सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियाँ भाग 3
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज हम सुंदरबन की आदमखोर सुंदरियों के अगले भाग के विषय में जानेंगे। जैसा कि हम जाने कि उन कन्याओं के सामने ही राजा ने उनके पूरे रिश्तेदारों सहित पूरे गांव को समाप्त कर दिया था इस वजह से। उनके मन में बहुत ज्यादा क्रोध था।
इस बात को राजा भी समझ चुका था, इसलिए पिछले राजा के साथ आए हुए लगभग सभी तांत्रिकों को वह अपने साथ लेकर चलता है और कन्याओं को कैद करके एक पिंजरे में बग्गी की सहायता से लेकर अपने राज्य की ओर जाता है जो कि हिमालय में सुदूर कहीं पर था इस राजा को यह बात पता हो गई थी कि इन कन्याओं के पास एक विशेष प्रकार की सिद्धि है, लेकिन कन्याओं के रूप सुंदरी के जाल में वह भी फस चुका था। वह भी चाहता था कि वह कन्याओं को प्राप्त करें। इसीलिए उसने तांत्रिकों से इस बारे में मदद मांगी तो तांत्रिकों ने अपनी सिद्धि के द्वारा यह जान लिया कि यह लड़की। किसी विशेष भैरव शक्ति की उपासिका है और ज्यादा गहराई से पता करने पर यह बात पता चल गई कि इनके पास श्वेत भैरव नाम की शक्ति की सिद्धि है। किंतु यह सिद्धि 24 घंटे में केवल 10 मिनट के लिए ही जागृत रहती है। इसलिए इस समय को अगर रोजाना निकाल दिया जाए। तो अवश्य ही इनसे जो चाहे वह करवाया जा सकता है। और यह किसी को नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगी।
राजा ने कहा, इसका कोई उपाय है क्या?
तो?
तांत्रिकों ने उन्हें। एक लालमणि पहनाने का आग्रह किया।
और कहा अगर सिद्ध की हुई लालमणि को इन दोनों के गले में बांध दिया जाए तो जैसे ही। यह सिद्धि का प्रयोग करने के लिए तैयार होंगी। लाल मणि में स्थापित शक्ति इन्हें मदहोश कर देगी।
और इसकी वजह से यह अपनी बुद्धि से कोई कार्य नहीं कर पाएंगी। इसका फायदा यह भी मिलेगा कि अगर उस वक्त इन्हें जो कहा जाएगा वह! उसे अवश्य ही कर देंगी।
यह सुनकर राजा और भी ज्यादा प्रसन्न हो जाता है
और कहता है कि क्या इनका और भी फायदा मिल सकता है?
क्योंकि अगर मैं इन्हें कहूं कि तुम्हें कोई विशेष कार्य करना है तो क्या यह उस विशेष कार्य को अच्छी प्रकार से कर सकती है?
तब तांत्रिकों ने कहा बिल्कुल इस लालमणि के कारण!
निश्चित रूप से आप जो भी कार्य उस वक्त इन्हें करने को कहेंगे, यह अवश्य ही कर लेंगे।
तब राजा ने कहा, ठीक है! राजा ने लालमणि बहुत ज्यादा सोना खर्च करके मंगवा ली। दोनों लाल मणियों को तांत्रिकों ने तंत्र विद्या से बांधकर इन दोनों कन्याओं के गले में पहना दिया। अब नगर पहुंचते ही राजा ने कहा, आज मैं इन दोनों से नृत्य करवाना चाहता हूं। बाहर निकालो! और जैसे ही उन्हें बाहर निकाला गया, वह बहुत गुस्से में आ गई क्योंकि उनके पास पूरा मौका था। अपनी सिद्धि के प्रयोग करने का है कि वह इस बात को नहीं जान पा रही थी कि उनके साथ पहले ही इस की काट का प्रयोग किया जा चुका है। और तांत्रिकों ने उनके गले में जो मणियां पहनाई हैं उनका कोई भी भान उन्हें नहीं था।
तब उन्होंने तुरंत ही हमला करना शुरू कर दिया कि तभी राजा ने जोर से कहा। तुम सभी? यहां पर नृत्य करो। यह!
बहुत ही खूबसूरत नृत्य करेंगी।
यह सुनते ही अचानक से लालमणि से मदहोश करने वाले तत्व निकलने लगे। और उन मणियों के कारण दोनों। लोगों को मारना भूल गई और वहां पर मदहोश होकर नृत्य करने लगी। सारे नगर वाले खुश होकर ताली बजाने लगे। क्योंकि वह बहुत बढ़िया नृत्य कर रही थी और साथ ही साथ उनकी सुंदरता के चर्चे चारों तरफ हो रहे थे। लगभग 10 मिनट बीतने के बाद अचानक से उन्हें होश आया। और वह एक दूसरे को देखने लगी कि आखिर वह इस प्रकार से नृत्य क्यों कर रही हैं?
