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होली की रात अघोरी के साथ पड़ी भारी भाग 1

होली की रात अघोरी के साथ पड़ी भारी भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक ऐसे अनुभव को लेंगे जो कि होली से जुड़ी हुई एक घटना को दर्शाता है जिसमें एक व्यक्ति ने एक अघोरी के साथ मिलकर होली की रात कोई तांत्रिक प्रयोग किया, जिसमें बड़ी भारी गलती हुई और इसका खामियाजा उस व्यक्ति को भुगतना पड़ा था तो चलिए पढ़ते हैं इस पत्र को और जानते हैं। इस अनुभव के विषय में
नमस्ते गुरु जी मैं आपका एक शिष्य हूं। गुरु जी मैंने आपसे बहुत पहले गुरु दीक्षा ली थी और आपके अनुभव सुनता रहता हूं। हालांकि कामकाज में पूरा समय नहीं मिल पाता। इसलिए तांत्रिक साधनाएं नहीं कर पाया, लेकिन इस संबंध में कुछ अनुभव है जो मैं आपको भेजना चाह रहा था। यह अनुभव मेरे एक मित्र के परिवार में कई 100 वर्ष पूर्व गठित हुआ। यानी उनके पूर्वजों से संबंधित है, लेकिन मुझे अच्छा लगा और होली का अवसर आ रहा है और यह घटना होली से ही जुड़ी हुई है। इसलिए मैंने आपको भेजी है। आप इसे प्रकाशित अवश्य करें तो गुरु जी मैं अब अपने इस अनुभव पर आता हूं। मैं अभी 3 दिन पहले ही घर आया था और मेरा एक पुराना मित्र जिससे मैं बातचीत करता रहता हूं। मैंने आप के विषय में उसे बताया तो वह कहने लगा कि यह बड़ी बात है कि कोई ऑनलाइन व्यक्ति किसी को ठग नहीं रहा है। वरना आजकल तो हर व्यक्ति बेवकूफ ही बनाता है। उसने आपके कई सारे वीडियो देखें। इसमें ज्यादातर दर्शकों के प्रश्न और उत्तर श्रृंखला के वीडियो थे तो उन्हें देखकर वह समझ गया और कहने लगा। आपके गुरु वास्तव में उत्तम है क्योंकि इनके यह वीडियो देखकर इनकी प्रतिभा और ज्ञान का पता चलता है।

अब मैं भी एक अनुभव तुम्हें बताता हूं। अगर हो सके तो अपने गुरु से कहकर उसे प्रकाशित करवाना, क्योंकि यह हमारे परिवार के पूर्वजों में घटित हुई एक घटना। तो मैंने कहा ठीक है मुझे उस घटना के विषय में अच्छी तरह बताओ तो वह कहने लगा। मेरे परदादा एक साहूकार थे, लेकिन अंग्रेजों का समय था और किसी वजह से उनकी ईमानदारी के कारण वह अच्छी प्रकार से रुपए और पैसे नहीं कमा पा रहे थे। तब गांव के कुछ लोगों ने एक अघोरी तांत्रिक के विषय में बताया और कहा कि अगर वह प्रसन्न हो जाए तो अवश्य ही कितना भी धन आपको दिलवा सकता है तब मेरे साहूकार परदादा इस बात के लिए तैयार हुए और उससे मिलने के लिए जाने के लिए राजी हो गए थे। उनके साथ गांव के कई और व्यक्ति भी गए। वहां पहुंचकर उसे अघोरी साधु ने चमत्कार किया और उन लोगों की आंखों के सामने ही भोजन और पानी उसके हाथ में प्रकट हो गया। जैसे कि किसी ने रख दिया हो, लेकिन ऐसी चमत्कारी घटना को देखने के बाद कोई भी व्यक्ति उससे प्रभावित होना पूरी तरह से तय है। अब यह अलग बात है कि वह कौन सी सिद्धि का?

