साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 187
१. यक्षिणी या किन्नरी साधना के बाद साधक ऐसा क्या करे की मृत्यु के बाद इस योनि में जबरदस्ती जाना न पड़े |
उत्तर:- अगर कोई व्यक्ति गुरु मंत्र से दीक्षित है और उसने पुरे जीवन गुरु मंत्र की साधना की है तो फिर चाहे वह यक्षिणी साधना करे या किन्नरी साधना करे उसे उस योनि में जानी की जरुरत नहीं होती है | वह साधक गुरु साधना से इस बंधन से मुक्त रहता है क्योंकि गुरु मंत्र से उसका सीधा संबंध भगवती से होता है इसलिए अंत में वह उनकी शरण को प्राप्त करता है लेकिन ऐसा तब ही होगा जब आप पुरे जीवन गुरु मंत्र का जाप करे अन्यथा आप अन्य योनि में भटक सकते है |
२. कौन सी यक्षिणी सबसे सौम्य होती है ?
उत्तर:- जो मूल ८ प्रकार की यक्षिणी प्रचलित है वह सभी अधिकतर सौम्य शक्तियां ही है और यह यक्षिणियां जल्दी क्रोधित नहीं होती है लेकिन जिस शक्ति का जैसा स्वभाव होता है वह वैसी ही परीक्षा अपने साधक की लेती है |
३. सिद्धि की प्राप्ति के लिए कितने दिन तक साधना करनी चाहिए ?
उत्तर:- जो उच्च कोटि के देवता होते है उनकी सिद्धि जल्दी प्राप्त नहीं होती लेकिन उनकी कृपया प्राप्त होती है, गुरु मंत्र की भी कृपया प्राप्त होती है पूर्ण सिद्धि नहीं | सिद्धि का अर्थ होता है किसी देवता को अपने वश में करना इसलिए अगर आप सोचते है की भगवान शिव को वश में कर लेंगे तो ऐसा संभव नहीं इसलिए उनकी कृपया प्राप्त होती है, सिद्धि नहीं | जो तांत्रिक सिद्धियाँ होती है उसकी सिद्धि उसके विधान के माध्यम से प्राप्त होती है | अगर विधान में कहा है २१ दिन की साधना है तो हो सकता है कि अगर आप अच्छे साधक है और आप में साधनाओं की गहराई है तो आपको उल्लेखित विधान से और उल्लेखित अवधि तक सिद्धि प्राप्त हो जाएगी लेकिन नए साधक है तो जितना समय उसके विधान में उल्लेखित होता है उतने दिनों में साधना सिद्ध नहीं हो पाती है इसलिए जब तक साधना सिद्ध नहीं हो जाए उसको बार बार करते रहना चाहिए फिर एक बिंदु ऐसा आता है जहाँ साधना सिद्ध होती ही है|
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