श्री कृष्ण साधना का मूल राधा तत्व में बसा हुआ है राधा कृष्ण एक हिंदू देवता हैं। कृष्ण को गौड़ीय वैष्णव धर्मशास्त्र में अक्सर स्वयं भगवान के रूप में सन्दर्भित किया गया है और राधा एक युवा नारी हैं, एक गोपी जो कृष्ण की सर्वोच्च प्रेयसी हैं।कृष्ण के साथ, राधा को सर्वोच्च देवी स्वीकार किया जाता है और यह कहा जाता है कि वह अपने प्रेम से कृष्ण को नियंत्रित करती हैं।बात सम्मोहन की हो तो श्री कृष्ण जी का चित्रण अपने आप हो जाता है और सिर श्रद्धा से अपने आप झुक जाता है और जीवन में प्रेम की लहर दौड़ जाती है, शरीर में रोमांच पैदा होने लगता है, हवा से संगीत तरंगें प्रवाहित होने लगती है, सारा वातावरण एक महक से भर उठता है, बादलों की गड़गड़ाहट से मेघ संगीत लहरी बजने लगती है यह सभी सम्मोहन तो है जो प्रकृति हमेशा करती है और आप सम्मोहित होते चले जाते हैं | दृश्य यह माना जाता है कि कृष्ण संसार को मोहित करते हैं, लेकिन राधा “उन्हें भी मोहित कर लेती हैं। इसलिए वे सभी की सर्वोच्च देवी हैं। राधा कृष्ण”श्री राधा कृष्ण प्रेम इतना सच्चा क्यों था? श्री राधा जी का मन इतना अच्छा क्यों था ? इसका कारण था भगवान कृष्ण का मोहन रूप अगर इस मोहन रूप की साधना की जाए तो व्यक्ति में अद्भुत आकर्षण पैदा होता है यही साधना का विधान मैंने नीचे दिया हुआ है –
साधना विधि
1. इसे अष्टमी या श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन और बंसंत पंचमी से शुरू किया जा सकता है | यह 21 दिन की साधना है |
2. इसमें जाप वैजयन्ति माला से करें |
3. मन्त्र जाप 21 माला करना है |
4. जप के वक़्त शुद्ध घी की ज्योत लगा दें |
5. गुरु पूजन, गणेश पूजन और श्री कृष्ण पूजन अनिवार्य है |
6. भोग के लिए दूध का बना प्रशाद मिश्री में छोटी इलायची मिलाकर पास रख लें |
7. हो सके तो षोडश प्रकार से पूजन करें नहीं तो मिलत उपचार जैसा आपको आता है कर लें |
8. वस्त्र पीले और आसन पीला हो |
9. दिशा उत्तर रहेगी |
10. साधना के अंत में पलाश की लकड़ी ड़ाल कर उसमें घी से दशांश हवन करना है | ऐसा करने से साधना सिद्ध हो जाती है और आपकी आँखों में सम्मोहन छा जाता है |
इसका प्रयोग भलाई के कार्यो में लगाएं, यह अमोघ शक्ति है कृष्ण वरदान स्वरूप है |
मन्त्र
|| ॐ क्लीं कृष्णाय सम्मोहन बाण साध्य हुं फट ||
||Om kleeng krishnaye smmohan baan sadhya hum phat ||
जब भी हवन करे मन्त्र के अंत में स्वाहा लगा लें यही मंत्र विधान होता है |