसके बाद मुझे पुनः एक स्त्री दिखी, किंतु सब कुछ मुझे काला काला दिख रहा था। वह बोली कि सो रहे हो। अगर अभी मैं नहीं आती तो कौन रक्षा करता। मैंने उनसे कहा, आप कौन है? उन्होंने कहा, मैं भैरवी हूँ इसके बाद में पूर्ण रूप से जागृत अवस्था में आ गया। गुरुजी एक और बात जो मैं आपको बताना भूल गया था। हम एक बगलामुखी साधक के पास गए थे। यह वही बगलामुखी साधक हैं जिन्होंने रूद्रेश बंधारा के भाई को ठीक किया था रूद्रेश जो कि आप के शिष्य है। हमने उन बगलामुखी साधक से बात किया था और अपनी समस्या को बताया था लेकिन वह भी समस्या का समाधान नहीं कर पाए। उन्होंने 60000 लिया था। उस तांत्रिक ने उनकी भी बुरी गति कर दी थी। उन्होंने कहा, मैंने आपकी समस्या को हल्के में ले लिया था। मैंने सोचा यह समस्या रूद्रेश जी की तरह सामान्य होगी। लेकिन आपकी समस्या तो बहुत गंभीर है। यह तो बहुत उच्च कोटि का साधक है। मुझे इस समस्या में अपना हाथ डालना ही नहीं चाहिए था। अब तो वह मुझे भी नहीं छोड़ेगा। अंत में वह भी असफल रहे आप सही कहते हैं हमें स्वयं सक्षम होना चाहिए क्योंकि दूसरा व्यक्ति कब तक हमारी सहायता करेगा।
गुरु जी यह अनुभव बड़ा विचित्र है। शायद आप भी सुनकर आश्चर्य में पड़ जाए यह अनुभव माता अष्ट चक्र भैरवी से संबंधित है। मैंने इनकी साधना नहीं की है और ना ही मैं आपसे गुरु दीक्षित हूं। गुरु जी यह अनुभव दिसंबर महीने का है। जब एक माह में मेरे मस्तिष्क में निरंतर विचार आ रहे थे कि आपकी स्थित चक्र भैरवी सिद्धि आपको पुनः प्राप्त होगी। जब एक दिन मैं पुनः भगवान शिव के मंत्र से सामान्य हवन कर रहा था। तब भगवान शिव से मैंने यह निवेदन किया कि हे गुरुदेव मुझे जो धर्म रहस्य के गुरु जी सूरज प्रताप के संबंध में विचार आ रहे हैं कि उनकी अष्ट चक्र भैरवी सिद्धि उन्हें प्राप्त होगी। अगर यह सत्य है तो स्वप्न के माध्यम से इस रहस्य से अवगत करवाएं। उस रात्रि मुझे सपने में भगवान शिव और माता पार्वती दिखी। माता बोली, तुम सदैव शिव शक्ति के पुत्र रहोगे। इसके पश्चात मैं पुनः देखता हूं कि चारों ओर से विभिन्न प्रकार की दुष्ट शक्तियों ने घेर रखा है। तभी कानों में ध्वनि सुनाई देती है। देवी अष्ट चक्र भैरवी का आवाहन करो। मैंने उनसे कहा, मुझे तो उनका मंत्र ही ज्ञात नहीं है। फिर मैं उनका आवाहन कैसे करूं? उन्होंने कहा, केवल नाम का उच्चारण करो और उनके नाम का उच्चारण करते हुए मैंने उनका आवाहन किया। तभी हाथों में त्रिशूल ली हुई भगवान शिव की तरह बाघम्बर धारण की हुई। उन्होंने केवल गुंजन मात्र से उन सभी को जलाकर नष्ट कर दिया। मैंने सोचा नहीं था कि माता अष्ट चक्र भैरवी के इस प्रकार से दर्शन होंगे।
उन्होंने कहा, पुत्र तुम्हें जो संकेत मिले हैं, वह सत्य है। मैं पुनः तुम्हारे गुरु के जीवन में आऊंगी। मैं उनसे आगे कुछ पूछता मेरा स्वप्न पुनः टूट गया। मैं सोच में पड़ गया, क्योंकि आपने ही तो स्वयं बताया था कि आपको श्राप मिला था कि आप की अष्ट चक्र भैरवी सिद्धि सदा के लिए नष्ट हो जाएगी फिर कैसे? बाकी आप तो स्वयं सिद्ध पुरुष है। इसका रहस्य मैं समझ नहीं पाया। अब आप ही बताएं या फिर माता आप के माध्यम से कुछ और कहना चाहती थी। गुरुजी स्वप्न के माध्यम से मुझे यह ज्ञात हो जाता है कि कब और क्या घटित होने वाला है और एक बात गुरुजी। अगर मैं आपके कोई अनुभव को सुन लेता हूं तो उस शक्ति के मुझे दर्शन होना ही होना