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बाबरा भूत और नवलखा मंदिर का मूलक तांत्रिक भाग 1

बाबरा भूत और नवलखा मंदिर का मूलक तांत्रिक भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । आज मैं आपके लिए एक बार फिर से रहस्यमई मठ मंदिरों की कहानी लेकर आया हूं। । यह कहानी है बाबरा भूत और नवलखे के मंदिर के मूलक तांत्रिक की और यह भाग 1 है । तो सबसे पहले हम लोग आज की कहानी में जानेंगे किस प्रकार से मूलक तांत्रिक और बाबरा भूत का संबंध हुआ और किस प्रकार से उनकी कहानी आगे चली । तो चलिए शुरू करते हैं यह कहानी है गुजरात में एक स्थान पड़ता है वहां पर एक प्राचीन मठ स्थापित था उस मठ में एक ऋषि अपनी पुत्री के साथ रहा करता था । उसकी पुत्री बहुत ही अधिक सुंदर थी उसको देख कर के बहुत से मनचले वहां पर आया करते थे । ऋषि इस बात को जानता था इसीलिए उसने अभी तक किसी को शिष्य नहीं बनाया था । मूलक नाम का एक तांत्रिक जब एक बार उस रास्ते से गुजर रहा था तभी उसकी नजर एक सुंदर कन्या पड़ी ।उसको देख कर के उसके मन में वासना कि एक भाव जागी उसने सोचा कि मुझे इसे पत्नी बनाना चाहिए । यह मेरे बहुत काम आएगी ऐसा सोचकर के वह उनके घर के द्वार पर जाकर खड़ा हो गया । और पानी मांगने लगा पानी मांगने के कारण ऋषि की पुत्री वहां पर बाहर निकलकर आएगी । और जैसे ही वह बाहर निकल के आई उसको देख कर के वह बहुत ही प्रसन्न हो गया खुश हो गया मूलक तांत्रिक ।

उस वक्त 50 साल की उम्र का था उसने पानी पीने के बहाने उससे कहा मैं आपको एक दिव्य गोली या वटीका दे सकता हूं इसके प्रभाव से आपको बहुत ही सारी बहुत सारी दुर्लभ सिद्धियों और शक्तियों की प्राप्ति होगी । उसकी बात को सुनकर वह 19 वर्षीय कन्या बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हो गई । क्योंकि 30 वर्षों का दोनों के बीच में अंतर था इसलिए तांत्रिक अगर प्रणय निवेदन करता तो निश्चित रूप से उसे असफलता ही मिलती । इस बात को समझते हुए उसने तांत्रिक बूटी उसे निकाल कर दी कि इससे यह वशीकृत हो जाएगी । जैसे ही उसने तांत्रिक बूटी निकाल कर दी वहां पर ऋषि आ गए । कन्या ने वह बूटी अपने हाथ में रख ली कन्या के पिता को देख कर के मूलक तांत्रिक बहुत ज्यादा घबरा गया । उसने सोचा स्थिति बड़ी बुरी होने वाली है इसलिए कुछ ना कुछ तिगड़म भीड़या जाए । उसने तुरंत ही अपने लोटे में से सोने कि एक नग बनाकर के ऋषि को अर्पित की और कहां । हे गुरु आप जैसा यहां पर कोई नहीं है मेरी इच्छा है कि मैं आपकी सेवा सत्कार करू और अपना आपको गुरु बनाऊ । मेरी तंत्र विद्या का कमाल देखिए मैं आपको यह सोने की अंगूठी भेंट करना चाहता हूं । ऋषि प्रसन्न हो गए की इस प्रकार से एक व्यक्ति सिर्फ जल प्राप्त करने के बाद इतना अवघड दानी है कि वह सोने का बना हुआ है एक वस्तु मुझे दे रहा है । ऋषि ने वह वस्तु अपने पास रख ली और उनसे पूछा आप कौन हैं ।

