अहि यक्षिणी साधना और कथा भाग 1
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम जो यक्षिणी की साधना और उसकी कथा के विषय में जानकारी प्राप्त करने जा रहे हैं। इसे हम अहि यक्षिणी के नाम से जानते हैं। यह एक ऐसी शक्तिशाली और गोपनीय यक्षिणी है जिसके विषय में लोगों को ज्ञान प्राप्त नहीं है। आज हम इसी की कथा और उसकी शक्तियों सहित इस के ज्ञान को प्राप्त करेंगे और इससे संबंधित जो वीडियो है और साधना का पीडीएफ है, वह मैंने इंस्टामोजो पर भी उपलब्ध करवा दिया है। तो सबसे पहले इसके विषय में जानते हैं? आज से कई सौ वर्ष पूर्व हमारे भारतवर्ष में चंद्रावती नाम की एक नगरी थी। इस नगरी में एक राजा था जिसका नाम सोमनाथ था सोमनाथ भगवान शिव का बड़ा ही विचित्र प्रकार का भक्त था। वह नंगे पैर भगवान शिव के मंदिर तक जाता और नंगे पैर ही वापस आता था। ऐसा वह इसलिए करता था ताकि भगवान शिव के सामने वह राजा नहीं बल्कि उनका सेवक बन कर रहे। कुछ दिनों बाद उसके राज्य पर पास की ही आदिवासी जनजाति के राजा ने हमला कर दिया और राजा उनसे काफी दिनों तक युद्ध करता रहा। इस दौरान उस आदिवासी राजा के प्रपंच में फंसने के कारण वह अपने राज महल से बाहर निकल गया और वहीं से युद्ध करता रहा। कुछ दिनों बाद सोमनाथ ने उस राजा को पराजित कर दिया और उसकी सेना पराजित होकर भागती हुई वहां से शोर मचाते और हंसते हुए जा रही थी। यह बात राजा को समझ में नहीं आई कि आखिर! इस बात का रहस्य क्या है? कोई अगर युद्ध में पराजित हो जाता है तो फिर वह खुश नहीं होता बल्कि सिर झुकाए हुए और अपने प्राणों की रक्षा के लिए भागता हुआ नजर आता है। किंतु यहां पर युद्ध हार जाने के बाद भी इस राजा और उसकी सेना हंसते हुए और शोर मचाते हुए जा रही है। यह बात राजा को तब तो समझ में नहीं आई लेकिन अपनी विजित सेना के साथ जब वह अपने राजमहल की ओर वापस आया तो देखा राज महल में भयंकर नरसंहार हो चुका था। वहां पर शायद ही कोई बचा था। राजा की प्रिय रानियां भी मारी गई थी और वहां से फिर राजा घबराते हुए अपने कोषागार की ओर दौड़ा क्योंकि उसके मन में एक संदेह आ चुका था। जब वह कोषागार के दरवाजे पर पहुंचा तो जो देखा उससे उसकी मती और भी ज्यादा नष्ट हो गई क्योंकि कोषागार का दरवाजा खुला हुआ था। उसके अंदर रखा गया सोना चांदी जवाहरात विभिन्न प्रकार के सोने चांदी के बने हुए बर्तन और अतुलनीय मात्रा में रत्न आभूषण सब कुछ वह आदिवासी राजा ले जा चुका था। अब राजा को सारी बात समझ में आ रही थी। वह यह बात समझ चुका था कि आखिर क्या हुआ होगा? उस राजा ने उसे युद्ध में उलझा कर उसके राज महल में गुपचुप तरीके से प्रवेश किया था और वहां पर भयंकर नरसंहार करते हुए उसने पूरी तरह वहां पर तबाही मचा दी और राजकोष का सारा धन लेकर चला गया। अब राजा वित्तविहीन था। वह यह बात जानता था कि किसी भी राज्य को चलाने के लिए धन की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। जनता भी उस राजा का साथ छोड़ देती है जिसके पास धन नहीं होता। जल्दी ही यह बात पूरे राज्य में फैल गई। तरह-तरह की अफवाहें उड़ने लगी। सब यही कहने लगे। राजा को हटाओ और किसी योग्य व्यक्ति को राज सिंहासन पर बैठाओ। लेकिन राजा को हटाना कोई आसान काम नहीं था। इसीलिए सबके प्रयास विफल हो रहे थे। राजा को इस बात की गंभीरता पता लग चुकी थी कि उसके साथ एक बड़ी दुर्घटना घटित हो चुकी है। उसे जल्दी ही जनता का विश्वास जीतना होगा और साथ ही अपने धन को वापिस प्राप्त करना होगा। उसने अपने राज्य के सेनापति को बुलाया और कहा कि आदिवासी राजा के रहने के स्थान का पता लगाओ और अपना खजाना वापस प्राप्त करो तब सेनापति अपनी सेना को लेकर जंगल में चला