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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 83

साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 83

१. अगर हम किसी व्यक्ति का नाम पुकारते है और उसका नाम किसी ईश्वर के नाम से संबंधित होता है और कोई नास्तिक व्यक्ति इस प्रकार भगवान का नाम पुकारता हैं तो क्या उसे  उसका पुण्य मिलता है ?

उत्तर:- सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है आपका भाव और आपका विश्वास |  लेकिन किसी भी प्रकार से एक ही शब्द  का उच्चारण बार बार होता है तो भी उसका फल हमें प्राप्त होने लग जाता है, लेकिन किसी व्यक्ति का नाम अगर शिव है और कोई शिव के नाम से आपको गलत बोल रहा है या कुछ गलत कह रहा है, तो हो सकता है की आपको लगे की उसको शिव नाम लेने से पुण्य मिला है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होता उसे किसी भी प्रकार के पुण्य की प्राप्त नहीं होती है |

२. गुरु मंत्र प्राप्त करने से पहले हम जो भी  साधना या पूजा करते है तो  क्या उसका फल हमें  मिलता है ?

उत्तर:- गुरु मंत्र से पूर्व जो साधना या पूजा आप करते है उसका पूरा फल भी आपको मिल सकता है और यह भी हो सकता है आपको उस चीज़ का कुछ भी फल प्राप्त न हो, कारण की जब हम बिना गुरु के साधना करते है तो जो नकारात्मक शक्तिया होती है उनमे यह सामर्थ्य होती है की जो आपकी साधना ऊर्जा को ग्रहण करले या आपसे वो शक्ति चुरा ले |

३. अगर गुरु मंत्र के देवता और इष्ट देवता दोनों भिन्न है तो क्या गुरु मंत्र में ही उस इष्ट देवता को देखना चाहिए?

उत्तर:- दोनों एक ही ऊर्जा है उनमे किसी प्रकार का कोई अंतर नहीं है, बस ये आपके समझने की क्षमता होती है की आप उस चीज़ को कितनी गहराई के साथ समझ  पा रहे है, अगर भगवन शिव खड़े है और उनकी हाथो की जो पूजा कर रहा होगा वो भी भगवान शिव की ही पूजा कर रहा होगा कहने का तात्पर्य है की एक ही ऊर्जा से सब चीज़ो का निर्माण हुआ है | ब्रम्हांड में तीन महा शक्तियाँ है जिससे यह सारा चराचर समस्त ब्रम्हांड गतिशील होता है; महासरस्वती,महालक्ष्मी और महाकाली | यह आपके विवेक और इच्छा पर निर्भर करता है की आप अपने इष्ट को गुरु मंत्र में देखना चाहेंते है या नहीं |

अधिक जानकारी के लिए नीचे का विडियो देखे –

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