उसने कहा मैं मूलक हूं मुझे तंत्र विद्या और भी अधिक सीखनी है सिद्धियों के बारे में और भी जानना है ।इसलिए देश काल भ्रमण करता रहता हूं इधर उधर जाता रहता हूं । ऐसी अवस्था में आज मेरी नजर इधर की और इसलिए पड़ गई क्योंकि मुझे प्यास लग रही थी तभी आप की पुत्री बाहर आई और इन्होंने मुझे जल अर्पण किया । मेरी इच्छा है कि मैं आप जैसे किसी योग्य गुरु से साधना के बारे में और भी अधिक जानू । उसके इस स्वभाव को देखकर ऋषि बहुत ही प्रसन्न हो गए और सोचने लगे कि अभी तक मुझे शिष्य नहीं मिल रहा था यह शिष्य ठीक रहेगा । वैसे भी यह 50 वर्ष की उम्र का है इसलिए मुझे और मेरी पुत्री को इससे कोई खतरा भी नहीं होना चाहिए ।जैसा कि बाकी लोगों के साथ में घटित हो जाता है । इसलिए उन्होंने तुरंत ही उसे अपना शिष्य घोषित कर दिया और कहा मेरे साथ रहिए मैं आपको साधनाओ और सिद्धियो के बारे में विशेष विशेष जो भी ज्ञान है वह सब बताऊंगा । उनके साथ रहकर मूलक सिर्फ उस ऋषि की पुत्री को ही देखा करता था । एक दिन उस ऋषि की पुत्री के पास जाकर उसने कहा कि तुमने वो दिव्य गोली खाई । तो ऋषि पुत्री ने कहा नहीं वह रखी हुई है । उसने कहा यह ऐसा क्यों कर रही हो तुम्हें अगर सिद्धियां चाहिए तो उसे जरूर खा लो । देखो मैंने सोने के नग को कैसे निकाल करके तुम्हें दिया था वह सोने की अंगूठी मैंने तुम्हारे पिता को अर्पित की थी क्या तुम सोना पहनना नहीं चाहती हो ।उसकी बातों में आकर के उस कन्या ने उस वटी को खा लिया ।

वटी के प्रभाव से उसके वशीकरण में आ गई अब दोनों के बीच में प्रेम प्रसंग होने लगा । इस बात को धीरे-धीरे करके ऋषि तक भी समझ में आने लगी क्योंकि दोनों एक दूसरे को एकटक देखा करते थे । ऋषि भी समझने लगा कि 50 वर्ष का पुरुष यह पुरुष किस प्रकार मेरी पुत्री का पति हो सकता है । यह तो बहुत ही बुरी बात है इस पर दोनों ने एक दूसरे को देखते हुए और अपनी मर्यादा को त्यागते हुए वहां पर क्रियाएं करनी शुरू कर दी । इसके कारण से ऋषि को बड़ा धक्का लगा वो क्रोधित हो गया । इस पर तांत्रिक मूलक ने सोचा कि यह निश्चित रूप से हमारे कार्य को बिगाड़ देगा । इसलिए उसने उसकी पुत्री को वशीकरण के द्वारा एक विशेष प्रकार की बूटी अपने पिता को खिलाने के लिए कहीं । वह बूटी लेकर आ गई और पिता को चुपके से भोजन में उसने मिला करके के वह बूटी दे दी । इसके कारण से ऋषि के शरीर बेजान सा हो गया सिर्फ को देख सकता था बोल सकता था चल फिर नहीं सकता था । यह देखकर के ऋषि को बड़ा ही ज्यादा क्रोध आया । उस क्रोध के कारण उसने बहुत ही भयानक श्राप उन्हें दे दिया और कहा कि अगर तूने मेरी पुत्री को ले ही जाना है तो मुझे राजमहल लाके दे । अगर तूने राज महल के समान एक सुंदर इमारत मुझे प्रदान नहीं की तो तू निश्चित रूप से कुछ ही दिनों में मर जाएगा । भयंकर श्राप देने के कारण से वह बहुत ही ज्यादा घबरा गया । अब तांत्रिक के समझ में आई कि किसी भी गुरु को किसी भी प्रकार से धोखा नहीं देना चाहिए । लेकिन अब क्या कर सकते थे गलती हो गई थी कुछ दिन की मोहलत दी गई थी ।

