पिशाचिनी साधना और गुरु मंत्र रक्षा भाग 5
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। पिछली बार हमने पिशाचिनी साधना और गुरु मंत्र रक्षा भाग 4 में जाना था कि कैसे एक चुड़ैल सी औरत इनके जीवन में प्रवेश करती है। अब आगे के अनुभव को जानते हैं और पढ़ते हैं इनके पत्र को।
नमस्कार गुरु जी, पिछली बार मैंने जो बताया था उसके आगे की बात अब मैं आपको बताता हूं। गुरु जी उसने मेरे को पूरी तरह से जकड़ लिया था। उसने मेरे शरीर को बिल्कुल वैसे ही बना दिया जैसे कि मरा हुआ इंसान होता है। मेरे शरीर के साथ उसने बहुत बुरी तरह से बलात्कार किया था। यह ऐसा ही है जैसे। जब किसी स्त्री के साथ कई पुरुष मिलकर बलात्कार करते हैं, बिल्कुल वैसा ही इस भयानक शक्ति ने मेरे साथ किया था। मैं जरा सा भी हिल नहीं पाया। मेरे शरीर को नोचा और खसोटा सा गया था। यह अजीब है सुनने में कि पुरुष का भी बलात्कार हो सकता है, लेकिन यह सच बात है। ऐसा मेरे साथ उस दिन घटित हुआ था। लेकिन जैसे ही वह संतुष्ट हो गई। तुरंत ही वह सामने आकर खड़ी हो गई और कहने लगी। तूने मुझे प्रसन्न किया है इसलिए अब बता कि तूने पिशाचिनी की सहायता से मुझे क्यों बुलाया है तब मैं अपने आप को संभालते हुए उससे कहने लगा। मुझे धन की प्राप्ति करनी है। इसलिए मुझे कहीं से भी धन की प्राप्ति करवाओ।
कुछ क्षण रुकने के बाद वह बोली आज जब तू बस में सफर करेगा। इस दौरान एक औरत तुझे मिलेगी उसे अपनी मां बना लेना। मैं तेरी इसमें सहायता करूंगी। फिर तुझे सब कुछ मिल जाएगा। उसकी बात पूरी हुई तो मैं आश्चर्यचकित रह गया। क्योंकि किसी भी स्त्री को मां बनाने से भला मुझे धन कहां से मिल जाएगा? लेकिन उसकी बात तो माननी ही थी। तब वह कह कर गई कि मैं जल्द ही आऊंगी और तू इसी प्रकार मुझे संतुष्ट करना। यह कहकर फिर वह वहां से गायब हो गई। अब मैं उस घटना के बारे में सोचता रहा जो उस शक्ति ने मेरे साथ किया था। उसने मेरा पूरा शरीर ही निचोड़ दिया था।
अब मैंने पिशाचिनी का आवाहन किया और उसे बुलाया तो वह कहने लगी कि उसका भोग तो उसे देना ही होगा। जैसे मुझे देते हो, बस फर्क इतना है कि मैं सरलता से वही कार्य करती हूं और वह अपने नियंत्रण में रखकर वही कार्य करती है। हम दोनों को ही तुम्हें संतुष्ट रखना ही होगा। इसके अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। समझ चुका था कि मैं फंस चुका हूं। लेकिन? मुझे अपने कार्य निकाल लेना आवश्यक है। इसीलिए अब मैं तैयार हो गया। मैंने अपने घर के बाहर से ही बस को पकड़ लिया और जाने लगा। मुझे यह भी नहीं पता था कि कितनी दूर तक यह बस जाएगी और कब मेरी मंजिल मुझे प्राप्त होगी। थोड़ी ही देर बाद मेरी बगल की सीट का आदमी उठकर उतर गया और तभी वहां एक बूढ़ी स्त्री मुंह में पान चबाती हुई। वहां पर आई और मुझसे कहने लगी। क्या तेरे बगल की सीट खाली है? क्या मैं इस पर बैठ सकती हूं? मैंने उसे अपने बगल में बिठा लिया। उसकी बातों से वह बिल्कुल भी अच्छे किस्म की औरत नहीं लग रही थी। उसकी हरकतें बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी लेकिन पिशाचिनी शक्तियों के कहे अनुसार अब मेरे लिए। कोई दूसरा विकल्प भी तो नहीं मौजूद था इसलिए मैंने अचानक से अपने कुछ! कपड़े उसके पैरों पर गिरा दिए और उठाने लगा। तब मैंने उसके पैर पकड़े ऐसे उसे लगे, तब वह कहने लगी। क्या हुआ तू मेरे पैर क्यों पकड़ रहा है तब मैंने कहा, मैं तो अपने वस्त्र उठा रहा था। लेकिन आप तो माता है और भला मां के पैर कोई क्यों नहीं छूयेगा?
