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श्यामा माँई और चमत्कारिक मुंड 5 वां अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है।

श्यामा माई और चमत्कारिक मुंड भाग 4 मे आपने अभी जाना है कि किस प्रकार से राजवीर नाम का एक व्यक्ति अपनी मां की रक्षा के लिए एक मुंड को अपने पास लाना चाहता है। उस मुंडी के साथ प्रकट हुई दो अप्सराएं उसे छल देती हैं। राजवीर जब आकाश की ओर देखता है तो उसे वहां पर कोई भी नहीं मिलता। चारों तरफ सुनसान ही सुनसान था। राजवीर अब बड़े ही घबराए हुए हृदय से चारों तरफ उस मुंड को और अन्य दो अप्सराओं को ढूंढता है।

लेकिन वहां कोई अप्सरा उसे दिखाई नहीं देती। यहां तक कि देव अप्सरा भी नहीं। राजवीर बहुत ज्यादा परेशान हो जाता है। चारों ओर ढूंढने के बाद भी वहां पर कोई नहीं था। राजवीर कुछ देर। सोचता रहता है उसके बाद उसके मन में यह विचार आता है कि मुझे अपने उन्हीं तांत्रिक गुरु की शरण में जाना चाहिए। शायद वह मेरी मदद कर सके और मुझे इस मुसीबत से निकलने का रास्ता बता सकें।

राजवीर बिना कोई देर किए एक बार फिर से। अपने उन्हीं तांत्रिक गुरु की ओर जाने लगता है। कुछ देर बाद वह उनके आश्रम पर पहुंच जाता है। वहां पर जिस कुटी में वह निवास करते थे। उस जगह पर अब कोई गुरु नहीं थे। यह देखकर उसे और भी अधिक आश्चर्य हो जाता है। चारों तरफ ढूंढने पर भी वहां कोई नहीं मिलता। उसे समझ में नहीं आ रहा था यह सब क्या घटित हो रहा है? उसे ऐसा आभास होता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि सभी ने मिलकर उसे ठगा हो।

सब ने मुंड को प्राप्त करने के लिए ही यह सारी प्रपंच रची हो। अब राजवीर परेशान हुआ वहीं पर कुछ क्षण बैठ जाता है और विचार करता है कि आखिर इस पूरे प्रकरण में उसकी सहायता किसने सत्य प्रकार से की है ? उसी सत्य को प्राप्त करना उसका मूल उद्देश्य होना चाहिए। तभी वह अपनी माता की रक्षा कर पाएगा। कुछ देर सोचने के बाद उसके मन में विचार आता है। कि मुझे उसी स्थान पर जाना चाहिए जिस स्थान पर वह मुंड मुझे मिला था।

वह धीरे-धीरे उस स्थान की ओर गमन करने लगता है। रात्रि के समय वह उस स्थान तक पहुंच जाता है जिस स्थान पर उसे वह प्राचीन मुंड मिला था। वहां पर पूरी तरह सुनसान था। शमशान भूमि मे जिस जगह पर वह चमत्कारिक मुंड उसे प्राप्त हुआ था वहां दूर-दूर तक कोई नहीं था। वह मुंड वाले स्थान पर बैठ जाता है और एक बार फिर से विचार करने लगता है। कि अब वह क्या करें? उसे अपने माता के प्राणों की रक्षा तो करनी ही है। लेकिन किस प्रकार से कर पाएगा। तभी उसने सोचा कि इस पूरे प्रकरण में। अगर किसी ने उसकी सच्ची सहायता की है तो वह थी माता श्यामा।

मां श्यामा ही एक ऐसी शक्ति हैं जिनकी अगर वह उपासना करें तो शायद उसके बने हुए जितने भी काम थे, जो उस वक्त बन रहे थे अब फिर से दोबारा बन जाए। इसलिए यह बात सोचकर माता श्यामा माई की प्रार्थना करने लगता है। गुरु के सिखाए गए उसी मंत्रों के द्वारा उसी स्थान पर बैठकर वह जप करता चला जाता है।

पूरे 2 दिन लगातार बैठे तपस्या करते हुए जब उसे बीत जाते हैं। तभी वहां पर एक स्त्री सामने आती है। वह कहती है कब तक तू इस प्रकार पूजा पाठ करता रहेगा। माता को प्रसन्न करना इतना आसान नहीं है। इस पर वह कहता है मुझे क्या करना चाहिए देवी? तभी वह स्त्री एक मुंड निकाल कर के उसके हाथ में रख देती है और कहती है इसी प्रकार मुंड को खड़े हाथ में रखकर। तू तपस्या कर श्यामा माई अवश्य ही प्रसन्न होंगी।

इस प्रकार एक और दिन वह हाथ में मुंड लेकर माता श्यामा माई के मंत्रों का जाप करता रहता है। अर्धरात्रि के समय अचानक तेज प्रकाश होता है और वहां पर साक्षात श्यामा माई प्रकट हो जाती हैं। श्यामा माई प्रकट होकर उसे कहती हैं पुत्र तूने मेरी भीषण तपस्या की है। मैं तुझ से प्रसन्न हूं बता क्या वर मांगना चाहता है? इस पर राजगीर कहता है माता मैं यहां पर कोई सिद्धि प्राप्त करने के उद्देश्य से नहीं आया था। मेरा यहां आने का एक ही तात्पर्य था। अपने माता के प्राणों की रक्षा।

