साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 140
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे दर्शकों के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों को और इन प्रश्नों को आप देखकर समझ गए होंगे कि इन सब में सबसे ज्यादा जो महत्वपूर्ण प्रश्न आया है, वह है कमला यक्षिणी की साधना से संबंधित तो सबसे पहले इसी प्रश्न को लेते हैं और इसके बारे में जिन लोगों को परेशानी हो रही है उसको भी यहां पर दूर करने की पूरी कोशिश करते हैं।
पहला प्रश्न लगभग कई साधकों ने पूछा है कि कमला यक्षिणी की साधना दीपावली के अलावा कब की जा सकती है। क्योंकि इस साधना को करने के लिए अब समय नहीं बचा है। और? जो! सामग्री की आवश्यकता होती है, वह भी कई लोग इकट्ठा नहीं कर पाए। इस वजह से कमला यक्षिणी की साधना जो कि एक अत्यंत ही अचूक साधना मानी जाती है। धन लाभ के लिए। क्योंकि कोई भी व्यक्ति अगर कमला यक्षिणी की साधना करता है तो उसे जीवन में एक बार लाभ तो मिलता ही है। चाहे उसकी साधना भंग भी हो गई हो तब भी। इसलिए इस साधना को सभी व्यक्ति करना चाहते हैं लेकिन क्या हो जब हम दीपावली पर इस साधना को नहीं कर पाए तो वर्ष भर क्या इंतजार करना पड़ेगा?
एक और इसके संबंध में विधान आता है और वह यह है कि जब भी कभी ग्रहण पड़े। इस दौरान इस साधना को शुरू कर अगर! अमावस्या को समाप्त किया जा सके। ऐसा विशिष्ट अवसर अगर वर्ष में बन रहा हो तो अवश्य ही इस साधना को दीपावली के अलावा किया जा सकता है। जब भी वर्ष में ग्रहण पड़े। उस समय से और पूर्ण अमावस्या के समय तक इस साधना को करके इस प्रयोग को किया जा सकता है। लेकिन क्योंकि वर्ष की सबसे बड़ी अमावस्या दिवाली होती है। इसीलिए दीपावली पर इस साधना को करना सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। यक्ष लोक की शक्तियां धन पर सदैव विराजमान रहती हैं और यह देवी यक्ष लोक को धारण करती हैं। इसीलिए इनकी साधना अवश्य ही बहुत अधिक फायदेमंद रहती है धन के मामले में।
इतना है जो मैंने आपको बताया है उसी अनुसार आप कर सकते हैं।
अगला प्रश्न है कि गुरु मंत्र अनुष्ठान के बाद कौन सी साधना शुरू करे?
जब गुरु मंत्र का अनुष्ठान हम कर लेते हैं तो हमारे अंदर इतनी ऊर्जा क्षमता और शक्ति आ जाती है कि अब किसी भी तांत्रिक साधना में हम हाथ डाल सकते हैं। और उससे हमें नुकसान नहीं होगा। इसीलिए कोई भी साधना गुरु मंत्र अनुष्ठान के बाद की जा सकती है लेकिन? हमें भी कुछ बातें देखने में आती हैं। पहली साधक कितना निर्भय है। साधक ने पहले कितनी साधनाएं की हुई है और उसे कितना एक्सपीरियंस है? अगर व्यक्ति नया है पूरी तरह से तो उसे मेरे हिसाब से अप्सरा साधना से शुरू करना चाहिए और फिर वह यक्षिणी योगिनी और भैरवी। साधना करके अपनी शक्तियां बढ़ा सकता है और उनको सिद्ध करके विभिन्न प्रकार की शक्तियां अर्जित कर सकता है। लेकिन कोई साधक जो पहले से ही मजबूत है और वह तांत्रिक क्षेत्र में पहले भी प्रयास कर चुका है तो वह कोई भी बड़ी से बड़ी तांत्रिक साधना कर सकता है। सीधे तामसिक साधना में हाथ नहीं डालना चाहिए क्योंकि तामसिक साधना बहुत ही अधिक प्रभावशाली तीक्ष्ण और आप का मनोबल नष्ट करने की क्षमता वाली होती है। इसलिए राजसिक साधना उसे शुरू करते हुए।
आप सरल साधना शुरुआत में करें और जब आप पारंगत हो जाएंगे तो फिर आप कोई भी भयंकर और तांत्रिक साधना कर पाएंगे।
अगली! जो बात है वह यह है कि क्या तांत्रिक देवताओं की साधना होती है? जी हां, तांत्रिक देवियों की तरह ही तांत्रिक देवताओं की भी साधनाएं होती है और क्योंकि आप लोगों ने इसकी मांग की है। इसलिए भविष्य में मैं आप लोगों के लिए तांत्रिक देवताओं की साधनाएं भी लेकर आऊंगा। जिससे। शक्ति के साथ अन्य प्रकार की जो सिद्धियां है, देवताओं के माध्यम से उनको प्राप्त किया जा सके।