तब वह मुस्कुरा कर कहने लगी। तू पहला है जो मेरा बेटा बना है वरना तो सब मेरा स्वामी ही बनने की कोशिश करते रहे हैं। चल तूने मेरा दिल खुश कर दिया है। तू क्या करता है तब मैंने कहा, मैं तो बेरोजगार हूं। कोई काम धंधा भी नहीं है। मां आप बताइए कि कहीं कोई काम मिल सकता है क्या? तब उसने कहा ऐसा कर तू मेरे घर चल मैं तेरे लिए कोई व्यवस्था अवश्य कर दूंगी।
मेरी प्यारी भरी बातें उस स्त्री को वशीभूत कर रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कि वह मेरे वशीकरण में आ चुकी है। शायद उन शक्तियों का प्रभाव होगा। इसीलिए अब उस स्त्री के कहने पर हम लोग उस बस से उसके घर के कुछ ही दूर आकर रुके और फिर वह आगे आगे चलती रही, मैं उसके पीछे पीछे। थोड़ी देर बाद उसका घर आ गया और मैं उसके घर के अंदर प्रवेश किया तो वहां पर मैंने चार पांच औरतों को बैठे हुए देखा। वह सभी देखने में बिल्कुल भी सभ्य घर की नहीं लग रही थी। उन सब के वस्त्र खुले थे। बाल बिखरे थे मुंह में पान चपाती हुई। यह सारी स्त्रियां पूरी तरह से सभी मेरे को देखने लगी और गलत हरकतें करने लगी। लेकिन तभी इस बूढ़ी औरत ने उनको डांटते हुए कहा, यह मेरा बेटा है तुम लोग अपने ग्राहक ढूंढो। फिर वह मुझे अंदर लेकर गई और सामने बिठाकर मेरे लिए मिठाई और पानी लेकर आई। तब वह कहने लगी। बाहर जो तुमने देखा है क्या उसको देखकर भी तुम मुझे माँ ही कहोगे?
तब मैंने कहा इस बात से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाहर कौन थी मेरा तो आप से जुड़ाव है। तब वह कहने लगी कि मैं पहले कोठा चलाती थी। यानी वैश्यालय और यह सभी वहां पर रहा करती थी। अब यह काम मैं छोड़ चुकी हूं। बुढ़ापे में वैसे भी यह सब कार्य हो ही नहीं सकते। इसलिए कभी-कभी यह मेरे घर आकर मुझसे कुछ पैसे अथवा काम मांगती रहती हैं। आज भी यह सभी अपने लिए ग्राहक ढूंढ रही होंगी। मैंने कहा कोई बात नहीं मां जीवन में परिस्थितियां सबके लिए अलग-अलग।
होती रहती हैं और परिस्थितियों के प्रभाव से ही व्यक्ति अपने अपने कर्म करता है। इसलिए अगर आपने अपने जीवन में ऐसे कर्म किए हैं तो वह पुरानी बात है। मेरे लिए तो आज भी आप माँ ही हैं। तब वह खुश होकर कहने लगी। सच में पूरी जिंदगी भी निकल जाए तो भी तेरे जैसा बेटा नहीं मिलेगा। मैंने गर्भ से एक भी बालक पैदा नहीं किया, लेकिन आज लगता है कि अगर किया होता तो तेरी ही उम्र का होता। आज से तू मेरे साथ रह और मेरा घर संभाल। मैं आश्चर्यचकित था कि कैसे इस स्त्री पर मेरा पूरा वशीकरण चल चुका है लेकिन प्रश्न तो वही का वही था।