एक तांत्रिक ने मेरी मां को श्राप दे दिया था। अब आप ही मेरे उस श्राप से रक्षा कर सकती हैं। जिससे मेरी माता की जीवन की रक्षा हो। माता श्यामा माई प्रसन्न होती है और कहती हैं वह मुंड पाताल लोक चला गया है। सिद्धियां मनुष्य अधिकतर खो देता है अपनी मूर्खता में। तुम्हें सावधानी बरतनी चाहिए थी, शक्ति जितनी बड़ी होती है उसके साथ जिम्मेदारी और सावधानी भी उतनी ही बड़ी होती है।

पाताल लोक लौट कर चुका वह मुंड अब कि केवल महा साधना से ही वापस लाया जा सकता है। क्या तू वह साधना करना चाहता है। इस पर राजवीर कहता है माता मेरी ऐसी कोई इच्छा नहीं है, आप सिर्फ और सिर्फ मेरी माता को अभयदान दीजिए। माता श्यामा प्रसन्न हो जाती है और कहती हैं तू सच्चा मातृ भक्त है। मैं तुझे इसी मुंड को चमत्कारिक बना कर दे देती हूं। क्योंकि तूने इसी मुंडे से उस महामुंड को छुआ था। इसके कारण तेरे हाथ में बहुत सारी शक्तियां आ गई थी। अब तूने क्योंकि मेरी तपस्या की है और इस मुंड को काफी समय तक धारण किया है। इसलिए मैं इस मुंड को भी चमत्कारिक बना देती हूं।

जा इस मुंड को लेकर जा और अपनी माता के सिर पर रखना इसके बाद मेरे मंत्रों का मात्र सात बार उच्चारण करना, तेरी माता का श्राप नष्ट हो जाएगा। इसके बाद इस मुंड को अपने पास रखना। और इससे जो भी इच्छा हो मांगते रहना। यह मुंड तेरी सारी इच्छा पूरी करता रहेगा। तेरी मृत्यु के साथ ही यह मुंड गायब हो जाएगा। तेरी इस विद्या को प्राप्त करने के लिए भविष्य में लोग मुंडो की साधना किया करेंगे। लेकिन सिद्धि उसी को प्राप्त होगी जो सच्चे हृदय का होगा।

कहते हैं इसके बाद राजवीर उस मुंड को मां के पास लेकर आया और अपने माता के श्राप को हटा दिया। इसके बाद वह काफी लोगों की सेवा करता रहा और उनके भिन्न भिन्न प्रकार के प्रश्नों के जवाब मुंड से प्राप्त करता रहा। मुंड ने उसे कई प्रकार से धनवान भी बना दिया था उसके पास अब नौकर-चाकर और सभी प्रकार के धन और आभूषण उपलब्ध थे। जिस दिन राजवीर की मृत्यु हुई उसी दिन वह मुंड भी गायब हो गया।

आसपास के तांत्रिकों को इस बात की जब खबर हुई तो उन्होंने कोशिश की कि वह मुंड प्राप्त कर सकें लेकिन वह मुंड प्राप्त नहीं कर पाए। तांत्रिक लोगों ने उस स्थान की ओर गमन किया जिस श्मशान भूमि में उस मुंड की प्राप्ति हुई थी। लेकिन कोई भी उस मुंड को वापस नहीं प्राप्त कर पाया l लेकिन मुंड की सिद्धि की परंपरा तब से चली आ रही है। इस प्रकार यह कहानी यहां पर समाप्त होती है।

इस कहानी का दूसरा हिस्सा यानी कि मैं आपको यह बताता हूं कि किस प्रकार से? माता ने इस स्थान को बहुत ही शुद्ध बना दिया। जबकि यह एक श्मशान भूमि थी, वर्तमान समय में यह शमशान की देवी के रूप में प्रसिद्ध जगह है । यह स्थान है बिहार के दरभंगा शहर में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के प्रांगण में मां काली का भव्य मंदिर जिनको हम माता श्यामा काली के नाम से जानते हैं।

जहां पर यह माता का मंदिर बना हुआ है। यह एक श्मशान भूमि रही है जिसकी कथा मैंने आपको सुनाई है। यहां दरभंगा राज परिवार के लोगों की चिता भी सजी हुई थी । माता के मंदिर के पास ही महाराज रामेश्वर सिंह की चिता थी। मां श्यामा मंदिर के आसपास कारण कई सारे अन्य मंदिर है जो किसी न किसी राजपरिवार की चिता वाले व्यक्तियों के है। ऐसा भी कहा जाता है कि महाराजा रामेश्वर सिंह के सेवक लाल सिंह ने रामेश्वर चरित्र में लिखा था कि मां श्यामा, सीता का स्वरूप है जिनकी कथा मैंने आपको सुनाई है। कहते हैं माता का यहां वर्ण श्याम हो गया था। इसी कारण वह श्यामा देवी के नाम से विख्यात हुई। यहां पर श्मशान भूमि में लोग आकर इस मंदिर में पूजा करते हैं। क्योंकि यह पुराना शमशान है यहां पर बहुत सारे ऐसे चमत्कार आज भी घटित होते हैं। इसे माता श्यामा माई का प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। नवविवाहित जोड़े में यहां पर आकर माता के मंदिर में उनकी कृपा प्राप्त करते हैं और अपनी मुरादों को पूरी करवाते हैं। जीवन में कहते हैं जिस पर मां श्यामा की कृपा हो उसके जीवन में दुख नहीं आता इसी मान्यताओं के कारण माता के मंदिर में लगातार भक्तों की वृद्धि हो रही है और नवरात्रि में तो यहां पर बहुत ही अधिक संख्या में भक्तगण आते रहते हैं। अगर यह कहानी और इस मंदिर से जुड़ी हुई बात आपको अच्छी लगी हो तो पोस्ट शेयर करें धन्यवाद।

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