मेरा विवाह रतिप्रिया यक्षिणी से सत्य घटना भाग 3
गुरु जी नमस्कार आप को शत-शत नमन गुरु जी पिछली बार की बात को आगे बढ़ाते हुए। जब मेरे सिर पर किसी ने बड़े जोर से मार दिया था तो इसकी वजह से एकदम से मैं बेहोश हो गया और इससे बेहोशी के चलते मुझे कुछ भी याद नहीं है। लेकिन सबसे बड़ा आश्चर्य तो तब हुआ जब मैंने अपनी आंखें खोली, जब मैंने अपनी आंखें खोली तो जो सामने का नजारा दिखाई पड़ा। आज के युग में कोई इस बात को समझ नहीं पाएगा। मैं नदी के अंदर था। वह भी पूरी तरह जीवित सांस ले पा रहा था और वहां एक भव्य नगरी थी। एक ऐसी पानी के अंदर बसी हुई नगरी जिसमें मैं एक महल के अंदर अद्भुत रूप से कई सारी स्त्रियों के बीच में मौजूद था। वह सभी बड़ी जोर खिलखिला कर हंस रही थी। कोई किसी से कुछ कहता तो कोई दूसरा किसी से कुछ कहता सभी के केंद्र बिंदु के रूप में मैं था। मुझे तो कुछ जल्दी समझ में ही नहीं आया। चारों ओर देखने लगा। तभी वहां पर एक।
स्त्री आती है और मुझे बाहों में जकड़ लेती है और कहती है बहुत दिनों के बाद पुरुष का सुख देखने को मिल रहा है। आओ हम सभी आनंदित हो।
इन लड़कियों में इतनी ताकत थी कि सब ने मुझे जैसे नीचे कोई कपड़ा गिरा होता है। उसे उठाने में बिल्कुल भी ताकत की आवश्यकता नहीं होती है।
वैसा ही कुछ मेरे साथ किया था। किसी ने मेरा बाया पैर पकड़ा। किसी ने दाहिना पैर पकड़ा। आगे के दोनों हाथ अलग-अलग लड़कियों ने और उठाकर ऐसी ले चली जैसे कि मेरे शरीर में वजन ही नहीं हो। पानी के अंदर यह बात तो सत्य है कि वजन कम हो जाता है लेकिन इतना कम हो जैसे कि मैं फूल बन चुका हूं।
तब एक बिस्तर पर जाकर उन्होंने मुझे पटक दिया। मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि आखिर इन सब का उद्देश्य क्या है और उसके बाद उन सब ने वहां चारों तरफ घूम कर नृत्य करना शुरू कर दिया।
वहां एक अद्भुत सी तरंग बह रही थी जैसे कि कई तरह के वीणा वादन में अलग तरह की तरंगे चलती रहती है। बिल्कुल वैसे ही यहां पर सुनने में नजर आ रहा था। यह क्या था इसके विषय में आज भी मैं अचंभित हूं वहां की ध्वनि स्वयं आवाज कर रही थी।
कि मैंने उनको देखा उन्होंने फिर से अपने वस्त्र एक-एक करके उतार कर फेंक फेकने शुरू किए और उन्हें हवा में तैरते हुए देखना बिल्कुल अजीब सा लगता था। पानी के अंदर अगर कोई वस्त्र उतारेगा तो निश्चित रूप से वह उससे दूर तो हो ही जाएगा। लेकिन वहां का जो पानी का वातावरण था, वह बिल्कुल जैसे आज-कल हम निर्वात में देखते हैं कि कोई भी व्यक्ति कहीं से कहीं भी इधर-उधर गति करता है जिसका अपनी गति पर कोई। नियंत्रण नहीं होता और यह सारी बातें अद्भुत। उनकी सुंदरता चरम पर थी। अगर कोई दूसरा व्यक्ति होता तो कब का अपना अपने ऊपर नियंत्रण खो बैठता, लेकिन मुझे यह सब याद था कि शायद मैं साधना कर रहा था। इसलिए ब्रह्मचर्य की रक्षा करना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। मेरे लिए वहां पर कोई कैसे आकर मुझसे लिपट का कोई चुंबन कर दूर भाग जाता। कोई मुझ पर फूल गिरा देता। ऐसी क्रियाएं जिससे मैं अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा आनंदित महसूस कर रहा था। कि तभी उनमें से एक स्त्री मुझसे आकर लिपट गई जैसे कि मैं कोई लता या डाल हूं और जैसे लताये पेड़ से लिपट पड़ती है ठीक उसी तरह वह मुझसे जुड़ गई ,शरीर में मेरे गर्मी बढ़ने लगी। मुझे पक्का यकीन हो गया कि यह रतिक्रिया करने के लिए ही मेरे पास आई है। मैं मन ही मन घबराने लगा, क्योंकि अब उसका प्रेम तीव्रता में बदलता जा रहा था।
