नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग एक बार फिर से लेंगे। दर्शकों के प्रश्न और उत्तर एक महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा गया है और उनके संबंध में जो भी संभावित उत्तर हैं, आज मैं देने की कोशिश करूंगा। चलिए पढ़ते इनके पत्र को
पत्र -प्रणाम गुरुजी जय माता की आशा है कि आप कुशल मंगल होंगे। आप पर माता जी और भगवान शिव की कृपा सदा बनी रहे। गुरु जी हमें गौ दान क्यों करना चाहिए? क्या अपने पितरों के लिए गौ दान कर सकते हैं? क्या अपने पितरों के लिए सोलह सोमवार का व्रत रखा जा सकता है? अपने पितरों के लिए ऐसा क्या करें कि उनकी उच्चतर सद्गति उन्हें प्राप्त हो प्रणाम गुरुजी जय माता की।
संदेश-देखिए, जैसे कि आज के प्रश्न जो है वह इससे संबंधित है कि गाय और हमारे पित्र, हमारे पित्र हैं जिन्हें हम पितृपक्ष में विशेष रूप से जानते हैं। उनके संबंध में अधिकतर उनकी मुक्ति और उनकी सद्गति के लिए कई तरह की बातें हमको देखने को मिलते हैं जिसमें कई तरह की साधनाएं हैं। कई तरह के विशेष प्रयास किए जाते हैं। हम लोग उनके लिए विशेष दान पुण्य अन्य पंडितों के माध्यम से करते भी हैं और करवाते भी हैं। लेकिन अगर हिंदू सनातन धर्म की बात की जाए तो गाय से अधिक पवित्र दूसरी कोई और वस्तु या यूं कहिए कि ऐसी कोई और पवित्रतम चीज हमारे पास उपलब्ध नहीं है। इसका उपयोग हम किसी भी महादान में कर सकते हैं। दान देना सौभाग्य की बात होती है और कहते हैं जो दान देता है, वह निश्चित रूप से मुक्ति को प्राप्त करता है और अगर उसमें भी वह गौ दान करें तो फिर उसके जीवन में निश्चित रूप से सौभाग्य आता ही है। अब हम लोग भी जानते हैं कि गाय की पूजा से क्या-क्या हमें लाभ प्राप्त होते, क्योंकि सनातन धर्म में गाय बहुत ही अधिक महत्व शाली मानी जाती है। पुराणों में कामधेनु गाय का उल्लेख मिलता है जिसकी जो कहानी है वह कई जगह वर्णित है और बताई भी गई है। जब समुद्र मंथन हुआ था, उस वक्त इसका विशेष रूप से वर्णन आता है। इसके अलावा गरुड़ पुराण जो भी पित्र से संबंधित है उसमें भी इसका जिक्र मिलता है। कहते हैं जो गौ का दान करता है। वह गाय की पूंछ पकड़कर वैतरणी नदी पार कर जाता है। इसीलिए गाय को बहुत ही अधिक पूजनीय माना गया है। खाद्यान्न की उपलब्धता की बात हो, अकाल की अवस्था में गाय के दूध जो होता है, वह प्राणों की रक्षा करता है। यही नहीं जब वैदिक परंपरा थी। उस वक्त खेती-बाड़ी नहीं होती थी तो हमारे जो पशु धन था जिसे हम गाय के माध्यम से जानते हैं, उनका दूध ही जीवन का एक आधार था। उसी से ही दही उसी से ही मक्खन और अन्य प्रकार के जौ में मिलाकर सत्तू बनाना इत्यादि क्रियाओं के माध्यम से भोजन की व्यवस्था की जाती थी। अथर्ववेद में गाय के महत्व को बताया है, और श्लोक के माध्यम से इसका भावार्थ मैं आपको बता रहा हूं। यह कहा जाता है कि तुम्हारे दूध और घी के माध्यम से मनुष्य शारीरिक रूप से पुष्ट और बलवान बनता है। बीमारी मनुष्य से दूर होती है और बहुत तंदुरुस्त हो जाता है। जिस घर में तुम उपस्थित होती है, वहां शुभ संकल्प साकार होते हैं और उस परिवार में रहने वालों की कीर्ति लगातार बढ़ती चली जाती है। 33 कोटी के देवता जिसको अधिकतर हम 33 करोड़ देवता कह देते हैं जो कि गलत उच्चारण है। उनका भी पूजन सिर्फ गाय के माध्यम से हो जाता है। 33 कोटि में 12 आदित्य आठ वसु 11 रुद्र और दो अश्विन कुमार पाए जाते हैं। यही नहीं गाय की अगर हम महत्व की बात करें तो गाय में हमें सोना प्राप्त होता है शोध के माध्यम से पता चलता है।