है। चाहे वह बाबरा भूत और नवलखा, मठ मंदिर या विद्राविणी नायिका साधना का अनुभव हो या फिर दंतेश्वरी मंदिर के प्रेत या कोई अन्य अनुभव गुरुजी में भगवान शिव के मंत्र का 2 वर्ष से जॉप कर रहा हूं, लेकिन मैंने कभी भी मंत्र जाप गिना नहीं है। पिछले कुछ दिनों में जब अभी मैं मंत्र जाप करता हूं तो छम छम की आवाज आती है। गुरुजी मेरा उद्देश्य कभी भी सिद्धि प्राप्त करना नहीं था। मेरा उद्देश्य शिव शक्ति को पूर्ण रूप से प्राप्त करना है। गुरु जी अब मैं कुछ प्रश्न है। कृपया इनके उत्तर अवश्य दीजिएगा। गुरुजी स्वप्न में मुझे आपके निरंतर दर्शन होना। क्या यह गुरु भक्ति का चमत्कार है जबकि मैंने तो आपसे दीक्षा नहीं ली है। गुरु जी स्वप्न में मंत्र तो मुझे प्राप्त होता है किंतु पूर्ण रूप से मंत्र प्राप्त नहीं होता इसका क्या कारण हो सकता है? गुरु जी माता अष्ट चक्र भैरवी के कहने का तात्पर्य क्या था? गुरुजी! स्वप्न में स्वयं को रतिप्रिया यक्षिणी की साधना करते हुए देखना इसका क्या अर्थ है? गुरु जी जब भी मैं मंत्र जाप करता हूं तो मुझे नींद क्यों आने लगती है और शरीर स्वता ही आगे पीछे होने लगता है। इसका क्या कारण है? गुरु जी क्या गुप्त नवरात्रि में आपसे दीक्षा ले सकता हूं धन्यवाद!
संदेश-तो देखिए यहां पर आपने अपने अनुभव को विस्तृत रूप से बताया है तो पहले प्रश्न में निश्चित रूप से हम जब किसी व्यक्ति विशेष को मन ही मन गुरु मान लेते हैं तो आप ने भले ही उनसे दीक्षा ना ली हो तो भी उनकी शक्तियों और उनके दर्शन संभव हो जाते हैं। बिलकुल वैसे ही जैसे एकलव्य ने द्रोणाचार्य को अपना गुरु माना था और उन के माध्यम से बिना उनसे दीक्षा लिए भी उनकी शक्तियां और धनुर्विद्या में निपुणता हासिल की थी। दूसरे प्रश्न में स्वप्न में जो मंत्र आपको मिलते हैं वह तब ही आप पूरी तरह से प्राप्त कर पाएंगे जब पूर्ण सिद्ध साधक बनेंगे उससे पहले नहीं। और अष्ट चक्र भैरवी के कहने का तात्पर्य यह है कि गुरु पर अगर बंधन है तो शिष्यों पर बंधन नहीं है। यानी कोई भी शिष्य अष्ट चक्र भैरवी को सिद्ध कर सकता है जो गुरु मंत्र से दीक्षित हो और शिष्य के पास सिद्धि हो या गुरु के पास हो, बात एक ही होती है। आपने स्वयं को रतिप्रिया यक्षिणी की साधना करते देखा है। इसलिए निश्चित रूप से आपको भविष्य में रतिप्रिया यक्षिणी की साधना अवश्य करनी चाहिए। इससे आपको उसकी सिद्धि मिलेगी और उसके भी भगवान शिव के साथ दिखाई देने का अर्थ है कि उसके सात्विक स्वरूप के ही दर्शन आपको हुए हैं जो बहुत अच्छी बात है आपको निश्चित रूप से रतिप्रिया यक्षिणी साधना करनी चाहिए। स्वप्न के बाद अगर आप साक्षात रुप से साधना करते हैं तो नींद आने का तात्पर्य है कि आपका शरीर ऊर्जा को जब सहन नहीं कर पाता है तो नींद देकर साधना बंद करवाने की कोशिश करता है। यह सभी साधकों के साथ होता है। अंतिम प्रश्न के रूप में आपने पूछा है कि क्या गुप्त नवरात्रि में दीक्षा ले सकता हूं तो निश्चित रूप से आप इसी योग्य हो कि आप गुप्त नवरात्रि में मुझसे दीक्षा ले सकते हैं और जीवन में माता की पूर्ण कृपा, माता
चाहे वह त्रिपुर भैरवी हो, पाताल भैरवी हो, अष्ट चक्र भैरवी हो या रतिप्रिया यक्षिणी हो, सभी की शक्तियां प्राप्त कर सकते हैं। गुरु मंत्र के अनुष्ठान के बाद में । तो यह था उनका अनुभव अगर आप लोगों को यह पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।