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स्वर्ण प्रभा यक्षिणी साधना दूसरा अंतिम भाग #swarnprabha #yakshini 

स्वर्ण प्रभा यक्षिणी साधना दूसरा अंतिम भाग

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नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम स्वर्ण प्रभा यक्षिणी के अगले भाग के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे तो चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को।

नमस्कार गुरु जी, पिछली बार मैंने आपको बताया था कि कैसे मेरे दरवाजे पर दस्तक होती है तब मैं जब दरवाजा खोलता हूं। गुरुजी तो सामने अपनी प्रेमिका को देखता हूं और यह देख कर मुझे बहुत ज्यादा आश्चर्य होता है। इसने तो कहा था, यह जल्दी नहीं आएगी। पर यह तो आ चुकी है। क्या करूं? मैंने उसे अंदर बुलाया और कहा, तुम आराम करो तो वह कहने लगी। मैं भी जानना चाहती हूं कि तुम क्या करते हो? मैं तब तक यही रहूंगी जब तक! मैं जान नहीं जाती। अब यह बात सुनकर तो और भी ज्यादा मैं परेशान हो गया। क्योंकि अब मैं थक चुका था।

इसलिए अगर मैं इस कार्य को आगे बढ़ाता तो निश्चित रूप से असफल ही होता। एक स्त्री के साथ रहते हुए यह कार्य नहीं हो सकते हैं। यह बिल्कुल सत्य और सिद्ध बात है। इसलिए अब मेरे पास कोई और विकल्प नहीं रहा। मैंने साधना छोड़ दी। कुछ दिन रहने के बाद वह वापस चली गई। तब मैंने फिर से बह साधना शुरू कर दी। सिद्धि नहीं हुआ। पर क्योंकि मेरी ही गलती थी। पिछली बार अनुष्ठान छोड़ देने की। इसलिए मैंने कहा ठीक है। मेरी गलती है, मैं ही सुधार लूंगा तो मैंने दोबारा फिर से साधना जारी कर दी। और इस प्रकार मैं यह साधना काफी दिनों तक करता रहा। अचानक एक दिन ऐसा कुछ घटित हुआ जिसकी कल्पना मैंने नहीं की थी। गुरुजी साधना करते 9 महीने हो चुके थे। और मैं स्वर्ण प्रभा यक्षिणी को प्राप्त करने के लिए बिल्कुल आतुर हो चुका था। कि तभी एक दिन जब मैं सो रहा था अचानक से बाहर जोर की आवाज में ध्वनि सुनी

इस आवाज को सुनकर मेरे मन में बहुत घबराहट हुई।

और? किसी के भागने की आवाज भी आई। क्योंकि जब व्यक्ति साधना करता है तो उसके साथ। ऐसे अनुभव होते हैं। लेकिन यहां पर मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था।

इसलिए मैं उठकर बाहर गया।  देखा वहां कोई भी नहीं था। मैं थोड़ा इधर-उधर घुमा। यह पता करने के लिए कि क्या यहां पर? कोई ऐसी घटना घटी है जिसकी वजह से मुझे आवाज आई है। तो मैं चारों तरफ देखने लगा। पर मैं यह देखता ही रह गया कि वहां पर तो? कुछ? भी नहीं था। अब जब मैं वापस लौट रहा था कि तभी मेरी नजर एक कोने पर पड़ी। तो मैंने जो देखा। वहां पर एक काला बैग पड़ा हुआ था। मैं उसके पास गया। बैग भारी था। इसलिए मैंने उसे उठाया। और खींचकर लेकर अपने कमरे तक आ गया। और जब मैंने उस बैग को खोला। तो जैसे? किसी की? सांसे रुक जाती हैं। बिल्कुल वैसा ही कुछ मेरे साथ हुआ।

पहली चैन खोली तो उसमें। एक हाथ पड़ा हुआ था। वहां किसी औरत का लग रहा था।

और जब मैंने यह देखा तो अद्भुत आश्चर्य में पड़ गया।

हाथ कटा हुआ था जैसे किसी ने उस हाथ को काटा हो। यह देखकर मुझको बहुत ज्यादा घबराहट हो रही थी। मैंने किसी प्रकार एक कपड़े से उस हाथ को बाहर निकाला। चेन खोली और उसमे औरतों के जवाहरात भरे हुए थे। यह देखकर अब और भी ज्यादा आश्चर्य हुआ।

पक्का कोई डकैत है जो अपना माल फेंक कर भाग गया है। इसलिए!

किसी वजह से वह किसी से डर कर भाग रहा होगा। और यह देखकर कि उस?

