रहस्यमई किले का पारस पत्थर 4 अंतिम भाग
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम पारस पत्थर के अंतिम भाग में प्रवेश करते हैं और इस कहानी में आखिरकार क्या हुआ, इसे हम जानेंगे। साथ ही उस पारस पत्थर को कहां से प्राप्त किया जा सकता है और वह रहस्यमई किला कौन सा है। यह भी आज के वीडियो में हम लोग जानेंगे। तो पिछली बार हम लोगों ने जाना था किस प्रकार से तांत्रिक? उस वैद्य की कन्या को प्राप्त करने के लिए उस स्थान पर आ चुका था और उसने सीधी शर्त रखी थी। जिस पर कन्या ने मना कर दिया था क्योंकि उसका विवाह बचपन में ही सेनापति के पुत्र के साथ तय हो चुका था। इस बात से क्रुद्ध होकर के उस तांत्रिक ने चाहा कि वह इस कन्या को अब किसी भी कीमत पर प्राप्त करेगा। वह आसपास के लोगों को इकट्ठा करने लगा और थोड़ी ही देर में उसी स्थान पर काफी ज्यादा भीड़ उपस्थित हो गई। उसने उस पूरी जनता को यह कहा कि मैं प्रत्येक व्यक्ति को सोने के सौ-सौ सिक्के दूंगा। अगर तुम इस कन्या और इस वैद्य को बंदी बनाकर मेरे सामने पेश करो और इस कन्या का विवाह मुझसे संपन्न करवा दो।
यह सुनकर के वहां पर खड़े सभी लोग कहने लगे। पहले हमें कुछ धनराशि दो। तब? उस तांत्रिक ने वहां पर तांबे के और लोहे के सिक्के मंगवा लिए और उनको उसने सोने में बदल दिया। इस प्रकार उन सभी सिक्कों को उसने उन लोगों में बांट दिया लोग भी तुरंत ही। वैद्य को और कन्या को पकड़ लिए और दोनों को बांध दिया। किसी भी व्यक्ति ने कन्या की सहायता नहीं की तो इस पर कन्या ने माता को रक्षा के लिए पुकारा और वह कहने लगी है। माता कैला देवी आप मेरी रक्षा कीजिए। आप मेरी सहायता के लिए मेरे स्वामी को भेज दीजिए। और जैसे कि कन्या ने पुकारा। वही बात थोड़ी ही देर में सत्य हो गई क्योंकि सेनापति के पुत्र तक यह खबर पहुंच चुकी थी कि किसी तांत्रिक ने उस की होने वाली पत्नी को कैद कर लिया है। सेनापति का पुत्र अपनी सेना की टुकड़ी के साथ वहां पर आ जाता है। और वह तांत्रिक को मारने के लिए अपनी सेना की टुकड़ी को आदेश देता है किंतु तांत्रिक सेना को कहता है। मैं प्रत्येक सैनिक को सौ सौ सोने के सिक्के दूंगा। यदि वह सेनापति के पुत्र को बांधकर मेरे सामने पेश करें और वह सोने को उन लोगों पर फेंकने लगता है। सेना में तितर-बितर मच जाती है। सेनापति के पुत्र की बात कोई नहीं सुनता क्योंकि सोने के आगे सब ही विवश हो जाते हैं। इस प्रकार! सेना सेनापति के ही पुत्र के साथ विद्रोह कर उसे बांध देती है। तांत्रिक सेना को आदेश देता है कि सेनापति के पुत्र को मार दिया जाए। और इस प्रकार सेना अपने ही सेनापति के पुत्र को मृत्यु दंड दे देती है। अपनी आंखों के सामने। कन्या अपने होने वाले पति का अंत देखती है। और? अब वह तांत्रिक उस कन्या के पास पहुंचकर कहता है। मैं तुझे केवल 1 दिन का मौका देता हूं। अब तेरा विवाह संसार में मेरे अलावा और किसी से नहीं हो सकेगा। कल मैं बिना विवाह के तेरे साथ संभोग करूंगा और यह पूरी जनता खड़ी होकर यह देखेगी। इसलिए तुम मुझसे स्वता ही विवाह करने की स्वीकृति दे। कन्या चुपचाप सब कुछ सुनती रहती है कन्या एक बार फिर से देवी मां कैला को पुकारती है। और उनसे कहती है माता क्या मेरी इज्जत की रक्षा नहीं हो पाएगी? मैं आपका नाम लेकर अपने प्राण त्याग दूंगी। अगर आपने मेरी रक्षा नहीं की। इस प्रकार कन्या रात भर माता कैला को पुकारती रहती है। इधर! उस रियासत! जिस रियासत में तिमनपाल नाम का एक राजा राज्य करता था उसे माता कैला देवी स्वप्न में दर्शन दे कर के सीधा आदेश देती है और कहती हैं मैं तेरे कुल की कुलदेवी हूं और इसलिए मेरी आज्ञा मान। वैद्य की कन्या की रक्षा कर और तांत्रिक से पारस पत्थर हासिल कर अपनी राज्य का वैभव बढ़ा इस प्रकार राजा तिमनपाल अपनी आंखें खोल देता है और माता के आदेश का पालन करते हुए सेनापति सहित सेना लेकर उस स्थान पर पहुंच जाता है। तांत्रिक कन्या की इज्जत लूटने का प्रयास करने ही वाला था तभी वहां सेना आ जाती है।