जिसमें अगर वह ऐसा नहीं करेगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी वह पैरों पे गिर गया । और उनसे गिड़गिड़ा के माफी मांगने लगा लेकिन समस्या तब भी वैसी की वैसी बनी हुई थी । पुत्री भी उनके पैरों में गिर गई कहने लगी पिताजी मैं इनसे प्रेम करती हूं और विवाह करना चाहती हूं आपने ऐसा क्यों किया । कुछ भी हो यह भले ही बड़े हो मुझसे तो भी आप इनको क्षमा कीजिए । पिता एक बार फिर से रोता हुआ वहीं पड़ा रहा और बोला इसने देख मुझे क्या करा दिया अब मैं बिल्कुल हिल डुल भी नहीं सकता हूं । बच्ची मैं तो अपनी तंत्र विद्या के माध्यम से और साधना के द्वारा कुछ समय में अवश्य ही अपने आप को ठीक कर लूंगा । लेकिन मेरे श्राप से बच नहीं सकता है । इसलिए तू ऐसा कर मैं तुझे एक गोपनीय विधि बताता हूं तू अब जो कि तूने इससे  प्रेम किया है इसलिए तुझ पर वृद्धावस्था का प्रभाव पड़ा गया है और अब क्योंकि तू इससे जुड़ी हुई है । तो श्राप के कारण तू भी बूढ़ी हो जाएगी जल्दी ही 1 दिन बाद तू इसी की ही उम्र में पहुंच जाएगी । और धीरे-धीरे वह असर दिखने भी लगा अगले दिन तक वह कन्या बूढ़ी हो चुकी थी यानी कि 50 वर्षीय कन्या उम्र में हो चुकी थी । अब ऋषि ने कहा जाओ तुम विवाह कर सकते हो लेकिन फिर भी तेरे प्राण नहीं बचेंगे । दोनों गिर के फिर से माफी मांगने लगे ऋषि को बड़ा धक्का लगा और सोचा कि क्यों ना अब वैसे भी मुझे विवाह करना ही था दोनों की एक जैसी उम्र भी है तो इनको मुक्त कर देना ही ठीक होगा । लेकिन ऋषि ने कहा था मैंने तुम्हें श्राप दे दिया है और उस श्राप से बचने का कोई उपाय नहीं है सिर्फ एक उपाय है ।

अगर भूतनी देवी मंदिर में जा कर के तू भूतनी देवी को प्रसन्न कर ले तो फिर शायद तेरे प्राण बच सकते हैं । लेकिन फिर भी मेरी जो शर्त है उसको अवश्य ही पूरा करना होगा । उसने कहा ठीक है आप जैसा बताएंगे मैं वैसा करूंगा । तो उसने कहा जाओ यहां से भूतनी देवी मंदिर पर वह एक इच्छा तुम्हारी और एक इच्छा तुम्हारी पत्नी की अवश्य पूरी कर सकती है । उससे ऐसा मांगना जिससे मेरे सारे संकट भी मिट जाए और तेरे संकट भी हल हो जाए । और तुम दोनों विवाह कर सको दोनों ने माफी मांगते हुए वहां से प्रस्थान किया । लेकिन कहते हैं ना जो व्यक्ति जैसा होता है वैसा उसका स्वभाव नहीं बदलता । तांत्रिक के मन में अभी भी ऐसी भावना थी कि यह बुड्ढा मर क्यों नहीं गया और इसकी वजह से मुझे पत्नी भी बूढ़ी प्राप्त हुई है ।  जिसके लिए मैं यहां पर आया था वह पत्नी तो मुझे प्राप्त ही नहीं हुई । लेकिन चलो देखा जाएगा जो भूतनी देवी मंदिर है वहां पर जाकर के मैं अवश्य ही प्रसन्न कर लूंगा । तो वह वहां से चले गए और वह भूतनी देवी मंदिर पर पहुंचे  । भूतनी देवी मंदिर पर बताई गई विधि के अनुसार उन्होंने साधना की रात्रि में भूतनी देवी प्रकट हो गई । और उन्होंने पूछा तो उस कन्या ने कहा मुझे सारे व्याधियों से मुक्त कीजिए और फिर से कम उम्र का बना दीजिए । तो तुरंत ही वह कन्या निरोगी हो करके अपने वास्तविक उम्र में आ गई ।