आखिर मुझे प्राप्त क्या हो रहा है। इस स्त्री की सेवा से मुझे क्या मिल जाएगा लेकिन? उन शक्तियों के कहे अनुसार मेरे लिए उस औरत की सेवा करना जरूरी था और मैं एक सच्चे पुत्र की तरह उस औरत की सेवा करता चला गया। रात्रि के समय उसके घर में एक अलग कमरा मुझे दिया गया था तो मैंने वहां पर फिर से पिशाचिनी और बाकी साधनाएं की। रात्रि के समय अचानक से मै जब लेटा हुआ था, फिर वही शक्ति दोबारा आ गई। बिना कुछ कहे उसने मेरा मुंह दबाया। मेरे शरीर के साथ खिलवाड़ किया। मेरे अंदरूनी अंगों को बुरी तरह नहीं निचोड़ा।
और इस प्रकार मेरे साथ रात्रि भर भोग किया गया।
इसके बाद वह फिर से शांत हुई और मेरे सामने आकर कहने लगी। मैंने तेरा आधा काम कर दिया है।
अब तुझे बाकी का आधा खुद करना होगा। मैंने उससे पूछा कि तुमने आखिर इस बूढ़ी औरत को ही क्यों चुना जो की कोठे वाली यानी जो वैश्यालय चलाती थी तो उसने कहा मूर्ख है। तुझे नहीं पता। इसके पास कई अमीर लोगों का बहुत बड़ा धन रखा हुआ है। और जब यह मर जाएगी तब सब तेरा हो जाएगा। इसलिए मैं तुझे सबसे पहले उसका धन दिखा देती हूँ और उसके तांत्रिक शरीर को उसने दिखाया और उसी में एक आईना सा बन गया। उसमें मैंने देखा कि उसके किचन वाले कमरे के बगल में एक स्टोर रूम है। उसी के अंदर एक बड़े बक्से में काफी मात्रा में सोना और गहने रखे हुए हैं। वह मात्रा काफी अधिक थी, लगता था जैसे कि इसके पास कोई खजाना ही मौजूद है। और मैं यह सब सोच कर खुश हो गया कि कम से कम मेरी साधना असफल तो नही हुई? तभी वहां पर पिशाचिनी आ गई और उसने भी मेरे साथ संबंध बनाने शुरू कर लिए। मैं इनको रोक नहीं सकता था पर मेरा शरीर सूख रहा था। मुझे बुखार सा आने लगा था लेकिन इन दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ता था।
इसी प्रकार उसे भी संतुष्ट कर अब दोनों मेरे सामने उपस्थित थी। दोनों ने कहा कि अब ज्यादा समय यहां रुकना ठीक नहीं है। ऐसा कर बाहर एक छोटे ट्रक वाले को बुला ले और इस बूढ़ी औरत को। तू एक तकिए को इसके मुंह पर रखकर इसे मार डाल और इसका सारा खजाना लेकर अपने घर चल।
यहां पर हम लोग ज्यादा समय नहीं आ सकती हैं।
इसीलिए तेरे घर में ही हमारे लिए उपयुक्त जगह है। वहां पर तूने हमारी अच्छे से साधना कर रखी है।
उन दोनों ने कहा, बुढिया सो रही है। ऐसे में तू उसके बगल में रखी तकिया से उसका मुंह दबा दें जिससे वह मर जाए। यह सुन कर मेरा दिमाग चकरा गया। यह तो मुझसे हत्या करवाने की कोशिश करने वाली है। अब मैं क्या करूं? इसके बाद गुरु जी क्या हुआ आगे की घटना में आपको बाद में लिखकर भेजूंगा?
धन्यवाद गुरु जी!
तो देखिए यहां पर पिशाचिनी शक्तियां किस प्रकार मनुष्य से गलत कार्य करवाकर धन प्राप्त करवाने की कोशिश करती है, इसका उदाहरण देखने को मिल रहा है। आगे क्या घटित हुआ जानेंगे हम लोग अगले भाग में तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।