तांत्रिक। चारों ओर से घिर चुका होता है और अब सेना उसके बहकावे में भी नहीं आ सकती थी क्योंकि सेना को आदेश दे दिया गया था। इसलिए तांत्रिक उस कन्या की हत्या कर देता है। ताकि वह किसी दूसरे की ना हो सके। राजा तिमनपाल क्रोध से भर कर तांत्रिक को पकड़ने का आदेश अपनी सेना को देता है और इस प्रकार राजा तिमनपाल उस तांत्रिक को कैद कर लेता है। और उससे पारस पत्थर हासिल कर लेता है। जब राजा तिमनपाल को वह पारस पत्थर हासिल हो जाता है तो वह उसका प्रयोग करके देखता है और सच में। वह सोना बना लेता है क्योंकि पारस पत्थर के प्रयोग की विधि भी माता ने उसे बता रखी थी। अब! उस पारस पत्थर की सहायता से राजा अपने लिए एक अद्भुत महल बनवाता है और उसके पास भंडार ही भरते चले जाते हैं क्योंकि अब वह समृद्धि बहुत ही तीव्रता के साथ बढ़ने लगती है। उसके सोने का पूरा भंडार भरने लगता है। लेकिन जैसे जैसे सोना बनता चला जाता है। तो? उसकी खबर आसपास के राज्यों को भी मिलने लगती है कि राजा तिमनपाल के पास जो कि तिमनगढ़ रियासत के राजा है। उनके पास पारस पत्थर है जिसकी वजह से वह सोना बना लेते हैं। यह खबर जल्द ही ही। एक ऐसे राजा को मिलती है जो हो यहां कब्जा करने के लिए आया होता है और वह राजा था मोहम्मद गौरी। सन! 1196 में मोहम्मद गौरी और उसका सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक इस स्थान पर आकर। इस राज्य को चारों तरफ से घेर लेते हैं। और आखिरकार! किले का उस वक्त का राजा राजा कुंवर पाल। आत्मसमर्पण कर देता है क्योंकि मुसलमानों की शक्तिशाली सेना के आगे राजा की शक्ति कुछ भी नहीं थी। इस प्रकार जब किले पर कब्जा कर लिया गया तो राजा ने अपने मंत्री को पारस पत्थर देकर कहा इस पत्थर को जाकर कहीं छिपा दो। यह बहुत ही दुर्लभ पत्थर है लेकिन! मंत्री को यह बात नहीं पता थी कि यह पारस पत्थर है। राजा के कैद हो जाने के बाद मंत्री की ओर जब! आक्रमणकारी बढ़ते हैं तो जो मंत्री है वह इतना अधिक घबरा जाता है कि जोश में आकर उस पत्थर को पास की ही एक झील में फेंक देता है जिसका नाम सागर झील था। इस प्रकार! उस किले पर? कुतुबुद्दीन ऐबक और मोहम्मद गौरी का कब्जा हो जाता है। इस बारे में उस समय के इतिहासकार हसन निजामी ने लिखा था कि अब तक संसार के किसी शासक ने इसे नहीं जीता जिसे हमारे बाद शाह ने चारों ओर से घेर लिया। किले का राजा कुंवर पाल अपनी सेना पर गर्व और दुर्ग की दृढ़ता पर पूर्ण विश्वास करता था। किंतु शत्रु की सेना को देखते हुए उसे आखिरकार आत्मसमर्पण पर मजबूर होना पड़ा था। हालांकि कुछ वर्षों बाद इस वंश के वंशजों ने इस किले पर दोबारा कब्जा कर लिया। और फिर उस रहस्यमई पत्थर की खोज शुरू की गई, लेकिन वह पत्थर नहीं मिला। सिर्फ इतना पता था कि? इस किले के पास स्थित सागर झील में पारस पत्थर कहीं पड़ा हुआ है। इसलिए राजा ने आज्ञा दी कि बड़े-बड़े हाथियों को लोहे की जंजीर में बांधकर इस तालाब में दौड़ाया जाए। अगर कहीं पारस पत्थर होगा तो? यह सोने की कड़ी में परिवर्तित हो जाएगा। क्योंकि लोहे की बड़ी-बड़ी बेड़ियां बांधकर हाथियों को उस तालाब में या उस झील में चलाया गया था। और कुछ देर बाद जब यह कार्य पूर्ण हो गया और निराश होकर लोग! अपने हाथियों के साथ वापस आ रहे थे। तब सब ने देखा कि एक बड़ी सी कड़ी पूरी सोने की बदल चुकी थी। इसका मतलब वह पारस पत्थर आज भी उस तिमनगढ़ रियासत में उस सागर झील में कहीं मौजूद है, लेकिन आज तक उसे कोई ढूंढ नहीं पाया है। यही नहीं अब इस स्थान की विशेष बात में आप लोगों को बताता हूं। इसी किले में आज भी प्राचीन अष्टधातु की मूर्तियां। सोने की मूर्तियां और सोने के बड़े-बड़े भंडार कहीं दबे हुए मौजूद हैं जिनको प्राप्त करने के लिए लोग चोर और वहां के निवासी प्रयास करते रहे हैं। यहां तक कि लोग हेलीकॉप्टर के माध्यम से भी आकर उस स्थान की प्राचीन सोने की मूर्तियों का क्रय और विक्रय कर चुके हैं। इसी कारण से यह स्थान यहां के खजाने का रहस्य और सबसे बड़े पारस पत्थर का रहस्य आज भी जिंदा है। और यह किला और उसके सारे चित्र मैंने इस वीडियो के माध्यम से आप को दिखाकर यहां के विषय में भी बताया है ताकि आप इस तिमनगढ़ जिला करौली जोकि राजस्थान में ही स्थित है जाकर के इस रहस्य का पता लगा सकते हैं और अगर कोई तांत्रिक सच में बहुत अधिक शक्तिशाली है तो वह इस प्राचीन पारस पत्थर को भी माता कैला की कृपा से प्राप्त भी कर सकता है। तो यह थी एक घटना और उसकी वास्तविकता तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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