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माता का रुष्ट होकर चले जाना सच्चा अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे। एक ऐसे अनुभव में जहां एक व्यक्ति के जीवन पर संकट है और कुछ उनके तीव्र अनुभव भी है तो चलिए पढ़ते हैं। इनके पत्र को और जानते हैं क्या है यह अनुभव? गुरु जी को मेरा नमस्कार! और धर्म रहस्य के जुड़े लोगों को भी मेरा नमस्कार गुरु जी आज जो मैं पत्र लिख रहा हूं, वह घटना मेरे घर के सामने घटित हुई थी। पत्र आगे बढ़ाने से पहले मैं एक बात कहना चाहता हूं। यह कहानी केवल और केवल धर्म रहस्य चैनल पर ही प्रकाशित होगी। अन्य चैनल पर नहीं होगी। इसकी जिम्मेदारी मैं लेता हूं। गुरु जी मैं अपना नाम नहीं बताना चाहता हूं और ना उनका जिसके साथ यह घटना घटित हुई है, आप मेरी आईडी ना दिखाना आप अपनी तरफ से नाम भी रख सकते हैं और अगर लिखने में कोई गलती हो रही हो तो मुझे माफ करना, गुरु जी अब मैं उस सत्य घटना इस पत्र के माध्यम से लिखता हूं। गुरु जी मैं यूपी से हूं। गुरुजी एक छोटा सा गांव का हूं 1 दिन की बात है। हमारे गांव के सारे लोग गांव के बाहर लगभग 1 किलोमीटर दूर एक गांव है। सभी लोग वहां जा रहे थे और हमारी चाची जी भी गई थी तो शाम को घर आए तो मैं उनसे पूछा कि गांव के सारे लोग उस गांव क्यों गए थे और आप भी गए थे। वहां पर क्या हुआ था, आप मुझे बताइए। मेरी चाची ने कहा बेटा वहां एक मंदिर बनाया गया है बड़ी मां का? मैं और गांव के सभी लोग मां के दर्शन करने गए थे। उस मंदिर को बनाने के पीछे एक सत्य घटना भी है। मैंने पूछा, वह घटना और सत्य राज क्या है? मुझे बताइए। चाची जी ने कहा, जो मंदिर के मालिक हैं। उनकी एक बेटी है और वह पागल हो गई थी। डॉक्टरों ने बहुत इलाज किया पर कोई फायदा नहीं हुआ तो किसी ने कहा, लड़की के पिता को आप अपने लड़की को बिहार में मदनपुर नाम की एक मंदिर है। वहां 86 देवी का निवास है। इसी कारण उस मंदिर का एक नाम है।

36 पिंड वाली माता है ।वहां लेकर के जाए शायद कोई फायदा हो जाए और आप माता जी के भक्त भी हैं तो लड़की के पिताजी अगले ही दिन। उसे लेकर जाने लगे मदनपुर जब वह पहुंचने वाले थे। लगभग 5 किलोमीटर के दायरे में उनको एक बूढ़ी मां मिली। उन्होंने उनसे पूछा, बेटा आप कहां जा रहे हो, वह बोले मां जी मैं मां के मंदिर जा रहा हूं। आपको कहां जाना है तो वह बूढ़ी मां बोली, बेटा मुझे भी वही जाना है। क्या तुम मुझे भी साथ लेकर चलोगे क्योंकि मेरे पास पैसा नहीं है। उस मंदिर तक जाने का वह बोले, आप ऑटो में बैठिए मैं आपके पैसे दे दूंगा। गुरुजी फिर वह बूढ़ी मां ऑटो में बैठ गई और बोली। तुम्हें जो समस्या है, वह क्या है तुम मां के मंदिर जा रहे हो? तो वह बोले हां, माजी मेरी बेटी कहीं पर भी ठीक नहीं हो रही है। किसी ने मुझसे कहा, आप अपनी बेटी को मां के मंदिर पर लेकर जाओ शायद तुम्हारा भला हो जाए। उसी विश्वास के साथ मैं और मेरी बेटी जा रहे हैं। फिर बूढ़ी मां बोली गाड़ी रोको मुझे यही उतरना है तो वह बोले, आप तो मंदिर तक जाने वाली थी।