उसने बहुत तीव्रता के साथ मेरे शरीर पर हर जगह चुंबन करना शुरू कर दिया। यह मेरे लिए अप्रत्याशित था और अवस्था की सबसे बड़ी। जो विकट परिस्थिति थी कि मैं अपने शरीर को अब खिलाफ ही नहीं पा रहा था। मुझे लगा आज तो मेरा ब्रह्मचर्य गया कि तभी वहां पर एक तेजस्वी और सुंदर लड़की का आगमन हुआ। उसने बहुत जोर से सभी को डांटा और उस लड़की को पकड़कर दूर फेंक दिया। यह देखकर मुझे कुछ शांति मिली यह कोई लड़की तो मेरी रक्षा के लिए यहां पर है वरना दिव्य शक्तियों वाली कन्याओं से मैं भला कैसे दूर रह पाता। मुझ में तो ऐसी कोई सामर्थ भी नहीं है कि मैं इन्हें किसी भी प्रकार से रोक पाए। तब मेरे पास आई और उसने कहा। मैं आपसे माफी मांगती हूं। इन सब ने वर्षों से पुरुष नहीं देखा। इसलिए इनके अंदर बहुत ज्यादा बेचैनी है उसको प्राप्त करने की इच्छा लालसा इनके अंदर बहुत ज्यादा तीव्रता में है। जब वह आपको देखा तो अपना प्रेमी बनाकर आपके साथ ऐसा दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। आशा करती हूं। आप इन्हें क्षमा कर देंगे। तब मैंने इतनी प्यारी भरी बातों से उस तेजस्वी लड़की से पूछा। आप कौन?
और इस प्रकार आपने मेरी मदद क्यों की है? तब मुस्कुराते हुए कहने लगी, मैं कौन हूं इसका उत्तर आप स्वयं जानते हैं? लेकिन हां, आपको बहुत ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता है। दिव्यता को प्राप्त करना इतना आसान नहीं होता है और वह तो हर जगह उपलब्ध है। और इस भोग को भोगने की इच्छा रखने वाला कभी भी दिव्यता को प्राप्त नहीं कर सकता है इसीलिए आपको! मैंने यहां पर पूरी कोशिश की कि रोक सके और जब इन कन्याओं ने आप पर अपना शक्ति प्रदर्शन भी किया तो भी आप विचलित नहीं हुए हैं। इसलिए आप बधाई के पात्र हैं। अगर आप किसी भी स्त्री से यहां संबंध बना लेते स्वयं को नहीं रोकते। तो शायद यह आपके प्राण हर लेती। क्योंकि जैसे ही इनकी कामवासना नष्ट होती, वैसे ही एक दूध में पड़ी मक्खी की तरह आप को उठाकर यहां से बाहर फेंक दिया जाता।
आप यहां पर जीवित भी मेरे ही कारण है। इस लोक में आकर आपको सांस लेने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है और इसके लिए मैंने आपके अंदर एक दिव्य ऊर्जा समाहित की है। यहां से वापस जाते ही आप फिर से सांस लेने लगेंगे।
तब मैंने ध्यान दिया, वास्तव में मैं पानी के अंदर सांस ले पा रहा था।
यह तो बड़ी ही अद्भुत बात थी। यह तो मेरे लिए सच में बहुत बड़ा आश्चर्य था। मैं कैसे सांस ले पा रहा हूं। वह भी पानी के अंदर तब मैंने उस कन्या को प्रणाम किया और कहा, आपका विशेष रूप से बहुत-बहुत धन्यवाद। आपने मेरे प्राणों की रक्षा की है।
बताइए मैं वहां नदी के किनारे था और यहां कैसे पहुंचा तब उसने कहा, आपने एक बड़ी गलती की आप इन कन्याओं का पीछा करते यहां तक आ गए। इन्हें निर्वस्त्र नहाते हुए देखा जो कि एक अपराध है। इसी के दंड स्वरूप उनमें से कुछ कन्याओं ने आपके सिर पर वार किया और पानी के अंदर खींच लिया। यह मार्ग है दूसरे लोक तक जाने का जो आपकी समझ से परे है अब आप! यहां से ऊपर। धरती पर वापस जाइए नदी के अंदर से तो मैंने कहा, मैं नदी की तलहटी में हूं। इतनी दूर तैरना मुझे नहीं आता तब वह हंसने लगी। इसके बाद गुरु जी क्या हुआ अगले पत्र मैं आपको बताऊंगा आप को शत-शत नमन ।