नौ गजा पीर तांत्रिक साधना
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। कई दर्शकों की यह मांग थी कि मैं कुछ पीर साधनाएं भी लेकर के आयें क्योंकि पीरों की साधना, हिंदू और मुसलमान दोनों ही करते हैं और इनकी सिद्धि भी जल्दी हो जाती है तो आज मैं आप लोगों के लिए ही एक ऐसे पीर की साधना लेकर आया हूं जो अपने तांत्रिक कार्यों के लिए जाने जाते हैं। और इनकी सिद्धि होने पर सभी तरह के तांत्रिक कार्यों को किया जा सकता है। इनका नाम है नौ गजा पीर। इस पीर साधना को कैसे करेंगे? इस संबंध में क्या-क्या बातें हैं आज के वीडियो के माध्यम से हम लोग जानेंगे? तो जैसा कि मैंने बताया, नौ गजा पीर साधना। एक ऐसे पीर जी की साधना है जो काफी करामाती पीर माने जाते हैं। नौ गजा पीर का मुख्य स्थान हरियाणा के जिला शाहाबाद में है।
नौ गजा पीर जी। चमत्कारिक पीर मानें गए हैं जिनमें हिंदू और मुसलमान दोनों ही समान रूप से श्रद्धा रखते थे और अपनी मुंह मांगी मुरादे प्राप्त कर लेते थे। एक ऐसी कहानी या? मान्यता है कि नौ गजा पीर जी का वास्तविक नाम सैयद इब्राहिम था, लेकिन उनका नाम नौ गजा पीर क्यों पड़ा? इसलिए पड़ा क्योंकि इनको सिद्धि थी जिसकी वजह से इनका कद 9 गज लंबा हो गया था। यानी कि आप अनुमान लगा लीजिए कि यह कितने अधिक लंबे होंगे। 1 गज की लंबाई(41 इंच) के हिसाब से अगर 9 गज लंबा व्यक्ति खड़ा किया जाए तो वह एक छोटे-मोटे पेड़ की बराबर दिखाई पड़ता है। इसी कारण से इन्हें शक्तिशाली पीर समझा जाने लगा।
इनकी सिद्धि करने वालों को यह अपने इसी 9 गज वाले स्वरूप में दर्शन देते हैं। नौ गजा पीर आज भी भक्तों को दर्शन देते हैं और उनकी मनोवांछित मुरादें पूरी करते हैं।
नौ गजा पीर को अगर कोई व्यक्ति सिद्ध कर लेता है तो ऐसा कोई तांत्रिक कार्य नहीं है जो पूरा न किया जा सके। नौ गजा पीर की सिद्धि अधिकतर तांत्रिक लोग ही किया करते हैं क्योंकि नौ गजा पीर के द्वारा तांत्रिक क्रियाओं का निवारण तुरंत हो जाता है। चाहे भूत प्रेत हो या फिर कोई किया कराया गया हो? घर में खून के छींटे आते हो। औलाद ना होती हो। और किसी ने आप पर कोई बुरा प्रयोग कर दिया हो। उसके अलावा किसी ने आप पर मारण प्रयोग किया हो। ऐसी कई सारी तांत्रिक समस्याओं का निवारण नौ गजा पीर तुरंत कर देते हैं। इसीलिए इनकी साधना अवश्य करनी चाहिए।
साधना से पहले अपने आप को इतना आप तैयार अवश्य कर लें ताकि ऐसी साधना ओं में अगर कोई शक्ति आपकी साधना भंग करती है। या फिर आपकी ऊर्जा चुराने की कोशिश करती है तो उसे आप संभाल सके। इसके लिए आपके पास योग्य गुरु होना आवश्यक है। साथ ही जिसने पीर साधना पहले की हुई हो और सिद्धि भी प्राप्त की हो, वह गुरु आपके लिए उत्तम रहेगा। जो लोग गुरु मंत्र ले चुके हैं। वह इस साधना को करने पर उनके ऊपर कोई विशेष बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। क्योंकि उनके अंदर पहले से ही इतनी ऊर्जा मौजूद रहती है कि ऐसी कोई तांत्रिक बुरी शक्ति आप पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाती है। इनकी साधना विषय के बारे में जानकारी इस प्रकार से है।