फिर बीच! उतर गई क्यों ? तो बूढ़ी मां बोली बेटा मुझे जो काम करना था वह हो जाएगा। तुम जाओ फिर वह अचानक गायब हो गई। फिर वह बूढ़ी मां जहां खड़ी थी, वहां की माटी की धूल उठाकर माथे पर लगा लिए और उनको नमस्कार किए मंदिर की तरफ निकल गए। मंदिर पहुंचने के बाद मां का दर्शन किए और पूजा के फिर अपने घर आने लगे तो रास्ते में ही चमत्कार हो गया। उनकी बेटी अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी थी। फिर घर पहुंचने के बाद सुबह उठकर जैसे पूजा कर रही थी। अचानक उसके ऊपर कोई आ गया। सब लोग घर से बाहर आए देखा तो उनकी बेटी अपने मंदिर को ध्यान से देखे जा रहे हैं। फिर उनके पिता ढोल बजाने लगे और कुछ लोग गाना गाने लगे। उनमें से एक व्यक्ति उनसे पूछा। आप कौन हो तो वह बोली कि 36 पिण्ड वाली माता और मैं अकेले नहीं। हम सब लोग साथ में आए हैं। फिर वह लोग माताजी से बहुत सारी बातें करने लगे और उनकी पूजा की गई उनको खप्पर चढ़ाया गया उन्हें नीम के पत्ते से स्नान करवाया गया। फिर माता उसी घर के मंदिर में समा गई। फिर रात को सब लोग सो गए। सुबह सब उठ कर देखें तो मंदिर के चारों तरफ नो नीम के पेड़ उगे हुए थे और बहुत सारे फूल के पेड़ भी लग गए थे। फिर लोगों ने देखा तो उन्हें विश्वास हुआ कि माता इस मूर्ति में ही है। फिर गांव के सारे लोग ज्यादा करके महिला सुबह-सुबह पूजा और अगरबत्ती कपूर जलाती थी। फिर उस मंदिर पर सुबह-शाम सच्चे मन से लोग पूजा करते थे। पांच गांव के लोग आरती में आते थे ऐसा 5 गांव पूरा भक्ति में डूब गया था गुरुजी!

मैं एक पेंटर हूं तो जब समय मिलता है तभी मैं कहानी लिखकर आप लोगों को भेज सकता हूं। गुरुजी फिर आगे बताता हूं। गुरु जी धीरे-धीरे गांव के लोग इस तरह मंदिर पर जाने लगे। जैसे मानो सच में किसी ने माता को देखा हो। उस मां की मंदिर पर सुबह और शाम लोगों की बहुत भीड़ रहती थी। फिर एक दिन मेरी चाची भी गई और जब घर आए तो मुझे बताया। मंदिर पर बहुत सारे लोग गए थे और जिनके जिनके ऊपर भूत प्रेत का साया था, वह लोग चीखने चिल्लाने लगते थे। मां मुझे छोड़ दो मुझे माफ कर दो मैं इस बालक को छोड़ कर चला जाऊंगा। 4 लोग मां के भक्त थे। वह लोग उनसे पूछते थे। आप कौन हो इस बालक को कैसे पकड़े थे और कहां पकड़े थे। इन्हें छोड़ने का क्या पूजा लोगे। फिर वह भूत प्रेत अपनी पूजा मांगते थे और फिर छोड़ कर चले जाते थे। गुरु जी ऐसे कुछ महीने में लोग ठीक होते गए। फिर मैं भी मां के दर्शन करने रोज जाने लगा। वहां देखा कोई ढोल बजाता था कोई मां का। गाना गाता था और बहुत सारे लोग चीखते चिल्लाते और कोई भागता था मगर उस मंदिर के आगे थोड़ी दूर लक्ष्मण रेखा खींची थी। वह रेखा कोई पार नहीं कर पाता था। फिर मैं घर आने के बाद मेरी दोस्त की मां को बताया तो वह बोली मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरे ऊपर कोई है। मेरा कोई काम नहीं बनता है और रात को जब मैं सोकर सुबह उठती हूं तो ऐसा लगता है जैसे मेरे साथ संभोग हुआ हो। पूरा बदन दर्द करता है और ऐसा रोज होता है। फिर मैंने मंदिर पर जो कुछ भी देखा था, वह सारी बात उनसे कह दी और बोला, आप कल सुबह मां के पास जाइए और मन में सारी बात मां को कहिये और बैठ कर मां का ध्यान कीजिए। फिर वह सुबह गई और जैसे मैंने उनसे कहा, वैसे वैसे उन्होंने किया। फिर वह अचानक उनका शरीर हिलने लगा और ऐसे सुबह शाम मंदिर जाने लगी और रोज उनके साथ ऐसा ही होने लगा। फिर एक दिन उनके ऊपर भूत प्रेतों की सवारी आई और कुछ लोग मंदिर के।

