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प्रेत शक्ति और हनुमान भक्ति भाग 7

गुरुजी प्रणाम, गुरुजी प्रेत शक्ति और हनुमान भक्ति का सातवां भाग…गुरुजी सुबह देर से उठने के पश्चात मैं काफी सोच विचार के बाद इसी निष्कर्ष पर पहुंचा कि यह प्रेत मां “काली मंदिर” में चलने को बोल रहा है, शाम को अपने शहर के एक मशहूर और नजदीक “मां काली मंदिर” में लड़के को ले कर पहुंच गया आरती से पूर्व जब मैंने उसको माता की मूर्ति के सामने उसके सर को झुकाने को कहा तो उसने अनसुना कर दिया और बैठा रहा और जब मैंने उसके सर को जबरदस्ती पकड़कर माता के सामने झुकाने लगा तो वह बड़ी जोर से चिल्लाकर मेरे से भिड़ने को तैयार हो गया, अगले दिन शाम को मैं फिर लड़के को माता काली मंदिर ले गया और फिर आरती से पहले उसके सर को माता के सामने पकड़कर झुकाने लगा तो वो फिर बड़ी जोर से चिल्लाकर मेरे से भिड़ने(लड़ने और मारने) को तेयार हो गया यह देख में सोचने लगा कि साला खुद ही मां काली बोल रहा था और अब यहां आकर ये मेरे से ही लड़ने और मारने पीटने को तेयार हो जाता है मजबूरी में मुझको उसके दो चार थप्पड़ लगाने पड़ जाते थे उसका ये बर्ताव मुझे बड़ा अजीब लगा, दो चार और दिन जाने के पश्चात मैंने माता काली मंदिर जाना छोड़ दिया, इसके बाद एक परिचित के कहने पर नजदीक एक तांत्रिक के पास ले गए उसने लड़के के पेट में किसी का कराया हुआ “टोना” बताया..फिर उसके बताए पते पर जाकर पेट से टोना निकलवाए, उसके 2 टोना निकले , टोना निकालने वाले ने बताया कि किसी ने काला जादू कर इसको मारने के लिए म्याद वाले भेजे हैं जिसमें एक टोना बेकार हो चुका है और दूसरे टोने का अभी थोड़ा सा ही समय बाकी था पता नहीं बाद में क्या होता, उस तांत्रिक से हमने करीब एक माह इलाज कराया, लडके पर तो कुछ फर्क नहीं पड़ा पर हमारी जेब कुछ ज्यादा ही हल्की हो गई, तांत्रिक के पास जाना छोड़ हम एक मिलने वाले के कहने पर एक गांव में जाकर वहां की एक निजी मजार पर अगरबत्तियां जलाकर देखा वहां से भी रिज़ल्ट जीरो मिलने पर हम पुनः मेहंदीपुर स्थित बालाजी धाम गए वहां से आने पर कुछ समय बाद फिर यहीं सिलसिला चलता रहा इसी बीच मेरे पिताजी की 11 अक्टूबर 2019 की बरसी आ गई(बड़ी लड़की की शादी के कुछ माह पश्चात ही एक बीमारी के चलते 11 अक्टूबर 2012 को उनका सरकारी अस्पताल में देहांत हो गया था वो स्थानीय पोस्ट ऑफिस के रिटायर्ड पोस्ट मास्टर रहे थे) पिताजी के बरसी करने के पश्चात अगले दिन हम एक परिचित के कहने पर उसके ही रिश्तेदार बुलंदशहर जिले के ही खुर्जा शहर के नजदीक के मौजपुर गांव में एक बंगाली तांत्रिक के नाम से मशहूर उस तांत्रिक के पास लड़के को लेकर गए..