प्रयोग कर रहा है।

तब मेरे परदादा ने उनसे कहा, मैं आर्थिक परेशानी झेल रहा हूं। मेरे जीवन में बहुत सारा कष्ट आ गया है। परिवार क्योंकि बहुत बड़ा है हम 21 लोगों का परिवार है। इसलिए हमारी आपसे प्रार्थना है। इस सभी का भरण-पोषण अच्छी प्रकार से हो। इसके लिए आप मुझे कोई धन प्राप्ति का मार्ग बताइए। हम पूरा परिवार आपके भक्त बन जाएंगे।

यह सुनकर अघोरी बहुत ही प्रसन्न हुआ और उसने कहा, यह तो बड़ी अच्छी बात है कहीं मेरे शिष्य नहीं है। अगर तुम लोग बनते होती है तो बड़ी अच्छी बात होगी। तब उसने कहा देखो अभी चार-पांच दिन बाद ही होली का त्यौहार आ रहा है। यह एक ऐसा समय है जब तांत्रिक साधनाये की जाए तो उसके अनेक लाभ देखने को मिलते हैं। इसलिए अब मैं तुम्हें अपने साथ रख कर एक सिद्धि करवाता हूं और यह देखकर तुम भी आश्चर्यचकित हो जाओगे। तब उन्होंने पूछा कि यह बताओ कि तुम्हारी पत्नी और बच्चे हैं तो उन्होंने कहा हां! तब उन्होंने कहा कि ठीक है तुम मेरे साथ थोड़ी दूर चलो तब उनके साथ अकेले थोड़ी दूर चलने के लिए निकल पड़े। वह उनको बाकी लोगों से अलग कर देना चाहता था क्योंकि वह कुछ सोच रहा था। वह एक उच्च कोटि का तांत्रिक था और अघोर विद्या में उसकी महारत हासिल थी तब उसने चलते हुए कहा पता है, मैं तुम्हें इन लोगों से अलग लेकर किसलिए आया हूं। तब मेरे परदादा ने कहा बताओ। अगर आप मुझे यहां लेकर आए हैं तो कुछ विशेष कारण ही होगा। तब उन्होंने कहा, मुझे तुझ में सिद्धि प्राप्त करने का शक्ति और सामर्थ्य दिखाई पड़ता है। इसीलिए मैं तुझे उन सभी लोगों से अलग लेकर आया हूं और गुरु के प्रति समर्पण का भाव अगर शिष्य में गुरु को दिखाई दे जाए तो वह अपने शिष्य को सारी विद्या प्रदान करने लगता है। बाकी लोग जो यहां पर आए हैं, केवल लालची हैं और उन्हें विद्या से नहीं अपने स्वार्थ से मतलब है। सिर्फ अकेले तुम ही हो जिसके अंदर मुझे स्वार्थ नहीं दिखाई पड़ता है। हालांकि तुम्हारी भी अपनी इच्छाएं हैं, लेकिन अपने गुरु के प्रति समर्पण का भाव तो तुममे है ही इसीलिए मैंने तुम्हें चुना है। और मैं तुम्हें यहां लेकर भी इसमें आया हूं कि कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो मुझे तुमसे पूछने हैं। क्या तुम सहज रूप से इनका जवाब दे पाओगे और हां, मैं यह भी कहता हूं कि इन प्रश्नों का गलत जवाब नहीं देना, क्योंकि अगर ऐसा करोगे तो मुश्किल में पड़ सकते हो। मेरे परदादा उसकी बातों को बड़े ध्यान से सुन रहे थे। इसलिए उन्होंने कहा, ठीक है आप जो भी मुझसे पूछेंगे, मैं कसम खाकर कहता हूं। केवल सत्य ही बोलूंगा। तब उसने कहा, यह बताओ तुम्हारे और तुम्हारी पत्नी के बीच शारीरिक संबंध कितने दिन पहले बने थे तो उन्होंने कहा समय नहीं मिल पाता है इसलिए लगभग 3 महीने हो चुके हैं ।

