नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हमें एक बार फिर से 1 जिन्न के अनुभव के विषय में ज्ञान प्राप्त हुआ है और भेजने वाले ने अपनी जानकारी गुप्त रखने को कहा है तो चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को। ईमेल के माध्यम से हम जान पाएंगे कि क्या इनके जीवन में साधना के दौरान घटित हुआ था?
ईमेल पत्र –
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अस्सलाम वालेकुम उस्ताद मोहतरम। मैं गाजियाबाद से हूं और मेरा नाम…….. है। मेरी सभी जानकारी आप गुप्त रखिएगा। यह मेरा अनुभव केवल धर्म रहस्य पर प्रकाशित होगा और कहीं नहीं यह मैं पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। उस्ताद मुझे आपकी सारी वीडियोस बहुत पसंद है। खासकर आपकी आवाज और बोलने का तरीका मैं लगभग आपकी सारी वीडियोस देख चुका हूं और हरबुश जिन साधना की वीडियो को तो ना जाने कितनी बार देखा होगा। तो मेरा मन भी किया कि यह साधना की जाय फिर मैंने तैयारी शुरू कर दी। सामान इकट्ठा किया पर मुझे ज्यादा दिक्कत यह हुई कि मुझे हरे हकीक की माला नहीं मिल रही थी और मैंने ऑनलाइन से मंगवाने की कोशिश की, लेकिन वह लोकल निकली। फिर मैंने सोचा चलो इसी से शुरू कर देते हैं। फिर जो आपने बताया था साधना का सामान वह सब लेकर के मैं।
अपने कपड़े वगैरह सिलवा कर फिर टोपी और इसी तरह कर लेने के बाद मुझे उस्ताद की जरूरत पड़ी तो मैंने हमारे पड़ोस में एक मुस्लिम उस्ताद थे। उन्हें अपना उस्ताद माना और गुरु दीक्षा भी उन्हें दी। वह जो उस्ताद थे, वह ताबीज और गंडे का काम करते थे और वह गद्दी भी लगाते थे। फिर उन्होंने कहा कि तुम मेरे घर की छत पर इस साधना को कर सकते हो। फिर मैंने भी उस बात के लिए हां कर दी और फिर नौचंदी जुमेरात का इंतजार करने लगा, लेकिन एक दिक्कत थी जिस रूम में मैं सोता था वहीं पर उस्ताद का लड़का भी सोता था। मैं जब उसके पास होता था तो बहुत।
बच कर सोता था लेकिन रात को ना जाने कब वह मेरी बिल्कुल साइड में आ ही जाता था। तो गुरु जी मैंने ना जाने कैसे-कैसे इस साधना को पूरी करने की कोशिश की थी। मगर ना जाने क्या हुआ कि यह बीच में ही खंडित हो गई और वह ऐसे हुआ कि पहले दिन मुझे कोई अनुभव नहीं हुआ था। दूसरे दिन मुझे एक साइड से हवा सी आई। फिर गुरुजी तीसरे दिन का अनुभव ऐसा है कि मैं रात को अपनी साधना करके सोने चला गया। फिर मुझे ख्वाब में एक मस्जिद दिखाई दी जो कि हमारे पड़ोस में ही थी। मैं वहां पर गया तो मैंने मस्जिद के बाहर की ओर
वहां पर मैं खड़ा था तो मुझे अंदर से एक आवाज आई कि कोई कह रहा है क्या चाहते हो? मैंने कहा, आपसे दोस्ती करना चाहता हूं। अंदर से आवाज आई मुझे तुम्हारी आवाज नहीं आ रही है। फिर एक आदमी आया जो कि मुझे बहुत घूम रहा था तो मैंने कहा, मैं जिन से दोस्ती कर रहा हूं, वह बोला, कहां है जिन? मैंने कहा अंदर है मस्जिद के! उसने कहा दिखाओ, फिर मुझे मैंने जैसे ही मस्जिद के पास गया वहां पर कुछ। कंकर से गिरी फिर कुछ नहीं दिखाई दिया। सब कुछ वहां से गायब हो गया। फिर गुरुजी!
5 वे दिन सुबह यानि 5 वे दिन। मैं उठकर साधना स्थल पर गया। जो! दीया जलाया था उसको कोई खा गया था और एक लड्डू जो कि आधा गायब था। फिर सामान उठाकर मैंने अलग रख अब।
तैयारी की । अब आता है साधना का छठवां दिन। जो कि मेरे लिए सबसे बुरा दिन था। हुआ यूं कि मैं सभी। 11:00 बजे बैठा था साधना के लिए और उसी दिन ऐसा हुआ कि जो उस्ताद के घर कोई मेहमान आया हुआ था, वह अचानक ऊपर छत पर आ गया और उसे देख कर मुझे गुस्सा आ गया। मैंने उससे यह कहा, यहां क्यों आए हो भागो यहां से बहुत तेज आवाज में वह भी डर कर भाग गया। जैसे ही मैंने उसे डांटा। वैसे ही मेरे शरीर से ऐसा लगा कोई चीज निकली हो। मैंने ऐसा महसूस किया कि कोई ऊर्जा निकली है शरीर से। शरीर बहुत हल्का महसूस हो रहा था। फिर गुरुजी मेरा मन नहीं किया कि मैं आगे साधना करु वहीं पर रोक दी। गुरु जी यह मेरा सत्य अनुभव है। अब कोई विश्वास करें या ना करें लेकिन यह सब मेरे साथ घटित हुआ था। आप मेरी वीडियो बनाओ तो ठीक है वरना कोई बात नहीं लेकिन मुझे। कामयाबी क्यों नहीं मिली गुरुजी बताना जरूर और क्या माला ओरिजिनल होना जरूरी है या फिर कोई भी रंग की माला चल जाएगी। इस साधना में, आप मुझे उन भाई साहब की ईमेल भेजो जिससे मैं बात भी कर सकूं। ख्वाब का मतलब जरूर बताइएगा। गुरु जी क्या मैं आपसे गुरुमंत्र ले सकता हूं क्योंकि मैं एक मुसलमान हूं तो क्या आप मुझे गुरु मंत्र दे सकते हो सलाम?
