यक्षिणी से विवाह सत्य अनुभव भाग 3
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। यक्षिणी से विवाह का सत्य अनुभव अभी तक आपने इस कथा में जाना किस प्रकार से एक व्यक्ति का विवाह एक अनजानी स्त्री से हो जाता है। अब आगे की कथा के विषय में जानते हैं। गुरु जी अब ऐसी समस्या थी कि कई लोग उस कुएं में किसी शक्ति के होने का आभास कर रहे थे तो कई लोग इस नवेली वधू पर भी शक कर रहे थे। ऐसे में कुछ लोगों ने उस तांत्रिक से कहा, इनकी जो नई बहू आई है, आप कृपया उससे जाकर मिले और पता लगाएं कि कहीं इसके ऊपर किसी बुरी शक्ति का साया तो नहीं है। तांत्रिक ने उन सब की बात मान ली और परिवार में। सासू के रास्ते उन्होंने वार्तालाप किया और कहा हो सकता है उस चुड़ैल का कोई असर आपकी बहू पर आ गया हो। ऐसा कई लोगों का अनुमान है। इसीलिए मुझे उससे मिलने की आज्ञा प्रदान कीजिए। सासु मां ने कहा, ठीक है तब तांत्रिक उस कमरे में प्रवेश कर गया, जहां बहू रहती थी। बहू का कमरा पूरा सजा और धजा था। उस कमरे में कहीं पर 1% की भी गंदगी नहीं की। तांत्रिक महोदय को देखकर नई बहू बड़े ही अचरज से उन्हें कहने लगी। आप कौन हैं और इस प्रकार मेरे कमरे में प्रवेश करने का क्या मतलब है तब तांत्रिक ने कहा। पुत्री तुम मुझे गलत समझ रही हो। मैं सिर्फ इस कमरे में अपनी कुछ तांत्रिक क्रियाएं करने के लिए आया हूं।
कृपया तुम मेरे कुछ प्रश्नों के उत्तर दो तब उस नवेली वधू ने कहा, ठीक है। आप जो भी पूछना चाहते हैं कृपया मेरे पति को साथ बुलाकर ही पूछे। तांत्रिक समझ चुका था कि स्त्री पूरी तरह पतिव्रता है तब उसने उनके पति को अंदर बुला लिया और तब तांत्रिक ने पूछा, जब तुम कुए पर गई थी तो क्या तुम्हें उसके अंदर कुछ? दिखाई दिया तब वह कहने लगी। हां। मैंने कुए के अंदर एक भयानक चेहरे वाली स्त्री को देखा था जो ऊपर आने का प्रयास कर रही थी। तांत्रिक ने कहा ठीक है। इसके अलावा कहीं ऐसा तो नहीं लगा जैसे वह तुम्हारे ऊपर हावी हुई हो। तब नवेली वधू ने कहा, मुझे ऐसा तो कोई आभास नहीं हुआ पर उस कुएं पर जाने में डर लगता है। तांत्रिक ने कहा, ठीक है अब मैं यहां से चलता हूं। तब? उस पति और उसकी नवेली पत्नी ने तांत्रिक के पैर छुए। लेकिन पहले पति ने जब पैर छूये तो तांत्रिक शांत था, लेकिन जैसे ही उस नवेली वधु ने उस तांत्रिक के पैर छुए। तांत्रिक अंदर तक हिल गया। वह बिना कुछ बोले तेजी से पलटा और कमरे से बाहर निकल गया। बाहर सभी लोग उसका इंतजार कर रहे थे। पर उसने कुछ नहीं कहा और चुपचाप अपने घर की ओर चला गया। तांत्रिक के इस प्रकार के व्यवहार से वहां पर सारे लोग स्तब्ध थे। सबने सोचा तांत्रिक महोदय को आखिर हुआ क्या ? उन्होंने हमसे कोई बातचीत ही नहीं की और बिना कुछ बताए सीधे अपने घर की ओर क्यों निकल गए? कई लोगों ने उनके घर जाने के लिए सोचा लेकिन फिर वह कहने लगे। जब वह खुद ही अपनी मर्जी से गए हैं तो फिर उन्हें किसी भी प्रकार से डिस्टर्ब करना ठीक नहीं है। इसीलिए कोई भी उनके पीछे नहीं गया। अगले दिन सुबह सुबह जब नवेली वधू घर के बाहर झाड़ू लगा रही थी तभी वहां पर वह तांत्रिक फिर से आ गया और उसने एक कलश उस नवेली वधु को देकर कहा। मुझे प्यास लग रही है कृपया मुझे इसमें पानी दे दो। तब नवेली वधू ने कहा। आपको पानी कोई और दे देगा। मैं आपको पानी नहीं दे सकती। तब तांत्रिक कहने लगा। ऐसा ना करने का कोई विशेष कारण है। क्या तब वह कहने लगी। मैं किसी अजनबी व्यक्ति को पानी नहीं देती? तभी वहां