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मानिनी यक्षिणी मंत्र साधना

मानिनी यक्षिणी मंत्र की साधना के बारे में जो मैं आपको जानकारी देने जा रहा हूं इसकी जानकारी इंटरनेट पर भी ज्यादा नहीं है । शंखनि यक्षिणी की तरह ही इसकी जानकारी ज्यादा लोगों के पास नहीं है । किताबों में भी इसका जिक्र नहीं है यह शंखनी यक्षिणी की तरह ही दुर्लभ है और उसका मंत्र भी उसी की तरह दुर्लभ है । आसानी से उसका विवरण कहीं भी नहीं मिलता है तो आज हम जिस यक्षिणी के बारे में बात कर रहे हैं उसका नाम है माननी यक्षिणी । हमारे भारतीय तंत्र में इसका वर्णन मिलता है और कहा गया है कि जो भी माननी यक्षिणी की साधना करता है । उसके सामने वो प्रत्यक्ष रुप में प्रकट हो जाती है ।

मानिनी यक्षिणी की साधना ऐसे स्थान पर की जाती है जहां ढेर सारी चौपाए हो चोपाए का मतलब होता है जहां चार पैर वाले जानवर रहते हो जैसे कि बिल्ली, घोड़ा, गाय, भैस,  बकरी, कुत्ता, हाथी आदि रहते हो या हमेशा घूमते रहते हो। साधक को सबसे पहले ऐसे स्थान का चयन करना होगा ।मानिनी यक्षिणी सिद्धि का मंत्र जाप करने से मानिनी यक्षिणी प्रकट हो जाती हैं और साधक के सामने आकर खड़ी हो जाती है, साधकों अपने दाएं हाथ में गंगाजल लेकर उसे जगह पर चढ़कर उस जगह को पवित्र कर ले और भी बहुत सारे काम करने पड़ते यह सब साधक को करना होता है ।उसके बाद आप वहां बैठकर माननी यक्षिणी के मंत्र का 125000 जाप करेंगे यानी सवा लाख बार, आप सभी जानते हैं कि एक दिन में सवा लाख मंत्र का जाप नहीं हो सकता इसलिए आप अपनी हिसाब से मंत्रों को बाट लीजिए जैसे कि एक दिन में 10 माला यानी 1हजार, 20 माला यानी 2000, 30 माला यानी 3000, अपने हिसाब से रख लीजिए । अपने सामर्थ्य के हिसाब से रख लीजिए और अगर साधना काल मैं आपको मल मूत्र का त्याग करना है तो आप कर सकते हैं पर बार-बार मल मूत्र त्याग नहीं करना चाहिए ।

मल मूत्र त्याग करने से आपका ध्यान भंग होता है सही से ध्यान नहीं हो पाता तो आप उठ जाइए जबरजस्ती आप मल मूत्र को कंट्रोल नहीं करेंगे । आप अपने घर चले आएंगे और अपने कार्य कर लेंगे इससे दोष नहीं लगता । साधक का जब माननीय यक्षिणी मंत्र समाप्त हो जाए, पूर्ण हो जाए तब आपको लाल फूल से और तीन प्रकार के सुगंधित चीजों से दशांश हवन करना होता है । यानी सवा लाख का दशांश आपको हवन करना होता है । अगर आप हवन करते हैं तो आप यक्षिणी को प्रकट करने का सामर्थ्य पा लेते हैं और उसे प्रसन्न कर लेते हैं । हवन करने से यह यक्षिणी आपके सामने अत्यंत सुंदर, अत्यंत कामुक, अत्यंत ही यौवन युक्त स्त्री या कन्या के रूप में आ सकती है और दर्शन देती हे जब यह आती है तब साधक की काम भावना भी हजार गुना बढ़ जाती है उस समय साधकों चाहिए होता है कि वह अपनी काम भावना पर पूर्ण रुप से नियंत्रण स्थापित करें ।