अब बारी थी तांत्रिक की तांत्रिक ने कहा कि मेरी भी स्थिति वैसे ही कर दीजिए तभी भूतनी देवी ने सारी बातें ध्यान से देखें और समझ गई । उस भूतनी ने कहा तूने अपने गुरु को धोखा दिया है इस कन्या को भी धोखा दिया है । इसलिए मैं तुझे कुछ भी नहीं कह सकती कि तेरी क्या स्थिति होगी । किंतु तू मेरे पास आया है और तूने मेरी साधना और उपासना की है इसलिए मैं तुझे एक मार्ग बता सकती हूं । इस कन्या को इसके पिता के पास छोड़ दे और इसके बाद तू यहां से नजदीकी एक स्थान है वहां पर तू चला जा । वहां पर एक मंदिर है जिसे नवलखा मंदिर कहा जाता है वहां जाकर के तु बाबरा भूत की उपासना कर । मैं उसकी गोपनीय विधि तुझे प्रदान करूंगी अगर बाबरा भूत तुझसे प्रसन्न हो गए तो तुझे एक महल बना कर एक रात में ही दे देगा । और उस महल तू जहां चाहे वहां स्थापित कर सकता है अपनी इच्छा अनुसार । इस प्रकार अगर तूने उस ऋषि को वह राजमहल प्रदान कर दिया तो उसके कहे वचना अनुसार तू इसे अपनी पत्नी के रूप में प्राप्त कर लेगा । साथ ही साथ बाबरा भूत की कायाकल्प बूटी के कारण तेरी उम्र 30 साल छोटी हो जाएगी यानी कि तू भी 19 या 20 वर्ष का हो जाएगा । इससे तू अपनी पत्नी की उम्र का हो करके प्रेम पूर्वक विवाह कर सकता है ।

इसकी बात को समझते हुए अब वह तांत्रिक पूरी तरह से तैयार हो गया उसने कहा । हे देवी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद मुझे वह मार्ग वह विद्या प्रदान कीजिए जिससे मैं बाबरा भूत को सिद्ध कर सकूं । इस पर उस तांत्रिक की बातों से प्रभावित हो करके भूतनी ने कहा ठीक है अवश्य ही मैं तुझे वह गोपनीय विद्या तुझे प्रदान करूंगी । लेकिन मैं तुझे यह कहती हूं कि उसे आप्रसन्न ना करना । साधना बहुत ही सहजता से करना और जो भी लक्ष्य है उसके प्रति तटस्थ रहना मन में बुरे भाव मत लाना । जैसे कि तेरे बुरे भाव तेरे गुरु के प्रति थे । तूने केवल कामवासना के कारण उसकी पुत्री से विवाह करने की सोची थी और इसका ही प्रतिफल है कि आज तेरी स्थिति ऐसी है । मैं तेरी मृत्यु को रोक देती हूं लेकिन तुझे बावरा भूत को प्रसन्न कर लेना होगा । अगर बावरा भूत को तू प्रसन्न नहीं कर पाया । तो अंततोगत्वा वह जो श्राप तुझे दिया गया है मर जाने का निश्चित रूप से तुझे मृत्यु की प्राप्ति हो जाएगी । लेकिन यह तब तक रुका रहेगा जब तक तू इस प्रतिक्रिया में रहेगा । क्योंकि उस गुरु ने कहीं ना कहीं तेरी रक्षा ही की है । और उसी की प्रेरणा से मैं तुझे तेरा जीवनदान तुझे प्रदान करती हूं । और तुझे आदेश देती हो कि तू जा करके उस बावरा भूत की उपासना करें उसकी साधना करें । इस पर उसने कहा ठीक है आप जो भी कहे कि मैं वह अवश्य ही करूंगा । यह बाबरा भूत कोन है । तो उस पर भूतनी ने कहा मैं तुझे बावरा भूत और साथ ही साथ उसके द्वारा निर्मित एक मंदिर के रहस्य के बारे में भी बताऊंगी । वह रहस्य क्या था यह हम भाग 2 में जानेंगे । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

बाबरा भूत और नवलखा मंदिर का मूलक तांत्रिक भाग 2

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