पर उस बहू की सास आ गई। सास ने कहा, आप चिंता मत कीजिए। यह नए काम को करने में सदैव डरती है। आप मुझे अपना लोटा दीजिए। मैं इसमें पानी लाकर आपको दे दूंगी। तांत्रिक महोदय ने कहा, किंतु मुझे तो इसी के हाथ का पानी चाहिए। यह सुनकर अब सास भी संशय में आ गई थी। उन्होंने उस तांत्रिक से कहा। हम अपनी बहू बेटियों को किसी काम में यूं ही नहीं लगाते। आप बाहर के व्यक्ति हैं। आप मुझे यह कार्य करने दीजिए। क्योंकि सासू मां यह बात जानती थी कि पूरे गांव में उनकी बहू सबसे ज्यादा सुंदर है। इसलिए पुरुषों का उसकी तरफ लालायित होना। कोई बड़ी बात नहीं थी। सासू मां के इशारे पर बहू अंदर चली गई। तांत्रिक ने कहा, मैंने जो कार्य करने के लिए कहा था, आप वह बात समझी नहीं। मैंने आपकी बहू से पानी इसीलिए मांगा था क्योंकि मेरा यह कलश अभिमंत्रित है। और अगर आपकी बहू इस से अभिमंत्रित कलश को भर कर पानी देती तो मैं जान पाता कि उस कुए वाली चुड़ैल का क्या रहस्य है? किंतु सासू मां ने कहा। कोई बात नहीं मैं अंदर जाती हूं और उससे पानी भरवा कर खुद लाकर आपको दे देती हूं। तांत्रिक ने कहा ठीक है कोई बात नहीं किंतु पानी वही दे और सासू मां उस कलश को लेकर अंदर चली जाती है वह नवेली वधू! पानी भर कर सासु मां को दे देती है और वह पानी उस तांत्रिक को दे दिया जाता है। तांत्रिक। उस कुएं पर जाकर कुछ मंत्रों का जाप करता है और वहां पर कुछ लॉन्ग डाल देता है। तभी वहां पर कई स्त्री और पुरुष आकर कहने लगते हैं। तांत्रिक महोदय कल आप चले गए थे। क्या कुछ पता चला आखिर इस कुएं का कोई रहस्य है क्या? तो तांत्रिक कहता है मेरा इसी तरफ प्रयास जारी है। आप लोग चिंता ना करें। अभी मुझे घर जाने दे। मैं घर पहुंच कर इस रहस्य से पर्दा अवश्य ही उठा दूंगा। तब तांत्रिक महोदय अपने घर चले जाते हैं। उस कलश को सामने रखकर अब वहां कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने लगते हैं और थोड़ी ही देर बाद अचानक से उन्हें लगता है। जैसे उनके दरवाजे पर कोई आया है जो दरवाजा बार-बार खटखटा रहा है। किंतु वह अपनी साधना छोड़ना नहीं चाहते थे और लगभग 10 मिनट तक उन्होंने अपनी वह तांत्रिक प्रक्रिया जारी रखी। इस प्रकार जब उन्होंने उसे पूरा कर लिया तभी उन्होंने उठकर बाहर जाकर देखने की कोशिश की कि आखिर कौन उनके दरवाजे को इतनी देर से पीट रहा है? क्योंकि इतनी देर तक कोई दरवाजा नहीं खटखटा सकता था। यह एक अचरज भरी बात थी। और किसी ने आवाज देकर तांत्रिक महोदय को बुलाया भी नहीं था। इसी कारण से तांत्रिक भी मन ही मन संशय में थे। कि आखिर कौन है जो इतनी रात को उनके दरवाजे को इतनी देर तक पीट रहा है? वह उस ओर बढ़ चले और फिर उन्होंने दरवाजा खोल दिया। रात गहरा चुकी थी। पूरी तरह से उन्हें कुछ समझ में नहीं आया पर बाहर उन्हें। लाल साड़ी में कोई स्त्री खड़ी हुई दिखाई दी जो कि उनसे कुछ ही कदम की दूरी पर वहां पर उपस्थित। तांत्रिक महोदय को कुछ समझ में नहीं आया। उन्होंने अपने पास रखी लालटेन को जलाया और लालटेन लेकर उसके पास पहुंचे। उन्होंने जो देखा वह विस्मयकारी था। आखिर उन्होंने क्या देखा था यह मैं अगले भाग में आपको बताऊंगा नमस्कार गुरु जी! संदेश-तो देखे यहां पर तांत्रिक महोदय उससे यक्षिणी के रहस्य को पता करने की कोशिश कर रहे हैं। आगे क्या हुआ जानेंगे। अगले भाग में तो अगर यह कहानी आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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