उन्होंने उसी दिन लड़के के सर पर प्रेत की सवारी बुलाकर उस प्रेत को एक मिट्टी की हंडिया में बंद कर उसको किसी बेहती नदी में बहाने को कह छोटी दिवाली पर आने को कहकर मिट्टी की हंडिया में बंद प्रेत वाली हंडिया को हम को दे दिया, इसके बाद मेरी पत्नी उस तांत्रिक से बोली बाबा आप मेरे को भी देखो मुझे भी कुछ परेशानी हो रही है, उस तांत्रिक ने जब मेरी पत्नी पर अपनी मां काली की विद्या का प्रयोग किया तो मेरी पत्नी के सर मेरे पिताजी की आत्मा आ गई, तांत्रिक ने मेरे को पिताजी से बात करने को कहा तो वो कहने लगे भैय्या में नंगा(बिना वस्त्र के) घूमता हूं मेरे कपड़े दान कर दो, यह सुनकर मेरे को तो पहले बड़ा विचित्र आश्चर्य हुआ कि मेरे पिताजी की आत्मा अपने आपको वस्त्रहीन बता रही है ये सुन मैने अपने पिताजी से कहा कल ही तो हमने आपकी बरसी करी है उस पंडित ने तो हम को बताया नहीं कि आपके नाम से कपड़े दान भी करने है जैसा पंडित ने बताया वैसा हमने कर दिया, फिर वह तांत्रिक मेरे पिताजी की आत्मा से बोला कि आप को आपके लड़के मेरे को कपड़े दान करें या उस पंडित को जिसने आपकी बरसी की है तो उन्होंने अपने कपड़े पंडित को दान में देने को कहकर पत्नी के सर से चले गए, रास्ते में पड़ी एक पानी की नहर में उस हंडिया को बहाकर अपने घर आ गए..गुरुजी, घर आकर सब से पहला काम मैंने डीएम कॉलोनी स्थित पुजारी जी को पांच वस्त्र और पांच बर्तन अपने पिताजी के नाम देकर मन ही मन मंदिर में पिताजी की आत्मा से प्रार्थना की कि लड़का इन बुरी आत्माओं के प्रभाव से मुक्त हो जाए…गुरुजी मेरे पिताजी मेरे प्रेत ग्रस्त पुत्र से बहुत ही ज्यादा प्यार करते थे, मेरी पत्नी पुत्र को दूध पिलाने के पश्चात शुरू से ही उनके पास छोड़ देती थी, उन्हीं के ही पास लड़का शुरू से ही सोता और खाता पिता था, उसकी केजी से इंटर तक की शिक्षा उन्होंने ही की थी, अपने साथ साईकिल पर बैठा कर स्कूल को ले जाना और अपने साथ साईकिल पर बैठा कर स्कूल से वापस घर लाना और घर पर ही बाकी सारा समय उसी के साथ बिताना पिताजी का काम था, कहने का मतलब अगर हम मां बाप उसके साथ दो माह भी नहीं रहें तो उसको कोई फर्क नहीं पड़ता था किन्तु वो अपने दादाजी के बगैर एक दिन भी नहीं रह पाता था ऐसा अटूट प्यार था दोनों का, दिवाली से एक दिन पूर्व मैं लड़के को उस बंगाली तांत्रिक के पास पुनः ले गया उस समय उस तांत्रिक का एक तांत्रिक रिश्तेदार भी उसके पास आया हुआ था, वहां पहुंचते ही लड़के की आंखों की पलकें बार 2 झपकने लगीं, आंखों की पलकों का बार 2 असमान्य तरीके से झपकाना मुझे ऐहसास दिला देता था कि उसके सर पर कोई आत्मा आ चुकी है..जब यही बात मैंने उस बंगाली तांत्रिक को बताई तो उसने अपनी मां काली की शक्ति को आव्हान किया और उस आत्मा को एक मिट्टी कि हांडी में बंद कर दिया, उसी समय उसके यहां आए उसके तांत्रिक रिश्तेदार पर उसके पीर की सवारी आ गई उसने बताया कि इस लड़के पर एक खतरनाक शमशान किर्या की हुई है हम ने बार 2 उस पीर से पूछा कि बाबा कोन है वो जो हमारे परिवार पर ऐसा कर रहा, हमारे बार 2 आग्रह पर भी उन्होंने उसका नाम नहीं बताया सिर्फ इतना ही हिंट दिया कि वो हमारे घर के आस पास ही है तथा अभी एक और आत्मा इसके अंदर है, फिर उस आत्मा को भी उस मिट्टी की हांडी में बंद कर हम को दे दिया जिस में पहले ही एक आत्मा बंद की थी, उस हांडी को भी पानी में उसी तरह बहाने के लिए कहा जैसे पहले वाली हांडी को बहाया था, उस बंगाली तांत्रिक ने कहा दिवाली के पश्चात आपके घर आना पड़ेगा आपके घर को कील