अब अगला प्रश्न है कि क्या गुरु मंत्र जाप पूर्ण किए बिना साधनाएं की जा सकती हैं? क्योंकि? अधिकतर मैंने देखा है। साधकों में एक बहुत ही बड़ी। बेचैनी होती है कि जल्दी से जल्दी वह तंत्र क्षेत्र में उतरना चाहते हैं और इसके लिए वह कोई ना कोई तांत्रिक साधना जल्दी शुरू करना चाहते हैं। पर मैंने हमेशा सभी साधकों को यह बात कही है कि आप पहले अपना मनोबल मजबूत कर ले। गुरु मंत्र के माध्यम से अपने आप को इतना शक्तिशाली बना लें कि आप जब साधना करें तो फिर आपको हानि ना हो और आप मजबूती से अपनी साधना में टिके भी रहे। इसलिए मैं गुरु मंत्र के पूरे अनुष्ठान की बात करता हूं, किंतु यदि आप में इतनी क्षमता नहीं है कि आप पूरा अनुष्ठान कर पाए तो फिर आप कम से कम सवा लाख गुरु मंत्र के जाप के बाद कोई सात्विक साधना कर सकते हैं।
लेकिन आपने सवा लाख अगर मंत्र जाप किया है तो उसके साथ दशांश हवन अनिवार्य है।
क्योंकि बिना कुछ ऊर्जा प्राप्त किए अगर आप साधना में उतर जाते हैं तो फिर आपके लिए समस्या खड़ी हो सकती है। आपकी रक्षा के लिए आपका गुरु मंत्र है और शक्तियों के प्रपंचों से भी आपको सदैव रक्षित करता है। इसमे बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि आप गुरु मंत्र का जाप करते रहे और मैं तो पहले ही कह चुका हूं कि गुरु मंत्र अनवरत चलने वाली आजीवन एक प्रक्रिया है। जिसका आपको पूरी जिंदगी इस मंत्र का जाप करते ही रहना है। चाहे आप साधना करें, चाहे आप भौतिक जीवन किसी भी प्रकार से जीते रहे। चाहे आप जीवन में कुछ भी करें लेकिन इस मंत्र को आप को नहीं छोड़ना है। ऐसा करना संसार की सबसे बड़ी गलती आपके लिए साबित होती है और इसका महत्व व्यक्ति को तब पता चलता है। जब जीवन का अंतिम क्षण आ जाता है, मृत्यु हो जाती है। तब उसे पता चलता है कि उसने कितनी कमाई की है क्योंकि भौतिक जीवन की कमाई रुपया, पैसा धन वैभव, संपन्नता पुत्र स्त्री यह सभी चीजें इन्हीं छूट जाएंगी। लेकिन आप का गुरु मंत्र जाप। आपकी भक्ति आपकी साधना आपके साथ जाएगी। यानी यही सच्चा साथी है जो जीवन के अंतिम क्षण में आपके साथ खड़ा होगा और शरीर छोड़ते वक्त भी आपके साथ जाएगा। सबसे ज्यादा महंगी वस्तु है यह। इसकी कीमत आप नहीं लगा सकते हैं। क्योंकि जो व्यक्ति इसका महत्व समझेगा वही यह बात जान सकता है कि यह कितनी महंगी वस्तु है जो सहजता से गुरु के माध्यम से आपको मिल गई। अब अगले जीवन की यात्रा हो स्वर्ग की प्राप्ति हो, मोक्ष धारण करना हो। या फिर अगला जन्म ही लेना हो सब? तरह से आप का गुरु मंत्र आपके साथ रहेगा।
अगला प्रश्न है अप्सरा को पत्नी बनाएं या प्रेमिका।
अप्सराएं अपने मोह में सभी साधकों को ले लेती हैं।
इनका मोह बहुत ही अधिक! शक्तिशाली होता है।
ऋषि मुनि इत्यादि सभी लोगों को अपने मोहपाश में
इन्होंने! सभी को लेकर रखा है। आपने कई कहानियां सुनी होंगी? तो ऐसी अवस्था में। आप इन्हें?
पत्नी बनाए यह आपकी इच्छा होती है किंतु यह आपकी स्वेच्छा से प्रेमिका बनती हैं क्योंकि यह इनकी इच्छा होती है। पत्नी के कई दायित्व होते हैं और उनसे वह भाग नहीं सकती। आपकी मृत्यु तक या जब तक आप स्वयं अपनी पत्नी को त्याग नहीं देते तब तक वह आपकी जीवनसंगिनी बनकर आपके साथ सुख दुख में खड़ी रहती है, लेकिन प्रेमिका केवल प्रेम संबंधों के द्वारा ही आपसे जुड़ी रहती है इसलिए कभी भी प्रेमिका पत्नी के बराबर नहीं हो सकती है।
और अधिकतर अप्सराएं प्रेमिका बनकर साधकों को छल कर चली जाती हैं। तो अगर साधक बनाए तो वह अपनी इच्छा से उसे पत्नी बनाने की और विचार करें। और अगर आपने उसे वचन में बांध लिया तो वह बंध जाएगी। लेकिन अगर साधक मोक्ष की ओर जाना चाहता है तो उसे उसे प्रेमिका ही बनाना चाहिए।
और उसकी शक्तियां ही केवल उपयोग में लानी चाहिए उसके जाल में नहीं फंसना चाहिए। केवल उसे अपने मित्र की तरह! बना करके उसका पूरा लाभ प्राप्त करना चाहिए।
यह थे आज के कुछ प्रश्न अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।