दोनों रुक गई इधर राजा भी समझ गया। उसने कहा, आप सभी के लिए आज का इनका नृत्य समाप्त हो चुका है। आप सभी अपने घर जाइए। और इन दोनों कन्याओं को मेरे कक्ष में लाया जाए।
वहां पर मैं इन से बातचीत करूंगा।
इस प्रकार से वहां पर दोनों कन्याओं को लाया गया। कन्यान्ये अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकती थी। तब राजा ने कहा कि पिछले वाले राजा की तरह मैं नहीं हूं। मैं सच में तुम दोनों से विवाह करना चाहता हूं। अगर मेरा विवाह प्रस्ताव तुम मान जाती हो तो रानी बनकर रहोगी। हमारे कई सारे बच्चे होंगे। तुम्हारे बच्चे मेरे बाद राजा भी बनेंगे।
लेकिन अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो हमेशा कष्ट में रहोगी और इसी प्रकार मैं तुमसे कार्य करवाता रहूंगा।
तब उन कन्याओं ने कहा, हमें इस बात से कोई प्रभाव नहीं पड़ता। तुम?
तो पिछले वाले राजा से भी ज्यादा बुरे कर्म किए हैं। तुमने तो हमारे पूरे गांव के सारे रिश्तेदारों को ही मरवा दिया। तुम्हारे लिए इंसानों की जान की कोई कीमत नहीं है।
तब राजा ने कहा। जो काम तुम स्वेच्छा से नहीं करोगी वह भी मैं तुमसे करवा लूंगा।
तुम लोग मेरी बात नहीं मानोगी। तब उन कन्याओं ने कहा, चाहे हमारे प्राण ही क्यों न चले जाएं, हम तुम्हारी बात नहीं मानेंगे।
इस प्रकार से।
राजा ने उन्हें वापस से जेल में बंद करवा दिया।
कन्या दोनों बहुत परेशान थी। उनके पास कोई विकल्प भी नहीं था। उनकी शक्ति भी केवल! 24 घंटे में एक बार ही जागृत हो सकती थी इसलिए वह इंतजार करने लगी।
इधर अगली सुबह राजा अपनी सेना के साथ।
कहीं जाने लगा इन कन्याओं को कुछ भी पता नहीं था कि आखिर? इतनी बड़ी सेना के साथ राजा कहां जा रहा है राजा बहुत जल्दी ही। नगर से बाहर किसी दूसरे राज्य की सीमा पर पहुंच गया और राजा ने कहा कि इस राज्य को हमें जीतना है। और हम इस पर आक्रमण करेंगे। इन कन्याओं को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। आखिर युद्ध भूमि में? यहां पर इन्हें क्यों लाया गया है तब राजा ने चतुराई दिखाते हुए कहा।
देखो तुम आज मेरा युद्ध जिस राजा के प्रति है जो कि यहां का बहुत ही शक्तिशाली राजा है? अगर मैं युद्ध में पराजित होता हूं तो तुम दोनों को इनके सैनिकों को सौंप दिया जाएगा। फिर यह सैनिक तुम्हारे शरीर की क्या हालत करेंगे? और? वेश्याओं से भी ज्यादा बुरी गति तुम्हारी हो जाएगी। इसलिए मैं जो कहूं वह ध्यान पूर्वक कर देना अन्यथा आज।
तुम्हारे जीवन का अंत हो जाएगा। वह भी इतना बुरा। कि तुम सोच भी नहीं सकती। दोनों कन्याए बहुत ही ज्यादा दुखी हो गई थी। उनको लगा आज अगर युद्ध में यह राजा पराजित हो गया तो?
इस राजा के?
सैनिकों का तो कुछ का ही विनाश होगा लेकिन हमारी तो?
इज्जत अस्मिता और शरीर की भी रक्षा नहीं हो सकेगी।
इसीलिए आज हम स्वयं। श्वेत भैरव से प्रार्थना करते हैं कि वह रक्षा करें।
और हम?