ने और जो भी यह शमशान किर्या करवा कर इन आत्माओं को आपके घर भेज रहा है उनको डबल भेट दे कर इनको वापस भेजना पड़ेगा तब ही इन आत्माओं से छुटकारा मिलेगा, गुरुजी मरता क्या ना करता मैं दिवाली बाद उस तांत्रिक को घर आने की बोल उस मिट्टी की हांडी (जिसमें दो प्रेत बंद थे) को लेकर चल दिया, रास्ते में मिली पानी को नहर में उस हांडी को बहा कर अपनी पत्नी के साथ लड़के को लेकर घर आ गया, गुरुजी दिवाली के अगले शनिवार को 2 नवंबर 2019 की शाम को मेरे घर वो बंगाली तांत्रिक बाबा घर आ गए और एक दिन पूर्व ही मेरी बड़ी लड़की और दामाद दिल्ली से आए थे, बाबा के आने पर रात को बाबा के कहने पर हम दो जिंदा मुर्गा और जो समान उन्होंने बताया था उसको लाकर बाबा के सामने रख दिया, पूजा करने के पश्चात लड़के को बुलाकर जब बाबा लड़के के सर पर आत्मा को बुलाने का आव्हान कर रहे थे तभी मेरी पत्नी के सर मेरे पिताजी की आत्मा आ गई और कहने लगी मेरा भैय्या(अजय प्रेत ग्रस्त लड़का) काफी परेशान है – काफी परेशान है और रोने लगी तब बाबा ने मेरे पिताजी की आत्मा को दिलासा दी कि अब लड़का सही हो जाएगा और आप भी यहीं रहकर अपने परिवार की रक्षा करो ऐसा कहने के पश्चात लड़के के सर पर उन आत्माओं को बुलाकर उनके सामने ही उन दोनों मुर्गों की बलि देकर और उन से वचन लेकर की अब कभी भी लड़के पर नहीं आओगी, मुर्गा और वो पूजा का सारा सामान लेकर हम दोनों शमशान घाट पर रख आए, आकर मेरे से बोले कि कभी तुम अपने पिताजी के मरने के पश्चात उनके नाम से गंगाजी नहा कर आए हो मेरे इनकार करने पर बोले कि अपने पिताजी के नाम से पांच पूर्णमासी नहा कर आओ वो तुम्हारे परिवार की अवश्य रक्षा करेंगे, ठीक है में इसी पूर्णमासी से चला जाऊंगा मैंने उनको यह आश्वासन दिया और अगले दिन की सुबह वो तांत्रिक अपनी दो हजार रूपए की फीस लेकर चला गया और हम इस उम्मीद के साथ कि अब इन आत्माओं से हमेशा 2 के लिए पीछा छूट गया है.एक यूट्यूबी चैनल है को काफी अच्छा चैनल है आपके चैनल से पूर्व में उनके चैनल को बड़े ही सुकून से देखा करता था काफी अच्छी जानकारी इस चैनल पर मिलती हैं और आज भी मैं उनके इस चैनल को देखता हूं, एक वीडियो में उन्होंने बताया कि कोई भी पत्थर की मूर्ति या कागज की तस्वीर पत्थर या कागज के ही समान है जब तक उस मूर्ति या कागज की तस्वीर को श्रद्धा से पूजा नहीं जाए, यूटयूब पर सर्च कर मैंने यह भी जाना की इन बुरी आत्माओं से पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति घर के दरवाजे पर लगाने से बहुत रक्षा करती है, इसी लिए मैने एक दिन अमेज़न से ऑनलाइन हनुमानजी की एक अस्टधातु निर्मित पंचमुखी मूर्ति मंगा ली और लड़के से बोला तू इन पंचमुखी हनुमानजी की सुबह शाम पूजा करके मेरे कमरे की विंडो पर रख दिया कर, वह इनकार कर बोला कि किसी दिन यह मूर्ति भूल से उसी विंडो पर रह गई और इसको कोई बाहर का आने जाने वाला ले गया तो आप मेरे से लड़ोगे, उसके इनकार करने पर में सोचने लगा कि अब क्या करा जाए, मूर्ति मंगाने पर जो 650 रूपए खर्च हुए हैं वो सब बेकार, गुरुजी उन आत्माओं को दो मुर्गे की भेट दिए अभी पांच या छह दिन ही हुए होंगे की उन आत्माओं ने लड़के के सर आ कर फिर परेशान करना शुरू कर दुआ, अब साला करूं तो क्या करूं मैं परेशान होना फिर शुरू हो गया, 12 नवंबर को पूर्णमासी थी और मुझे अपने पिताजी के लिए गंगाजी नहाने जाना था.