नवनी की अग्नि परीक्षा भाग 1
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक बार फिर हम मठ और मंदिरों की कहानी लेकर आए हैं और यह कथा राजस्थान के एक प्रसिद्ध मंदिर के पुराने समय में घटित हुई एक विचित्र और घटना को दर्शाती है। क्या है इस मंदिर की कहानी और कैसे यह स्थान आज प्रसिद्ध है, इसके विषय में जानेंगे। तो सबसे पहले तो इस स्थान के विषय में जान लेते हैं। यह मंदिर राजस्थान में ईडाणा माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां पर माता की महिमा बहुत ही निराली मानी जाती है और इनके चमत्कार को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। आप ने चमत्कारिक स्थलों के बारे में अवश्य ही जाना होगा, लेकिन इस स्थान की स्थिति विशेष तरह की है। यह स्थान राजस्थान के उदयपुर शहर से 60 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है। यहां पर मां का दरबार बिल्कुल खुली हुई एक जगह जिसे चौक कहते हैं, वहां पर स्थित है। आपको बता दें कि इस मंदिर का नाम ईडाणा उदयपुर मेवल की महारानी के नाम से प्रसिद्ध हुआ था। इस मंदिर में भक्तों की आस्था विशेष यहां पर ऐसी मान्यता मानी जाती है कि लकवा से ग्रसित व्यक्ति अगर यहां आता है तो वह ठीक हो जाता है। सबसे आश्चर्य वाली बात यह है। यह स्थान देवी मां की एक प्रतिमा है जो हर महीने में दो से तीन बार अग्नि से प्रज्वलित होती है यानी आग से जलती है। इस अग्नि स्थान से मां की संपूर्ण चढ़ाई गई चुनरिया और धागे इत्यादि भस्म हो जाते हैं और इसे देखने के लिए भक्तों का मेला भी लगता है। लेकिन? इस अग्नि की बात करें तो किसी को भी यह बात पता नहीं चल पाती है कि आखिर यहां आग लगती कैसे हैं। ईडाणा माता मंदिर में अग्नि स्नान का पता लगते ही आसपास के गांव के लोग संख्या में यहां पहुंच कर जमा हो जाते हैं और इनका दर्शन अग्नि स्वरूप में करते हैं। मंदिर के पुजारियों का इस बारे में यह कहना है कि ईडाणा माता अधिक भार होने पर स्वयं ज्वाला देवी का रूप धारण कर लेती हैं और धीरे-धीरे विकराल रूप धारण करती हैं। इनकी आग लगभग 10 से 20 फीट तक पहुंच जाती है। लेकिन इस आग से श्रृंगार के अलावा कोई और चीज नहीं जलती है। इसे ही देवी का अग्नि स्नान कहते हैं और इसी अग्नि स्नान के कारण कभी भी यहां कोई मंदिर बनाया नहीं गया। ऐसी मान्यता है कि भक्त इस अग्नि स्नान दर्शन करते हैं तो उनकी इच्छा पूरी होती है। यहां पर भक्त अपनी इच्छा पूरी करने पर त्रिशूल को चढ़ाने आते हैं और जिन लोगों के भी संतान नहीं है वहां यहां पर झूला चढ़ाने आते हैं। और सबसे बड़ा विश्वास है लकवा ग्रसित व्यक्ति का दरबार में आकर ठीक हो जाना। यह तो इसकी एक विशेषता है क्योंकि यह एक चमत्कारिक मंदिर है। यह स्थान उदयपुर शहर से 60 किलोमीटर दूर कुराबड- बम्बोरा मार्ग पर अरावली की विस्तृत पहाड़ियों के बीच स्थित है मेवाड़ का प्रमुख श्री शक्ति पीठ इडाना माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। हम यह तो जानते हैं कि कोई भी स्थान हो उसके पीछे कोई ना कोई एक बड़ा रहस्य छुपा रहता है। इस स्थान को लेकर भी कई प्रचलित मान्यताएं हैं। पर एक ग्रुप और गोपनीय कथा यहां की ऐसी है जिसके बारे में कोई ही जानता होगा, उसी कथा को लेकर मैं यहां पर आया हूं। लोगों को केवल यहां के एक तपस्वी बाबा के विषय में ही जानकारी है, लेकिन उनसे कई सौ वर्ष पूर्व एक कन्या जिसकी वजह से यह स्थान पर माता का पदार्पण हुआ था उसी की कथा मैं आज आप लोगों को सुना रहा इस कन्या का नाम नवनी था । यह कन्या भील समुदाय की एक बहुत ही खूबसूरत कन्या थी उस वक्त! यहां पर आदिवासी भील समुदाय। आता जाता रहता था। पास ही थोड़ी दूर पर एक तालाब था जहां से पानी भरा जाता था। वह कन्या वहां आकर पानी भरा करती थी और जब भी बहुत थक जाती थी वह इसी स्थान पर आकर बैठ जाती थी और फिर कुछ देर आराम करके। पानी लेकर आगे बढ़ जाती थी। उस वक्त की। सामाजिक और प्राकृतिक