अब ऐसा नहीं है कि सोना प्राप्त होता है का मतलब यह है कि हमें वहां से सोना प्राप्त हो जाएगा। असल में बहुत ही कम मात्रा में सोना स्वता ही विशेष रूप से गिरी की गाय जो होती हैं, उनमें आपको देखने को मिलता है। और यह सोना है वह शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। इसीलिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति गाय के दूध का पान करें। गाय को कहते हैं कि गाय की पीठ की रीड की हड्डी में स्थित सूर्य केतु स्नायु हानिकारक विकिरण को वातावरण से दूर करता है। वातावरण को शुद्ध बनाता है। वैज्ञानिक प्रमाण से सूर्यकेतु नाड़ी सूर्य की किरणों के संपर्क में आने पर स्वर्ण का उत्पादन करती है। गाय के शरीर से उत्पन्न होने वाला सोना उसके दूध उसके मूत्र और गोबर में अति सूक्ष्म मात्रा में पाया जाता है। इसी कारण से गाय के गोबर को भी बहुत ही अधिक महत्व दिया जाता है। पंचगव्य की बात की जाए तो गाय से निकलने वाला पंचगव्य यानी दूध दही, घी, मूत्र और गोबर इसके उपयोग से रोगों के निवारण की बात आयुर्वेद में हजारों सालों से हमें बताई गई है। इन से कैंसर तक की जानलेवा बीमारियां नष्ट की जाती हैं। विष्णु स्मृति में कहा गया है- गोमूत्रगोमयं सर्पि क्षीरं दधि च रोचना।
षदंगमेतत् परमं मांगल्यं सर्वदा गवाम्।। गाय की महत्व जो है वह वैतरणी नदी के माध्यम से स्वर्ग तक पहुंचना हो या जीवन की जो वैतरणी है उसको भी अगर आपको पार करना है तो भी गाय का महत्व बहुत ही अधिक माना जाता है। महाभारत के भी अनुशासन पर्व में कहा गया है। दानानामपि सर्वेषां गवां दानं प्रशस्यते। गावः श्रेष्ठाः पवित्रांश्च पावनं ह्योतदुत्तमम्।। तुम तो तमाम अर्थात संसार के सभी दानों में सर्वश्रेष्ठ जो है, वह गाय का ही दान माना जाता है। गाय से जुड़ी हुई कुछ विशेष बातें आज आपको मैं बताना चाहता हूं जो महत्वपूर्ण हैं, उनमें से गाय के दूध में रेडियो विकिरण रोकने की सर्वाधिक शक्ति होती है। क्या है रेडियो विकिरण जब हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराया गया था तो उससे रेडियो विकिरण ही पैदा हुई थी। किसी भी प्रकार की रेडियो विकिरण हो। इनको रोकने की जो सबसे अधिक क्षमता होती है, वह गाय के दूध के अंदर ही होती है। गाय का मस्तिष्क कोशिकाओं को मजबूती प्रदान कर। इससे बुढ़ापे में भी याददाश्त नहीं जाती है। इसीलिए गाय का दूध हमेशा पीना चाहिए। गाय के दूध में कैरोटीन होता है जिस से आंखों की रोशनी बढ़ती जाती है। गाय का दूध दिल की बीमारियों को दूर रखता है। यानी कि जितनी भी हार्ट डिजीज है। जिसमें हम लिपिड प्रोफाइल वाला करवाते हैं तो उससे हमें बचा कर रखता है। यह भी कहा जाता है कि गाय के 1 तोला घी से यज्ञ अगर व्यक्ति करता है। एकटन ऑक्सीजन बनती है। अभी मान के चलिए कि क्या हम एक हवन के माध्यम से यह मां अगर गुरु मंत्र का हवन कर रहे हो। अभी से कर रहे हैं तो आपने एक पीपल के वृक्ष के बराबर ऑक्सीजन पैदा कर दे। तो इसीलिए! यह महत्वपूर्ण हो जाता है। इसके अलावा गाय की पीठ पर प्रतिदिन 10 से 15 मिनट तक हाथ फेरने से कहते हैं। ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है क्योंकि हमारा जो palm होता है, यहां palm कंट्रोल है। यहां से हमारे पूरे शरीर का ब्लड नियंत्रित होता है। से रोगियों यानी टीवी के रोग जो हैं उनको गाय के बारे में गौशाला में रखने से उनकी गोबर की गंध से छह रोग यानी कि टीवी और अन्य प्रकार के रोग इसके अलावा मलेरिया के कीटाणु भी नष्ट होते हैं। आजकल तो गाय के गोबर से अगरबत्ती भी बनाई जा रही हैं और अगर बत्तियों में इस प्रकार के तत्व मौजूद होते हैं जिसकी वजह से आप अगर उन्हें घर पर लगाएंगे तो न सिर्फ खुशबू देंगे बल्कि मच्छरों को भी भगा दिया। तो इस प्रकार आप जान सकते हैं कि गाय कितनी अधिक महत्वपूर्ण है? पितरों के लिए निश्चित रूप से गाय का दान किया जा सकता है। यह बहुत ही अच्छी बात होगी। अगर व्यक्ति गुरु मंत्र का जाप करता है और उसके साथ में गौ पालन करता है और अगर आप एक रंग की गाय पालते हैं तो अपने सौभाग्य में लगातार वृद्धि करते हैं। इसमें कोई राय नहीं है। इसके अलावा एक अत्यंत ही गोपनीय साधना जिसे हम गौ भैरवी साधना कहते हैं, उस के माध्यम से दुर्लभ सिद्धियां और अपने भाग्य में निश्चित रूप से परिवर्तन लाया जा सकता है। यह आपने पूछा है कि पितरों के लिए सोलह सोमवार का व्रत रख सकते हैं। क्या तो देखिए? सोलह सोमवार का जो परंपरा है, यह पति या उत्तम पत्नी की प्राप्ति के लिए रखा गया है। आप इसका प्रयोग पितरों के लिए नहीं कर सकते हैं। उसके लिए आप भगवान शिव से उनके मंत्रों के माध्यम से विशेष अनुष्ठान यह पूजा करवा सकते हैं। लेकिन सोलह सोमवार जो मूलता बनाया गया है वह सुंदर पत्नी, उत्तम, पत्नी, उत्तम, पति इत्यादि की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। बनाया जाता है इसलिए आप सोलह सोमवार ना करके बल्कि सोमवार को पितरों के निमित्त कोई विशेष हवन यज्ञ गुरु मंत्र का जाप वगैरह कर सकते हैं। अब आखरी प्रश्न है कि क्या पितरों के लिए ऐसा कोई उत्तम कार्य जिससे उनकी उच्चतर सद्गति उन्हें प्राप्त हो? स्पष्ट रूप से आप लोगों को बताना चाहूंगा। सबसे पहले कि आप उनके निमित्त कुछ भी करेंगे तो उसका उन्हें पूरा फल कभी भी प्राप्त नहीं होता है क्योंकि व्यक्ति अपने स्वयं के कर्मों के लिए स्वयं ही जिम्मेदार है। अब पित्रों कि अगर आपको उच्चतर सद्गति बनानी रखनी है तो दो मार्ग हैं। एक तो उनके लिए आप साधना पूजा पितृपक्ष में उनके लिए विशेष रूप से किए गए दान पुण्य इत्यादि कर सकते हैं अथवा अपने पितरों के लिए स्वयं आप सबसे अधिक मूल वस्तु है पित्र आपके पिता और उनके पूर्वज इसका मतलब क्या है कि आप भी एक पिता बनेंगे और आप के माध्यम से संसार में अन्य संतान भी आएंगे। इस स्थिति को देखते हुए आपके कर्म अति उत्तम होने चाहिए। आप संपूर्ण जीवन गुरु मंत्र का जाप करेंगे और इस मंत्र के माध्यम से जो इसका पूर्ण प्रभाव है, वह उच्चतर लोकों की ओर गमन करेगा। जिस भी लोक से गुजरता हुआ आप का मंत्र जाएगा। उसके प्रभाव के कारण इस लोक में निवास करने वाली आपकी पित्र आत्माएं सद्गति को प्राप्त करते हैं इसलिए सर्वोत्तम उपाय है।