जगह पर गड़बड़ ना हो जाए इसलिए उसने यह बैग उठाकर फेंक दिया मेरे घर के अंदर! और वहां से दौड़ता हुआ चला गया होगा।यही  बात है।

तब मैंने! एक निर्णय लिया।

साधना तो? एक कोने रह गई।

क्योंकि मेरे पास भारी मात्रा में सोना चांदी और रुपया आ गया था।

भागना ही सबसे अच्छा विकल्प है।

क्योंकि वह घर और कमरा भी किराए पर था। इसलिए मैं बहुत जल्दी जल्दी अपना सामान पैक करने लगा। और उस बैग और अपने अन्य बैग लेकर तुरंत वहां से रफूचक्कर हो गया।

आज तक किसी को नहीं पता कि मैं रातों-रात वहां से क्यों भागा?

इसी प्रकार मेरे दिन कटते चले गए। मेरे पास बहुत मात्रा में पैसा हो गया था। धीरे-धीरे मैंने बहुत सारा सामान बेचता रहा।

मैं करता भी क्या अगर मैं पुलिस के पास जाता तो मैं फंस जाता। और अगर? मैं वहां रहता तो जिसने वह बैग वहां फेंका है।

वह जरूर वहां आता और फिर मेरी जान तक ले लेता। गुरुजी क्योंकि अगर?

व्यक्ति। किसी का हाथ काट कर किसी बैग में रख सकता है। तो फिर कुछ भी कर सकता है?

एक गलती मुझसे हो गई उसमें से एक अंगूठी।

काफी खूबसूरत थी। मैंने उसे पहन लिया और सोचा। कि मैं? इसे नही बेचूंगा क्योंकि उसमें हीरा लगा हुआ था और वह एक पुरुष की अंगूठी जैसे ही लग रही थी।

जिस रात को मैंने उसे उठाया और मैंने उसे धारण किया।

तब?

उसी रात मुझे भयानक सपना आया। एक खूबसूरत लड़की थी जो कि मेरे पास आई और कहने लगी। यह अंगूठी किसकी है? मैंने कहा मेरी है! तो वह एकदम से चुड़ैल में बदल गई। मेरी छाती पर बैठ गई। और मेरा गला दबाते हुए कहने लगी, यह तो मेरी है। तब मेरा सांस लेना भी मुश्किल हो गया। मैं बिल्कुल घबरा गया। मैंने दोबारा से।

स्वर्ण प्रभा यक्षिणी की साधना करी। इस साधना की वजह से ही मुझे इतनी भारी मात्रा में सोना मिला था और! अगर! दे सकती है तो बचा भी सकती है। इसलिए मैंने अगले दिन से साधना शुरू कर दी। रात में बार बार कोई औरत आकर सपने में मेरा गला दबाती और मेरे हालात! मौत के जैसे बन जाते, लेकिन मैंने साधना जारी रखी। एक दिन अचानक से दरवाजे पर दस्तक होती है। मैं दरवाजा खोलता हूं। सामने एक भयानक चुड़ैल खड़ी थी। मेरी और लपकी तब मैं चिल्ला कर! यक्षिणी को पुकारने लगा। उसका रूप दिव्य था।

पहली बार मैंने उसे देखा। सुनहरे बाल! माथे पर टीका। इसमें एक हीरा जड़ा हुआ था। सिर पर एक मुकुट था। गले में बहुत खूबसूरत! एक हार था। उसके वस्त्र किसी राजकुमारी जैसे लग रहे थे। बेहद खूबसूरत चेहरा आंखें हल्की सी नीली थी। और

वह मेरे पास आई और कहने लगी। चिंता मत करो, मैं संभाल लूंगी और फिर उस चुड़ैल और इस यक्षिणी के बीच युद्ध हुआ तब यक्षिणी ने उसे भगा दिया।

तब उसने कहा, मैं स्वर्ण प्रभा यक्षिणी हूं। मैंने ही तुम्हें धन दिलाया। और? तुमसे? सिद्ध होना चाहती थी, तुम्हें वरण करना चाहती थी किंतु तुमने साधना में बार-बार ऐसा किया जिसकी वजह से मै सिद्ध नहीं हो सकती हूं। किंतु तुम्हें मैं धन प्रदान कर चुकी हूं। आप यह बात अपने गुरु के अतिरिक्त किसी को भी ना बताना।

तब गुरुजी!