इस साधना को आप किसी भी शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू कर सकते हैं अर्थात! जब? चांदनी होती है और
क्योंकि हिंदू और मुस्लिम! अलग-अलग पद्धति से इस साधना को करते हैं लेकिन शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष महीने के दो पक्ष माने जाते हैं, जिसमें कृष्ण पक्ष में चांद नहीं दिखाई पड़ता है लेकिन शुक्ल पक्ष में चंद्रमा रहता है। तो जब शुक्ल पक्ष हो पंचांग में तो उसके किसी भी बृहस्पतिवार के दिन से या गुरुवार से इस साधना को शुरू करें। साधना के प्रथम दिन पीले मीठे चावल को बांटे।
चावल में आप गुड़ भी मिला करके उसे मीठा बना सकते हैं या फिर किसी अन्य? चीज जिसको भी मिला कर उसे मीठा बनाया जा सकता है। रात्रि के ठीक 10:00 बजे के बाद एक सरसों के तेल का दीपक जलाएं। अपने गुरुदेव से मानसिक आज्ञा लेकर इनके मंत्र का जाप शुरू कर दे। यह जब आपको ढाई घंटे करना होता है। इसमें आप की माला की कोई आवश्यकता नहीं होती है। दीपक के पास सुगंधित फूल रखना चाहिए। यह क्रिया आपको पूरे 41 दिन तक करनी होती है।
कान में इत्र का फाहा लगाकर जाप करना चाहिए। अपने शरीर पर भी इत्र लगाकर ही मंत्र का जाप करें। साधना के दौरान लोबान सुलगती रहे और साधक के वस्त्र शुद्ध होने चाहिए। अंतिम दिन एक नौ गजा की हरी चादर को। सवा किलो लड्डू मीठा पान। एक सुपारी और इत्र का बना फाहा किसी पीर की मजार पर चढ़ाये।
तो इसका फल उत्तम प्राप्त होता है। साधना के दौरान भूमि पर शयन करना चाहिए। जब कोई विशेष कार्य पीर बाबा से करवाना हो तो उन्हें। यह मंत्र 21 बार पढ़ कर प्रार्थना करनी चाहिए। और अपना कार्य बोलना चाहिए।
और मीठे! पीले चावल।
स्थान पर रख दें।
उसके बाद उसे आप! या उसमें से कुछ भाग?
छोटे बच्चों को खिला दे।
कार्य पूर्ण हो जाने पर। बाबा जी को ऊपर लिखा हुआ चढ़ावा या।
9 गज की हरी चादर सवा किलो लड्डू मीठा पान एक सुपारी इत्र का फाहा। पीर की मजार पर चढ़ा देना चाहिए।
साधना खत्म होते ही किसी ना किसी प्रत्यक्ष रूप में अथवा अप्रत्यक्ष रूप में बाबा अवश्य ही दर्शन देते हैं।
इनका जो मंत्र है वह इस प्रकार है।
उत्तर जाऊ, दक्षिण जाऊ।
पूर्व जाऊ, पश्चिम जाऊ ॥
जाऊ नदी के तीर नौगजा पीर।
सवा सेर लड्डू, पाँच गज ओढनी ॥
खोल दे बंधन, गौंस आज़म दस्तगीर की दुहाई ॥
तो इस मंत्र के माध्यम से आप अपनी इस साधना को पूर्ण कर सकते हैं। यह आवश्यक है कि किसी योग्य गुरु के निर्देशन में इस साधना को करें। और गुरु को गुरु दक्षिणा देकर उसके बाद उन से आज्ञा लेकर इस साधना को शुरू करना चाहिए।
इसके बाद जब साधना संपूर्ण हो जाए तो सामग्री को किसी पीर की मजार पर चढ़ा देना चाहिए। और अपने विशेष कार्य करवाने के लिए। पीर बाबा का भोग देना चाहिए। तो अवश्य ही आपके सभी कार्य पूर्ण होते हैं और बाबा आपके मनोवांछित कार्यों को पूर्ण करते हैं। तो यह थी नौ गजा पीर साधना। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।