नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। पिशाचिनी साधना और गुरु मंत्र रक्षा भाग 2 में आज हम जानेंगे कि आगे साधक महोदय के साथ क्या घटित हुआ जैसे कि पिछली बार उन्होंने सामने से किसी लंबे
बालों वाली स्त्री को देखा था।
अब चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं कि आगे क्या घटित हुआ था?
नमस्कार गुरु जी, पिछले पत्र को आगे बढ़ाते हुए अब मैं आगे की बात बताता हूं। मैंने जब दरवाजा खोला था तो सामने लंबे बालों वाली एक स्त्री खड़ी थी।
लेकिन उसने आकर तुरंत ही मेरे मुंह में प्रवेश कर लिया और मुझे जोर का झटका लगा।
और मैं हड़बड़ा कर उठ बैठा। तब मुझे पता चला कि मैं तो स्वप्न देख रहा था, लेकिन यह तो अपने बिल्कुल सच लग रहा था जैसे कि कोई दरवाजे पर आया हो। तब मैंने बाहर जाकर देखा सुबह की धूप अच्छी लग रही थी और ठंडी भी थोड़ी-थोड़ी शुरू हो चुकी थी।
अक्टूबर महीने की समाप्ति हो रही थी इसलिए ठंडक का माहौल था।
उस दिन काफी अच्छा महसूस कर रहा था। हालांकि इस तरह के डरावने सपने के बाद मुझे अजीब सा लगा था लेकिन?
अब क्योंकि मैं वास्तविक दुनिया में आ चुका था। इसलिए डर की कोई वजह रह नहीं गई थी। फिर मैंने अगली रात को भी इसी प्रकार साधना जारी रखी। अब आता है गुरुजी साधना का आखिरी दिन। जब मैं साधना कर रहा था तभी अचानक से मेरे सिर पर किसी ने जोर से जैसे हथोड़ा मार दिया हो। ऐसा अनुभव मुझे हुआ इतना तेज दर्द कि मंत्र जाप करना ही मुश्किल हो गया था। मेरी समझ में नहीं आ रहा था। यह कैसा दर्द है?
असहनीय दर्द था वह! लेकिन इतना तो मैं समझ ही चुका था कि यह सब कुछ तंत्र में हुआ करता है। इसलिए चाहे प्राण जाए लेकिन साधना भंग ना होने पाए। यही सोच कर मैंने अपनी साधना जारी रखी। आंखें बिल्कुल भी नहीं खोली क्योंकि मैं जानता हूं। साधना के बीच में अगर आंखें खोली जाती हैं तो इससे भी साधना भंग हो जाती है।
और अचानक से मुझे लगा जैसे किसी ने मुझे गले लगा लिया है।
मैं स्पष्ट समझ सकता था कि कोई मेरी गोदी में आकर बैठ गया है।
और अपनी बाहों में मुझे कस रहा है फिर उसके शरीर की गर्माहट मैं अच्छी तरह महसूस कर सकता था। लेकिन फिर भी मैं मंत्र जाप करता रहा। मैंने यह सोचा कि अगर मैंने वार्तालाप शुरू किया तो मेरे मंत्र जाप बंद भी हो सकते हैं। इसलिए मैंने उस ओर ध्यान ही नहीं दिया पर वह तो मेरे शरीर से पूरी तरह चिपक गई थी। वह स्त्री थी। यह बात पूर्णता स्पष्ट थी क्योंकि उसके शरीर के स्तन मेरे शरीर पर चुभ रहे थे।
और उसकी गर्म सांसे भी मैं महसूस कर सकता था। उसके बाद फिर उसने कोशिश की मेरा ब्रह्मचर्य तोड़ने की पर मैंने इस ओर भी ध्यान नहीं दिया। काफी देर उसने प्रयास किया लेकिन मैं बिल्कुल निर्जीव बना बैठा रहा। तब उसने मेरे को गले लगाते हुए। कान में कुछ कहा।
और उसने एक गोपनीय मंत्र दिया। उसका मंत्र मुझे अच्छी तरह याद हो गया।
और उसने मेरे कान में कहा, सुनो मैं तुम्हारी इस साधना से पूरी तरह संतुष्ट हो चुकी हूं और अब तुम अपनी आंखें खोल सकते हो। मुझे देख सकते हो, आज से मैं तुम्हारी हो चुकी हूं। तब मेरी साधना भी पूर्ण हो चुकी थी। मैं एक्स्ट्रा मंत्र जाप कर रहा था।
इसलिए अब अधिक मंत्र जाप करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता था। तब मैंने पहली बार आंखें खोली और उस सुंदर रहस्यमई स्त्री को देखा।
20-21 साल की उम्र! शरीर पर कोई भी वस्त्र नहीं।
बहुत अधिक गोरे रंग की। चेहरा गोल आंखें बड़ी और वासना से भरी हुई। मेरी गोदी में मुझसे गले लगे हुए मेरे चेहरे के ठीक सामने!