उसी दिन उसने मुझे गले लगाया उस स्पर्श का अनुभव! बहुत अधिक दुर्लभ है। इतनी खुशी जिसकी कल्पना करना भी किसी व्यक्ति के लिए आसान नहीं है।

गुरुजी! यक्षिणी ने मुझे जब गले लगाया तो कान में कहा। मैं तुमसे सच में प्रेम करती थी। किंतु तुमने अपनी गलतियों की वजह से मुझे खो दिया है। मैं तुमसे सिद्ध नहीं हो सकती हूं। सिर्फ तुम्हारी रक्षा के लिए ही यहां पर आज प्रकट हुई। क्योंकि यह वही लड़की है। जिसको मारकर एक डकैत भाग रहा था। और तभी उसके पीछे पुलिस लग गई।

तो वह जब वहां से गुजर रहा था और उसने सामने अपनी चारों तरफ पुलिस को देखा और भागने की कोई जगह नहीं थी तो उसने सोचा कि मैं पकड़ा जाऊंगा।

माल के साथ अगर नहीं पकड़ा गया तो कोई इल्जाम भी नहीं लगेगा। और धन वापस आकर यहां से उठा लूंगा। उसने निशानी बनाई। और तुम्हारे घर को याद कर लिया और उठाकर बैग फेंक दिया।

उस लड़की के साथ उसकी हाथापाई हुई थी। गुस्से में आकर पहले उसने उसका गला काट दिया और बाद में उसका हाथ काट दिया क्योंकि वह अंगूठी नहीं दे रही थी। जल्दबाजी में क्योंकि वहां लोग आने लग गए थे तो उसने पूरा हाथ ही काटकर  बैग के अंदर डाल दिया। और जितना भी उसके पास सोना चांदी।

सारी चीजें थी। इन सब चीजों को लेकर वहां से भाग गया। यहां तब तक खबर पुलिस को हो चुकी थी?

और नाकाबंदी लगा दी गई थी। तुम्हारे घर के पास से गुजरते हुए उसने तुम्हारे घर में धन फेंक दिया। यह मेरी ही कृपा से हुआ। क्योंकि मैं धन अवश्य देती हूं। 9 महीने तुमने मेरी लगातार अखंड ब्रह्मचर्य के साथ साधना की थी। मै तुमसे प्रसन्न थी और साक्षात सिद्धि देने वाली थी किंतु धन प्राप्त होते ही तुम्हारे अंदर लालच आया  और तुम भाग कर वहां से चले गए। मैं तुम्हारी स्वयं रक्षा करती जैसे आज कर रही हूं। उस व्यक्ति से भी।

तब मैंने उनसे कहा, यह धन तो दूषित है। तब उसने कहा धन कोई भी दूषित नहीं होता। धन का उपयोग दूषित होता है। धन तो इसी पृथ्वी पर रहने वाला है। कभी किसी के पास था तो आगे आने वाले समय में वही धन किसी और के पास होगा। इसलिए तुम किसी भी प्रकार से पाप के भागी नहीं हो। चिंता मत करो इसका उपयोग और उपभोग करो। और संसार के लिए अदृश्य हो क्योंकि यह राज नहीं खोलना चाहिए। तुम कौन हो? और तुम्हारी सिद्धि क्या है?

इसलिए गुरु जी! मैं? सिर्फ आपको बता रहा हूं और मैं जानता हूं। आप पूरी तरह इन बातों को गोपनीय रखेंगे।

स्वर्णप्रभा प्रत्यक्ष सिद्धि। दे सकती थी पर मेरी गलतियों के कारण मैं उसे प्रत्यक्ष रूप में प्राप्त नहीं कर पाया, लेकिन आज आराम से साधना कर सकता हूं। कुछ भी कर सकता हूं क्योंकि मेरे पास बहुत बड़ी मात्रा में

धन! है। लेकिन इस बात को कोई नहीं जानता। क्योंकि जिस जगह यह घटना घटी थी वहां से 400 किलोमीटर दूर आज मैं अपने परिवार के साथ रहता हूं।

गुरु जी यही है मेरे जीवन की घटना जो कि वास्तविक है, सत्य है और इस साधना से कितना परिवर्तन आ सकता है इस बात को दर्शाती है। आपको बारंबार कोटि-कोटि नमन!

और दर्शकों को मेरा प्यार!

जय मां पराशक्ति  जय धर्म रहस्य।

सन्देश- तो देखिए यहां पर इन्होंने अपने साथ घटित इस अद्भुत घटना के विषय में बताया है और इसीलिए इनकी जानकारी को गोपनीय रखना आवश्यक है। क्योंकि इससे? इनकी रक्षा होती रहेगी।

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