वहां उठकर जय जय कार।

करने लगे और बोले, आप कौन हो, आपका नाम क्या है और आप इस कन्या को कैसे पकड़े हुए हैं? मन से कहिए और सत्य कहिए, फिर बारी-बारी से सात भूत प्रेत आए और अपना नाम बताएं। फिर वह लोग पूछें। आप लोगों को क्या चाहिए?

एक इंसान का सवारी, तो लोग बोले, ऐसा तो कभी नहीं हो सकता। आप अपनी पूजा लीजिए और उन्हें छोड़ दीजिए। फिर वह भूत प्रेतों ने बोला। हम ने जो मांगा है वही चाहिए तो वह बोले, आप लोगों को नहीं मिलेगा। फिर वह लोग माता का ध्यान करके बोले, अब आप ही मां कल्याण करो। इस कन्या का फिर वह अचानक से ही जोर जोर से चिल्लाने लगी और रोने लगी और वहीं पर बेहोश हो गई। फिर कुछ देर बाद उठी तो इधर उधर कूदने लगी और उनके इन हरकतों से उनके कपड़े भी खुल जाते थे। फिर औरतें उनके कपड़े संभालती गुरुजी। उनकी वह हालत हो गई कि सुबह से शाम तक वह उसी मंदिर पर रह जाती थी। उन्हें जैसे ही मंदिर के बाहर ले जाता था वह भूत प्रेत।

फिर उन पर हावी हो जाते थे। मैं इतना परेशान था कि मैं उन्हें अकेला छोड़ कर घर नहीं जाता था। जब मंदिर पर बाबा रहते थे तो मैं घर जाकर उनके लिए खाना लाया करता था। उनके तीन बेटे थे और एक बेटी थी पर सब लोग उनसे डरते थे। इसलिए कोई उनके करीब नहीं जाता था।

इसी प्रकार उनके साथ घटित हो रहा था। गुरुजी! क्योंकि मैं जिस घर में रहता हूं उस घर में 3 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। इसी कारण मैं भूतों से नहीं डरता हूं। गुरु जी आगे की बात बताता हूं। फिर मैं बोला, आप लोग जो करना है तो कर लो क्योंकि उनसे मेरी बात हो रही थी। इनको अकेला मैं नहीं छोड़ कर जाऊंगा और मैं तुम लोगों से नहीं डरता हूं। तुम्हारे जैसे 3 भूत देख चुका हूं जब मैं उन भूतों से नहीं डरा तो। इनके शरीर में वह हावी हो गए और वह बोले तू अभी छोटा है। हाथ छोड़ मैं चलता हूं। फिर वह घर जाने लगी। फिर कैसे भी करके मैं घर पहुंचा। फिर उनका बेटा मेरे पास आया तो मुझे गुस्सा आया। मैंने बोला, तू पागल है तेरी मां की यह हालत है और तू फिर पूरा दिन घूमता रहता है। फिर उनके ऊपर भूत आया और बोला जब इनके घर वालों को कोई टेंशन नहीं है तो फिर तू क्यों परेशान है। मैं बोला क्योंकि यह मेरे घर के सामने रहती हैं और मेरी मां के ही समान है। इसलिए गुरु जी फिर रात को आपका धरम रहस्य विडियो देख रहा था।