इस युद्ध में विजई हो।
यह सोचना भी गलत ही है लेकिन मजबूरी के कारण! इस कार्य को होना आवश्यक है। राजा बहुत जल्दी इस बात को समझ गया और उसने एक कुटिल मुस्कान दे दी।
उनकी बात समझ रहा था। इधर युद्ध शुरू हो गया। दोनों ओर की सेनाएं बड़ी ही तीव्रता के साथ लड़ने लगी। उस पहाड़ी क्षेत्र का राजा धीरे-धीरे युद्ध में सभी को पराजित करने लगा।
तब
इस राजा को लगा कि अब निश्चित रूप से यह हार जाएगा। इसलिए अपने सबसे बड़े शस्त्र का प्रयोग करना अब आवश्यक हो गया है। उसने सैनिकों को कहा कन्याओं को बाहर निकाल दो।
और सामने से सैनिकों के आगे इन्हें कर दो। जैसे ही यह किया गया कन्याओ खबर आ गई उन्हें लगा आज ना तो उनकी।
इज्जत की रक्षा हो पाएगी और पता नहीं किस ओर उनकी लाश फेंक दी जाए, इसलिए उन्होंने अपनी शक्ति का प्रयोग करना आरंभ कर दिया। और जैसे ही उनके अंदर श्वेत भैरव कि वह सिद्ध शक्ति आई। राजा ने कहा जाओ। इस राज्य के सारे सैनिकों का विनाश कर दो।
हे बंगाल के सुंदर आदमखोर सुंदरियों! जाओ समाप्त कर दो इस पूरी सेना को तुम्हारे पास केवल।
10 मिनट ही है।
जाओ और इन सब का भक्षण करो।
लाल मणियों के प्रभाव से और कन्याओं के अंदर पहले से भरे हुए क्रोध के कारण। दोनों कन्याओं के अंदर बहुत तीव्र ऊर्जा आ गई। क्रोध और शक्ति दोनों उस वक्त उनके अंदर विद्यमान थी और उन्होंने।
बहुत तीव्रता से उस राज्य के सैनिकों पर हमला करना शुरू कर दिया। वह सीधे कूदकर किसी भी सैनिक को पकड़ लेती और उसकी गर्दन को काट कर खा जाती। इससे तुरंत ही उस सैनिक की मृत्यु हो जाती। उनकी गति इतनी तीव्र थी कि। एक सेकंड में वह तीन से पांच सैनिकों को मार कर आगे निकल जाती थी। इसीलिए उन पर वार करने से पहले ही सैनिक समाप्त हो जाते थे। देखते ही देखते लगभग 10 मिनट बीत गए और उस राज्य की तीन चौथाई सेना समाप्त हो चुकी थी।
तब तक वहां का राजा बाहर निकल कर आया और उसने इस राजा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और कहा अपनी सेना की इन आदमखोर सुंदरियों को रोको। अन्यथा मेरा पूरा राज्य समाप्त हो जाएगा।
राजा यह बात जानता था कि कुछ ही देर में इनकी सिद्धि रुक जाएगी। इसीलिए वह कहने लगा ठीक है। मैं आदेश देता हूं कि यह दोनों रुक जाए और लगभग 10 मिनट पूरे होते ही वह दोनों शांत हो गई। उनके चेहरे पर बड़ी भारी मात्रा में रक्त मौजूद था। क्योंकि उन्होंने कितनी अधिक सैनिकों की गर्दन को चबाया था?
वह खुद भी नहीं जानती थी। इतनी देर युद्ध के कारण आखिरकार वह थक कर बेहोश हो गई। इधर यह राजा जीत का जश्न मनाने लगा।
और पूरा राज्य इस राजा के अधीन आ गया? इधर! एक!
व्यक्ति जो कि सैनिक के रूप में। इस राजा की सेना में जल्दी ही शामिल हुआ था वह चुपके से।
उन कन्याओं के पास पहुंचा। और कहने लगा कि सभी लोग नाच गाने और शराब पीने में व्यस्त हैं। चलो यहां से मैं तुम्हें निकाल दूं। कन्याये!
अब तैयार थी और चुपचाप वह नगर से बाहर निकल गई। और एक स्थान पर पहुंची।
जहां पर?
एक विशेष देवी की मूर्ति स्थापित थी।
और देवी की मूर्ति ने उस वक्त मनुष्य की आवाज में बोलना शुरू किया और कहा कि? श्वेत भैरव की शक्ति के कारण।
पत्थर के अंदर से बोल रही हूं। जाओ, तुम्हें एक देवी की आराधना करनी है।
और? मैं उसका मंत्र बताती हूं।
उसके विषय में भी बताती हूं।
उस देवी का नाम है श्वेता रति भैरवी। यही देवी अब तुम्हारा कल्याण करेगी। यह कहते हुए वह मूर्ति शांत हो गई।
और?
वह सैनिक अब अपने वास्तविक रूप में। श्वेत भैरव के रूप में प्रकट हो गया। और कहा तुमने मुझे गुरु माना था इसलिए अब मैं तुम्हें इस देवी का मंत्र बताता हूं और इसकी कथा और ज्ञान भी देता हूं।
आखिर श्वेतभैरव उन्हें कौन सा रहस्यमई ज्ञान दिया?
इसकी साधना का विवरण भी मैंने इंस्टामोजो स्टोर पर उपलब्ध करवा दिया है। अगर कोई यह साधना करना चाहता है तो श्वेता रति भैरवी साधना के नाम से यह साधना कर सकता है।
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इस कथा में आगे क्या हुआ और श्वेता रत्ती भैरवी कौन हैं? जानेंगे हम लोग अगले भाग में।अगर जानकारी और कहानी पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें। आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।