वह यही है कि आप स्वयं साधना कीजिए, उपासना कीजिए और गुरु मंत्र जैसे पुण्य कार्य स्त्रोत का सदैव पाठ कीजिए। अगर आप? एक रंगी गाय पालते हुए उसका दूध पान करते हुए स्वयं भी पिये और परिवार के सभी सदस्यों और अपनी आने वाली संतानों को पिलाते हैं तो बहुत ही अधिक उत्तम होगा। गुरु मंत्र का जाप सर्वोत्तम है। मैं पहले से ही कहते आ रहा हूं और इसके माध्यम से न सिर्फ आपकी बल्कि आपकी आने वाली पीढ़ियों की भी गति सुधरेगी। उनकी भी निम्न लोकों में जाने से रक्षा होगी और सभी जब उच्च लोगों की ओर गमन करेंगे तो स्वयं आप भी उच्च लोक की ओर गमन करते हो। कभी कभी आपके जो पित्र हैं, वह बहुत अधिक मजबूत होते हैं और उस के माध्यम से आपके जीवन में भी अपने आप मजबूत ही आ जाती हैं। आप कोई पूजा पाठ करें या ना करें। ठीक वैसे ही जैसे राजा का पुत्र राजा स्वता ही बन जाता है क्योंकि पित्रों ने इतना कर्म उसके लिए खुद करके गए हैं कि उसको कुछ सोचने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए पित्र को मजबूत बनाने के लिए स्वयं गुरु मंत्र से दीक्षित होकर उसका मंत्र जाप स्वयं कीजिए। अपने परिवार को कराएंगे और सदैव गाय की सेवा कीजिये क्योंकि गौ जैसी साक्षात देवी इस धरती पर कोई और नहीं है। इस बात का आपको ख्याल रखना है तो आप समझ गए होंगे कि पितरों के लिए सर्वोत्तम कर्म छोटी मोटी साधना है और उपासना हो सकती हैं। लेकिन सर्वोत्तम जो कर्म है, वह यही है कि गुरु मंत्र का आजीवन जाप करें और गौ माता के माध्यम से सेवा कीजिए उनकी। या फिर किसी गौशाला में किसी गाय को आप गोद ले लीजिए तो भी वही अवस्था प्राप्त होती है। इसके अलावा गाय के दूध के कारण आपका यह जीवन और पारलौकिक जीवन दोनों ही सुधरता है तो यह थे आज के कुछ प्रश्न अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 137
Dharam Rahasya
MPDRST( मां पराशक्ति धर्म रहस्य सेवा ट्रस्ट) -छुपे रहस्यों को उजागर करता है लेकिन इन्हें विज्ञान की कसौटी पर कसना भी जरूरी है हमारा देश विविध धर्मो की जन्म और कर्म स्थली है वैबसाइट का प्रयास होगा रहस्यों का उद्घाटन करना और उसमे सत्य के अंश को प्रगट करना l इसमें हम तंत्र ,विज्ञान, खोजें,मानव की क्षमता,गोपनीय शक्तियों इत्यादि का पता लगायेंगे l मै स्वयं भी प्राचीन इतिहास विषय में PH.D (J.R.F रिसर्च स्कॉलर) हूँ इसलिए प्राचीन रहस्यों का उद्घाटन करना मेरी हॉबी भी है l आप लोग भी अपने अनुभव जो दूसरी दुनिया से सम्बन्ध दिखाते हो भेजें और यहाँ पर साझा करें अपने अनुभवों को प्रकाशित करवाने के लिए धर्म रहस्य को संबोधित और कहीं भी अन्य इसे प्रकाशित नही करवाया गया है date के साथ अवश्य लिखकर ईमेल - [email protected] पर भेजे आशा है ये पोस्ट आपको पसंद आयेंगे l पसंद आने पर ,शेयर और सब्सक्राइब जरूर करें l धन्यवाद