वीडियो सुन रहा था तो अचानक से बाहर से आवाज आने लगी तो मैं घर के बाहर आया और देखा तो वह रास्ते पर खड़ी थी। फिर मैं उनको पकड़ के घर लाया। फिर वह बोली, यह तंबाखू बना और खिला फिर मैं बना कर खिलाया तो वह बोली, तुझे परी चाहिए थी ना? गुरुजी गांव के सारे लोग उनके बीच बोल दे कि यह परी सिद्ध करेगा और उन्होंने ऐसा कहा, फिर गुरुजी वह बोली तू हीरो बाकी सब जीरो गुरु जी मैं आपका वीडियो देख देखकर मेरे मन में इच्छा थी कि मैं परी सिद्ध करूंगा। पर गुरु जी मैंने किसी को यह बात कभी नहीं बताई थी। पर उसे पता कैसे चली मुझे नहीं पता। फिर गुरुजी मेरी इनके ऊपर भूत के साथ दोस्ती हो गई। गुरु जी मैंने उसे बहुत सारी बातें पूछी और वह मुझे बताता था। एक बार मैंने पूछा, क्या मुझसे परी सिद्ध होगी तो वह बोला, मेहनत करेगा तो सब मिलेगा। फिर गुरु जी मुझे आप पर बहुत विश्वास हो गया।

गुरुजी! उनके ऊपर वह लोग कभी हावी होते थे तो मैं उनको शांत भी कर देता था और हमेशा मुझे एक बात कहता था कि तू हीरो बाकी सब जीरो। फिर वह शांत रहने लगा, मगर उनको छोड़कर नहीं जाता था। फिर 1 दिन हम लोग मंदिर गए तो उनके ऊपर भूत हावी हो गए थे और वह बोले माता मां जीरो। मुझे किसी से डर नहीं लगता माताजी जीरो है। फिर सब लोग इनको देखने लगे। बाबा लोग अपने मंत्र प्रयोग करें पर उनके ऊपर कुछ भी नहीं होता था। फिर देखता रह गया। मैं कुछ दिन पहले इसी मंदिर में कम से कम 30 लोग ठीक हो गए। पर यह क्यों नहीं ठीक हो रही हैं। फिर मुझे पता चला कुछ लोगों से पता चला कि जब औरतों के ऊपर भूत प्रेत हावी हो जाते हैं तब वहां के पंडित शांत करने जाते थे। तब वह लोग गलत निगाह से देखते थे। इसी कारण उस मंदिर की  माता मंदिर को छोड़कर कहीं चली गई है। जहां से माता आई थी, फिर धीरे-धीरे उस मंदिर पर लोग आना बंद कर दिए। फिर हम लोग घर आ गए एक दिन उनके ऊपर के भूत प्रेत बोले। तू बहुत अच्छा है। तू हमेशा पूजा पाठ में ध्यान लगाता है। पर यह लोग मुझे गलत समझते हैं तो इन लोगों के बीच में मत रह। गुरुजी तो यह थी उस स्थान की सच्ची घटना और कहानी मेरे कुछ प्रश्न है। कृपया उनके उत्तर दीजिए। गुरु जी तीन लोग एक साथ गुरु दीक्षा ले सकते हैं क्या? गुरुजी गुटखा खाने वाले गुरु दीक्षा ले सकते हैं क्या? गुरु जी मेरे गांव के लोगों को पता है कि मैं गुरु दीक्षा लेने वाला हूँ तो कोई समस्या तो नहीं होगी?

संदेश -देखे यहां पर इनका यह अनुभव समाप्त हुआ।

प्रश्न की जहां तक बात है। तीन लोग भी एक साथ गुरु दीक्षा ले सकते हैं, लेकिन तीनों लोगों को ही एक ही जैसी विधि करनी होगी और। तीनों!

एक ही पेमेंट पर नहीं बल्कि अलग-अलग पेमेंट पर और अलग-अलग पूरे जितने भी नियमावली है वह सारी एक साथ इकट्ठा करके, तब ले सकते हैं। गुटका खाने वाला भी गुरु दीक्षा ले सकता है, लेकिन वह धीरे-धीरे करके गुटखा छोड़ दे और अभी राजसिक संकल्प लें। गांव वालों की पता होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। आप गुरु दीक्षा ले सकते हैं क्योंकि यह एक उत्तम कर्म है। रही बात मंदिर के अपवित्र होने की तो निश्चित रूप से जिस भी मंदिर में देवी देवताओं के समान शुद्धता नहीं रखी जाती है, वह स्थान अपवित्र हो जाता है और अपवित्र स्थान पर देवी देवता निवास नहीं करते हैं और वह जगह छोड़ कर चले जाते हैं। तो यह था एक सत्य अनुभव अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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