स्थिति बिल्कुल आज से अलग थी। यह स्थान विशेष रूप से पानी लाने के लिए ही इस्तेमाल किया जाता होगा। हालांकि आजकल ऐसी स्थिति नहीं है। वह कन्या इसी प्रकार और रोज उस स्थान पर आती। पास के ही एक छोटे से तालाब से पानी भरती और अपने घर परिवार की ओर चली जाती। एक बार एक! धनी मानी व्यापारी। उसी स्थान से होकर गुजर रहा था। तभी उसे प्यास लगी और पानी की चाह में वह इस स्थान के नजदीक। चारों ओर पानी ढूंढने लगा। तभी थोड़ी दूर जाने के बाद उसे एक छोटा सा पोखर दिखाई दिया। वहां पर यह कन्या पानी में भीगते हुए पानी को इधर-उधर उछाल रही थी। पानी से भीगने के कारण उसके वस्त्र पूरी तरह भीग चुके थे। उस दिन नवनी काफी ज्यादा खुश थी। उसको इस प्रकार खेलते देखकर अब इस व्यापारी का हृदय इस कन्या के ऊपर आ गया। क्योंकि वह पानी में भीगी बहुत ही सुंदर उसे दिखाई दे रही थी। लेकिन उसके पास जाना उसने ठीक नहीं समझा और वहीं पर खड़ा चुपचाप उसे देखता रहा। फिर उसने मटकी में पानी भरा और चलते हुए उसी स्थान पर आ गई जहां पर आज का वर्तमान माता का मंदिर स्थित है। वह उसी स्थान पर बैठा करती थी। उसने उस जगह पर एक मिट्टी की माता की प्रतिमा बनाई और उन पर आकर थोड़ा सा पानी चढ़ा देती थी। और मन ही मन वहां पर माता की पूजा किया करती थी। जब वह उसी स्थान पर बैठ गई तभी व्यापारी उसके पास चला आया और कहने लगा। मुझे थोड़ा सा पानी पिला दीजिए। तो उसने फिर उन्हें थोड़ा पानी पीने के लिए दिया। और तब वह कहने लगे। आप यहां पर क्यों बैठी हो? तो कहने लगी कि मैं जब भी इस स्थान पर। पानी भर के आती हूं तो मेरा हृदय स्वयं ही यह कहने लगता है कि मुझे इस स्थान पर बैठ जाना चाहिए और इसी स्थान पर आकर बैठ जाती हूं। मुझे इस स्थान पर देवी के होने का आभास होता है। इसीलिए मैं इस स्थान पर देवी की एक मिट्टी से बनी प्रतिमा बना ली है और उसकी पूजा करती हूं। और यह मेरा अब रोज का कार्य हो चुका है। तब व्यापारी से रहा नहीं गया और उसने कहा, मैंने तुमसे?…. ऐसा लगता है कि? प्रेम में बंध गया हूं और इस बंधन के कारण मुझे अब तुमसे विवाह करना है। यह सुनकर नवनी आश्चर्यचकित हो गई। उसने कहा, क्या मुझे सिर्फ देखने मात्र से आपको मुझ से प्रेम हो गया है? मैं तो बहुत ही गरीब भील जाति की एक कन्या हूं। तब उस व्यापारी ने कहा, मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। और जब तक मुझसे तुम्हें प्रेम नहीं हो जाता, मैं रोज इसी स्थान पर तुमसे मिलने आता रहूंगा। और इस प्रकार रोज जब वह पानी भरने जाती तो उसी स्थान पर वहां पर व्यापारी उसे खड़ा मिलता दोनों इस प्रकार घंटों बातें करते और ऐसे करते हुए समय बीतता चला गया। अब नवनी के हृदय में भी व्यापारी के प्रति पूरी तरह प्रेम जागृत हो चुका था। उसने कहा, हम दोनों एक दूसरे से प्रेम करते हैं इसलिए अब हमें विवाह कर लेना चाहिए। तो व्यापारी कहता है ठीक है। मैं तुम्हारे गांव आता हूं और तुम्हारे मां और पिता से बातचीत करूंगा। अवश्य ही वह तैयार हो जाएंगे। तब? वह व्यापारी अगले दिन अपने कुछ लोगों के साथ में उस स्थान पर पहुंचा जहां पर नवनी का घर था। नवनी का घर बहुत ही गरीब था। और यह पूरी आदिवासी जाति! किसी भी प्रकार से सभ्य जीवन नहीं जीते थे। यह देखकर अब व्यापारी को बड़ा पछतावा हुआ। वह सोचने लगा। क्या मेरा इस कन्या से विवाह करना ठीक रहेगा? उसके साथ आए कई लोगों ने भी यह कहा। कि आपको इसी जाति की कन्या अच्छी लगी है। क्या कोई अन्य जाति की कन्या आपको नहीं पसंद आई? इस प्रकार अब व्यापारी अपने आप को। फंसा हुआ सा पा रहा था। और इस बात में आश्चर्यचकित था कि क्या उसका यह निर्णय उसके लिए सही रहेगा, यह नहीं आगे जानेंगे। इस कथा में आगे क्या घटित हुआ? तो अगर आपको यह जानकारी और कहानी पसंद आ रही है तो लाइक कीजिए। शेयर कीजिए सब्सक्राइब कीजिए। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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