जब तक वह साधक से बात ना करें वह भी न करे यक्षिणी तंत्र में लिखा गया है कि वह सबसे पहले साधक से संभोग करती है रति क्रिया करती है और सपने से परे पूर्ण आनंद प्रदान करती है और अंत में साधक से संतुष्ट होकर वह एक दिव्य दरवाजे का निर्माण कर देती है । जिससे कि साधक अजय बलवान पराक्रमी हो जाता है उसे कोई भी हरा नहीं पाता इस साधना का शुरुआत किसी भी समय से किया जा सकता है । किसी भी माला से किया जाता है और किसी भी दशा में बैठकर आप इनकी साधना कर सकते हैं क्योंकि यक्षिणी तंत्र में यह नहीं बताया गया है इसलिए साधक अपनी इच्छा अनुसार माला दिशा समय वार का चयन कर सकते हैं । विधि में बता चुका हूं यह साधना केवल उच्च कोटि के साधक ही कर सकते है जो अपने जीवन काल में बहुत सारी यक्षिणी साधना कर चुका हो, वही करें सामान्य साधक जिसको केवल जानकारी के रूप में ले और इसका मंत्र इस प्रकार से है। 
मँत्रः ऐं मानिनीं ह्री ऐहि – ऐहि सुन्दरी हस -हस समीह मे सगमकं स्वाहा : 

सबसे पहले आपको बता दूं कि यक्षिणी साधना करने से पहले आपको भगवान शिव के मंत्रों का एक महीने तक जाप और हवन करना होगा और कुबेर जी का भी आपको एक महीने तक उनके मंत्रों का जाप और हवन करना होगा ।इन्हीं से उन्हें आज्ञा मिलती है यक्षराज कुबेर से, तभी वह आती है नहीं तो आपके काम बिगड़ सकते हैं और जब तक भगवान शिव की आज्ञा नहीं होती तब तक कुबेर जी भी कुछ नहीं कर सकते । क्योंकि भगवान शिव तंत्र के देवता माने जाते हैं । उनकी इच्छा के बिना कोई भी शक्तियां सिद्धि प्रकट नहीं होंगी अगर उनकी इच्छा नहीं होगी तो आप कुछ भी कर लीजिए आपको कुछ प्राप्त नहीं होगा । बीज मंत्र के आधार पर ही माता को प्रसन्न किया जाता है और आप बीज मंत्र से ही किसी भी छोटी से छोटी शक्ति को सिद्ध कर सकते हैं । इसलिए इसमें माता की भी आज्ञा की आवश्यकता होती है । आपको इन तीनों को प्रसन्न करके ही यह साधना करनी होगी और सबसे पहले आपको किसी योग्य गुरु से दीक्षा लेनी नहीं चाहिए गुरु मंत्र की और जितना उन्होंने बताया हो उतनी ही संख्या में आपको अपने गुरु मंत्र का जाप करके उसे सिद्ध कर लेना चाहिए । इसके बाद जब भी आप किसी भी साधना में बैठेंगे आप कभी भी असफल नहीं होंगे आपको कोई भी परेशानी नहीं आएगी आपका कभी नुकसान नहीं होगा ।अगर आप कामयाब नहीं भी हुए तो आपको उस साधना का प्रतिफल किसी ना किसी रूप में जरुर प्राप्त होगा । यक्षिणी साधना में अगर आप इनको तीसरी श्रेणी में भी सिद्ध कर लेते हैं तो चौपाये यानी चार पहिए वाले वाहन का सुख आपको वह यक्षिणी अवश्य प्रदान कर देगी क्योंकि वह चार शक्ति युक्त होती है इसी के आधार पर आप चार पहिए वाहन के स्वामी बन सकते हैं या अगर आप गांव क्षेत्र में रहते हैं तो आप गाय भैस घोड़ा बकरी बैल कुत्ता आदि  के मालिक बन सकते हैं । अगर आप शहर में रहते हैं तो आपके पास गाड़ी हो जाएगी, कार हो जाएगी तो इस प्रकार से यह चीजें घटित होती लोग कहते हैं कि उन्हें साधना का फल नहीं मिला, ऐसा नहीं होता उन्हें फल अवश्य मिलता है किसी ना किसी रूप में या शक्तियों का प्रभाव होता ही है ।

आप जब भी मुझे पत्र भेजते हैं तब आपको पत्र के रूप में मेरा नाम अवश्य ले लिया कीजिए यानी कि धर्म रहस्य चैनल को यह अनुभव भेजा गया है यह अवश्य भेजा करे ताकि सबको पता चले कि आपने यह अनुभव मुझे भेजा है ईमेल का पता – [email protected]

अगर आपको यह जानकारी पसंद आई है तो धन्यवाद।।

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