पता नहीं केसे गुरुजी मैं 10 तारीख की सुबह उठकर घर के पास ही स्थित एक कारपेंटर से 1 * 2 फिटी लकड़ी का बना बनाया मंदिर ला कर पत्नी से बोला अब मैं भी बाबा की पूजा करूंगा जाकर रतन(मेरे ताऊ जी का लड़का जो कि प्लंबर का कार्य करता था और हमारे ही मोहल्ले में रहता था) को बुला ला, पत्नी भाई को बुलाने चली गई, पत्नी ने आकर बताया कि शाम को घर आकर लगा जाएंगे, शाम को भाई ने मेरे बार 2 मना करने पर कि हनुमाजी जी की पंचमुखी मूर्ति की पूजा उत्तर दिशा में लगाने पर की जाती है ऐसा बताते हैं, उसने मंदिर को पूर्व दिशा में लगा दिया और कहने लगा भाई सहाब आप जिस उत्तर की दिशा में लगवाने चाहते हो वहां पर आप का बेड आ रहा है फिर मैंने बे – मन से पूर्व ही दिशा में मंदिर को लगवा लिया और शाम को अपने मोहल्ले में ही स्थित साइबर केफे जाकर हनुमान चालीसा और कुछ भजन अपने होम थियेटर की पेन ड्राइव में भरवा कर घर आ गया और 12 तारीख की पूर्णमासी की सुबह क्या 2 ले जाना है और केसे 2 क्या करना है अपनी पत्नी और मां से पूछ कर अपने ही जिले के अनूपशहर को निकल गया, शाम को घर आ कर मैं लड़के के मंदिर से एक छोटी राम दरबार मूर्ति ले कर अपने मंदिर में लगा ली बड़ी राम दरबार की मूर्ति लड़के के मंदिर में रखी रहने दी, मंदिर में मेरे पूजा करने के उतावलेपन से सभी चुटकी ले कर हसने लगे और कहने लगे की अब अगर शराब पी तो बाबा मारेंगे.मैं उनकी बातों की परवाह ना करते होम थियेटर में हनुमानजी के भजन लगा कर पूजा करने लगा…गुरुजी पूजा करने के 15 मिनट पश्चात मैं वहीं पर बैठकर शराब पीकर खाना खाने लगा, खाना खाए अभी मुश्किल से 10 मिनट भी नहीं हुए थे कि मेरे को उल्टियां होने लगी और ये उल्टियां तो ऐसी जबरदस्त थीं मेरे को शराब पीने के पश्चात कभी भी नहीं हुई थी ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने पानी निकालने वाली मोटर मेरे पेट के अंदर रख दी हो और उसमें होकर ये सब बड़ी ही तेज स्पीड से निकल रहा हो यह देख कर घर में सभी हैरान और परेशान हो गए ऐसा लगने लगा जैसे पेट के अंदर से आत्मा भी निकल जाएगी तब मैंने अपनी गलती मानकर हनुमानजी से छमा याचना की कि बाबा अब शराब नहीं पीऊंगा तब कहीं जाकर ये सब कुदरत का खेल खत्म हुआ और में ऐसे ही अपने बेड पर कब सो गया पता ही नहीं चला, अगले दिन सुबह मैंने डरते 2 पूजा समाप्त की फिर सारा दिन मैं यहीं सोचता रहा कि पूजा करूं या नहीं, मांस, अंडा, लहसुन, प्याज तो सभी ने छोड़ दिया अब जो पिछले 38 वर्षों से नियमित शराब पी रहा हूं उसको छोड़ भी पाऊंगा या नहीं यही सोचते 2 शाम हो गई और मे असमंजस में था कि क्या करूं फिर अंत में यही फैसला करा कि देखते हैं शराब छोड़ कर छूटती है या नहीं अगर नहीं छूटी तो पूजा बंद कर देंगे यही सोच कर मैं पूजा करने लगा

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