साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 103
१. क्या साधक एक शक्ति को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर अन्य शक्तियों से भी वही संबंध बना सकता है ?
उत्तर:- आज कल साधको में इतनी क्षमता नहीं है कि वह एक योगिनी और यक्षिणी को एक साथ पत्नी रूप में सिद्ध कर पाए | लेकिन जिन साधको में बहुत अधिक तपो बल होता है, साधना के उच्चतम शिखर पर खड़े होते है तो ऐसे साधक चाहे तो ऐसी साधनाए सिद्ध कर सकते है | लेकिन जहा तक प्रश्न है की बाकी शक्तियों को भी पत्नी रूप में सिद्ध किया जा सकता है की नहीं तो ऐसा संभव है | इसका उदहारण आपको रावण के समय काल में मिलता है, रावण की बहुत सारी पत्निया थी और उसमे कई सारी यक्षिणी थी और कई प्रकार की योगिनियाँ भी थी | लेकिन यहाँ पर एक बात समझने की जरुरत है की रावण एक बहुत उच्च कोटि का साधक था और श्रेष्ठ विद्वान था और उसके जैसा महा तपस्वी उस समय में नहीं था | रावण ने एक नई साधना पद्धति प्रस्तुत की थी, उनसे नव ग्रहो को अपने नियंत्रण में ले रखा था | कहने का अर्थ यह है की अगर आप में भी इतना तपो बल या साधनात्मक शक्ति है तो आप भी इस प्रकार की शक्तियों को सिद्ध कर सकते है |
२. चौसठ योगिनी बड़ी शक्ति है या भैरवी ?
उत्तर:- कोई भी साधिका जो योग साधना में रत हो तो कई वर्षो की साधना के बाद वो योगिनी बनती है और योगिनियाँ कई वर्षो की साधना के बाद भैरवी रूप धारण करती है | इसलिए भैरवी योगिनी से उच्च शक्ति मानी जाती है | क्युकी भैरवी की तप ऊर्जा और सामर्थ्य योगिनी से कई गुणा अधिक होती है और यह साधना के उच्चतम भाव भूमि को स्पर्श की हुई होती है इसलिए इसमें बहुत अधिक तपो बल होता है | लेकिन योगिनी बनना भी आसान नहीं होता है और योगिनी से भैरवी बनना तो और कठिन साधना होती है |
३. क्या भैरवी और योगिनी की एक साथ सिद्धि संभव है ?
उत्तर:- भैरवी और योगिनी एक ही श्रेणी है अगर आपने योगिनी सिद्ध कर ली है तो भैरवी को सिद्ध करने के लिए अधिक तप ऊर्जा की जरूरत पड़ेगी | लेकिन अगर आपने भैरवी सिद्ध कर ली है तो आपको योगिनी सिद्ध करने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी क्युकी उस भैरवी के साथ ही आपको असंख्य योगिनी शक्ति सेविका रूप में प्राप्त हो जाएँगी | इस प्रकार से यह बात समझने का भेद है और सबसे बढ़ी बात की किसी भी शक्ति को भोग की वास्तु समझने की गलती न करे क्युकी इससे आपको कभी भी सिद्धि की प्राप्ति नहीं होगी |