यह सुनकर मुस्कुराते हुए उस अघोरी तांत्रिक ने कहा। बिल्कुल सही और मुझे यही चाहिए था कि कोई ऐसा पुरुष जिसने दो-तीन महीनों से किसी स्त्री से संबंध ना बनाया हो, वही मेरे लिए उपयुक्त पात्र है। ठीक है हम लोग होली की। रात में एक साधना करेंगे। तुम्हें मेरे साथ रहना है और मैं तुम्हें अपनी सिद्धि प्रदान कर दूंगा। जिसके बाद तुम्हारे जीवन में अद्भुत चमत्कार घटित होंगे और धनवान तो होंगे ही सारी इच्छाएं तुम्हारी पूरी होती जाएंगी। सुनकर मेरे परदादा खुश हो गए और वहां से वापस आने के बाद उन्होंने उनके साथ गए हुए सभी दोस्तों को यह बातें बताई और कहा कि सच में यह तो कोई बड़े विद्वान गुरु हैं। इनसे तांत्रिक साधना सीखना भाग्यशाली बात होगी। यह सोचकर अब अपने घर आ जाते हैं। परिवार में सभी लोगों को यह बात बताते हैं, लेकिन उनकी पत्नी एक बात से संशय में आ जाती है और वह कहती हैं कि आपको उनकी कृपा प्राप्त करनी चाहिए ना कि उनके साथ जाकर साधना करनी चाहिए क्योंकि अगर आपने उनके साथ जाकर साधना की तो इसके कई गलत प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं तो वह कहते हैं। नहीं मुझे उन पर पूरा विश्वास है। वह व्यक्ति मुझे बहुत ही समझदार लगता है और अगर उसने कहा है कि वह सिद्धि दिलवा देंगे तो मैं अवश्य ही सिद्धि प्राप्त करूंगा।

यह बातें होने के बाद अब होली की रात का समय आ चुका था। तब वह व्यक्ति उन्हें बुलाता है और पास के ही एक श्मशान भूमि में पहुंच जाता है और कहता है देखो इस स्थान को और प्रणाम करो। यह वह स्थान है जहां पर हर व्यक्ति बराबर हो जाता है। मरने के बाद हर व्यक्ति चाहे वह ऊंचा हो, नीचा हो, उच्च कुल का हो, निम्न कुल का हो, अमीर हो, गरीब हो या फिर बड़ा संत हो और बहुत ही निम्न कोटि का चरित्र वाला व्यक्तियों के लिए शमशान बराबर है। सभी यहां आकर केवल राख बन जाते हैं। इसी रात को महादेव धारण करते हैं। यह बताने के लिए कि सभी बराबर है। उच्चा नीचा छोटा यह सारी बातें मनुष्य की है। ईश्वर की दृष्टि में सब एक बराबर होते हैं। इसीलिए नंगे पैदा होते हैं और मरने के बाद भी एक जैसे ही हो जाते हैं। तब उनकी बातें सुनकर मेरे परदादा कहने लगे। आप तो बहुत ज्ञानी हैं। संसार के इस सत्य को आप मुझे बता रहे हैं। यह बात बिल्कुल सत्य है। जाति हो, धर्म हो, कुल संप्रदाय हो अमीर या गरीब यह सभी केवल कुछ वर्षों के लिए ही हो सकता है। बाकी तो ईश्वर सबको बराबर ही बना कर भेजता है तो वह कहने लगा। आप इस 1000 साल पुराने शमशान को प्रणाम करो और तब मेरे परदादा ने हाथ जोड़कर उस स्थान को  प्रणाम किया। तब मेरे परदादा उनसे कहने लगे। आप ने श्मशान को प्रणाम करने के लिए क्यों कहा है तो वह कहने लगा कि यहां पर 1000 सालों से कितनी हजार आत्माएं विद्यमान होंगी। तुम सोच भी नहीं सकते हो। तुम ने उन्हीं सब को प्रणाम किया है। अब उनका आशीर्वाद अवश्य ही मिलेगा और वह जल्दी! उनके चुने गए स्थान के पास जहां पर बैठकर उन्हें साधना करनी थी। एक जलती हुई चिता जो तैयार थी, उनकी साधना के लिए उन्होंने कहा, मैंने जो कहा था, वह सामग्री लेकर आए हो ना तो उन्होंने उनसे जिंदा कबूतर और शराब की बोतल मंगवाई थी।

उन्होंने उनके साथ बैठकर उस जलती हुई चिता पर मंत्र पढ़ते हुए शराब की छीटें मारना शुरू कर दिया। इस प्रकार इस अग्नि में भड़कन होती थी और उसमें से अजीब आवाज निकलने लगती थी। यह देखकर मेरे परदादा डर जाते थे। लेकिन तभी साधना करते हुए रात के 3:00 बज रहे थे। कि तभी उन्होंने उसे जलती हुई चिता से एक स्त्री को बाहर आते देखा जिसका पूरा शरीर आग की तरह भड़क रहा था। और वह आकर मेरे उस पर दादा के शरीर के अंदर घुस गई। इसके बाद क्या हुआ जानेंगे हम लोग अगले भाग में? तो यह थी आज की होली से संबंधित एक पुरानी कथा अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है। लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

होली की रात अघोरी के साथ पड़ी भारी भाग 2

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