जैसे कि कोई प्रेमी जोड़ा आपस में चिपका होता है। कहने लगी आपने इतनी मेहनत से मुझे सिद्ध किया है। मैं एक सिद्ध पिशाचिनी हूं।
आपने जिस मंत्र से मेरा जाप किया था वह मेरा मूल मंत्र नहीं था। मैंने जो मंत्र आपको आपके कान में बताया है यही मेरा वास्तविक सच्चा मंत्र है। आप इसी मंत्र का आप जब जाप करेंगे।
केवल 21 बार मेरे इस मंत्र का उच्चारण करके आप मुझे साक्षात देख पाएंगे।
तब मैंने उससे कहा कि आपकी और क्या-क्या इच्छाएं हैं और मैं आपको वचन में किस प्रकार से बांधू
तब उसने कहा, आपको तो पहले से ही सब कुछ ज्ञात है लेकिन फिर भी तंत्र साधना के नियम के अनुसार मैं जब आऊंगी आपको मुझे भोग देना होगा और भोग में मुझे। किसी ना किसी जीव का मांस आपको शराब के साथ देना होगा। इसके बाद! आप? मुझसे कोई भी कार्य करवा सकते हैं। कार्य को पूर्ण करने के बाद आपको मैं शारीरिक सुख भी दूंगी। उसके बाद ही अपनी दुनिया में वापस लौट कर जाऊंगी और जब भी मेरी इच्छा होगी मैं आती रहूंगी।
अगर आप मुझे बुलाते हैं तो 21 बार मंत्र का जाप करना है और मेरा भोग मुझे अर्पण कर देना है।
इस प्रकार मेरा और उसके बीच का वचन हो गया था और मैं अब पूरी तरह से खुश था। अब उसने कहा, आपने मुझे प्रसन्न किया है इसलिए अब! मैं आपको संतुष्ट करती हूं।
इसके बाद फिर उसने उसी बिस्तर पर मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाए और इतना अधिक सुख प्रदान किया कि जिस की स्मृति मुझे अगले दिन भी पूरी तरह बनी रही। मैं बस यही सोच रहा था कि कब रात्रि होगी। उसके मंत्र का जाप कर लूंगा और उसे बुला लूंगा। क्योंकि मुझे तो बैठे-बिठाए ही। एक पूर्ण संतुष्ट करने वाली प्रेमिका प्राप्त हो चुकी थी।
उसने कहीं से भी मुझे भयभीत नहीं किया था।
अगली रात को मैंने फिर से उसके उस दिए गए गोपनीय मंत्र का जाप किया और अपने बिस्तर पर जाकर बैठ गया कि वह आएगी। तभी मेरी नींद लग गई। मैंने महसूस किया कि पीछे से आकर कोई मेरे लेट गया है और उसने अपना हाथ मेरी छाती पर रखा है। मेरे कान के नीचे चुंबन कर रहा है।
मैं समझ गया कि यह वही है। लेकिन तभी मैंने महसूस किया कि कोई मेरे पैरों पर भी चुंबन कर रहा है। कोई मेरे सिर के बाल भी सहला रहा है।
इस प्रकार सिर के बाल सहलाने और पूरे शरीर में उंगलियां फेरना
यह सब अजीब सा हो रहा था तब मैंने अपनी आंखें खोल दी। तब मैंने देखा उस वक्त मेरे ऊपर चार प्रकार की स्त्रियां मौजूद थी और सभी मेरे साथ प्रणय करना चाहती थी। मैं हड़बड़ा गया।
और एक ओर हो गया।
कि तभी किसी के जोर से हंसने की आवाज आई तब मैंने पिशाचिनी को सामने देखा। वह हवा में ऊपर उठी हुई मुस्कुराती हुई मुझे देख रही थी। वह कहने लगी कि पुरुषों को सिर्फ एक स्त्री पसंद नहीं होती है। यही सोचकर मेरे स्वामी मैंने आपके लिए अपनी कुछ सेविका शक्तियां भेजी है और वही अब आप को प्रसन्न कर रही हैं? आप इनसे घबराइए नहीं। ये सारी मेरी सेविका है और मेरी सेविका हमेशा बनी रहेगी।
आप निश्चिंत होकर इनके साथ? संबंध बना सकते हैं। यह सुनकर में पहली बार हड़बड़ा गया।
तब उस पिशाचिनी ने कहा। आपने मेरा भोग नहीं दिया है, वह कहां है?
तब मैंने उससे कहा, मैं भूल गया हूं तो वह कहने लगी। कोई बात नहीं लेकिन आगे से ऐसी गलती मत कीजिएगा। क्योंकि मुझे अगर क्रोध आ गया तो मैं भूल जाती हूं कि आप मेरे स्वामी है। मैं सब कुछ छोड़ कर तुरंत भागता हुआ एक कसाई की दुकान पर गया और वहां से मैंने कुछ मांस लेकर और बगल की दुकान से शराब लेकर दौड़ता हुआ आ चुका था।
यहां पर जब मैं अपने घर पहुंचा तो वह पिशाचिनी वहां मौजूद नहीं थी। मैंने सोचा कहीं वह नाराज तो नहीं हो गई। इसके आगे क्या हुआ। मैं आपको अगले भाग में बताऊंगा। नमस्कार गुरु जी!