गया। कुछ दिनों बाद खबर आई कि सेनापति और उसके तीन सैनिक वापस आए हैं। बाकी सारे जंगल में मार दिए गए। सेनापति ने बताया कि जंगल में यह पता ही नहीं चलता कि तीर किस तरफ से आ रहा है और किस मार्ग में और किधर जाना है। युद्ध लड़ने के लिए मैदान अच्छा होता है, लेकिन इस छापामार युद्ध से उसकी सारी सेना समाप्त हो गई है। अब कोई विकल्प नहीं बचा। मैं भी स्वयं अपने 3 सैनिकों के साथ बचते हुए वापस आ पाया हूं। अब राजा बहुत अधिक परेशान हो गया क्योंकि न सिर्फ उसकी रानियां मृत्यु को प्राप्त हो चुकी थी। उसके पास खजाना नहीं था और अब तो सेना भी समाप्त हो चुकी थी। वह यह बात जानता था कि अब ज्यादा दिन तक वह राजा बनकर नहीं रह पाएगा। इसलिए एक रात चुपचाप और राज महल से निकल गया। वह चिंतित बहुत अधिक था और इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहा था कि अगर किसी भी प्रकार से धन प्राप्त हो जाए तो शायद जीवन में कोई परिवर्तन हो सके, लेकिन यह आसान बात नहीं थी। वह एक गांव में पहुंचा। उस गांव में कई सारे लोग एक प्रसिद्ध विद्वान ब्राह्मण के पास जा रहे थे। कई लोग? उससे बात किये और तब उसे पता चला कि यहां पर कोई बहुत ही सिद्ध पुरुष मौजूद है जो सभी की समस्याएं हल कर रहा है। इसलिए राजा भी उस व्यक्ति के पास पहुंच गया और कतार में लग गया। थोड़ी देर बाद राजा का नंबर आ गया और राजा अब किसी प्रकार उस विद्वान ब्राम्हण व्यक्ति के पास पहुंच गया। ब्राह्मण ने कहा, तुम अपना जन्म नक्षत्र मुझे बताओ। तब राजा ने अपना जन्म नक्षत्र और जानकारी दें। इसी के साथ महत्वपूर्ण बातें कुछ ही देर में उस विद्वान ब्राम्हण व्यक्ति ने राजा की जन्म कुंडली बना डाली और उस कुंडली को दिखाकर राजा से कहा, क्या यह तुम्हारी ही कुंडली है तब राजा ने कहा, हां, यह मेरी ही कुंडली है। तब उस ब्राम्हण व्यक्ति ने राजा को प्रणाम करते हुए कहा, यह तो किसी राजा की कुंडली है। तब राजा ने कहा, आपने मुझे पूरी तरह पहचान लिया है। मैं इस राज्य का राजा हूं, लेकिन अपनी सेना धन और पत्नियों को खो चुका हूं। इसलिए अब आपके पास इस हेतु अगर कोई मार्ग हो तो मुझे बताइए तब उस विद्वान ब्राह्मण व्यक्ति ने कहा, राजन आपको एक कार्य करना होगा। पास में एक जंगल है जो बहुत अधिक घना है। वहां पर एक दूर वृक्ष है जो काफी बड़ा है। उस वृक्ष के पास ही सांपों की एक बांबी है। उस बांबी में आप जाइए और वहां पर। उस बांबी को प्रणाम करते हुए मैं आपको एक मंत्र बता रहा हूं। उसका जाप कीजिए। अगर आप ऐसा करेंगे तो आगे का मार्ग आपके लिए प्रशस्त हो जाएगा। राजा ने कहा, आपकी जैसी आज्ञा आप मुझे इस समय? गुरु की तरह महसूस हो रहे हैं। मैं आपको अपना गुरु स्वीकार करता हूं और आपके कहे अनुसार घने जंगल में जाकर इस कार्य को संपन्न करता हूं। अब राजा ने उस विद्वान ब्राह्मण व्यक्ति के चरण छुए और उनसे आज्ञा लेकर जंगल में कुछ और बढ़ चला जहां पर उस ब्राह्मण व्यक्ति ने उसे जाने को कहा था। वह एक घने वन से होकर गुजर रहा था। धीरे-धीरे वह एक स्थान पर पहुंचा जहां पर एक विशालकाय वृक्ष और उसके पास ही एक सर्प की बांबी दिखाई दे रही थी। तभी अचानक से वहां पर उसे एक विचित्र बात देखने को मिली। वह बात क्या थी जानेंगे हम लोग अगले भाग में इस साधना का पीडीएफ आपको इंस्टामोजो पर उपलब्ध हो जाएगा। इसका लिंक मैंने इस वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दे दिया है तो याद था आज का वीडियो का पहला भाग आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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अहि यक्षिणी साधना और कथा भाग 2
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