संदेश- यहां पर इन्होंने अपने हरबुश जिन साधना का अनुभव बताया है।
पहली बात इस साधना में आपका पहले गुरु मंत्र से दीक्षित होना जरूरी ही है। और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप मुसलमान हैं। साधना तंत्र क्षेत्र सबके लिए खुला होता है। रही बात! केवल इस प्रश्न की जहां पर कोई साधना में मूर्ति लगती है, उसी स्थान पर आपके धर्म में मना किया गया है तो फिर आप उस जगह यंत्र का यानी ताबीज का या गंडे का इस्तेमाल करके उस साधना को कर सकते हैं। इसलिए आप गुरु मंत्र लेकर अवश्य ही साधना कर सकते हैं, लेकिन गुरुमंत्र लेने के बाद पूरी जिंदगी पवित्र रहना पड़ता है और किसी भी प्रकार से गलत काम गलत भोजन गलत इच्छा नहीं रखते, वरना आपका गुरु मंत्र काम नहीं करेगा और आपकी सारी पूजा और तपस्या नष्ट हो जाएगी।
तो पहली बात तो यह है वहीं दूसरी बात कि आपकी हकीक की माला। ओरिजिनल ही होनी चाहिए क्योंकि कोई भी नकली चीज़! किसी असली चीज को बुलाने में प्रयुक्त नहीं हो सकती है। इसलिए! आप को ध्यान पूर्वक सही माला ही इंतजाम उसका करना होगा जो हरे रंग की ओरिजिनल हकीक की माला हो। इसके लिए आपको कोई विशेष दुकानदार से आर्डर करके मंगवा सकते हैं।
इसके अलावा! रही बात आप के साथ घटित अनुभव के विषय में तो मैं आपको बताता हूं। उस वक्त जब आखिरी दिन यानि छठे दिन।
आपकी साधना भंग हो गई। उसकी वास्तविकता यह थी कि जिन किसी और के रूप में स्वयं आकर आपके पास आने की कोशिश की। और यह देखा कि क्या आप साधना में लगे रहते हैं या फिर आप साधना तोड़ देते हैं? और आपने उसे डांट कर भगा दिया असल में आपने हरबुश को ही डांटा था। और वह उस का मायाजाल था। ऐसा मायाजाल जिसको आप समझ नहीं पाए। जब आपने उसे खुद ही मना कर दिया तो अब वह दोबारा नहीं आएगा इसीलिए आपके शरीर में उसकी ऊर्जा के रूप में। वह जो था वह चला गया और इस प्रकार आपकी साधना भंग हो गई थी। तो साधनाओ के दौरान इन बातों का बहुत अधिक ख्याल रखना पड़ता है कि आप क्या कर रहे हैं और कैसे कर रहे हैं? तभी आपकी साधना सफल होती है वरना शक्तियां आप को मूर्ख बना कर चली जाती हैं।
जैसे कि मस्जिद के अंदर से। जिन का कहना कि मुझे तुम्हारी आवाज नहीं आ रही है। इसी दिन उस जिन ने तय कर लिया था। कि आप को किस प्रकार से मूर्ख बनाया जा सकता है। अभी आवाज नहीं आ रही और किसी दिन आप की ही आवाज से आपकी साधना मैं भंग करवा दूंगा। और उसने वही किया इस प्रकार आपने अपनी साधना में असफलता हासिल की। लेकिन इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। साधना कई बार करने पर कहीं जाकर तब सफलता मिलती है। जब आदमी हर प्रकार से तैयार होता है और हर प्रकार की उच्च- नीच को समझने की उसकी क्षमता होती है। किसी भी प्रकार के बहकावे में वह नहीं आता है और तभी उसको सफलता प्राप्त होती है। छोटी-छोटी बातें आपकी साधना नष्ट कर सकते हैं। और किसी भी प्रकार का मायाजाल शक्तियां रच लेती हैं।
तो इस प्रकार से आप सबसे पहले चाहे तो गुरु मंत्र की दीक्षा प्राप्त करें और उसका अनुष्ठान कर ले ताकि आपके अंदर इतनी ऊर्जा पहले से मौजूद हो कि आप कोई भी तांत्रिक साधना करें। उसमें आपको कोई नुकसान ना हो और इस तरह की साधनाओं में आपकी शक्ति और अधिक प्रभावी ढंग से काम करें। तो यह था आज का उनका अनुभव अगर आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।